डिजिटल करेंसी और क्रिप्टो करेंसी में अंतर

Blockchain is a new emerging technology. Cryptocurrency is a form of digital currency. I firmly believe that we must always evaluate, explore and encourage new ideas with an open mind: MoS Finance Anurag Thakur on cryptocurrency
What is Digital Currency (Bitcoin) in Hindi - क्या है डिजिटल करेंसी बिटकॉइन
पिछली पोस्ट में हमनें आपको बताया था कि Bitwalking एप्प के जरिये आप केवल पैदल चलकर डिजिटल करेंसी कमा सकते हैं और उसे मनचाहे खर्च भी कर सकते हैं, लेकिन आप जानते हैं कि ये डिजिटल करेंसी क्या होती है अगर नहीं तो जानिये ये भविष्य की मुद्रा है - What is Digital Currency (Bitcoin) in Hindi - क्या है डिजिटल करेंसी बिटकॉइन
What is Digital Currency in Hindi - क्या है डिजिटल करेंसी या डिजिटल मुद्रा
इसके कई नाम हैं ई-मुद्रा भी कह सकते हैं। यानि यह आपके नोटों की तरह नहीं होती है, केवल कंप्यूटर पर ही दिखाई देती है सीधे अापके जेब में नहीं आती है इसलिये इसे डिजिटल करेंसी, वर्चुअल करेंसी (Virtual Currency) कहते हैं, यह 2009 में लॉन्च हुई थी। इसके इस्तेमाल और भुगतान के लिये क्रिप्टोग्राफी (Cryptography) का इस्तेमाल किया जाता है इसलिये इसे क्रिप्टो करेंसी (Crypto currency) भी कहा जाता है। दुनिया की पहली क्रिप्टो करेंसी बिटकॉइन (Bitcoin) है। इसको जमा करना माइनिंग (Mining) कहलाता है। क्रिप्टो करेंसी को दुनिया के किसी भी कोने में आसानी से ट्रांसफर किया जा सकता है और किसी भी प्रकार की करेंसी में कनवर्ट किया जा सकता है जैसे डॉलर, यूरो, रूपया आदि।
What is Bitcoin in Hindi - बिटकॉइन क्या है
बिटकॉइन एक आभासी मुद्रा यानि वर्चुअल करेंसी (Virtual Currency) है, आप केवल ऑनलाइन खरीददारी (Online Shopping) और लेनदेन के लिए इसका इस्तेमाल कर सकते हैं। इसे माइनिंग (Mining) द्वारा कमाया जाता है और इसे स्टोर करने के लिये बिटकॉइन वॉलेट (Bitcoin Wallet) की आवश्यकता होती है, इसे सातोशी नाकामोतो (Satoshi Nakamoto) ने बनाया था। आज 1 Bitcoin लगभग 427 अमेरिकी डॉलर (US Dollar) यानि लगभग 28000 भारतीय रुपया(Indian Rupee) के बराबर है। आपको जानकार आश्चर्य होगा कि वर्ष 2014 में 1 Bitcoin की कीमत 1000 अमेरिकी डॉलर से भी ऊपर चली गयी थी। बिटकॉइन के भुगतान के लिए क्रिप्टोग्राफी का इस्तेमाल किया जाता है।
What is Cryptography in Hindi - क्रिप्टोग्राफी क्या है
क्रिप्टोग्राफी एक प्रकार का कूट-लेखन (encode) है यानि जिसमें भेजे गये संदेश या बिटकॉइन या जानकारी को सांकेतिक शब्दों में बदलना होता है, जिससे उसे भेजने वाला या रिसिव करने वाला ही पढ जायें या खोल पायें, उदाहरण के लिये आपमें से जो लोग स्टेनोग्राफी (stenography) का एग्जाम (exam) की तैयारी कर रहे होगें उन्होंने शॉर्टहैंड (Shorthand) जरूर सीखा होगा, इसमें भी एेसा ही होता है कि आप शब्दों को अपने हिसाब से संकेतों में बदल देते हैं, जिससे या तो आप ही उसे पढ पाते हैं या दूसरा कोई व्यक्ति जो शॉर्टहैंड जानता हो, कुछ इसी तरह होती है क्रिप्टोग्राफी, इसमें भी बिटकॉइन के भुगतान हेतु कूट-लेखन द्वारा सुरक्षित किया जाता है।
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डिजिटल रुपया क्या है?
जबकि अधिकांश लोग यह देखने के लिए इंतजार कर रहे थे कि क्या क्रिप्टोक्यूरैंक्स बंद हो जाएंगे, ऐसा लगता है कि सरकार ने अपना डिजिटल रुपया स्थापित करके एक अलग दृष्टिकोण अपनाया है, जो बाद में 2022 और 2023 की शुरुआत में उपलब्ध होगा।
घोषणा, केंद्रीय करार दियाबैंक डिजिटल करेंसी (CBDC), का दावा है कि डिजिटल रुपया मुद्रा "डिजिटल को बढ़ावा देगी"अर्थव्यवस्थातो, डिजिटल करेंसी क्या है, यह कैसे काम करती है, और यह बिटकॉइन जैसी अन्य क्रिप्टोकरेंसी से कैसे भिन्न है? आपके लिए चीजों को समझना आसान बनाने के लिए, इस लेख में सब कुछ संक्षेप में कवर किया गया है।
डिजिटल रुपया क्या है?
डिजिटल रुपया अनिवार्य रूप से पारंपरिक मुद्रा का एक डिजिटल संस्करण है जिसका लोग दैनिक उपयोग करते हैं। आप पैसे को सुरक्षित डिजिटल फॉर्मेट में रख सकते हैं। यह ब्लॉकचेन तकनीक पर आधारित है (रुपये में एक क्रिप्टोकरेंसी की तरह), जो मुद्रा रखरखाव की लागत को कम करता है और सरकार को भविष्य में कम नोट बनाने की अनुमति देता है।
चूंकि मुद्रा डिजिटल है, इसलिए इसका जीवनकाल बढ़ाया जाता है क्योंकि डिजिटल संस्करण नष्ट या खो नहीं सकते हैं।
सीबीडीसी क्या है?
भारतीय रिजर्व बैंक ने कानूनी धन के रूप में CBDC, या सेंट्रल बैंक डिजिटल मुद्रा जारी की है। CBDC किसी देश की आधिकारिक मुद्रा का एक डिजिटल टोकन डिजिटल करेंसी और क्रिप्टो करेंसी में अंतर डिजिटल करेंसी और क्रिप्टो करेंसी में अंतर या इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड है जो एक विनिमय माध्यम, खाता इकाई, मूल्य स्टोर और आस्थगित भुगतान मानक के रूप में कार्य करता है। सीबीडीसी एक केंद्रीय बैंक द्वारा जारी एक मुद्रा प्रकार है जो आरबीआई की वेबसाइट के अनुसार कागजी नकदी से अलग है। यह इलेक्ट्रॉनिक मोड में संप्रभु मुद्रा है, और यह केंद्रीय बैंक के पर दिखाई देगाबैलेंस शीट एक दायित्व के रूप में। CBDC को तब नकद में बदला जा सकता है।
डिजिटल रुपये का कार्य
भले ही डिजिटल रुपया ब्लॉकचेन तकनीक से संचालित होगा, लेकिन इसे एक केंद्रीय निकाय द्वारा प्रबंधित और देखरेख किया जाएगा, जो विभिन्न कारकों के कारण मुद्रा अस्थिरता से बच जाएगा।
जैसा कि डिजिटल रुपया एक अन्य प्रकार का फिएट मुद्रा है, यह डिजिटल भुगतान को नई ऊंचाइयों पर ले जाने की संभावना है। भारतीय रुपये में 1 क्रिप्टोकरेंसी एक आरबीआई डिजिटल रुपया होगा।
CBDC वर्तमान में एक प्रचार क्यों है?
निम्नलिखित कारणों से CBDC को अपनाना आवश्यक है:
- कागजी मुद्रा के घटते उपयोग का सामना करते हुए, केंद्रीय बैंक मुद्रा के अधिक उपयुक्त इलेक्ट्रॉनिक रूप को लोकप्रिय बनाने का प्रयास करते हैं
- केंद्रीय बैंक डिजिटल मुद्राओं के लिए जनता की आवश्यकता को समायोजित करने का प्रयास कर रहे हैं, जैसा कि निजी आभासी मुद्राओं के बढ़ते उपयोग से पता चलता है
- ये बैंक ऐसी निजी मुद्राओं के अधिक हानिकारक प्रभावों से भी बच रहे हैं
डिजिटल रुपया सिक्का और क्रिप्टोकरेंसी के बीच अंतर
डिजिटल रुपया कई मायनों में क्रिप्टोकरेंसी से अलग है, जो इस प्रकार है:
फ़ैक्टर भेदभाव का | cryptocurrency | डिजिटल रुपया |
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विकास और संचालन | क्रिप्टोक्यूरेंसी एक ब्लॉकचेन-आधारित, पूरी तरह से विकेन्द्रीकृत संपत्ति और एक व्यापार माध्यम है। हालांकि, इसकी विकेन्द्रीकृत प्रकृति के कारण विवाद छिड़ गया है, जिसका अर्थ है कि यह बैंकों, वित्तीय संगठनों या केंद्र सरकारों जैसे किसी भी बिचौलियों का उपयोग किए बिना संचालित होता है। | इसके विपरीत, डिजिटल रुपया आरबीआई में क्रिप्टोकुरेंसी की सभी विशेषताएं हैं। यह ब्लॉकचेन तकनीक पर बनाया गया है और इसका उद्देश्य भौतिक मुद्रा की भविष्य की जरूरतों को खत्म करना है। एक डिजिटल रुपया एक केंद्रीकृत वातावरण में काम करता है |
सरकार और सरकारी संगठनों का प्रभाव | यह सरकारी प्रभाव या हेरफेर से अप्रभावित है। इसका मूल्य भी नि:शुल्क स्थापित किया जाता है-मंडी बलों और किसी भी वस्तु से संबंधित नहीं है | जब डिजिटल रुपये की बात आती है, तो आरबीआई प्रभारी होगा, क्योंकि यह कुछ अन्य बैंकिंग संस्थानों के साथ अपना नेटवर्क स्थापित करेगा। नतीजतन, डिजिटल रुपये की नेटवर्क पहुंच स्थानीय निकायों और संस्थानों तक सीमित है |
मूल्य निर्धारण | क्रिप्टोकरेंसी के मूल्य सरकार या केंद्रीय बैंक द्वारा समर्थित नहीं हैं | डिजिटल रुपये की कीमत आरबीआई की भौतिक नकदी के डिजिटल समकक्ष होगी और इस प्रकार सरकार द्वारा समर्थित होगी। यह एक भौतिक रुपया समकक्ष रखने के बराबर होगा। यह फिएट मुद्रा (सरकार द्वारा जारी धन) की तरह ही काम करता है और मौजूदा नकदी के लिए एक-एक के लिए कारोबार किया जा सकता है |
कानून बनाना | क्रिप्टोकरेंसी को नहीं माना जाएगाकानूनी निविदा भारत में कभी भी जल्द ही | RBI की डिजिटल मुद्रा कानूनी नकदी बन सकती है |
एक डिजिटल रुपये की आवश्यकता
डिजिटल रुपया पेश करने के आरबीआई के फैसले का एक प्रमुख कारण यह है कि भारत आभासी मुद्रा की दौड़ में पीछे नहीं रहना चाहता। सरकार के अनुसार, आभासी मुद्रा यहां रहने के लिए होगी।
आप इसे पसंद करें या न करें, इसे नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता है। इस बात से इनकार करने के बजाय कि आभासी मुद्रा मौजूद है, सरकार ने अपना खुद का निर्माण करना चुना है। सामान्य रुपये के विपरीत, डिजिटल रुपये को स्थानांतरित करने के लिए आपको बैंक खाते की आवश्यकता नहीं होगी।
आप इसे तुरंत दूसरे व्यक्ति के डिजिटल रुपया वॉलेट में भेज पाएंगे क्योंकि यह ब्लॉकचेन पर आधारित होगा।
डिजिटल रुपया बनाम नियमित रुपया
डिजिटल रुपये को मुद्रा के रूप में गिना जाएगा। यह कम भौतिक नकद नोटों को छापने और जालसाजी को कम करने में सरकार की सहायता करेगा। यह एक अधिक कुशल और लागत प्रभावी मुद्रा प्रबंधन प्रणाली के विकास में सहायता करेगा।
इंटरनेट लेनदेन के लिए, मानक रुपये के विपरीत, डिजिटल रुपये को बैंक बिचौलिए के उपयोग की आवश्यकता नहीं होगी। लेनदेन को प्रेषक और प्राप्तकर्ता दोनों द्वारा ब्लॉकचेन के माध्यम से पूरा किया जा सकता है, जिसमें आरबीआई गारंटी के रूप में कार्य करता है।
डिजिटल रुपये की कमियां
यदि आप डिजिटल रुपये का उपयोग करते हैं तो हमेशा पैसे की कमी रहेगी। सरकार को पता चल जाएगा कि आपने इसके कारण पैसा कहां और कैसे खर्च किया। गोपनीयता की चिंता भी होगी डिजिटल करेंसी और क्रिप्टो करेंसी में अंतर क्योंकि इसमें शामिल लोगों के वित्तीय लेनदेन का खुलासा और शोषण किया जा सकता है। इसके अलावा, बैंकों के पास उधार देने के लिए कम पैसा हो सकता है क्योंकि डिजिटल मुद्रा सीधे आरबीआई द्वारा अंतिम उपयोगकर्ता को जारी की जाएगी।
निष्कर्ष
डिजिटल रुपये का उपयोग वास्तविक दुनिया में विभिन्न तरीकों से किया जा सकता है, जिसमें सब्सिडी के लिए प्रोग्राम योग्य भुगतान और वित्तीय संस्थानों द्वारा तेजी से उधार और भुगतान शामिल हैं। जल्द ही, कैशलेस अर्थव्यवस्था में एक व्यावहारिक बदलाव हो सकता है जो कैशलेस भुगतान के लिए सरकार के जोर को बढ़ावा देगा और बैंकिंग क्षेत्र पर सकारात्मक प्रभाव डालेगा।
जैसे-जैसे डिजिटल रुपये का उपयोग बढ़ता है, यह सीमा पार प्रेषण जैसी चीजों में सुधार कर सकता है। इंटरऑपरेबिलिटी के लिए एक वातावरण बनाया जा सकता है, जिससे तेजी से रीयल-टाइम ट्रांसमिशन की अनुमति मिलती है।
भारत में प्राइवेट ‘क्रिप्टोकरेंसी’ पर लगेगी रोक, मंत्रियों की समिति ने की सिफारिश
क्रिप्टोकरेंसी एक डिजिटल करेंसी है. यह करेंसी कंप्यूटर एल्गोरिदम पर आधारित है. केंद्र सरकार ने 02 नवंबर 2017 को आर्थिक मामलों के सचिव की अगुवाई में एक अंतर मंत्रालयी समिति गठित की थी.
आर्थिक मामलों के सचिव की अगुवाई वाले एक अंतर मंत्रालयी समूह ने हाल ही में देश में निजी आभासी मुद्रा (क्रिप्टोकरेंसी) को प्रतिबंधित करने का सुझाव दिया है. अंतर मंत्रालयी समूह ने देश में क्रिप्टोकरेंसी से संबंधित किसी भी तरह की गतिविधि हेतु जुर्माना लगाने की भी सिफारिश की है.
अंतर मंत्रालयी समूह ने इसके साथ ही एक आधिकारिक डिजिटल मुद्रा पेश करने का भी सुझाव दिया है. समूह ने कहा है कि इस डिजिटल मुद्रा का भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) द्वारा उचित तरीके से नियमन भी किया जाना चाहिए. यह कानून बनने पर क्रिप्टोकरेंसी में किसी भी तरीके का लेन-देन या निवेश अपराध होगा और दोषी व्यक्ति को दस साल के कारावास की सजा और 25 करोड़ रुपये तक का जुर्माना देना होगा.
डिजिटल करेंसी और क्रिप्टो करेंसी में अंतर अंतर मंत्रालयी समिति का गठन
केंद्र सरकार ने 02 नवंबर 2017 को आर्थिक मामलों के सचिव की अगुवाई में एक अंतर मंत्रालयी समिति गठित की थी. इस समिति को आभासी मुद्रा से संबंधित मुद्दों पर अध्ययन करने और इसके लिए कार्रवाई पर भी सुझाव देने का काम दिया गया. समिति के अन्य सदस्यों में इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी सचिव, सेबी के चेयरमैन और रिजर्व बैंक के डेप्युटी गवर्नर शामिल हैं.
क्रिप्टोकरेंसी क्या है?
क्रिप्टोकरेंसी एक डिजिटल करेंसी है. यह करेंसी कंप्यूटर एल्गोरिदम पर आधारित है. इसका इस्तेमाल शॉपिंग या कोई सर्विस खरीदने हेतु किया जा सकता है. यह स्वतंत्र मुद्रा है जिसका कोई मालिक नहीं है. सबसे पहले क्रिप्टोकरेंसी की शुरुआत साल 2009 में हुई थी. बिटकॉइन सबसे पहली क्रिप्टोकरेंसी थी.
प्रतिबंध और जुर्माना लगाने का भी सुझाव
अंतर मंत्रालयी समूह द्वारा जारी एक आधिकारिक बयान में कहा गया है कि निजी क्रिप्टोकरेंसी से जुड़े जोखिमों, उनके मूल्य में उतार-चढ़ाव के मद्देनजर इसे प्रतिबंध लगाने की सिफारिश की गयी है. समूह ने साथ ही देश में क्रिप्टोकरेंसी से संबंधित किसी भी तरह की गतिविधि के लिए जुर्माना लगाने का भी सुझाव दिया है.
जून 2019 में एक रिपोर्ट आई थी कि भारत में डिजिटल करेंसी क्रिप्टोकरेंसी पर प्रतिबंध है और आधिकारिक डिजिटल मुद्रा विधेयक, 2019 के ड्राफ्ट के प्रस्ताव के तहत देश में क्रिप्टोकरेंसी की खरीद-बिक्री करने वालों को दस साल की जेल की सजा मिलेगी.
डीएलटी का इस्तेमाल
समिति ने देश में डीएलटी (डिस्ट्रीब्यूटेड लेजर टेक्नॉलाजी) के इस्तेमाल के लिए विशेष रूप से वित्तीय सेवाओं सहित इसके विभिन्न एप्लिकेशंस का भी सुझाव दिया है. डीएलटी आधारित प्रणाली का इस्तेमाल बैंकों और अन्य वित्तीय संस्थानों द्वारा ऋण जारी करने की निगरानी प्रक्रिया, रेहन प्रबंधन, धोखाधड़ी को पकड़ने और बीमा क्षेत्र में दावों के प्रबंधन हेतु किया जा सकता है.
क्रिप्टोकरेंसी पर अनुराग ठाकुर का बड़ा बयान, कहा- 'ब्लॉकचेन है उभरती हुई तकनीक'
अनुराग ठाकुर ने ब्लॉकचेन को उभरती हुई तकनीत बताते हुए कहा कि हमें नए विचारों को खुले मन से मूल्यांकन और प्रोत्साहित करना चाहिए।
केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री अनुराग ठाकुर ने क्रिप्टोकरेंसी को लेकर बड़ा बयान दिया है। वित्त राज्य मंत्री अनुराग ठाकुर ने ब्लॉकचेन को उभरती हुई तकनीत बताते हुए कहा कि हमें नए विचारों को खुले मन से मूल्यांकन और प्रोत्साहित करना चाहिए।
उन्होंने कहा कि 'ब्लॉकचेन एक नई उभरती तकनीक है। Cryptocurrency डिजिटल मुद्रा का एक रूप है। मेरा दृढ़ विश्वास है कि हमें हमेशा खुले विचारों के साथ नए विचारों का मूल्यांकन, अन्वेषण और प्रोत्साहन करना चाहिए।'
Blockchain is a new emerging technology. Cryptocurrency is a form of digital currency. I firmly believe that we must always evaluate, explore and encourage new ideas with an open mind: MoS Finance Anurag Thakur on cryptocurrency
उन्होंने कहा कि 'एक उच्च स्तरीय अंतर-मंत्रालयी समिति (High-Level Inter-Ministerial Committee) का गठन किया गया था। सरकार समिति की सिफारिशों और विधायी डिजिटल करेंसी और क्रिप्टो करेंसी में अंतर प्रस्तावों पर निर्णय लेगी, यदि कोई होगा तो, उसे उचित प्रक्रिया के बाद संसद में पेश किया जाएगा।'
बता दें कि इससे पहले अनुराग ठाकुर ने बजट सत्र के दौरान कहा था कि केंद्र सरकार क्रिप्टोकरेंसी के संबध में जल्द ही एक विधेयक लाएगी। इस दौरान उन्होंने कहा था कि नियामक संस्थाएं जैसे RBI और SEBI के पास क्रिप्टोकरेंसी को सीधे तौर पर रेगुलेट करने के लिए कोई कानूनी व्यवस्था मौजूद नहीं है। क्योंकि वे पहचान किए जा सकने वाले यूजर्स द्वारा जारी करेंसी, मुद्रा, सिक्योरिटी या कमोडिटी नहीं हैं।
वहीं कुछ दिन पहले वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने क्रिप्टोकरेंसी ‘हमारा इस बारे में RBI के साथ विचार-विमर्श चल रहा है। इस बारे में जब चीजें ठीक होंगी, हम ऐलान करेंगे, लेकिन हम इसपर काम कर रहे हैं।’
डिजिटल करेंसी और क्रिप्टो करेंसी में अंतर
RBI डिजिटल रुपया “सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (CBDC)” क्या है?
- Post author: धन महोत्सव
- Post category: फाइनेंस
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ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी ने कैशलेस और डिजिटल करेंसी के स्वरूप को पूरी तरह से बदल दिया है। जिसके माध्यम से एटीएम, यूपीआई और डिजिटल पेमेंट के अलावा एक नई करेंसी डिजिटल करेंसी और क्रिप्टो करेंसी में अंतर का जन्म हुआ है जिसे हम क्रिप्टोकरेंसी कहते हैं।
RBI डिजिटल रुपया “सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (CBDC)” क्या है?
क्रिप्टोकरेंसी ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी पर आधारित होने के कारण इसे किसी के द्वारा नियंत्रित नहीं किया जा सकता है यानी यह डिसेंट्रलाइज है। इस कारण से, क्रिप्टोकरेंसी की लोकप्रियता को ध्यान में रखते हुए, भारत सरकार ने एक डिजिटल मुद्रा लॉन्च करने का विचार किया, जिसे सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (CBDC)” के रूप में जाना जाएगा।
यह डिजिटल मुद्रा या रुपया पैसों का एक इलेक्ट्रॉनिक रूप है, जिसका उपयोग ब्लॉकचेन तकनीक के माध्यम से संपर्क रहित लेनदेन करने के लिए किया जाएगा।
केंद्रीय बजट 2022 में, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने घोषणा की है कि भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) जल्द ही अपनी खुद की डिजिटल करेंसी लॉन्च करेगा जिसे सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (CBDC) के रूप में जाना जाएगा।
एक ऐसी करेंसी जो पूरी तरह से डिजिटल होगी इसे वर्चुअल करेंसी या वर्चुअल मनी भी कहा जा सकता है क्योंकि यह आपके वॉलेट या हाथ में नहीं दिखेगी लेकिन काम वर्तमान फिजिकल करेंसी जैसा करेंगी।
वर्तमान फिजिकल करेंसी या मनी को फिएट करेंसी (Fiat Currency) कहा जाता है, लेकिन भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) द्वारा जारी सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (CBDC) डिजिटल रूप में कानूनी रूप से मान्यता प्राप्त एक डिजिटल मुद्रा होगी। यह एक फिएट मुद्रा के समान है जिसे डिजिटल करेंसी और क्रिप्टो करेंसी में अंतर सरकार द्वारा जारी किया जाता है।
डिजिटल रुपया क्रिप्टोकरेंसी से कैसे अलग है?
आरबीआई की डिजिटल मुद्रा और क्रिप्टोकरेंसी के बीच मुख्य अंतर यह है कि आरबीआई द्वारा जारी डिजिटल मुद्रा को केंद्रीकृत किया जाएगा यानी इस पर भारत सरकार पर पूर्ण नियंत्रण होगा। जबकि, क्रिप्टो ब्लॉकचेन तकनीक पर आधारित एक विकेन्द्रीकृत मंच है जिसे किसी के द्वारा नियंत्रित नहीं किया जा डिजिटल करेंसी और क्रिप्टो करेंसी में अंतर सकता है।
डिजिटल रुपये को बिटकॉइन, एथेरियम और अन्य क्रिप्टोकरेंसी से इस मायने में अलग माना जाएगा कि यह सरकार द्वारा समर्थित है, इसलिए इस डिजिटल रुपये को भौतिक रुपये के बराबर डिजिटल करेंसी और क्रिप्टो करेंसी में अंतर माना जाएगा।
डिजिटल रुपया एक वैध मुद्रा मानी जाएगी जबकि बिटकॉइन और अन्य क्रिप्टोकरेंसी को आभासी संपत्ति यानी virtual assets मान लिया गया है, जिसका अर्थ है कि इन मुद्राओं को कानूनी निविदा (Legal Tender) के रूप में स्वीकार नहीं किया जाएगा।
क्या क्रिप्टोकरेंसी पर लगाए गए 30% टैक्स में डिजिटल रुपया शामिल है?
नहीं, आरबीआई डिजिटल रुपया यानी सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (CBDC) 30% टैक्स से मुक्त है। इसके विपरीत, किसी भी प्रकार की क्रिप्टोकरेंसी से कमाई पर 30% कर लगाया जाएगा।
सरकार ने टैक्स लगाकर इनडायरेक्ट (अप्रत्यक्ष) रूप से भारत में क्रिप्टोकरंसी को मान्यता प्रदान कर दी है।
अगर आप किसी भी तरह की क्रिप्टोकरेंसी से कमाई कर रहे हैं तो आप 30% टैक्स देकर इसे व्हाइट मनी में बदल सकते हैं।
केंद्रीय बैंक की डिजिटल मुद्राएं दो रूपों में आती हैं: 1. थोक सीबीडीसी (Wholesale CBDCs) और 2. खुदरा सीबीडीसी (Retail CBDCs)।
थोक सीबीडीसी केंद्रीय बैंक के भंडार की तरह हैं। केंद्रीय बैंक इसका उपयोग धन जमा करने या अंतरबैंक हस्तांतरण को निपटाने के लिए करेंगा।
खुदरा सीबीडीसी केवल उपभोक्ताओं और कंपनियों की ओर से संस्थागत सरकार समर्थित डिजिटल मुद्राओं के समान हैं। खुदरा सीबीडीसी मध्यस्थ जोखिम को खत्म करेंगे।
RBI ब्लॉकचेन तकनीक और अन्य उपकरणों का उपयोग करके एक भारतीय आभासी मुद्रा (Indian virtual currency) जारी करेगा। भारत में लगभग 20 मिलियन क्रिप्टोकरेंसी निवेशक हैं।
चूंकि भारतीय क्रिप्टो बाजार आधिकारिक तौर पर विनियमित नहीं है, इसलिए डिजिटल संपत्ति की बिक्री से होने वाले नुकसान की भरपाई राजस्व के अन्य स्रोतों से नहीं की जा सकती है।
आरबीआई की यह डिजिटल करेंसी डिजिटल इकॉनमी को बड़ा बढ़ावा देगी। इसके अलावा, भारतीय वर्चुअल करेंसी अधिक कुशल और लागत प्रभावी होने के कारण मुद्रा प्रबंधन प्रणाली अधिक मजबुत होगी।
आने वाले वर्षों में, आप क्रिप्टोकरेंसी की तरह ही भारतीय डिजिटल मुद्रा में लेनदेन करके भारी मुनाफा कमा सकते हैं। इस मुद्रा को आरबीआई द्वारा नियंत्रित किया जाएगा, इसलिए यहां निवेशकों का जोखिम कम होगा।
वहीं, क्रिप्टोकरेंसी में निवेशकों का सौ फीसदी जोखिम होता है, इसमें सरकार की कोई भूमिका नहीं होती है, इसलिए केंद्रीय बैंक द्वारा जारी की गई यह मुद्रा निवेशकों के लिए काफी फायदेमंद होगी।