ट्रेडिंग में स्टॉप लॉस क्या है

ग्रिड ट्रेडिंग क्या है?
ग्रिड ट्रेडिंग एक ट्रेडिंग बॉट है जो फ्यूचर्स अनुबंधों की खरीद और बिक्री को स्वचालित करती है। इसे एक कॉन्फिगर की गई मूल्य सीमा के भीतर पूर्व निर्धारित अंतराल पर बाजार में ऑर्डर देने के लिए डिजाइन किया गया है।
ग्रिड ट्रेडिंग तब होती है जब ऑर्डर एक निर्धारित मूल्य से ऊपर और नीचे रखे जाते हैं, जिससे बढ़ती कीमतों पर ऑर्डर का एक ग्रिड तैयार होता है। इस तरह, यह एक ट्रेडिंग ग्रिड का निर्माण करता है। उदाहरण के लिए, कोई व्यापारी बिटकॉइन के बाजार मूल्य से प्रत्येक $1,000 पर खरीद-ऑर्डर दे सकते हैं, साथ ही बिटकॉइन के बाजार मूल्य से प्रत्येक $1,000 पर बिक्री-ऑर्डर भी दे सकते/सकती हैं। यह विभिन्न परिस्थितियों का लाभ उठाता है।
ग्रिड ट्रेडिंग अस्थिर और साइडवे मार्केट में सबसे अच्छा प्रदर्शन करती है जब मूल्य में एक निश्चित दायरा के अंदर उतार-चढ़ाव होता है। यह तकनीक छोटे मूल्य परिवर्तनों पर लाभ कमाने के लिए है। आप जितने अधिक ग्रिड शामिल करेंगे/करेंगी, व्यापारों की आवृत्ति उतनी ही अधिक होगी। हालांकि,यह एक खर्च के साथ आता है क्योंकि प्रत्येक ऑर्डर से आपको होने वाला लाभ कम होते हैं।
इस प्रकार, यह कई व्यापारों से कम लाभ कमाने वाली रणनीति बनाम कम आवृत्ति वाली रणनीति के बीच एक ट्रेडऑफ है लेकिन प्रति ऑर्डर एक बड़ा लाभ उत्पन्न करता है।
बायनेन्स ग्रिड ट्रेडिंग अब USDⓈ-M फ्यूचर्स पर लाइव है। उपयोगकर्ता ग्रिड की ऊपरी और निचली सीमा और ग्रिड की संख्या निर्धारित करने के लिए ग्रिड के मापदंडों को अनुकूलित और सेट कर सकते हैं। एक बार ग्रिड बन जाने के बाद, सिस्टम स्वचालित रूप से पूर्व निर्धारित कीमतों पर ऑर्डर खरीदेगा या बेचेगा।
मान लीजिए कि आप अगले 24 घंटों में बिटकॉइन की कीमत $50,000 से $60,000 के आसपास रहने की उम्मीद करते/करती हैं। इस मामले में, आप इस अनुमानित सीमा के अंदर व्यापार करने के लिए ग्रिड ट्रेडिंग सिस्टम सेट कर सकते/सकती हैं।
- मूल्य दायरा की ऊपरी और निचली सीमा,
- कॉन्फिगर की गई मूल्य सीमा के भीतर रखे जाने वाले ऑर्डर की संख्या,
- प्रत्येक खरीद और बिक्री-सीमित ऑर्डर के बीच की चौड़ाई।
इस परिदृश्य में, जैसे ही बिटकॉइन की कीमत $ 55,000 तक गिरती है, ग्रिड ट्रेडिंग बॉट बाजार की तुलना में कम कीमत पर खरीद पोजीशन को जमा करेगा। जैसे ही कीमतों में सुधार होगा, बॉट बाजार की तुलना में अधिक कीमत पर बेचेगा। यह रणनीति अनिवार्य रूप से मूल्य प्रत्यावर्तन से लाभ का प्रयास करती है।
जोखिम चेतावनी: एक रणनीतिक व्यापारिक उपकरण के रूप में ग्रिड ट्रेडिंग को बायनेन्स की वित्तीय या निवेश सलाह के रूप में नहीं लेना चाहिए। ग्रिड ट्रेडिंग का उपयोग आपके विवेक पर और आपके अपने स्वयं के जोखिम पर किया जाता है। आपके द्वारा सुविधाओं के उपयोग किए जाने से उत्पन्न होने वाले किसी भी नुकसान के लिए बायनेन्स आपके प्रति उत्तरदायी ट्रेडिंग में स्टॉप लॉस क्या है नहीं होगा। यह अनुशंसा की जाती है कि उपयोगकर्ताओं को ग्रिड ट्रेडिंग ट्यूटोरियल को पढ़ना और पूरी तरह से समझना चाहिए और अपनी वित्तीय क्षमता के भीतर जोखिम नियंत्रण और तर्कसंगत व्यापार करना चाहिए।
अपनी ग्रिड ट्रेडिंग रणनीति सेट करें
यदि आप बायनेन्स एप का उपयोग कर रहे/रही हैं, तो [फ्यूचर्स] - [USDⓈ-M फ्यूचर्स] - [ग्रिड ट्रेडिंग]पर टैप करें।
2. रणनीति को निष्पादित करने के लिए एक संकेत चिह्न का चयन करें और ग्रिड मापदंड सेट करें। पुष्टि करने के लिए [बनाएं] पर क्लिक करें।
- जब आप वर्तमान में चयनित संकेत चिह्न पर ग्रिड ट्रेडिंग चला रहे/रही हों।
- जब आपके पास चयनित संकेत चिह्न पर ओपन ऑर्डर या पोजीशन हों।
- जब आप हेज पोजीशन मोड में हों, तो कृपया वन-वे मोड में समायोजित करें।
- जब आप काम करने की कुल मात्रा और ट्रिगर ग्रिड ट्रेडिंग की सीमा 10 से अधिक हो जाते/जाती हैं।
ग्रिड ट्रेडिंग युक्ति
उपयोगकर्ता तुरंत ग्रिड लिमिट ऑर्डर शुरू करना चुन सकते हैं या जब बाजार मूल्य एक निश्चित मूल्य पर पहुंच जाए तो ट्रिगर करना चुन सकते हैं। जब चयनित ट्रिगर मूल्य (अंतिम मूल्य या अंकित मूल्य) आपके द्वारा दर्ज किए गए ट्रिगर मूल्य से ऊपर या नीचे गिर जाते हैं, तो ग्रिड ऑर्डर ट्रिगर हो जाएंगे।
प्रारंभिक संरचना नवीनतम बाजार मूल्य (खरीद, बिक्री, मध्य-मूल्य) के अनुसार मूल्य स्तरों की एक श्रृंखला निर्धारित करने के लिए है, बाजार मूल्य से अधिक मूल्य पर बिक्री सीमित ऑर्डर दें, और बाजार मूल्य से कम मूल्य पर एक खरीद सीमित ऑर्डर दें, और मूल्य के ट्रिगर होने की प्रतीक्षा करें।
ध्यान दें कि प्रारंभिक निर्माण के समय सीमित ऑर्डर की संख्या ग्रिड +1 की संख्या है क्योंकि कोई पोजीशन नहीं है। उनमें से एक (नवीनतम बाजार मूल्य के पास वाला) आरंभिक ओपनिंग ऑर्डर है जो निष्पादित होने की प्रतीक्षा कर रहा है;
तटस्थ ग्रिड के लिए, रणनीति बिना किसी प्रारंभिक पोजीशन के शुरू होगी। प्रारंभिक पोजीशन तब शुरू होगा जब बाजार प्रारंभिक निर्माण के बाद निकटतम मूल्य बिंदु से आगे व्यापार करेगा।
शेयर मार्किट में स्टॉप लॉस क्या होता है?
इसे सुनेंरोकेंStop Loss वह मूल्य है जो शेयर मार्केट में ट्रेडर को ज्यादा नुकसान होने से बचाता है। यह ट्रेडर्स के जोखिम को कम कर उन्हें सही समय पर मार्केट से बाहर निकलने की अनुमति देता है। शॉर्ट टर्म ट्रेड में स्टॉप लॉस की जरुरत और भी बढ़ जाती है क्योंकि यहां जोखिम की संभावना और भी ज्यादा होती है।
शेयर बाजार में स्टॉप लॉस क्या है?
इसे सुनेंरोकेंस्टॉप-लॉस(Stop Loss Meaning in Hindi) वह प्राइस पॉइंट है जो आपको ट्रेड से बाहर निकलने में केवल विशिष्ट इकाइयों से दूर होता है। यदि आप एक बड़ा स्टॉप-लॉस लगाते हैं, तो आप करंट मार्केट प्राइस के पास आ रहे हैं और इस प्रकार, ट्रेडिंग में बने रहने के लिए बहुत कम जगह छोड़ते हैं।
शेयर मार्केट में स्टॉप लॉस कैसे लगाए?
इसे सुनेंरोकेंपरसेंटेज मेथड (Percentage Method): ज्यादातर ट्रेडर Stop loss के लिए परसेंटेज नियम का पालन करते हैं। यह परसेंटेज नियम शेयर प्राइस का 10 प्रतिशत होता है। उदाहरण के लिए यदि शेयर प्राइस 100 रुपये है तो 100 रुपये का 10 प्रतिशत कम यानी 90 रुपये पर आप अपना Stop loss लगा सकते है।
शेयर मार्केट में स्टॉप लॉस क्या है?
ट्रेडिंग में स्टॉप क्या होते हैं?
एक स्टॉप ऑर्डर एक स्टॉक को बाजार मूल्य पर खरीदने या बेचने का एक ऑर्डर है, जब स्टॉक एक निर्दिष्ट मूल्य (“स्टॉप प्राइस”) पर या उसके माध्यम से कारोबार करता है। यदि स्टॉक स्टॉप प्राइस पर पहुंच जाता है, तो ऑर्डर मार्केट ऑर्डर बन जाता है और अगले उपलब्ध मार्केट प्राइस पर भरा जाता है।
ट्रिगर प्राइस का क्या मतलब है?
इसे सुनेंरोकेंट्रिगर प्राइस आपके buy ओर sell के आर्डर को एक्टिवेट करने का काम करता है। इसका मतलब यह है कि ट्रिगर प्राइस आपके दोनों ऑर्डर में से किसी एक को एक्टिवेट करने का काम करता है। ट्रिगर प्राइस का इस्तेमाल स्टॉप लॉस ऑर्डर के लिए किया जाता है।
ट्रिगर प्राइस का मतलब क्या होता है?
इसे सुनेंरोकेंलिमिट ऑर्डर में ट्रिगर प्राइस का उपयोग करके स्टॉक को कम कीमत पर खरीदने और अधिक कीमत पर बेचने के लिए किया जाता है। उदाहरण के लिए, आप किसी कंपनी के स्टॉक को खरीदना चाहते है और उस स्टॉक का मार्केट प्राइस 50 रुपये है लेकिन आप ट्रिगर प्राइस का उपयोग करके उस स्टॉक की कीमत को 40 रुपये पर सेट कर देते है।
ट्रिगर प्राइस क्या होता है?
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जानिए क्या होती है स्विंग ट्रेडिंग? क्या हैं इसके फायदे
Swing Trading: बाजार में उतार-चढ़ाव के बावजूद आपको स्टॉक या इंडेक्स की सही दिशा का पता लगवाने में मदद करना होता है.
- nupur praveen
- Publish Date - August 31, 2021 / 12:52 PM IST
म्युचुअल फंड निवेश के मामले में भले ही काफी लोगों को अट्रैक्टिव लगते हों, लेकिन पुरानी धारणाओं के कारण लोग उनसे दूर रहना पसंद करते हैं. अगर आपने भी शेयर बाजार में हाल ही में शुरुआत की है तो स्विंग ट्रेडिंग आपके लिए एक अच्छा विकल्प हो सकता है. स्विंग ट्रेडिंग (Swing Trading) उन ट्रेडिंग टेक्निक्स में से एक है, जिसमें ट्रेडर 24 घंटे से ज्यादा समय तक किसी पोजीशन को होल्ड कर सकता है. इसका उद्देश्य प्राइस ऑस्कीलेशन या स्विंग्स के जरिए निवेशकों को पैसे बनाकर देना होता है. डे और ट्रेंड ट्रेडिंग में स्विंग ट्रेडर्स कम समय में अच्छा प्रॉफिट बनाने के लिए स्विंग ट्रेडिंग (Swing Trading) का विकल्प चुनता है. स्विंग ट्रेडिंग टेक्नीक में ट्रेडर अपनी पोजीशन एक दिन से लेकर कई हफ्तों तक रख सकता है.
यहां पर स्विंग ट्रेडिंग के जरिये एक ट्रेडर का लक्ष्य छोटे-छोटे प्रॉफिट के साथ लॉन्गर टाइम फ्रेम में एक बड़ा प्रॉफिट बनाने का होता है. जहां लॉन्ग टर्म निवेशकों को मामूली 25% लाभ कमाने के लिए पांच महीने तक इंतजार करना पड़ सकता है. वहीं स्विंग ट्रेडर हर हफ्ते 5% या इससे ज्यादा का भी प्रॉफिट बना सकते हैं बहुत ही आसानी से लॉन्ग टर्म निवेशकों को मात दे सकता है.
स्विंग ट्रेडिंग और डे ट्रेडिंग में अंतर
शुरुआत के दिनों में नए निवेशकों को स्विंग ट्रेडिंग (Swing Trading) और डे ट्रेडिंग एक ही लग सकते हैं, लेकिन जो स्विंग ट्रेडिंग और डे ट्रेडिंग को एक दूसरे से अलग बनाता है वो होता है टाइम पीरियड. जहां एक डे ट्रेडर अपनी पोजीशन चंन्द मिनटो से ले कर कुछ घंटो तक रखता है वहीं एक स्विंग ट्रेडर अपनी पोजीशन 24 घंटे के ऊपर से ले कर कई हफ्तों तक होल्ड कर सकता है. ऐसे मे बड़े टाइम फ्रेम में वोलैटिलिटी भी कम हो जाती है और प्रॉफिट बनाने की सम्भावना भी काफी अधिक होती है जिसके कारण ज्यादातर लोग डे ट्रेडिंग की अपेक्षा स्विंग ट्रेडिंग करना पसंद करते हैं.
स्विंग ट्रेडिंग टेक्निकल इंडीकेटर्स पर निर्भर करती है. टेक्निकल इंडीकेटर्स का काम मार्किट में रिस्क फैक्टर को कम करना और बाजार में उतार-चढ़ाव के बावजूद आपको स्टॉक या इंडेक्स की सही दिशा का पता लगवाने में मद्दत करना होता है. जब आप अपने निवेश को किसी विशेष ट्रेडिंग स्टाइल पर केंद्रित करते हैं तो यह आपको राहत भी देता है. और साथ ही साथ आपको मार्किट के रोज़ के उतार-चढ़ाव पर लगातार नजर रखने की भी जरुरत नही पड़ती है. आपको सिर्फ अपनी बनाई गई रणनीति को फॉलो करना होता है.
स्विंग ट्रेडिंग से जुड़े कुछ ट्रेडिंग में स्टॉप लॉस क्या है जरूरी टर्म्स
स्विंग ट्रेडिंग (Swing Trading) में अक्सर इस्तेमाल किए जाने वाले कुछ शब्दों में एंट्री पोइंट, एग्जिट पॉइंट और स्टॉप लॉस शामिल हैं. जिस प्वाइंट पर ट्रेडर अलग अलग टेक्निकल इंडिकेटर की सहायता से खरीदारी करते है उसे एंट्री प्वाइंट कहा जाता है. जबकि जिस प्वाइंट पर ट्रेडर अपनी ट्रेड पोजीशन को स्क्वायर ऑफ करते हैं. उसे एग्जिट प्वाइंट के रूप में जाना जाता है. वही स्टॉप लॉस जिसे एक निवेशक के नुकसान को सीमित करने के लिए डिज़ाइन किया गया है. ऐसा प्वाइंट होता है जहाँ आप अपने रिस्क को सीमित ट्रेडिंग में स्टॉप लॉस क्या है ट्रेडिंग में स्टॉप लॉस क्या है कर देते है. उदाहरण के लिए जिस कीमत पर आपने स्टॉक खरीदा था. उसके 20% नीचे के लिए स्टॉप-लॉस ऑर्डर सेट करना आपके नुकसान को 20% तक सीमित कर देता है.
कितने टाइप के होते है स्विंग ट्रेडिंग पैटर्न
स्विंग ट्रेडर्स अपनी निवेश रणनीति तैयार करने के लिए बोलिंगर बैंड, फिबोनाची रिट्रेसमेंट और मूविंग ऑसिलेटर्स जैसे ट्रेडिंग टूल्स का उपयोग करके अपने ट्रेड करने के तरीके बनाते हैं. स्विंग ट्रेडर्स उभरते बाजार के पैटर्न पर भी नजर रखते हैं जैसे
– हेड एंड शोल्डर पैटर्न
– फ्लैग पैटर्न
– कप एंड हैंडल पैटर्न
– ट्रेंगल पैटर्न
– मूविंग एवरेज का क्रॉसओवर पैटर्न
भारत में सबसे लोकप्रिय स्विंग ट्रेडिंग ब्रोकरों में एंजेल ब्रोकिंग, मोतीलाल ओसवाल, आईआईएफएल, ज़ेरोधा, अपस्टॉक्स और शेयरखान शामिल है.
Stock Market Trading Tips: शेयर बाजार में ट्रेडिंग कर आप भी हो सकते हैं मालामाल, अपनाइए ये चार सूत्र
नई दिल्ली, समीत चवान। किसी भी अन्य कौशल की तरह, सफल ट्रेडिंग की कला को अभ्यास और निरंतर सतर्कता के साथ सीखा जा सकता है और इसमें बेहतर बना जा सकता है। अक्सर अमेच्योर्स को लगता है कि ट्रेडिंग तुक्के से की जाती है। बेशक, यह केवल निराशा लाती है और अंततः ऐसे लोग अपनी नगदी का नुकसान कर लेते हैं और बाद में कम रिटर्न देने वाले बचत के अन्य तरीकों को अपनाते हैं। हालांकि, इस खेल के कुछ क्लासिक नियमों का पालन कर कोई भी अमेच्योर अपनी रैंक और लाभप्रदता बढ़ा सकता है।
डाटा में हमारा भरोसा
शुरुआती लोगों के रूप में यह जानना बेहद जरूरी है कि ट्रेडिंग जुआ नहीं है। यह सब बाजार और वह कैसे आकार लेता है, यह जानना है। आपको बाजार में बुनियादी प्रवीणता विकसित करने की आवश्यकता है ताकि आप केवल स्मार्ट इन्वेस्ट करें। एक ट्रेडर के रूप में आपको यह सुनिश्चित करना होगा कि आपकी ट्रेडिंग कॉल पर्याप्त डाटा और उचित रिसर्च के साथ की गई हो। आप फुल-सर्विस ब्रोकिंग फर्म्स से मार्गदर्शन प्राप्त कर सकते हैं जिनके पास इसके लिए समर्पित विश्लेषक होते हैं। आज हम तकनीक से संचालित रोबो-सलाहकारों को उभरते देखकर एक बड़े बदलाव का भी गवाह बन रहे हैं। उद्योग के प्रमुख एक अरब से अधिक डाटा बिंदुओं का विश्लेषण करते हैं। ऐसे में अपने निवेश के साथ आगे बढ़ने के लिए खुद को एक रोबो-सलाहकार के साथ एनरोल करने पर विचार करें।
अपने ‘फ्यूचर’ और ‘ऑप्शंस’ के बारे में जानें
व्यापार में कदम रखते समय जितना हो सके बाजार के बारे में पता लगाने का प्रयास करें। आपको उन सभी विकल्पों को जानना होगा जो उपलब्ध हैं। अगर आपको लगता है कि ट्रेडिंग सिर्फ स्टॉक्स को उनके बाजार मूल्य पर ‘खरीदना’ और ‘बेचना’ ही सबकुछ है, तो इसके अलावा भी बहुत कुछ है। मार्जिन ट्रेडिंग के माध्यम से आप जितना खरीद सकते हैं उससे अधिक स्टॉक भी खरीदा जा सकता है। इसे हम डेरिवेटिव मार्केट कहते हैं। हालांकि, जब बात डेरिवेटिव्स की आती है, तो किसी को इसमें कूदने से पहले अच्छे और बुरे पक्ष को समझना आवश्यक है। संबंधित जोखिम नाटकीय रूप से बढ़ जाते हैं।
सोच-समझकर जोखिम लें और पैसे के लिहाज से समझदार बनें!
दीवार पर साफ लिखा है- केवल उतनी ही राशि को ट्रेड करें जिसे आप खोने को तैयार हैं। हालांकि, यदि आपने किसी से पैसा उधार नहीं लिया है या ट्रेडिंग के लिए भविष्य के लिए बचत की गई बचत से पैसे नहीं निकाले हैं तो आप कुछ आवश्यक जोखिम लेने के लिए बेहतर तरीके से सुसज्जित होंगे। उसी समय ट्रेडर्स को अनावश्यक जोखिम लेने के रोमांच का शिकार नहीं होना चाहिए - विशेष रूप से डे-ट्रेडिंग में। यहां तक कि अगर आपके दांव हार रहे हैं, जो लगभग हर व्यापारी के लिए एक कड़वा सच है, तो आपको लगातार ट्रेडिंग कैपिटल की रक्षा करने और ट्रेडिंग में स्टॉप लॉस क्या है ट्रेडिंग व्यवसाय में रहने की कोशिश करनी चाहिए।
अनुशासित रहें और स्टॉप लॉस का इस्तेमाल करें
जैसे-जैसे कोई व्यक्ति निवेश पर आगे बढ़ता है और उसका अंतर्ज्ञान बढ़ता है, तब एक ऐसा बिंदु भी आता है जहां पैसा कमाने के लिए ट्रेंडिंग या सिर्फ अंतर्ज्ञान को सही साबित करने के बीच की सीमाएं धुंधली प्रतीत होती है। और यदि ट्रेडर्स ट्रेडिंग के माध्यम से केवल अपने अंतर्ज्ञान पर मुहर लगाने की भावना से प्रेरित होते हैं, तो यह उन्हें उनके निवेश कैरियर के अंत की ओर ले जाता है। इसी के संदर्भ में स्टॉप लॉस का उपयोग करना ट्रेडिंग में बहुत आवश्यक अनुशासन है। यह समर्थन स्तर से नीचे ट्रेडिंग मूल्य है (जहां से शेयर अपने अगले समर्थन स्तर तक गिरेगा)। क्या किसी शेयर का मूल्य ‘स्टॉप लॉस’ सीमा तक पहुंच गया है, तो उन सभी शेयरों को बेच दिया जाएगा, ताकि आपको ज्यादा नुकसान होने से बचाया जा सके।
अंत में, हमेशा यह याद रखना चाहिए कि ट्रेडिंग के लिए उच्च स्तर की रणनीति की आवश्यकता होती है। पूर्वोक्त अभ्यासों के माध्यम से कोई भी व्यक्ति रणनीति को विकसित और सुदृढ़ कर सकता है। एक ट्रेडर का अंतिम लक्ष्य पैसा कमाने और नुकसान को कम से कम रखना होना चाहिए, न केवल जब बाजार तेजी से ऊपर जा रहा हो, बल्कि उसे ऐसी रणनीति के साथ सामने आना चाहिए कि वह लंबी अवधि के लिए बाजार में अपरिहार्य परिवर्तनों का सामना कर सके।
(लेखक एंजेल ब्रोकिंग लिमिटेड में चीफ एनालिस्ट, टेक्निकल और डेरिवेटिव्स हैं। प्रकाशित विचार उनके निजी हैं।)
आप भी करते हैं 10 रुपये से कम वाले शेयर में निवेश, जानें- पेनी स्टॉक के रिस्क और फायदे?
बाजार में उतार-चढ़ाव के समय में सबसे ज्यादा नुकसान पेनी स्टॉक्स के निवेशकों को उठाना पड़ता है. कई बार ऐसा भी होता है कि एक बार में सारे पैसे डूब जाते हैं. साथ ही कई पेनी स्टॉक्स को ऑपरेट करने वाले भी निवेशकों का ध्यान आकर्षित करने के लिए भी शेयर खरीद ट्रेडिंग में स्टॉप लॉस क्या है कर दाम बढ़ाते हैं.
सरबजीत कौर
- नई दिल्ली,
- 19 अक्टूबर 2021,
- (अपडेटेड 19 अक्टूबर 2021, 9:18 PM IST)
- पेनी स्टॉक्स से निवेशक को दूर रहने की सलाह
- बेस्ट क्वालिटी शेयरों में निवेश करना चाहिए
- बाजार में गिरावट आने से पेनी स्टॉक्स सबसे ज्यादा प्रभावित
पिछले दो साल से शेयर बाजार में आ रही तेजी ने कई नए निवेशकों को निवेश के लिए आकर्षित किया है. ऐसे में सिर्फ लंबी अवधि के निवेशक ही नहीं, बल्कि ट्रेडिंग करने वालों को भी काफी फायदा मिल रहा है. लेकिन कई लोग जो बाजार में नए हैं उनके के पास सेविंग के ज्यादा पैसे नहीं होते हैं. ऐसे में वो लोग कम कीमत वाले शेयरों में पैसा लगाना चाहते हैं. जिनमें निवेश से उन्हें पैसे भी ज्यादा न लगाने पड़े और फायदा भी ज्यादा मिल जाए. लेकिन ऐसे शेयरों में मुनाफे से ज्यादा रिस्क बहुत होता है. इन्ही कम कीमत वाले शेयरों को जिनका मार्केट कैप भी कम होता है, उन्हें हम पेनी स्टॉक या भंगार शेयर कहते हैं. साधारण भाषा में जानें तो ज्यादातर जिन कंपनियों के शेयर 10 रुपये या उससे कम के होते हैं उन्हें पेनी स्टॉक्स कहा जाता है.
कितना रिस्क है:
पेनी स्टॉक्स सस्ते जरूर होते हैं लेकिन इनमें रिस्क बहुत ज्यादा होता है.
एस्कॉर्ट सिक्योरिटी के रिसर्च हेड- आसिफ इकबाल का मानना है कि जैसे कि-बाजार अपने नए स्तर को छू रहा है और अबतक की सबसे ज्यादा तेजी है. ऐसे में निवेशकों को संभलकर रहने की जरूरत और बेस्ट क्वालिटी शेयरों पर निवेश करना चाहिए. अगर बाजार में यहां से गिरावट आई तो पेनी स्टॉक्स में सबसे ज्यादा नुकसान होगा. ये एक तरह से बर्निंग ट्रेन में यात्रा करने के समान है. इसलिए, इससे बेहतर हैं कि आप ट्रेन में बोर्ड करने से पहले ही संभल जाएं. पेनी स्टॉक्स में निवेश से पहले कंपनी के गुड मैनेजमेंट, बिजनेस और आउटलुक को देखना बहुत जरूरी है. साथ ही ये देखना अनिवार्य होता है कि कंपनी के पास जीरो डेट या कर्ज ना के बराबर है.'
बाजार में उतार-चढ़ाव के समय में सबसे ज्यादा नुकसान पेनी स्टॉक्स के निवेशकों को उठाना पड़ता है. कई बार ऐसा भी होता है कि एक बार में सारे पैसे डूब जाते हैं. साथ ही कई पेनी स्टॉक्स को ऑपरेट करने वाले भी निवेशकों का ध्यान आकर्षित करने के लिए भी शेयर खरीद कर दाम बढ़ाते हैं. ऐसे समय में निवेशकों को बड़ी बारीकी से पेनी स्टॉक्स के रिस्क और मुनाफे को समझना होगा. बिना सही जानकारी के निवेश करने से भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है.
आसिफ के मुताबिक-‘पेनी स्टॉक्स में 5 फीसदी से ज्यादा निवेश न करें. हमेशा किसी भी स्टॉक में पोजिशन लेने से पहले अपने स्टॉप लॉस को ध्यान में रखकर ही निवेश करें’.
पेनी स्टॉक की कीमत बहुत कम होती है. जिसकी वजह से पेनी स्टॉक्स को ऑपरेट करने वाले लोग शेयर में खुद ही पैसा लगाकर उसकी कीमत बढ़ा देते हैं. जिसकी वजह से बाजार में निवेश रिटर्न और कीमत देखकर और निवेश करने लगते हैं. जिसका कारण है कि पेनी स्टॉक्स के शेयरों में तेजी आने लगती है. ऐसे समय में पेनी स्टॉक्स को ऑपरेट करने वाले शेयर को बेचकर निकल जाते हैं और मुनाफा कमा लेते हैं. इन सब बातों से कई बार नए निवेशक को भारी नुकसान उठाना पड़ता है.
कितना फायदा:
पेनी स्टॉक्स की कीमत कम होने के कारण उनमें निवेश आसान होता है. कई बार बाजार में तेजी का फायदा ज्यादा होता है.
मान लिजिए उदाहरण के तौर पर X निवेशक ने किसी कंपनी के 5 रुपये प्रति शेयर के हिसाब से 10000 शेयर लिए. इन्वेस्टर ने कुल 50,000 रुपये का निवेश किया. अब शेयर की कीमत एक दिन में प्रति शेयर 10 रुपये तक गई. निवेशक को 5 रुपये प्रति शेयर का मुनाफा हुआ. कुल निवेश 50,000 रुपये का था जो बाजार में आई तेजी से बढ़कर 1,00,000 रुपये हो गया. यानी की एक दिन में 50,000 रुपये से अधिक का फायदा संभव है. बाजार में तेजी के रूख से सबसे ज्यादा फायदे की संभानवा होती है.
प्रॉफिटमार्ट सिक्योरिटी के डायरेक्टर, अविनाश गोरक्षकर के मुताबिक-‘आमतौर पर बाजार में जब तेजी का रुख आता है तो पेनी स्टॉक्स ही सबसे पहले भागते हैं और बाजार के गिरते ही लोग पेनी स्टॉक्स को भूलना शुरू कर देते हैं. ऐसा नहीं है कि सभी पेनी स्टॉक्स में निवेश करना खराब होता है. बिजनेस मॉडल कैसा है, फ्यूचर कैसा है, कितना कर्ज है ये सब पहले देख लें उसके बाद ही उस पेनी स्टॉक में निवेश करें’.
लेकिन कई बार स्थिति काफी अलग होती है. अविनाश का मानना है कि-‘पेनी स्टॉक्स जिनका बिजनेस मॉडल खराब है, जिस पर कर्ज है वो सबसे ज्यादा क्लासिक केस होते हैं जिनकी अंडरलाइंग वैल्यू बिना किसी कारण या सही तर्क के बढ़ जाती है. सबसे बेहतरीन उदाहरण है दीवान हाउसिंग, सुजलॉन, यस बैंक जैसी कंपनियां का, जहां रिटेल इन्वेस्टर्स ने अपने हिस्से को अचानक से बढ़ा दिया और इन कंपनियों के शेयर में इंस्टीट्यूशनल निवेशक आज बाहर हैं.’
अगर किसी के पास सीमित कैपिटल है और जिनके पास 100 फीसदी कैपिटल नुकसान को झेलने की शक्ति न हो तो ऐसे में उन लोगों को पेनी स्टॉक्स में निवेश नहीं करना चाहिए. इससे साफ है कि मुनाफ या रिवार्ड 5x या 20x संभव है. लेकिन, रिस्क की बात करें तो अगर पेनी स्टॉक्स सही परफॉर्म ट्रेडिंग में स्टॉप लॉस क्या है नहीं करेंगे तो निवेशक को 100 फीसदी कैपिटल नुकसान का सामना करना पड़ सकता है.
आगे अविनाश कहते हैं कि-‘जहां तक पेनी स्टॉक में रिस्क और मुनाफे का सवाल है इसमें कोई मार्जिन की सुरक्षा गारंटी नहीं होती. साथ ही शेयर से जुड़े सभी उतार-चढ़ाव बाजार ट्रेडिंग में स्टॉप लॉस क्या है की खबरों पर निर्भर करता है. बहुत ही कम देखा गया है कि पेनी स्टॉक्स मल्टी बैगर के रूप में सामने आया. सबसे बेहतरीन उदाहरण है Symphony कंपनी का शेयर. कुछ साल पहले Symphony का शेयर 10 रुपये के नीचे था और आज की तारीख में देखें तो कंपनी का शेयर 2000 रुपये का शेयर है. लेकिन, ध्यान रहे कि पेनी स्टॉक्स में सक्कसेस रेट केवल 1 से 2 फीसदी के बीच का ही होता है.’
पेनी स्टॉक्स में निवेश करने से पहले रखें ध्यान:
·पेनी स्टॉक्स में निवेश करना हमेशा जोखिम भरा होता है. इसमें निवेशकों को लाभ से ज्यादा नुकसान का रिस्क होता है.
·लो-लिक्विडिटी की वजह से खरीद-बिक्री में मुश्किल होता है. साथ ही, उतार-चढ़ाव काफी होता है जिसकी वजह से अचानक कीमत के गिरने के निवेशकों को नुकसान सा सामना करना पड़ता है. इसलिए निवेशकों के लिए इन सब बातों का ध्यान देना जरूरी है.
·कई बार निवेशकों कंपनी के बिना किसी भविष्य की योजना को देखे निवेश कर देते हैं. ऐसे में निवेशकों को कंपनी की ग्रोथ का सही अंदाजा नहीं होता है और उन्हें नुकसान झेलना पड़ता है. इसका ध्यान देना बहुत जरूरी है.
·पेनी स्टॉक्स की ऊपर जाने की सीमा नहीं इसलिए गिरावट का भी उतना खतरा रहता है.
·केवल 2-3 शेयरों में निवेश करना बुद्धिमानी, केवल शॉर्ट-टर्म के लिए करें निवेश.
·पेनी स्टॉक से जुड़े अफवाहों पर ना जाएं. साथ ही, जल्दबाजी में निवेश करने के बचें.
·याद रखें, पेनी स्टॉक "उच्च जोखिम वाले" स्टॉक की तरह. खुदरा निवेशकों के लिए,म्यूचुअल फंड्स अधिक सुरक्षित हैं.
·कई बार पेनी स्टॉक ऑपरेट करने वाले शेयर में पैसा लगाकर कीमत बढ़ाते है. जिसके कारण रिटर्न और कीमत से होते हैं निवेशक आकर्षित. इसपर ध्यान दें.
· स्टॉक ऑपरेटर तेजी का फायदा उठाकर बाद में बेच देते हैं शेयर. इसलिए स्टॉक ऑपरेटर की चाल से निवेशक रहें सावधान.
·हमेशा कंपनी की ग्रोथ, योजनाओं को ध्यान में रखकर करें निवेश. साथ ही, बिजनेस मॉडल, फ्यूचर, कर्ज देखकर करें पेनी स्टॉक में निवेश
·पेनी स्टॉक्स में अगर ट्रेडिंग कर रहें हैं तो बच कर रहें. लंबी अवधि के निवेशक हमेशा रहें दूर.
लोगों को यही सलाह है कि वो पेनी स्टॉक्स में अगर ट्रेडिंग कर रहे हैं तो बच कर रहें और कोई लालच ना करें. बिना स्टॉपलॉस के ट्रेड ना करें और अपना सौदा हमेशा टारगेट के पूरा होते ही काट लें वरना भारी नुकसान बाद में झेल सकते हैं. अच्छे निवेशकों को यही सलाह है कि पेनी स्टॉक्स में निवेश से दूर रहें और फंडामेंटल मजबूत कंपनियों में निवेश करें. कंपनी की आर्थिक, बैलेंस शीट जरूर चेक करें. सबसे अहम बात है कि बिना किसी निवेश सलाहकार के कभी निवेश न करें. अगर अधूरे ज्ञान के साथ आप निवेश करेंगे तो आपको भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है. इसलिए हमेशा समझदारी से सोच-समझकर निवेश करें.