समर्थन रणनीति

समर्थन रणनीति
13 दिसंबर, 2006 को संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा कन्वेंशन को अपनाया गया था और 30 मार्च, 2007 को राज्य दलों द्वारा हस्ताक्षर करने के लिए खोला गया था। कन्वेंशन को अपनाने ने वास्तव में दुनिया भर में विकलांग व्यक्तियों को उनके अधिकारों की मांग करने और राज्य बनाने के लिए सशक्तिकरण प्रदान किया है। निजी और नागरिक समाज एजेंसियां अपने अधिकारों का आनंद लेने के लिए जिम्मेदार हैं।
भारत उन कुछ पहले देशों में से एक है, जिन्होंने कन्वेंशन की पुष्टि की। 30 मार्च 2007 को कन्वेंशन पर हस्ताक्षर करने के परिणामस्वरूप, भारत ने 01.10.2007 को कन्वेंशन की पुष्टि की। कन्वेंशन 3 मई, 2008 से लागू हुआ। कन्वेंशन प्रत्येक राज्य पार्टी पर निम्नलिखित तीन महत्वपूर्ण दायित्वों को स्थान देता है: -
कन्वेंशन के प्रभावी कार्यान्वयन के लिए ठोस उपाय करते हुए, सभी संबंधित केंद्रीय मंत्रालयों से अनुरोध किया गया कि वे कन्वेंशन के प्रावधानों को लागू करें, जैसा कि उनमें से प्रत्येक पर लागू हो सकता है। इसी तरह, सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों और केंद्र शासित प्रदेशों के प्रशासकों से भी अनुरोध किया गया कि वे कन्वेंशन के तहत विभिन्न प्रावधानों / दायित्वों की जांच करें, जो उनसे संबंधित हो सकते हैं और उनके शीघ्र समर्थन रणनीति कार्यान्वयन के लिए प्रभावी कदम उठा सकते हैं। राज्य सरकारों / केन्द्र शासित प्रदेशों के प्रशासकों को भी इस संबंध में स्थिति रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए कहा गया था ताकि देश रिपोर्ट तैयार करने की दिशा में इसका उपयोग किया जा सके। इस संबंध में कठोर निगरानी और अनुवर्ती कार्रवाई की जा रही थी ताकि कन्वेंशन के दायित्वों को पूरा किया जा सके। भारत की पहली देश रिपोर्ट नवंबर, 2015 में संयुक्त राष्ट्र की समिति के अधिकारों के लिए प्रस्तुत की गई थी।
इंचियोन रणनीति "एशिया और प्रशांत में विकलांग लोगों के लिए सही वास्तविक बनाने के लिए"। एशिया और प्रशांत के लिए संयुक्त राष्ट्र आर्थिक और सामाजिक आयोग के सदस्यों और सहयोगी सदस्यों के प्रतिनिधि और प्रतिनिधि (ईएससीएपी) विकलांग व्यक्तियों के एशियाई और प्रशांत दशक के कार्यान्वयन की अंतिम समीक्षा पर उच्च स्तरीय अंतर सरकारी बैठक में समर्थन रणनीति इकट्ठे हुए, 2003-2012 को 29 अक्टूबर, 2 नवंबर, 2012 से इंचियोन, कोरिया में आयोजित किया गया और एशिया और प्रशांत क्षेत्र में विकलांग लोगों के लिए इंचियोन रणनीति "मेक द रियल रियल" को अपनाया। 25 अप्रैल से आयोजित 69 वें सत्र में ईएससीएपी - 1 मई, 2013 को मंत्रिस्तरीय घोषणा और इंचियोन रणनीति का समर्थन करते हुए प्रस्ताव पारित किया गया।
बीजिंग में दिव्यागों (2013-2022) के लिए एशिया और प्रशांत दशक की मध्य-बिंदु समीक्षा पर उच्च स्तरीय अंतर-सरकारी बैठक 27 नवंबर से 1 दिसंबर, 2017 तक बीजिंग में आयोजित की गई थी। बैठक में विचार-विमर्श के बाद, बीजिंग घोषणा को अपनाया गया। जो अगले पांच वर्षों में इंचियोन रणनीति के लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए राज्य दलों के लिए कार्य योजना की रूपरेखा तैयार करता है।
यूपी की राजनीति में बड़ा खेल. राष्ट्रपति चुनाव में NDA उम्मीदवार को शिवपाल, राजा भैया और राजभर का समर्थन
President Election 2022: उत्तर प्रदेश की विपक्ष की एकता में राष्ट्रपति चुनाव ने सेंध लगा दी है। एनडीए के खेमे में अखिलेश के चाचा शिवपाल और सहयोगी ओपी राजभर नजर आ रहे हैं। इसने विपक्ष की पूरी रणनीति ही गड़बड़ कर दी है।
हाइलाइट्स
- एनडीए उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू के पक्ष में नजर आए शिवपाल यादव
- ओम प्रकाश राजभर ने भी मुख्यमंत्री आवास पहुंच दिया समर्थन
- राजा भैया का भी एनडीए उम्मीदवार को समर्थन, विपक्षी रणनीति फेल
- पहली बार यूपी पहुंची एनडीए की राष्ट्रपति उम्मीदवार का जोरदार स्वागत
संख्या लिहाज से मजबूत होंगी एनडीए उम्मीदवार
एनडीए उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू उत्तर प्रदेश में संख्या लिहाज से काफी मजबूत होती दिख रही हैं। उन्हें एनडीए के 66 सांसद और 273 विधायकों का पहले से समर्थन हासिल था। बाद में मायावती ने भी उन्हें समर्थन देने का ऐलान कर दिया। इससे उनके पक्ष में 10 सांसद और एक विधायक का वोट जुड़ेगा। इसके अलावा अब शिवपाल यादव के आने से सपा का भी एक वोट द्रौपदी मुर्मू के पक्ष में जाता दिख रहा है। राजा भैया की पार्टी जनसत्ता दल के 2 वोट भी एनडीए उम्मीदवार के पक्ष में जाएंगे।
ओम प्रकाश राजभर के एनडीए उम्मीदवार के पक्ष में आने के बाद अब सुभासपा के 6 वोट इस पाले में जाते दिख रहे हैं। इस प्रकार यूपी के 76 सांसद और 282 विधायकों का समर्थन सीधे एनडीए उम्मीदवार के पाले में जाता दिख रहा है। यह यूपी की बदलती राजनीति को दिखा रहा है।
यशवंत सिन्हा के पक्ष में घटा वोट
समाजवादी पार्टी के विपक्षी उम्मीदवार यशवंत सिन्हा को समर्थन दिए जाने से उन्हें यूपी से विपक्ष का सभी वोट अपने पक्ष में आने की उम्मीद थी। लेकिन, ऐसा नहीं हो सका। समर्थन रणनीति सपा अपने खेमे को पाले में रखने में कामयाब नहीं हो पाई। गुरुवार को यशवंत सिन्हा के साथ बैठक और प्रेस कांफ्रेंस में सपा के सहयोगी के तौर पर राष्ट्रीय लोक दल ही खड़ी दिखी। सुभासपा वहां नदारद थी। शिवपाल भी कार्यक्रम में नहीं पहुंचे थे।
ऐसे में यूपी से सपा समर्थित उम्मीदवार को कांग्रेस के एक और सपा के समर्थन रणनीति तीन यानी कुल 4 सांसदों का समर्थन मिलता दिख रहा है। वहीं, सपा के 110 विधायक, रालोद के 8 विधायक और कांग्रेस के 2 विधायक यानी कुल 120 विधायकों का वोट यशवंत सिन्हा के पक्ष में जा सकता है।
सपा को लगा है जोर का झटका
समाजवादी को एक बार फिर राष्ट्रपति चुनाव में जोर का झटका लगता दिख रहा है। वर्ष 2017 के राष्ट्रपति चुनाव में एनडीए उम्मीदवार रामनाथ कोविंद को समर्थन देने को लेकर तब के सहयोगी कांग्रेस के समर्थन रणनीति साथ बात बिगड़ गई थी। अब अखिलेश यादव के अपने चाचा और सुभासपा साथ छोड़ते दिख रहे हैं। पिछले दिनों शिवपाल ने कहा था कि हम जिसे वोट देंगे, वही राष्ट्रपति बनेगा। इसके बाद से ही लगने लगा था कि वे एनडीए उम्मीदवार के पक्ष में जाने वाले हैं। शुक्रवार की शाम मुख्यमंत्री आवास पहुंच कर उन्होंने इस संशय से पर्दा हटा दिया।
लोकभवन में आयोजित कार्यक्रम में हुआ स्वागत
मुख्यमंत्री आवास में रात्रि भोज से पहले लोकभवन में आयोजित कार्यक्रम में राष्ट्रपति उम्मीदवार के रूप में द्रौपदी मुर्मू का पहली बार यूपी आगमन पर जोरदार स्वागत हुआ। सीएम योगी आदित्यनाथ, डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य और ब्रजेश पाठक के साथ-साथ तमाम सहयोगी दलों के नेताओं ने उनका स्वागत किया। अपना समर्थन उन्हें दिया। इस दौरान एनडीए के सहयोगी दल अपना दल एस और निषाद पार्टी के नेता भी नजर आए। कार्यक्रम के दौरान अमेठी की सांसद स्मृति ईरानी ने भी द्रौपदी मुर्मू का स्वागत किया।
राजभर का फैसला अखिलेश के लिए झटका
ओम प्रकाश राजभर ने ऐन राष्ट्रपति चुनाव से पहले जिस प्रकार से फैसला बदला है, उससे निश्चित तौर पर अखिलेश यादव को झटका लगेगा। हालांकि, पिछले दिनों एक प्रेस कांफ्रेंस के दौरान किसी के नाराज होने की स्थिति में कुछ भी न कर पाने की बात कर बड़ा संकेत दे दिया था। यह संकेत राजभर को न मनाए जाने को लेकर माना गया। ऐसे में राजभर ने अपनी चाल बदलकर अखिलेश को हैरान कर दिया है। मुख्यमंत्री आवास पहुंचे राजभर और शिवपाल ने द्रौपदी मुर्मू को समर्थन का भरोसा दिलाया। एनडीए उम्मीदवार से मुलाकात के बाद राजभर और शिवपाल सीएम आवास के दूसरे गेट से बाहर निकले।
महासागरशिक्षक ग्लोबल अकादमी: महासागर दशक के लिए निर्माण क्षमता और त्वरित प्रौद्योगिकी हस्तांतरण
ओटीजीए पाठ्यक्रमों में सतत विकास के लिए महासागर विज्ञान के संयुक्त राष्ट्र दशक के प्राथमिकता वाले क्षेत्रों और २०३० एजेंडा और इसके एसडीजी के साथ-साथ आईओसी क्षमता विकास रणनीति के कार्यान्वयन का समर्थन करने वाले विषयों की एक श्रृंखला शामिल है । OTGA क्षमता विकास प्राथमिकताओं को पूरा करने के लिए दशक से संबंधित क्षमता विकास (प्रशिक्षण) उत्पादों और गतिविधियों को और विकसित करने, मेजबान और वितरित करने के लिए दशक भागीदारों के साथ काम करता है । OTGA का उद्देश्य सभी देशों को समान रूप से भाग लेने के लिए आवश्यक क्षमता प्राप्त करने और दशक के कार्यों समर्थन रणनीति और संबंधित उत्पादों और सेवाओं से लाभ उठाने में सहायता करना है ।
प्रारंभ तिथि: 01/01/2021
अंतिम तिथि: 31/12/2023
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अमेरिका की नई राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीति: रूस और चीन के साथ-साथ भारत का भी जिक्र
नई राष्ट्रीय सुरक्षा नीति में कहा गया है कि अमेरिका के कई सहयोगी देश और साझेदार, खासकर इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में चीन के दबाव के खिलाफ मोर्चे पर खड़े हैं वो अपनी सुरक्षा की तलाश कर रहे हैं.
अमेरिका ने नई राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीति जारी की है. इस नई नीति के तहत रूस और चीन को अमेरिका के लिए सबसे बड़ा खतरा बताया गया है. अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन की सुरक्षा नीति में भारत का भी जिक्र किया गया है. इस नीति को जारी करते हुए प्रशासन ने कहा कि अमेरिका और भारत मुक्त और खुले हिंद-प्रशांत के अपने साझा दृष्टिकोण का समर्थन करने के लिए द्विपक्षीय और बहुपक्षीय दोनों व्यवस्थाओं में मिलकर काम करेंगे.
अमेरिका ने नई सुरक्षा नीति में साफ तौर पर कहा कि वह नया शीत युद्ध नहीं चाहती है और अगर इस तरह की स्थिति बनती है जिसमें दुनिया दो ध्रुवों में बंट जाए. तो ऐसे में अमेरिका परमाणु युद्ध के खतरे को कम करना चाहता है, लेकिन इन सब के बीच अपने शस्त्रों का आधुनिकीकरण करना जारी रखेगा.
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बता दें कि अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने हाल ही में अपने एक इंटरव्यू के दौरान भी कहा था कि रूस यूक्रेन में परमाणु हथियार का इस्तेमाल करते हैं तो हम भी जवाब देने के लिए तैयार है. बाइडन ने सीधे शब्दों में कहा था, ‘पेंटागन को पूछने की जरूरत नहीं थी.’
अमेरिका ने भारत के साथ प्रतिबद्धताओं की पुष्टि की
अमेरिका की नई राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीति में हमारे देश का जिक्र भी किया गया है. कह गया कि भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है और एक प्रमुख रक्षा भागीदार भी है, ऐसे में खुले हिंद-प्रशांत के अपने साझा दृष्टिकोण का समर्थन करने के लिए अमेरिका और भारत द्विपक्षीय और बहुपक्षीय रूप से मिलकर काम करेंगे.
गठबंधन देशों के आधुनिकीकरण करने का किया दावा
नई सुरक्षा नीति के तहत कहा गया कि अमेरिका इन गठबंधनों का आधुनिकीकरण करता रहेगा. नीति में कहा गया कि हम अपनी पारस्परिक सुरक्षा संधि के तहत जापान की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध हैं. वहीं अमेरिका, भारत के साथ ही विश्व की कई अन्य शक्तियां चीन की बढ़ती सैन्य आक्रामकता की पृष्ठभूमि में मुक्त, खुले और संपन्न हिंद-प्रशांत क्षेत्र की आवश्यकता पर जोर देती रही हैं.
चीनी दबाव के खिलाफ अमेरिकी सहयोगी
नई राष्ट्रीय सुरक्षा नीति में कहा गया है कि अमेरिका के कई सहयोगी देश और साझेदार, खासकर इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में चीन के दबाव के खिलाफ मोर्चे पर खड़े हैं वो अपनी सुरक्षा की तलाश कर रहे हैं. इसके अलावा नीति में कहा गया है कि हम बाहरी दबाव से मुक्त, उनके हितों और मूल्यों के अनुरूप संप्रभु निर्णय लेने की उनकी क्षमता का समर्थन करेंगे. विकास सहायता, उच्च-मानक, बड़े पैमाने पर निवेश और बाजार प्रदान करने के लिए काम करेंगे.
यूक्रेन पर रूसी नियंत्रण की कवायद
अमेरिका की नई राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीति में पिछले 7 महीने से चल रहे रूस-यूक्रेन संघर्ष को लेकर कहा गया है कि मॉस्को की साम्राज्यवादी विदेश नीति का समापन यूक्रेन के पूर्ण पैमाने पर आक्रमण में अपनी सरकार को गिराने और रूसी नियंत्रण में लाने के प्रयास में हुआ.
कहा गया कि रूसी सरकार ने अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था के प्रमुख तत्वों को उलटने और विदेश नीति को आगे बढ़ाने के लिए साम्राज्यवादी नीति चुना है. रूस अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा के लिए लगातार खतरा बन गया है. रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के युद्ध ने चीन, भारत और जापान जैसी अन्य एशियाई शक्तियों की तुलना में रूस की स्थिति को बहुत कम कर दिया है.