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प्रवृत्ति की दिशा का निर्धारण

प्रवृत्ति की दिशा का निर्धारण

bihar board 12th class economics | आय निर्धारण

अवस्था में अपने सभी संसाधनों प्रवृत्ति की दिशा का निर्धारण की पूर्ण क्षमता का प्रयोग नहीं कर रही है तो इसे अपूर्ण-रोजगार सन्तुलन कहते हैं। कीन्स, ने अपूर्ण-रोजगार सन्तुलन के आधार पर ही आय एवं रोजगार सिद्धान्त का प्रतिपादन किया था।

आधिक्य को स्वीकार नहीं करते थे तथा अर्थव्यवस्था में वे बेरोजगारी की अवस्था को भी स्वीकार नहीं करते थे।

सेवाओं का उत्पादन नहीं करते हैं बल्कि उन वस्तुओं अथवा सेवाओं का उत्पादन करते हैं जिनके उत्पादन में उन्हें कुशलता या विशिष्टता प्राप्त होती है। इस प्रकार की अर्थव्यवस्था में लोग

संभव नहीं रहता है । इसके बाद पूर्ण-रोजगार प्राप्ति की बाधाएँ उत्पन्न हो जाती हैं । यदि मजदूरी दर किसी ऐसे स्तर पर स्थिर हो जाती है जहाँ श्रम की आपूर्ति, श्रम की माँग से ज्यादा होती है तो श्रम के आधिक्य के कारण अतिरिक्त श्रम अनैच्छिक रूप से बेरोजगार हो जाता है। श्रम की लोचहीनता श्रम की आपूर्ति की अधिकता को कम करने में बाधा पैदा करती है। अतः श्रम की अनम्यता पूर्ण-रोजगार स्तर की प्राप्ति में बाधा उत्पन्न करती है।

मनुष्य का जीवन उसकी प्रवृत्ति पर निर्भर : प्रमाण सागर

झुमरीतिलैया: मनुष्य का संपूर्ण जीवन उसकी प्रवृत्ति पर निर्भर करता है। हमारी समस्त प्रवृत्तियां हमारे स्वभाव और आदर्शो से उत्पन्न होती है। हमारी जो भी प्रवृत्ति है वह हमारे स्वभाव के कारण होती है। मनुष्य का जैसा स्वभाव होता है, वैसी सोच होती है। जैसी चिंतनधारा होती है, कालांतर में वह उसकी आदत बनकर उसकी प्रवृत्ति बन जाती है।

उक्त बातें झुमरीतिलैया के पानी टंकी रोड स्थित श्री दिगंबर जैन बड़ा मंदिर में जैन मुनि श्रीश्री 108 प्रमाण सागर जी महाराज ने 'दिव्य सत्संग एवं प्रवचन माला' के छठे दिन कही। 'कैसे छोड़ें बुरी आदत' विषय पर बोलते हुए उन्होंने कहा कि अच्छी और बुरी आदतें हमारे जीवन के अच्छे और बुरे स्वरूप का निर्धारण करती है। जिस व्यक्ति की जैसी आदत होती है, उसका जीवन वैसा ही बन जाता है। मनुष्य की आदत एक बहुत बड़ी कमी बन जाती है, उसको गुलाम बना डालती है और जिन व्यक्तियों के जीवन में बुरी आदतें होती है उनकी स्थिति तो और विचित्र होती है। उन्होंने कहा कि मनुष्य की आदतों का उसके चित्त, चेतना और जीवन पर बड़ा गहरा प्रभाव पड़ता है। मुनि श्री ने आगे कहा कि अच्छी आदत जहां आपके उत्कर्ष का कारण बनेगी, वहीं बुरी आदतें आपको रसातल में पहुंचा देगी। जीवन का उत्थान व पतन मनुष्य की प्रवृत्तियों पर भी निर्भर करता है। हर व्यक्ति के जीवन के साथ ऐसी ही स्थितियां निर्मित होती है। उन्होंने कहा कि मनुष्य के मन में पलने वाली एक आदत अनेक आदतों को जन्म दे देती है। अच्छी आदतें तो निश्चित रूप से उत्कर्ष करने वाली है। इस अवसर पर मुनि श्री 108 विराट सागर जी महाराज उपस्थित थे। वहीं संघस्थ बाल ब्रह्माचारी रोहित भैया ने जिनवानी प्रस्तुत की। कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि के रूप में झारखंड प्रादेशिक गोशाला संघ के अध्यक्ष राजकुमार अग्रवाल, प्रांतीय सचिव अनिल मोदी उपस्थित थे। मंच संचालन कार्यक्रम संयोजक सुरेश पांड्या ने की।

सात्विक आहार-सुख आहार पर प्रवचन आज

झुमरीतिलैया: झुमरीतिलैया के श्री दिगंबर जैन नया मंदिर में दिव्य सत्संग एवं प्रवचन माला के सातवें दिन सोमवार को सात्विक आहार-सुख का आहार विषय पर मुनिश्री 108 प्रमाण सागर जी महाराज प्रस्तुत करेंगे। कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि जिप अध्यक्ष महेश राय उपस्थित रहेंगे। वहीं मंगलवार को समापन समारोह में युवा शक्ति, दिशा व दशा पर अपना प्रवचन देंगे। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि उपायुक्त राजेश कुमार शर्मा होंगे। यह जानकारी पावन वर्षा योग समिति के संयोजक प्रदीप छाबड़ा पप्पू, जैन समाज के अध्यक्ष माणिकचंद सेठी एवं मंत्री सुशील छाबड़ा ने दी।

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रेख़्ता डिक्शनरी उर्दू भाषा के संरक्षण और प्रसार के लिए रेख़्ता फ़ाउंडेशन की एक प्रवृत्ति की दिशा का निर्धारण महत्त्वपूर्ण पहल है। रेख़्ता डिक्शनरी की टीम इस डिक्शनरी के उपयोग को और सरल एवं अर्थपूर्ण बनाने के लिए निरंतर प्रयत्नरत है। कृपया रेख़्ता डिक्शनरी को संसार का सर्वश्रेष्ठ त्रिभाषी शब्दकोश बनाने के लिए हमें सहयोग कीजिए। दानकर्ता द्वारा दी गई योगदान-राशि भारतीय अधिनियम की धारा 80G के तहत कर-छूट के अधीन होगी।

मनुष्य का जीवन उसकी प्रवृत्ति पर निर्भर : प्रमाण सागर

झुमरीतिलैया: मनुष्य का संपूर्ण जीवन उसकी प्रवृत्ति पर निर्भर करता है। हमारी समस्त प्रवृत्तियां हमारे स्वभाव और आदर्शो से उत्पन्न होती है। हमारी जो भी प्रवृत्ति है वह हमारे स्वभाव के कारण प्रवृत्ति की दिशा का निर्धारण होती है। मनुष्य का जैसा स्वभाव होता है, वैसी सोच होती है। जैसी चिंतनधारा होती है, कालांतर में वह उसकी आदत बनकर उसकी प्रवृत्ति बन जाती है।

उक्त प्रवृत्ति की दिशा का निर्धारण बातें झुमरीतिलैया के पानी टंकी रोड स्थित श्री दिगंबर जैन बड़ा मंदिर में जैन मुनि श्रीश्री 108 प्रमाण सागर जी महाराज ने 'दिव्य सत्संग एवं प्रवचन माला' के छठे दिन कही। 'कैसे छोड़ें बुरी आदत' विषय पर बोलते हुए उन्होंने कहा कि अच्छी और बुरी आदतें हमारे जीवन के अच्छे और बुरे स्वरूप प्रवृत्ति की दिशा का निर्धारण का निर्धारण करती है। जिस व्यक्ति की जैसी आदत होती है, उसका जीवन प्रवृत्ति की दिशा का निर्धारण वैसा ही बन जाता है। मनुष्य की आदत एक बहुत बड़ी कमी बन जाती है, उसको गुलाम बना डालती है और जिन व्यक्तियों के जीवन में बुरी आदतें होती है उनकी स्थिति तो और विचित्र होती है। उन्होंने कहा कि मनुष्य की आदतों का उसके चित्त, चेतना और जीवन पर बड़ा गहरा प्रभाव पड़ता है। मुनि श्री ने आगे कहा कि अच्छी आदत जहां आपके उत्कर्ष का कारण बनेगी, वहीं बुरी आदतें आपको रसातल में पहुंचा देगी। जीवन का उत्थान व पतन मनुष्य की प्रवृत्तियों पर भी निर्भर करता है। हर व्यक्ति के जीवन के साथ ऐसी ही स्थितियां निर्मित होती है। उन्होंने कहा कि मनुष्य के मन में पलने वाली एक आदत अनेक आदतों को जन्म दे देती है। अच्छी आदतें तो निश्चित रूप से उत्कर्ष करने वाली है। इस अवसर पर मुनि श्री 108 विराट सागर जी महाराज उपस्थित थे। वहीं संघस्थ बाल ब्रह्माचारी रोहित भैया ने जिनवानी प्रस्तुत की। कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि के रूप में झारखंड प्रादेशिक गोशाला संघ के अध्यक्ष राजकुमार अग्रवाल, प्रांतीय सचिव अनिल मोदी उपस्थित थे। मंच संचालन कार्यक्रम संयोजक सुरेश पांड्या ने की।

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झुमरीतिलैया: झुमरीतिलैया के श्री दिगंबर जैन नया मंदिर में दिव्य सत्संग एवं प्रवचन प्रवृत्ति की दिशा का निर्धारण माला के सातवें दिन सोमवार को सात्विक आहार-सुख का आहार विषय पर मुनिश्री 108 प्रमाण सागर जी महाराज प्रस्तुत करेंगे। कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि जिप अध्यक्ष महेश राय उपस्थित रहेंगे। वहीं मंगलवार को समापन समारोह में युवा शक्ति, दिशा व दशा पर अपना प्रवचन देंगे। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि उपायुक्त राजेश कुमार शर्मा होंगे। यह जानकारी पावन वर्षा योग समिति के संयोजक प्रदीप छाबड़ा पप्पू, प्रवृत्ति की दिशा का निर्धारण जैन समाज के अध्यक्ष माणिकचंद सेठी एवं मंत्री सुशील छाबड़ा ने दी।

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