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विदेशी मुद्रा कारखाने के अन्य प्रस्ताव

विदेशी मुद्रा कारखाने के अन्य प्रस्ताव
The Competent Authority appointed under FEMA has confirmed the seizure order of Rs. 5551.27 Crore dated 29.04.2022 passed by the ED against Xiaomi Technology India Private Limited under the provisions of FEMA. — ED (@dir_ed) September 30, 2022

आर्थिक संकट से जूझ रहे हैं भारत के पड़ोसी देश, जानिए पाकिस्तान, श्रीलंका, नेपाल और चीन का ताजा हाल

Economic Crisis: आर्थिक अनिश्चितता को देखते हुए नेपाल ने अपने केंद्रीय बैंक प्रमुख को सस्पेंड कर दिया. वहीं, चीन में चिंता सता रही है कि नए कोविड-19 प्रतिबंध उसकी अर्थव्यवस्था को अस्थिर कर सकते हैं.

By: ABP Live | Updated at : 17 Apr 2022 03:19 PM (IST)

Economic Crisis: भारत के पड़ोसी देशों में सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है. पाकिस्तान को हाल ही में एक और प्रधानमंत्री मिला है. वहीं, श्रीलंका 1948 में आजाद होने के बाद सबसे बड़े आर्थिक संकट से जूझ रहा है. श्रीलंका के बाद नेपाल पर भी आर्थिक संकट मंडरा रहा है. विदेशी मुद्रा भंडार तेजी से कम हो रहा है. आर्थिक अनिश्चितता को देखते हुए नेपाल ने अपने केंद्रीय बैंक प्रमुख को सस्पेंड कर दिया है. वहीं, चीन में चिंता सता रही है कि नए कोविड-19 प्रतिबंध उसकी अर्थव्यवस्था को अस्थिर कर सकते हैं.

भारत के पड़ोस में संकट पैदा हो रहा है, जिसके कई कारण हैं. सभी देशों में एक विदेशी मुद्रा कारखाने के अन्य प्रस्ताव आम बात अर्थव्यवस्था और कोविड-19 महामारी है. जहां तक अर्थव्यवस्था का सवाल है, तो आइए जानते हैं कि भारत के पड़ोस में क्या चल रहा है?

पाकिस्तान

पाकिस्तान में एक बार फिर प्रधानमंत्री पांच साल का कार्यकाल पूरा किए बिना सत्ता से बाहर हो गए. 2018 में प्रधानमंत्री का पदभार संभालने वाले इमरान खान 'नया' पाकिस्तान बनाने के वादे के साथ सत्ता में आए थे. मार्च 2022 में कर्ज और महंगाई के बीच बेरोजगारी की संख्या रिकॉर्ड पर रही. इसके जवाब में वजीर-ए-आजम ने कहा था, मैं टमाटर और आलू की कीमतों को जानने के लिए राजनीति में नहीं आया. इसके एक महीने से कम समय में ही इमरान खान को अविश्वास प्रस्ताव का सामना करना पड़ा, जिसमें उन्होंने बहुमत खो दिया और पाकिस्तान को एक और प्रधानमंत्री नवाज शरीफ के भाई शहबाज शरीफ मिले.

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शरीफ ने भी आर्थिक संकट से युद्ध स्तर पर निपटने का वादा किया है. शहबाज शरीफ ने शपथ लेने के तुरंत बाद ही मीडिया से मुखातिब होते हुए कहा, "संघीय मंत्रिमंडल के गठन के बाद सरकार महंगाई पर काबू पाने और अर्थव्यवस्था को पुनर्जीवित करने की योजना के साथ आएगी." स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान (SBP) ने पिछले हफ्ते महंगाई के परिदृश्य में गिरावट का अनुमान लगाया था, जो पिछले कुछ समय से दोहरे अंकों के साथ बनी हुई है. पाकिस्तान के केंद्रीय बैंक ने कहा कि मार्च में मुद्रास्फीति उम्मीद से अधिक थी.

श्रीलंका

भारत के दक्षिण के पड़ोसी देश श्रीलंका गंभीर आर्थिक संकट में है. श्रीलंका के लोगों को दूध, चावल, रसोई गैस, बिजली और दवाओं जैसी बुनियादी चीजों की कमी का सामना करना पड़ रहा है. श्रीलंका में आर्थिक संकट को लेकर सरकार के विरोध में जनता सड़कों पर उतर आई है. वहीं, मंत्रियों को सामूहिक इस्तीफा तक देना पड़ा. श्रीलंका में मुद्रास्फीति की दरें रिकॉर्ड तोड़ अपने उच्च स्तर पर पहुंच गई हैं. विदेशी मुद्रा की गंभीर कमी के कारण जरूरी वस्तुओं के आयात में भारी कमी आई है. श्रीलंका के दिवालिया होने में सरकार की गलत नीतियां सबसे ज्यादा जिम्मेदार है. इसमें एक बड़ी गलती जनता को लुभाने के लिए मुफ्त का खेल भी बताया जा रहा है.

श्रीलंका में अलग-अलग मदों में अलग-अलग टैक्स व्यवस्था लागू थी. आवश्यक वस्तुओं पर टैक्स दर कम होने के साथ-साथ ऊंची विदेशी मुद्रा कारखाने के अन्य प्रस्ताव आय वालों पर 30 फीसदी तक का टैक्स लगता था, लेकिन लोगों की नजर में बेहतर होने के लिए सरकार ने टैक्स दरें घटाकर आधा कर दीं. केवल 15 फीसदी का टैक्स लेने से सरकार को प्रति वर्ष 60 हजार करोड़ रुपये का भारी नुकसान हुआ. वहीं, कुछ समय बाद कोविड-19 महामारी ने श्रीलंका की अर्थव्यवस्था को पंगु बना दिया, जो पर्यटन पर बहुत अधिक निर्भर थी. मार्च के अंत में श्रीलंका का विदेशी भंडार 1.93 अरब डॉलर था. पिछले दो वर्षों में श्रीलंका के भंडार में दो-तिहाई से अधिक की गिरावट आई है, क्योंकि कर कटौती और कोविड-19 महामारी ने इसकी पर्यटन-निर्भर अर्थव्यवस्था को बुरी तरह से नुकसान पहुंचाया.

नेपाल

भारत के पूर्व के पड़ोसी देश नेपाल भी आर्थिक उथल-पुथल का सामना कर रहा है. श्रीलंका की तरह कोरोना महामारी के चलते एशिया में पर्यटन में मंदी से नेपाल का विदेशी भंडार प्रभावित हुआ है. नेपाल राष्ट्र बैंक के उप प्रवक्ता नारायण प्रसाद पोखरेल ने कहा, "नेपाल राष्ट्र बैंक को लगता है कि देश का विदेशी मुद्रा भंडार दबाव में है और आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति को प्रभावित किए बिना गैर-आवश्यक वस्तुओं के आयात को प्रतिबंधित करने के लिए कुछ किया जाना चाहिए." इसके परिणाम में नेपाल कार, सोना और कॉस्मेटिक के आयात पर सख्ती बरत रहा है. सरकार ने केंद्रीय बैंक के गवर्नर को भी निलंबित कर दिया है और उनके डिप्टी को अंतरिम प्रमुख नामित किया है.

नेपाल, विदेशी मुद्रा भंडार के लिए पर्यटन और सीमित वस्तुओं के निर्यात पर बहुत ज्यादा निर्भर है, जिससे देश को अपने आयात के खर्च को पूरा करने की आवश्यकता है. देश में राजनीतिक संकट के बाद केपी शर्मा ओली सरकार गिरने के तुरंत बाद जुलाई 2021 से विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट आ रही है. तब से आयात बढ़ रहा है और विदेशी मुद्रा कारखाने के अन्य प्रस्ताव पर्यटन और निर्यात से आय में गिरावट आई है. नेपाल का विदेशी मुद्रा भंडार जुलाई 2021 के मध्य में 11.75 अरब डॉलर से घटकर इस साल फरवरी में 9.75 अरब डॉलर हो गया.

चीन

चीन कोरोना महामारी के दौरान अपनी अर्थव्यवस्था पर नियंत्रण रखने में कामयाब रहा है. वहीं, देश में अभी कोरोना की नई लहर चल रही है. फिलहाल चीन के 23 शहरों में पूरी तरह या आंशिक लॉकडाउन लागू है, जिससे 193 मिलियन लोग घरों में कैद हैं, जो चीन की जीडीपी यानी सकल घरेलू उत्पाद में 22 फीसदी योगदान देते हैं.

चीन में यूरोपियन यूनियन चैंबर ऑफ कॉमर्स ने कहा है कि मौजूदा रणनीति के परिणामस्वरूप प्रांतों में और बंदरगाहों के जरिए माल परिवहन में कठिनाइयां बढ़ रही हैं, जिससे कारखाने के उत्पादन को नुकसान हो रहा है, जो चीन की निर्यात करने की क्षमता को प्रभावित करेगा, जो अंततः मुद्रास्फीति को बढ़ा सकता है.

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Published at : 17 Apr 2022 04:21 PM (IST) Tags: Pakistan Sri Lanka economic crisis India neighbouring countries हिंदी समाचार, ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें abp News पर। सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट एबीपी न्यूज़ पर पढ़ें बॉलीवुड, खेल जगत, कोरोना Vaccine से जुड़ी ख़बरें। For more related stories, follow: News in Hindi

विदेशी मुद्रा कारखाने के अन्य प्रस्ताव

कामगारों के लिए यूनियन बनाना अब मुश्किल होने वाला है। कम से कम बड़ी कंपनियों में तो इसकी गुंजाइश खत्म ही हो सकती है। इसके अलावा कर्मचारियों को कुछ खासा परिस्थितियों में कंपनी परिसर अथवा प्रबंधन अधिकारियों के आवास पर विरोध प्रदर्शन करने की इजाजत भी नहीं होगी। दरअसल केंद्र सरकार एक प्रस्ताव ला रही है, जिसके मुताबिक यूनियन बनाने के लिए कुल कामगारों में से 10 फीसदी अथवा कम से कम 100 कामगारों की जरूरत होगी। अभी किसी कामगार संगठन के 7 अथवा अधिक सदस्य मिलकर यूनियन बनाने की अर्जी डाल सकते हैं, चाहे उनकी कंपनी कितनी भी बड़ी या छोटी हो। अब केवल कंपनी में काम करने वालों को ही यूनियन बनाने की मंजूरी होगी और असंगठित क्षेत्र में बाहर के केवल दो लोग यूनियन में शामिल हो सकते हैं। जिन कारखानों में 70 कर्मचारी काम करते हैं, उनमें कामगार यूनियन बनाने के लिए कम से कम 7 कर्मचारियों की जरूरत होगी। केंद्रीय श्रम मंत्रालय ने मजदूर यूनियन अधिनियम, औद्योगिक विवाद अधिनियम और औद्योगिक रोजगार (स्थायी आदेश) अधिनियम को मिलाकर औद्योगिक संबंधों का एक ही कानून बनाने का प्रस्ताव रखा है।

स्वाभाविक रूप से मजदूर संगठन इसे कर्मचारी हितों के विरुद्घ बता रहे हैं। राष्टï्रीय स्वयंसेवक संघ से संबद्घ भारतीय मजदूर संघ (बीएमएस) के अखिल भारतीय उपाध्यक्ष एम जगदीश्वर राव ने कहा, 'केंद्र कामगारों के हितों की अनदेखी कर रहा है। कई राज्य सरकारें पहले ही ऐसे प्रस्ताव रख चुकी हैं और अब केंद्र भी यही कर रहा है। यह प्रस्ताव मंजूर किया गया तो यूनियन बनाने की गुंजाइश ही नहीं बचेगी। इसके लिए 100 कामगारों को लेकर श्रम विभाग तक जाना आसान नहीं होगा।'

अलबत्ता उद्योग जगत के प्रतिनिधियों ने इसका स्वागत करते हुए कहा कि कामगारों के तमाम नुमाइंदे होते हुए भी भारत कामगारों के हितों की रक्षा में काफी पीछे है। टीमलीज की सह-संस्थापक एवं वरिष्ठï उपाध्यक्ष ऋतुपर्णा चक्रवर्ती कहती हैं, 'देश में ढेरों कर्मचारी यूनियन भी कामगारों के हितों की रक्षा नहीं कर सके हैं। हमें जिम्मेदार यूनियनों की जरूरत है।' भारत में पिछले कुछ वर्षों में श्रमिक संघों की संख्या तेजी से बढ़ी है। वर्ष 1991-93 तक भारत में 2,21,871 पंजीकृत यूनियन थे, लेकिन 2005-08 में आंकड़ा करीब 55 फीसदी बढ़कर 3,47,330 हो गया। यह आंकड़ा इंस्टीट्यूट ऑफ ह्यूमन डेवलपमेंट ने अपनी 'इंडिया लेबर ऐंड इंप्लॉयमेंट रिपोर्ट 2014' के लिए जुटाया था। केंद्र सरकार इन प्रस्तावों पर चर्चा करने के लिए 6 मई को श्रमिक संगठनों और उद्योग के प्रतिनिधियों के साथ बैठक करेगी।

राव ने कहा कि श्रमिक संगठन एक स्वर में इस कदम का विरोध करेंगे। कामगार यूनियन बनाने में देरी रोकने के लिए एक अन्य प्रस्ताव है कि अगर सरकार के समक्ष आवेदन करने के दो महीने में कोई कार्रवाई नहीं हुई तो संगठन को खुद ही पंजीकृत माना जाएगा। श्रमिकों और प्रबंधन के बीच बातचीत के दौरान कर्मचारी जानबूझकर काम की गति 'कम' नहीं कर सकेंगे, नियोक्ताओं का घेराव नहीं कर सकेंगे और परिसर या नियोक्ता के घर के बाहर प्रदर्शन भी नहीं कर सकेंगे। ऐसा हुआ तो उसे 'अवैध हड़ताल' करार दिया जाएगा। सीटू के अध्यक्ष ए के पद्मनाभन ने कहा, 'श्रम कानूनों के लिए विभिन्न संहिता तैयार करने का मकसद श्रमिकों के लिए प्रावधानों को बहुत नरम बनाना है।'

भारत ने कथित वित्तीय कुप्रथा के लिए शाओमी की $682 मिलियन की संपत्ति को फ्रीज़ किया

शाओमी ने कहा कि उसके रॉयल्टी भुगतान, साथ ही बैंक को उसके बयान, सभी वैध और सही है।

भारत ने कथित वित्तीय कुप्रथा के लिए शाओमी की $682 मिलियन की संपत्ति को फ्रीज़ किया

चीनी स्मार्टफोन निर्माता शाओमी कारपोरेशन ने कहा कि वह भारत के विदेशी नियम अधिनियम के स्पष्ट उल्लंघन पर अपनी संपत्ति के 5,551.27 करोड़ ($682 मिलियन) को फ्रीज़ करने के भारत सरकार के फैसले से निराश है। जब्ती की राशि देश में अब तक की ज़ब्त की गयी सबसे अधिक राशि है।

अप्रैल में वापस, भारत के प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने देश के विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम (फेमा) के उल्लंघन के लिए चीनी कंपनी की संपत्ति को जब्त कर लिया, ईडी ने आरोप लगाया कि वास्तव में उनसे कोई सेवा प्राप्त किए बिना शाओमी रॉयल्टी की आड़ में विदेशी संस्थाओं को बड़ी रकम भेजने में शामिल था। फेमा के अधिकारियों ने 30 सितंबर को कहा कि ईडी ने अपने फैसले को सही ठहराया।

एक प्रेस बयान में, कंपनी ने कहा कि वह निर्णय से निराश है, क्योंकि उसके द्वारा उठाए गए किसी भी तथ्यात्मक कानूनी विवाद को संबोधित नहीं किया गया था। कंपनी ने ज़ोर देकर कहा कि इसके रॉयल्टी भुगतान, साथ ही बैंक को दिए गए बयान, सभी वैध और सही है।

कंपनी ने स्पष्ट किया कि शाओमी इंडिया शाओमी समूह की कंपनियों का एक सहयोगी है, जिसने अमेरिका क्वालकॉम समूह के साथ स्मार्टफोन निर्माण के लिए आईपी लाइसेंस देने के लिए कानूनी समझौता किया था। इसने स्पष्ट किया कि “विदेशी संस्थाओं को भुगतान किए गए पूरे 5551.27 करोड़ रुपये में से, 84% से अधिक रॉयल्टी भुगतान क्वालकॉम ग्रुप (अमेरिका), एक तृतीय-पक्ष अमेरिका सूचीबद्ध कंपनी, इन-लाइसेंस प्राप्त प्रौद्योगिकियों के लिए किया गया था, जिसमें मानक आवश्यक पेटेंट (एसईपी) शामिल हैं और आईपी स्मार्टफोन के हमारे भारतीय संस्करण में उपयोग किए जाते हैं। इन तकनीकों और एसईपी का उपयोग संपूर्ण वैश्विक स्मार्टफोन उद्योग में किया जाता है।"

इसने आगे कहा कि शाओमी और क्वालकॉम दोनों का मानना है कि यह शाओमी इंडिया के लिए क्वालकॉम रॉयल्टी का भुगतान करने के लिए एक वैध व्यावसायिक व्यवस्था है, क्योंकि इन तकनीकों के बिना, इसके स्मार्टफोन भारत में काम नहीं कर सकते है। इसने यह भी कहा कि क्वालकॉम ने पुष्टि की थी कि "शाओमी इंडिया द्वारा किए गए सभी रॉयल्टी भुगतान केवल शाओमी इंडिया द्वारा की गई बिक्री से संबंधित है, न कि किसी अन्य देश या क्षेत्रों के लिए।"

इसके अलावा, कंपनी ने स्पष्ट किया कि उसके सभी रॉयल्टी भुगतान बैंकिंग चैनलों के माध्यम से किए गए थे जिन्हें भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा अनुमोदित किया गया है और जोर देकर कहा कि वह वैध वाणिज्यिक व्यवस्था है। इसने भारत के बाहर संपत्ति रखने या रखने से भी इनकार किया, जिसके आधार पर उसने तर्क दिया कि फेमा की धारा 4 स्थिति पर लागू होती है।

कंपनी ने कहा कि वह अपने और उसके हितधारकों की प्रतिष्ठा और हितों की रक्षा के लिए सभी साधनों का उपयोग करना जारी रखेगा और इस मुद्दे को हल करने के लिए विभिन्न अधिकारियों के साथ काम करने के लिए प्रतिबद्ध रहेगा।

शाओमी का बयान फेमा के सक्षम प्राधिकारी द्वारा 30 सितंबर को जारी एक प्रेस विज्ञप्ति में नोट किए जाने के बाद आया है कि "ईडी की कार्यवाही सही है, क्योंकि इसे अनधिकृत तरीके से भारत से बाहर स्थानांतरित किया गया था। रॉयल्टी का भुगतान भारत से विदेशी मुद्रा को स्थानांतरित करने के लिए एक उपकरण के अलावा और कुछ नहीं है और यह फेमा के प्रावधानों का घोर उल्लंघन है।"

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— ETtech (@ETtech) September 30, 2022

ईडी ने कहा कि शाओमी इंडिया ने तीन विदेशी आधारित संस्थाओं को धन प्रेषित किया था, जिसमें रॉयल्टी की आड़ में एक शाओमी समूह इकाई शामिल है। रॉयल्टी के नाम पर इतनी बड़ी राशि उनके चीनी मूल समूह संस्थाओं के निर्देश पर प्रेषित की गई थी। अन्य दो अमेरिकी आधारित असंबंधित संस्थाओं को प्रेषित राशि भी शाओमी समूह की संस्थाओं के अंतिम लाभ के लिए थी।

ईडी ने यह भी दावा किया कि शाओमी इंडिया ने तीन विदेशी संस्थाओं से किसी भी सेवा का लाभ नहीं उठाया। समूह की संस्थाओं के बीच बनाए गए विभिन्न असंबंधित वृत्तचित्रों की आड़ में, कंपनी ने विदेशों में रॉयल्टी की आड़ में इस राशि को प्रेषित किया जो फेमा की धारा 4 का उल्लंघन है। ईडी ने कहा कि कंपनी ने विदेशों में पैसा भेजते समय बैंकों को भ्रामक जानकारी भी दी।

शाओमी के खिलाफ भारत सरकार का कदम चीनी कंपनियों के खिलाफ व्यापक कार्यवाही का हिस्सा है।

अगस्त की शुरुआत में, यह बताया गया था कि भारत अपने घरेलू उद्योग को बढ़ावा देने के लिए 12,000 रुपये ($150) से कम कीमत वाले चीनी स्मार्टफोन की बिक्री को प्रतिबंधित करने की योजना बना रहा है। इस कदम से शाओमी और रियलमी जैसी चीनी कंपनियों को अपनी बड़ी बाजार हिस्सेदारी गंवानी पड़ेगी।

इसके अलावा, फरवरी में, आयकर अधिकारियों ने गुरुग्राम और बेंगलुरु में चीनी तकनीकी दिग्गज हुआवेई के कार्यालयों पर छापा मारा। इसी तरह, जनवरी में, शाओमी को अवैतनिक आयात करों में अतिरिक्त $ 87.8 मिलियन का भुगतान करने के लिए कहा गया था। आयकर विभाग ने पिछले एक साल में ओप्पो और वनप्लस समेत कई अन्य चीनी कंपनियों के खिलाफ छापेमारी की है।

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भारत ने राष्ट्रीय सुरक्षा चिंताओं का हवाला देते हुए जून 2020 से टिकटॉक, फ्री फायर, टेनसेंट ड्राइवर, नाइस वीडियो बाइडू , पबजी मोबाइल, वीचैट और वीवा वीडियो एडिटर सहित 320 से अधिक चीनी ऐप पर प्रतिबंध लगा दिया है। नई दिल्ली ने इन अनुप्रयोगों पर संवेदनशील उपयोगकर्ता डेटा इकठ्ठा करने का आरोप लगाया, जिसका दुरुपयोग किया जा रहा था और शत्रुतापूर्ण देश में स्थित सर्वरों को प्रेषित किया जा रहा था।

इसी तरह, 2021 में, भारत ने स्थानीय निर्माताओं को सस्ते चीनी आयात से बचाने में मदद करने के लिए कुछ एल्यूमीनियम वस्तुओं और रसायनों सहित पांच चीनी उत्पादों पर पांच साल के लिए एंटी-डंपिंग शुल्क लगाया। भारत ने ऐतिहासिक रूप से चीन से आयात के खिलाफ डंपिंग रोधी अधिकांश मामले लगाए हैं।

जून 2020 में गलवान घाटी में भारतीय विदेशी मुद्रा कारखाने के अन्य प्रस्ताव और चीनी सीमा बलों के बीच घातक झड़पों के बाद से चीनी कंपनियों पर ये कार्रवाई तेज हो गई है, जब 20 भारतीय सैनिक मारे गए थे।

जवाब में, भारत में चीनी चैंबर ऑफ कॉमर्स और इंडिया चाइना मोबाइल फोन एंटरप्राइज एसोसिएशन ने भारत सरकार से खुले, निष्पक्ष और गैर-भेदभावपूर्ण कारोबारी माहौल बनाने का आग्रह किया है। उन्होंने नोट किया है कि चीन में भारत में 200 से अधिक निर्माता और 500 व्यापारिक कंपनियां हैं जिन्होंने निवेश में 3 बिलियन डॉलर से अधिक का सृजन किया है और 500,000 से अधिक स्थानीय रोजगार सृजित किए हैं। इसे ध्यान में रखते हुए, उनका तर्क है कि यह प्रथाएं निवेश प्रोत्साहन और अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक और व्यापार सहयोग पर भारत की पहल के लिए अनुकूल नहीं हैं।

सेंसेक्स तीन सप्ताह के निचले स्तर पर, सोना हुआ और महंगा

बंबई शेयर बाजार का सेंसेक्स सोमवार को 74 अंक टूटकर लगभग तीन सप्ताह के निचले स्तर 25,031.32 अंक पर आ गया. वहीं सोने की कीमतों में तेजी का सिलसिला जारी है.

बंबई शेयर बाजार

aajtak.in

  • मुंबई,
  • 23 जून 2014,
  • (अपडेटेड 23 जून 2014, 6:29 PM IST)

बंबई शेयर बाजार का सेंसेक्स सोमवार को 74 अंक टूटकर लगभग तीन सप्ताह के निचले स्तर 25,031.32 अंक पर आ गया. वहीं सोने की कीमतों में तेजी का सिलसिला जारी है.

इराक में हिंसा से कच्चे तेल की कीमतों में बढ़ोतरी की आशंका से बाजार धारणा पहले से प्रभावित थी उसमें सिगरेट पर उत्पाद शुल्क में भारी बढ़ोतरी की आशंका के सेंसेक्स की एक प्रमुख कंपनी आईटीसी सहित अन्य सिगरेट कंपनियों के शेयरों में तेज गिरावट से प्रमुख सूचकांक प्रभावित हुए. बाजार में लगातार चार दिन से गिरावट है.

महंगाई की चिंता, कमजोर मानसून, रेल किरायों में बढ़ोतरी से भी बाजार प्रभावित हुआ है. बंबई शेयर बाजार का 30 शेयरों वाला सेंसेक्स बेहतर रुख के साथ खुलने के बाद एक समय 25,197.50 अंक के उच्च स्तर तक चला गया. कारोबार के दौरान एक समय 25,000 अंक के स्तर से नीचे भी गया था. अंत में यह 74.19 अंक या 0.30 प्रतिशत टूटकर 25,031.32 अंक पर बंद हुआ. इस तरह अब चार सत्रों में सेंसेक्स 489 अंक गंवा चुका है. 5 जून के बाद यह सेंसेक्स का सबसे निचला स्तर है. उस दिन सेंसेक्स 25,019.51 अंक पर बंद हुआ था.

इसी तरह नेशनल स्टाक एक्सचेंज का निफ्टी 18.10 अंक या 0.24 प्रतिशत के नुकसान से 7,500 अंक के स्तर से नीचे 7,493.35 अंक पर आ गया. कारोबार के दौरान यह 7,441.60 से 7,534.80 अंक के दायरे में रहा. सेंसेक्स की कंपनियों में सबसे ज्यादा गिरावट एफएमसीजी कंपनी आईटीसी में आई. आईटीसी का शेयर 6.50 प्रतिशत टूट गया. पिछले साल सितंबर के बाद से कंपनी के शेयर में यह सबसे बड़ी गिरावट है. सभी आकार की सिगरेटों पर उत्पाद शुल्क बढ़ाने के प्रस्ताव की खबरों से कंपनी के शेयर में गिरावट आई. अकेले आईटीसी ने सेंसेक्स की गिरावट में 135.44 अंक का योगदान दिया.

गुरुवार को जून माह के अनुबंध की समाप्ति से पहले इन्फोसिस की अगुवाई में आईटी कंपनियों के शेयरों में गिरावट रही. हालांकि, ओएनजीसी, भेल, हीरो मोटोकॉर्प व महिंद्रा एंड महिंद्रा के शेयरों में बढ़त से सेंसेक्स की गिरावट सीमित रही. इराक में हिंसा जारी रहने से एशिया में तेल कीमतें चढ़ गईं. हालांकि बीएसई के मिडकैप व स्मॉल कैप में लाभ रहा. चीनी मिलों को 4,400 करोड़ रुपये का अतिरिक्त ब्याज मुक्त कर्ज देने तथा आयात शुल्क में बढ़ोतरी से चीनी कंपनियों के शेयर 11 प्रतिशत तक चढ़ गए. बोनान्जा पोर्टफोलियो की वरिष्ठ शोध विश्लेषक निधि सारस्वत ने कहा, ‘आखिरी आधे घंटे के सत्र में बाजार में सुधार हुआ. इसी की बदौलत निफ्टी 7,500 अंक तथा सेंसेक्स 25,000 अंक के पास पहुंच गया.’

चीन के कारखाना क्षेत्र से अच्छी खबर के बावजूद ज्यादातर एशियाई बाजारों में गिरावट रही. चीन, हांगकांग, सिंगापुर तथा ताइवान के बाजार 0.04 से 1.68 प्रतिशत तक नीचे आए. यूरोपीय बाजार भी शुरुआती कारोबार में नीचे चल रहे थे. इस बीच, शेयर बाजारों के अस्थायी आंकड़ों के अनुसार विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) ने गत शुक्रवार को 220.65 करोड़ रुपये के शेयर बेचे. सेंसेक्स के 30 शेयरों में 21 लाभ में रहे, जबकि 8 में गिरावट आई.

आईटीसी का शेयर साढ़े छह प्रतिशत लुढ़क गया. इसके अलावा इन्फोसिस में 2.55 प्रतिशत, हिंद यूनिलीवर में 1.03 प्रतिशत, टीसीएस में 0.95 प्रतिशत व विप्रो में 0.93 प्रतिशत की गिरावट आई. वहीं दूसरी ओर ओएनजीसी का शेयर 4.63 प्रतिशत चढ़ गया. हीरो मोटोकार्प में 2.38 प्रतिशत, भेल में 2.26 प्रतिशत, सेसा स्टरलाइट में 1.80 प्रतिशत, महिंद्रा एंड महिंद्रा में 1.45 प्रतिशत, टाटा स्टील में 1.39 प्रतिशत व आईसीआईसीआई बैंक में 1.03 प्रतिशत की बढ़त दर्ज हुई. इनके अलावा हिंडाल्को इंडस्ट्रीज, बजाज ऑटो, एक्सिस बैंक व एसबीआई के शेयर भी लाभ में रहे.

सोने में तेजी जारी, चांदी कमजोर
विदेशों में कमजोर रुख के बाबजूद शादी-विवाह के मद्देनजर आभूषण निर्माताओं की लिवाली के चलते दिल्ली सर्राफा बाजार में सोमवार को सोने के भाव 60 रुपये की तेजी क साथ 28,785 रुपये प्रति दस ग्राम बोले गये. वहीं औद्योगिक उठाव सुस्त पड़ने से चांदी के भाव भाव 100 रुपये की गिरावट के साथ 44,800 रुपये किलो रह गये. बाजार सूत्रों के अुनसार शादी-विवाह सीजन के मद्देनजर आभूषण निर्माताओं की लिवाली बढ़ने से सोने में तेजी आई. उन्होंने बताया कि हाजिर मांग और निवेश में कमी के कारण वैश्विक बाजारों में नरमी का रुख रहा.

डॉलर की तुलना में रुपया दो पैसे टूटा
अंतर बैंक विदेशी मुद्रा बाजार में रुपया सोमवार को अमेरिकी मुद्रा की तुलना में दो पैसे की नरमी के साथ 60.20 रुपये प्रति डॉलर पर बंद हुआ. रुपये में लगातार दूसरे कारोबारी सत्र में नरमी आई है. सुबह रुपया 60.10 रुपये प्रति डॉलर पर मजबूत रुख के साथ खुला. कारोबार के दौरान 60.05 और 60.27 रुपये प्रति डॉलर के बीच घट बढ़ के बाद यह दो पैसे की गिरावट दिखाता हुआ 60.20 रुपये प्रति डॉलर पर बंद हुआ. शुक्रवार को रुपये में 10 पैसे की गिरावट आई थी. कारोबारियों का कहना है कि आयातकों विशेषकर तेल रिफाइनरियों की सतत डॉलर मांग से रुपया दबाव में आ गया.

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