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इन्वेस्टमेंट प्लान्स के उद्देश्य

इन्वेस्टमेंट प्लान्स के उद्देश्य

IDFC म्यूचुअल फंड ने शुरू किया ‘SIP in Fixed Income’ अभियान

IDFC म्यूचुअल फंड ने SIFI अथवा SIP in Fixed Income’ नामक एक नया अभियान शुरू किया है। SIFI नामक नया कैंपेन निवेशकों को सिस्टेमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान्स के जरिए फिक्स्ड इनकम प्रॉडक्ट्स में निवेश के फायदों के बारे में जागरूक करने के लिए शुरू किया गया है।

SIFI बेहतर जोखिम-समायोजित रिटर्न दिलाने में मदद करेगा, और डेब्ट फंड SIP इक्विटी बाजारों में उच्च अस्थिरता के प्रभाव को कम करने में मदद कर सकता है, जिससे आवंटन को संतुलित किया जा सकता है। आईडीएफसी म्यूचुअल फंड की SIFI पहल का उद्देश्य निवेशकों को यह जानकरी देना है कि इक्विटी और डेट एसआईपी का संयोजन उन्हें कठिन समय में नेविगेट करने में कैसे मदद कर सकता है।

Mutual Funds: ये हैं पिछले 3 सालों में 110% से अधिक रिटर्न देने वाले बेस्ट SIP प्लान, जानें डिटेल

Mutual Funds: म्यूचुअल फंड में सिस्टमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान (SIP) के जरिए लोग निवेश करना अधिक पसंद कर रहे हैं. SIP के जरिए वह लोग भी बड़ा फंड बना सकते हैं जिनके पास निवेश के लिए बड़ी रकम नहीं है.

By: ABP Live | Updated at : 19 Dec 2021 11:59 AM (IST)

Edited By: Taruna

Mutual Funds: म्यूचुअल फंड (mutual fund) एक लोकप्रिय निवेश ऑप्शन बनता जा रहा है. खासकर म्यूचुअल फंड में सिस्टमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान (SIP) के जरिए लोग निवेश करना अधिक पसंद कर रहे हैं. SIP के जरिए वह लोग भी बड़ा फंड बना सकते हैं जिनके पास निवेश के लिए बड़ी रकम नहीं है. आज हम आपको शानदार रिटर्न देने वाली कुछ म्युचुअल फंड स्कीम्स के बारे में बताएंगे लेकिन उससे पहले जानते हैं कि यह सिप क्या है.

क्या है SIP

  • SIP में पैसा हर माह निवेश किया जाता है
  • SIP में निवेश कभी भी बंद किया जा सकता है, कभी घटाया या बढ़ाया जा सकता है
  • आप SIP बंद करने के बाद भी उसी स्कीम में निवेशित बने रह सकते हैं

आज हम आपको 3 बेहतरीन SIP म्यूचुअल फंड्स के बारे में बताने जा रहे हैं जिन्होंने पिछले तीन साल में भारी रिटर्न दिया है. इन स्कीमों को रेटिंग एजेंसी क्रिसिल द्वारा 5 स्टार भी हासिल है. जानते हैं इनके बारे में:-

Quant Tax Plan

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  • क्वांट टैक्स प्लान एक डायरेक्ट प्लान है, जो ELSS कैटेगरी के अंतर्गत आता है. इसका मतलब है कि ये फंड आपको टैक्स बचत की पेशकश करेगा. हालांकि इसमें 3 साल की लॉक-इन अवधि है.
  • पिछले 1 साल में फंड ने 27.18% रिटर्न दिया है, पिछले 2 साल में फंड ने 86.85% रिटर्न दिया है, पिछले 3 साल में फंड ने 110.92% रिटर्न दिया है, जबकि 5 साल का रिटर्न 135.81% रहा है.

Kotak Small Cap Fund

  • कोटक स्मॉल कैप फंड एक डायरेक्ट प्लान है. हालांकि यह एक स्मॉल कैप फंड है. स्मॉल कैप फंड्स को लेकर निवेशक आमतौर पर स्कीम की सिक्योरिटी के मुद्दे को लेकर संशय में रहते हैं.
  • पिछले 1 साल में फंड ने 29.95% रिटर्न दिया है, पिछले 2 वर्ष में फंड ने 88.73% रिटर्न दिया है, पिछले 3 साल में फंड ने 110.30% रिटर्न दिया है, जबकि 5 साल का रिटर्न 123.23% रहा है.

Quant Small Cap

  • क्वांट स्मॉल कैप एक डायरेक्ट प्लान है, यह भी स्मॉल-कैप कैटेगरी में आता है.
  • पिछले 1 साल में फंड ने 35.28% रिटर्न दिया है, पिछले 2 साल में फंड ने 123.88% रिटर्न दिया है, पिछले 3 सालों में फंड ने 150.59% रिटर्न दिया है, जबकि 5 साल का रिटर्न 158.85% रहा है.

ये अंतिम दो फंड पहले वाले की तुलना में अधिक जोखिम भरे प्लान हैं क्योंकि ये स्मॉल-कैप फंड हैं. इन फंडों की सिफारिश उन निवेशकों के लिए की जाती है जिनके पास बेहतर जोखिम लेने की क्षमता है, क्योंकि ये फंड किसी भी समय बहुत अस्थिर हो सकते हैं.

(यहां ABP News द्वारा किसी भी फंड में निवेश की सलाह नहीं दी जा रही है. यहां दी गई जानकारी का सिर्फ़ सूचित करने का उद्देश्य है. म्यूचुअल फंड निवेश बाज़ार जोखिम के अधीन हैं, योजना संबंधी सभी दस्तावेज़ों को सावधानी से पढ़ें. योजनाओं की NAV, ब्याज दरों में उतार-चढ़ाव सहित सिक्योरिटी बाज़ार को प्रभावित करने वाले कारकों व शक्तियों के आधार पर ऊपर-नीचे हो सकती है. किसी म्यूचुअल फंड का पूर्व प्रदर्शन, आवश्यक रूप से योजनाओं के भविष्य के प्रदर्शन का परिचायक नहीं हो सकता है. म्यूचुअल फंड, किन्हीं भी योजनाओं के अंतर्गत किसी लाभांश की गारंटी या आश्वासन नहीं देता है और वह वितरण योग्य अधिशेष की उपलब्धता और पर्याप्तता से विषयित है. निवेशकों से सावधानी के साथ विवरण पत्रिका (प्रॉस्पेक्टस) की समीक्षा करने और विशिष्ट विधिक, कर तथा योजना में निवेश/प्रतिभागिता के वित्तीय निहितार्थ के बारे में विशेषज्ञ पेशेवर सलाह को हासिल करने का अनुरोध है.)

Published at : 19 Dec 2021 11:59 AM (IST) Tags: Mutual Funds SIP mutual funds in India हिंदी समाचार, ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें abp News पर। सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट एबीपी न्यूज़ पर पढ़ें बॉलीवुड, खेल जगत, कोरोना Vaccine से जुड़ी ख़बरें। For more related stories, follow: Business News in Hindi

इन्वेस्टमेंट प्लान्स के उद्देश्य

पैसा बनाने के 10 टिप्स

हर कोई चाहता है कि उसके पास एक अच्छा-खासा फंड हो ताकि जिंदगी की जरूरतों को आराम से पूरा किया जा सके. इसके लिए आज के दौर में कई लोग अपने पैसों को घर में या बैंक अकांउट में यूं ही पड़ा रहने के बजाय उसे इन्वेस्ट करना बेहतर समझते हैं. लेकिन इन्वेस्टमेंट करते वक्त भी कुछ बातों का ध्यान रखना बेहद जरूरी है क्योंकि अनजाने में की गईं गलतियां मेहनत से कमाया पैसा डुबा सकती हैं. आइए आपको बताते हैं ​ऐसी ही 10 बातों के बारे में-

1. निवेश के उद्देश्य को लेकर हों स्पष्ट

कहीं भी पैसा लगाने से पहले यह इस बात को लेकर स्पष्ट हो जाना चाहिए कि आप किस उद्देश्य से इन्वेस्ट करना चाहते हैं. क्या यह होम लोन की जरूरत को लेकर है या फिर भविष्य के खर्चों की पूर्ति के लिए? अगर इन्वेस्टर एक बार अपने निवेश उद्देश्य को लेकर स्पष्ट हो जाए तो वह टार्गेट रिटर्न, टाइम हॉरिजन और जोखिम जैसे अन्य महत्वपूर्ण फैक्टर्स के बीच चुनाव ज्यादा अच्छे से कर सकता है.

2. इन्वेस्टमेंट प्लान की सही समझ जरूरी

इन्वेस्टमेंट एक झटके में नहीं होता है. इसके लिए सही प्लानिंग और अनुशासन भरी कोशिश की जरूरत होती है. अच्छा रिटर्न पाने के लिए यह मायने नहीं रखता कि कोई कितना बड़ा या छोटा अमाउंट इन्वेस्ट कर रहा है, बल्कि मुख्य जरूरत होती है कि जिस प्लान में इन्वेस्ट करना चाहते हैं उसकी स्पष्ट समझ हासिल की जाए. इसलिए निवेश से पहले अच्छी तरह से रिसर्च करें और उन प्लान्स पर टिके रहें, जो आपको पूरी तरह स्पष्ट हों.

3. एक ही प्लान में न लगाएं सारा फंड

इन्वेस्टमेंट स्ट्रेटेजी के मामले में विभाजन कामयाबी का मंत्र है. किसी को भी अपना पूरा फंड एक ही प्लान में नहीं लगा देना चाहिए. इन्वेस्टर को निवेश किए जा सकने वाले विभिन्न सेक्टर्स की स्टडी करनी चाहिए और उसके बाद विभिन्न आॅप्शंस में अपने फंड का एक निश्चित हिस्सा लगाना चाहिए. डायवर्सिफाइड पोर्टफोलियो पूरा पैसा डूबने के जोखिम को कम कर देता है.

4. केवल सुनी हुई बातों पर यकीन कर न करें इन्वेस्ट

ट्रेडिंग मार्केट में सच से ज्यादा प्रचार चलता है. लोग दूसरों के कहे पर यकीन कर बिना पूरी रिसर्च किए प्लान्स में इन्वेस्ट कर देते हैं. जबकि सही तो यह है कि किसी के भी कहे—सुने पर यकीन करने के बजाय प्लान्स के बारे में रिसर्च की जाए और अफवाहों व प्रचारों को लेकर अलर्ट रहा जाए.

5. कोई नहीं जान सकता मार्केट की टाइमिंग

स्टॉक मार्केट अस्थिर है, इसमें उतार—चढ़ाव लगा रहता है और कोई भी इसके बारे में सटीक भविष्यवाणी नहीं कर सकता. हालांकि कुछ लोग सही अंदाज लगा लेते हैं लेकिन ऐसा केवल एक या दो बार सही हो सकता है, हर बार नहीं. ज्यादातर इन्वेस्टर्स मानते हैं कि वे सही समय पर मार्केट के उतार—चढ़ाव का सही और वक्त पर पता लगा सकते हें लेकिन मार्केट की टाइमिंग का पता रहना केवल एक मिथ है.

6. इन्वेस्टमेंट में भी अनुशासन जरूरी

जिस तरह जिंदगी में अनुशासन होना जरूरी है, उसी तरह इन्वेस्टमेंट में भी अनुशासन मायने रखता है. अच्छा रिटर्न देने के बावजूद स्टॉक मार्केट में इन्वेस्ट करने वालों की कमी है, जिसकी वजह इसका उतार—चढ़ाव है. हालांकि जिन इन्वेस्टर्स ने सिस्टेमेटिक अप्रोच के साथ पैसा लगाया है, उन्हें वक्त के साथ सही रिटर्न मिला है. इसलिए जरूरी है कि लॉन्ग टर्म सिनेरियो को ध्यान में रखने के अलावा धैर्य के साथ ​अनुशासनात्मक इन्वेस्टमेंट अप्रोच को फॉलो किया जाए.

7. फैसलों पर इमोशंस को न होने दें हावी

स्टॉक मार्केट में इमोशंस के लिए जगह नहीं है, विशेषकर डर और लालच के लिए. ऐसे कई मामले हुए, जब इमोशंस पर कंट्रोल न कर पाने के ​चलते कई इन्वेस्टर्स को मोटा नुकसान उठाना पड़ा. यह सच है कि कम समय में छोटे इन्वेस्टमेंट का बड़ा रिटर्न पाने की कहानियां सुनने के बाद एक झटके में पैसा बनाने की ललक से दूर नहीं रहा जा सकता है. इसके चलते इन्वेस्टर्स बिना ज्यादा सोचे इन्वेस्टमेंट प्लान्स के उद्देश्य अनजान शेयरों को खरीद लेते हैं और बाद में मार्केट का रुख बदलते ही उन्हें नुकसान उठाना पड़ता है. इसलिए यह सलाह दी जाती है कि अच्छा रिटर्न पाने के लिए अटकलों को न मानकर सही रिसर्च के साथ स्टॉक चुने जाएं.

8. अव्यावहारिक रिटर्न की न रखें चाहत

निवेश से अच्छा रिटर्न पाने की चाहत गलत नहीं है लेकिन जो संभव न हो यानी अव्यावहारिक रिटर्न पाने की आशा गलत है. कई स्टॉक मार्केट स्टडीज दर्शाती हैं कि 12 फीसदी से ज्यादा रिटर्न अलार्म है कि आगे मार्केट गिरने वाला है. ऐसे में होने वाला नुकसान अर्निंग से कहीं ज्यादा होगा.

9. कभी न लगाएं जरूरत का पैसा

​इन्वेस्टमेंट के लिए कभी भी अपनी जरूरत का पैसा इस्तेमाल नहीं करना चाहिए. हमेशा अतिरिक्त पैसे को ही इन्वेस्ट करना चाहिए. स्टॉक मार्केट के मामले में यह जरूरी नहीं है कि अगर आज नुकसान नहीं हो रहा है तो आगे भी कभी नहीं होगा. इसलिए सलाह दी जाती है कि अतिरिक्त फंड ही इन्वेस्ट करें ताकि अगर कभी नुकसान उठाना पड़े तो भी आपकी जिंदगी सही तरीके से चलती रहे. हालांकि नुकसान के बजाय प्रॉफिट भी हो सकता है, इसलिए जोखिम लें लेकिन संभलकर.

10. अपडेट रहना और मार्केट पर नजर रखना जरूरी

​आज के दौर में विश्व के सभी राष्ट्रों के मार्केट अपनी-अपनी बाउंड्री तोड़कर एक साथ आ रहे हैं और मिलकर एक ग्लोबल विलेज तैयार कर रहे हैं. ऐसे में विश्व के किसी भी हिस्से में घटित कोई भी घटना या कोई भी महत्वपूर्ण ईवेंट, हर देश के फाइनेंशियल मार्केट को काफी ज्यादा प्रभावित करता है. इसलिए जरूरी है कि सभी ग्लोबल ईवेंट्स को लेकर अपडेट रहा जाए और पोर्टफोलियो को लगातार मॉनिटर किया जाए. अगर आप खुद से पोर्टफोलियो का रिव्यू नहीं कर सकते तो अच्छा रहेगा कि किसी फाइनेंशियल एडवायजर या प्लानर को हायर कर लिया जाए.

IDFC म्यूचुअल फंड ने शुरू किया ‘SIP in Fixed Income’ अभियान

IDFC म्यूचुअल फंड ने SIFI अथवा SIP in Fixed Income’ नामक एक नया अभियान शुरू किया है। SIFI नामक नया कैंपेन निवेशकों को सिस्टेमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान्स के जरिए फिक्स्ड इनकम प्रॉडक्ट्स में निवेश के फायदों के बारे में जागरूक करने के लिए शुरू किया गया है।

SIFI इन्वेस्टमेंट प्लान्स के उद्देश्य बेहतर जोखिम-समायोजित रिटर्न दिलाने में मदद करेगा, और डेब्ट फंड SIP इक्विटी बाजारों में उच्च अस्थिरता के प्रभाव को कम करने में मदद कर सकता है, जिससे आवंटन को संतुलित किया जा सकता है। आईडीएफसी म्यूचुअल फंड की SIFI पहल का उद्देश्य निवेशकों को यह जानकरी देना है कि इक्विटी और डेट एसआईपी का संयोजन उन्हें कठिन समय में नेविगेट करने में कैसे मदद कर सकता है।

म्यूचुअल फंड डिविडेंड स्कीम से दूर क्यों रहना चाहिए

Mutual Fund Dividends

वर्षों पहले जब मैंने पहला म्यूचुअल फंड इन्वेस्टमेंट किया था, तो वो मैंने अपने पैसे बढ़ाने के लिए किया था। तब, म्यूचुअल फंड एजेंट, जो ख़ुद को “सलाहकार” बताता था और बैंक में RM था, उसने मुझे “डिविडेंड” प्लान के बदले “ग्रोथ” प्लान चुनने की सलाह दी- क्योंकि “ग्रोथ” प्लान लॉन्ग टर्म इन्वेस्टर के लिए अनुकूल था, जबकि “डिविडेंड” प्लान उन लोगों के लिए ज़्यादा अनुकूल था जो नियमित डिविडेंड इंकम चाहते थे।

मैं इन्वेस्टमेंट प्लान्स के उद्देश्य ऐसा मानता था कि, म्यूचुअल फ़ंड्स के डिविड़ेंड प्लान में लगाया गया पैसा, डिविड़ेंड देने वाली कंपनियो में इन्वेस्ट किया जाता होगा और उन कंपनियो से मिला डिविड़ेंड हमें दिया जाता होगा। और फिर मुझे आश्चर्य होता था कि ज़्यादातर म्यूचुअल फंड कंपनीयाँ कैसे डिविड़ेंड दे पाती हैं! ज्यादातर भारतीय कंपनियाँ वार्षिक डिविड़ेंड देती है, तो म्यूचुअल फंड कम्पनियाँ हर तीन महीने में डिविड़ेंड कहाँ से देती है?

अभी मैं भारत में डिविड़ेंड इन्वेस्टमेंट की पॉलिसी पर रिसर्च कर रहा था – और इस दौरान मुझे पता चला कि इतने सालों के बाद भी, म्यूचुअल फंड डिविड़ेंड के बारे में और उसके काम के बारे में हम कुछ जानते ही नहीं है ं । आज भी, कई इन्वेस्टर यह सोचकर डिविड़ेंड प्लान चुनते हैं कि उन्हें ज़्यादा इंकम मिलेगी, लेकिन ऐसा शायद ही होता है।

इस लेख में उन सभी चीजों को शामिल किया गया है जो आपको म्यूचुअल फंड डिविड़ेंड के बारे में जाननी चाहिए।

म्यूचुअल फंड डिविडेंड की ज़रूरी बातें

  • भारतीय इन्वेस्टर को दी जाने वाली प्रत्येक इक्विटी ओरियंटेड म्यूचुअल फंड योजना में या तो ग्रोथ-प्लान या तो डिवीडेंड-प्लान का विकल्प होता है
    • डिविडेंड प्लान: इन्वेस्टर को निश्चित समय के बाद डिविड़ेंड मिलता है
    • ग्रोथ प्लान: कोई डिविडेंड नहीं दिया जाता है
    • फंड मैनेजर के पास डिविड़ेंड देना,न देना और कितना देना यह निर्णय लेने की अंतिम सत्ता होती है
      • फंड मैनेजर यह भी तय करता है कि आपको डिविड़ेंड देने के लिए ज़रूरत पड़ने पर किन शेर को बेचना है।
      • इस अमाउंट को म्यूचुअल फंड के रिझर्व से भी लिया जा सकता है, खासकर उन वर्षों में जब म्यूचुअल फंड ने उतनी अच्छी कमाई नहीं की हो।
      • म्यूचुअल फंड को डिविड़ेंड जारी करना ज़रूरी है, भले ही उसने नुकसान किया हो। क्योंकि ऐसा न करने पर कई इन्वेस्टर नाराज हो सकते है।

      डिविडेंड प्लान्स और डिविडेंड स्ट्रैटेजीज अलग-अलग चीज़ है

      • डिविड़ेंड प्लान में इन्वेस्ट करने का मतलब यह नहीं है कि वो पैसे म्यूचुअल फंड सिर्फ़ अच्छे डिविडेंड देने वाली कंपनियों / शेयरों में इन्वेस्ट करेंगे।
      • वास्तव में, केवल 6 म्यूचुअल फंड प्लान हैं जो कि ज़्यादा डिविडेंड देने वाली कंपनियों में इन्वेस्ट करते हैं। ये फंड SEBI की “इक्विटी: थिमेटिक – डिविडेंड यील्ड” केटेगरी में आते हैं, और ये म्यूचुअल फंड हैं : टेंपलटन इंडिया इक्विटी इंकम फंडऔर अन्य 5 डिविडेंड यील्ड इक्विटी फंड वाली आदित्य बिरला सन लाइफ, ICICI प्रूडेंशियल, IDBI, प्रिंसिपल, और UTI
      • ज़्यादातर म्यूचुअल फंड का मक्सद ज़्यादा डिविडेंड देने वाली कंपनियो को खोजने और उनमें इन्वेस्ट करना नहीं होता, बल्कि डिविडेंड प्लान का मक्सद सिर्फ़ कुछ रकम इन्वेस्टर को वापस करने का ही होता है।

      NAV पर डिविडेंड का प्रभाव

      • डिविडेंड देने के विभिन्न विकल्प पहले से तय होते हैं और इन्वेस्टर उनमें से चुन सकते हैं
      • क्वार्टरली(तीन महीने) और वार्षिक सबसे आम विकल्प हैं, हालांकि कई म्यूचुअल फंड में मासिक या अर्ध-वार्षिक(छह महीने) विकल्प भी उपलब्ध है
      • डिविडेंड देने के अलग-अलग प्लान में अलग-अलग NAV होती हैं, अर्थात यदि किसी में 4 डिविडेंड प्लान हैं, तो उन 4 प्लान में हर एक की अपनी अलग NAV होगी
      • इन्वेस्टर के खाते में जितना डिविडेंड इन्वेस्टमेंट प्लान्स के उद्देश्य जमा होता है, उतनी ही रक़म उस दिन उसकी NAV में से कम हो जाती है।
      • उदाहरण के लिए,यदि स्कीम में NAV Rs100 है और डिविडेंड Rs5 / यूनिट है, तो जिस दिन डिविडेंड दिया जाएगा, उसी दिन NAV Rs95 हो जाएगी

      स्टॉक डिविडेंड और NAV में फ़र्क़

      • जब कम्पनी स्टॉक पर डिविडेंड देती हैं, तो मार्केट इसे एक मजबूत संकेत मानता है कि कंपनी इतना अच्छा प्रोफ़िट कर रही है की जिससे कम्पनी खुद का विकास करने के बाद भी कुछ रक़म इन्वेस्टर को वापस भी दे रही है।
      • इससे होता यह है की जब कंपनियां डिविडेंड देती है तो आमतौर पर इस पोज़िटिव सिग्नल के कारण स्टॉक की क़ीमत डिविडेंड की रक़म जितनी कम नहीं होती है। स्टॉक डिविडेंड के सिग्नलिंग इफ़ेक्ट के बारे में ज़्यादा जानने के लिए , यह ब्लॉगपोस्ट देखें।
      • म्यूचुअल फंड के ऊपर, सिग्नलिंग इफ़ेक्ट लागू ही नहीं होता है।
        • डिविडेंड देने पर भी NAV नहीं बढ़ती है।
        • असल में, चूंकि डिविडेंड नहीं देने से अक्सर इन्वेस्टर नाराज़ हो जाते हैं, इसलिए कई म्यूचुअल फंड को मार्केट से मजबूरन केपीटल निकालनी पड़ती है, जबकी नहीं निकालने से और फ़ायदा हो सकता था।

        डबल टैक्सेशन

        • म्यूचुअल फंड में डिवीडेंड पर पहले से ही टैक्स (DDT) लग जाता है, बाद में नहीं लगता है।
        • यदि आप इन्वेस्टमेंट से निश्चित समय पर कुछ इंकम चाहते है, तो डिविडेंड प्लान के बजाय, ग्रोथ प्लान में इन्वेस्ट करके निश्चित समय पर पैसे निकालने की सिस्टम बना सकते हैं।
          • डिविडेंड के रूप में मिली हुई पूरी रक़म पर टैक्स (DDT) देने के बजाय, इस मामले में इन्वेस्टर को केवल प्रोफ़िट पर ही टैक्स देना पड़ता है।
          • म्यूचुअल फंड डिविडेंड पर टैक्स (DDT) लग जाएगा।
          • यदि इन्वेस्टर ख़ुद उसी स्टॉक में उतना ही इन्वेस्ट करता है तो डिवीडेंड पर 10 लाख से पहले कोई टैक्स नहीं लगेगा।

          निष्कर्ष

          • म्यूचुअल फंड डिविडेंड प्लान में आमतौर पर डिविडेंड से इंकम पाने पर ध्यान नहीं दिया जाता है। म्यूचुअल फंड ने पहले से लिखके दिया हो, तो ही उस पर ध्यान देते है।
          • इसके बजाय, म्यूचुअल फंड का ध्यान इन्वेस्टर को निश्चित समय पर निश्चित रक़म देने में ही होता है, न कि इंकम पर।
          • यदि इन्वेस्टमेंट का उद्देश्य निश्चित समय पर कुछ निश्चित पैसे निकालने का है तो यह डिविडेंड प्लान की तुलना में अधिक कर-कुशल तरीके से प्राप्त किया जा सकता है, जैसा कि ऊपर चर्चा की गई है।
          • दूसरी तरफ, यदि इंवेस्टमेंट से निश्चित इंकम पाने का उद्देश्य है तो फिर इन्वेस्टर को सीधे स्टॉक्स में इन्वेस्ट करना चाहिए।
          • उसके लिए ऐसी कंपनियो को खोजना चाहिए जो पहले से ही डिविडेंड देती हो/बढ़ाती आई हो।
          • यदि आपको यह मुश्किल लगता है या लगातार मार्केट रिसर्च करने और अपडेट रहने का समय नहीं है, तो हमने 4 अलग-अलग स्मॉलकेस बनाए हैं जो आपके लिए यह काम करके देते है ।

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          Investor + startup guy who loves to chase rooftop & sunset views. Go long and prosper! 🖖🏼

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