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रिटेल के अंदर

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क्यों इनफ्लेशन कंट्रोल में नहीं आया? RBI को सरकार को देना होगा इस सवाल का जवाब

इस साल अप्रैल में रिटेल इनफ्लेशन 7.79 फीसदी पर पहुंच गया था। यह रिटेल इनफ्लेशन का 95 महीनों का सबसे ज्यादा लेवल था। सरकार ने यह डेटा 12 मई को जारी किया था

इस रिपोर्ट को तैयार करनेके लिए जल्द मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी (MPC) की बैठक होगी। इसकी वजह यह है कि ऐसी रिपोर्ट डेटा आने के एक महीने के अंदर सरकार को भेजना जरूरी होता है।

कई महीनों तक इंतजार करने के बाद अब कहा जा सकता है कि इनफ्लेशन (Inflation) को कंट्रोल में करने में RBI नाकाम रहा है। सितंबर के रिटेल इनफ्लेशन (Retail Inflation) के डेटा 12 अक्टूबर को जारी किए गए। इससे इस बात की पुष्टि हो गई कि एवरेज रिटेल इनफ्लेशन लगातार तीन तिमाहियों में 2-6 फीसदी के आरबीआई के टारगेट से ज्यादा रहा है।

इस साल जनवरी-मार्च के दौरान एवरेज इनफ्लेशन 6.3 फीसदी रहा। अप्रैल-जून के दौरान 7.3 फीसदी रहा। जुलाई-सितंबर के दौरान 7 फीसदी रहा। अब RBI को इस बारे में केंद्र सरकार को रिपोर्ट पेश करने होगी। उसे बताना होगा कि किन वजहों से इनफ्लेशन को काबू में नहीं किया जा सका। केंद्रीय बैंक को यह भी बताना होगा कि इनफ्लेशन को काबू में करने के लिए क्या-क्या कदम उठाए जाने चाहिए। साथ ही वह समय बताना होगा, जब इनफ्लेशन टारगेट के अंदर आ जाएगा।

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इस रिपोर्ट को तैयार करनेके लिए जल्द मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी (MPC) की बैठक होगी। इसकी वजह यह है कि ऐसी रिपोर्ट डेटा आने के एक रिटेल के अंदर महीने के अंदर सरकार को भेजना जरूरी होता है। इस हिसाब से केंद्रीय बैंक को 12 नवंबर तक यह रिपोर्ट भेजनी होगी। सवाल यह है कि RBI की इस रिपोर्ट में क्या होगा?

ऊपर बताई गई बातों में दो बिल्कुल स्पष्ट हैं कि इनफ्लेशन क्यों नहीं कंट्रोल में आया और यह कब तक टारगेट तक आ जाएगा। इस मामले की जानकारी रखने वाले एक सूत्र ने मनीकंट्रोल रिटेल के अंदर को जनवरी में बताया था, "कारण ये बताए जाएंगे कि. आप रूस-यूक्रेन लड़ाई को रोक नहीं सकते। इस वजह से सप्लाई में बाधा आई है। इसके अलावा चीन में कोरोना को लेकर 'जीरो कोविड पॉलिसी'भी हाई इनफ्लेशन के लिए जिम्मेदार है।"

इस साल अप्रैल में रिटेल इनफ्लेशन 7.79 फीसदी पर पहुंच गया था। यह रिटेल इनफ्लेशन का 95 महीनों का सबसे ज्यादा लेवल था। सरकार ने यह डेटा 12 मई को जारी किया था। बैंक ऑफ इंग्लैंड के गवर्नर Andrew Bailey ने भी इस साल मार्च में इंग्लैंड में इनफ्लेशन काबू में नहीं आने पर एक रिपोर्ट तत्कालीन फाइनेंस मिनिस्टर ऋषि सुनक को सौंपी थी। इसमें रूस-यूक्रेन लड़ाई, सप्लाई में दिक्कत और सेमीकंडक्टर्स जैसी जरूरी चीजों की कमी को हाई इनफ्लेशन का कारण बताया था।

आरबीाई की रिपोर्ट में दूसरी अहम बात यह होगी रिटेल के अंदर कि कब तक इनफ्लेशन टारगेट तक आ जाएगा। पिछले कुछ समय से आरबीआई के अधिकारी यह बताते आ रहे हैं कि इनफ्लेशन के 4 फीसदी के लेवल पर आने में करीब दो साल का समय लग जाएगा। 30 सितंबर को मॉनेटरी पॉलिसी पेश करने के बाद मीडिया से बातचीत में आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने भी कहा था कि दो साल की साइकिल के दौरान इनफ्लेशन के टारगेट तक आ जाने की उम्मीद है। यह पहले भी हमारा अनुमान था और अब भी है। इनफ्लेशन बढ़ने के पीछे तीसरी कोई वजह नजह नहीं आती।

रिटेल के अंदर

रिलायंस रिटेल में 7500 करोड़ रुपये के निवेश की तैयारी में सिल्वर लेक

रिलायंस रिटेल में 7500 करोड़ रुपये के निवेश की तैयारी में सिल्वर लेक

नई दिल्‍ली। रिलायंस इंडस्‍ट्रीज लिमिटेड (आरआईएल) के चेयरमैन मुकेश अंबानी अब रिलायंस रिटेल में विनेवश को आगे बढ़ा रहे हैं। प्राप्‍त जानकारी के मुताबिक रिलायंस रिटेल और अमेरिकी इन्वेस्टर सिल्वर लेक के बीच विनिवेश को लेकर बातचीत जारी है।

रिपोर्ट के मुताबिक सिल्वर लेक रिलायंस रिटेल में 1.7-1.8 फीसदी हिस्सेदारी 7500 करोड़ रुपये में खरीद सकती है। इस डील को लेकर रिलायंस रिटेल की वैल्यू 4.3 लाख करोड़ रुपये आंकी गई है। एक अंग्रेजी अखबार में छपी खबर के अनुसार मुकेश अंबानी रिलायंस रिटेल में विनिवेश को लेकर कई निवेशकों से बातचीत कर रहे हैं। गौरतलब है कि हाल ही में फ्यूचर ग्रुप के बिजनेस का अधिग्रहण रिलायंस रिटेल ने किया है।

उल्‍लेखनीय है कि जब कोविड-19 की महामारी से जब पूरा देश जूझ रहा था तब मुकेश अंबानी ने आरआईएल को कर्ज मुक्त बनाने के लक्ष्य से जियो प्‍लेटफॉर्म्‍स में विनिवेश पर काम रिटेल के अंदर किया। मुकेश अंबानी ने 13 वैश्विक निवेशकों से जियो प्‍लेटफॉर्म्‍स में 20 अरब डॉलर (1.5 लाख करोड़ रुपये) से ज्यादा का निवेश करवाया। सिल्वर लेक ने भी जियो प्‍लेटफॉर्म्‍स में 10,202 करोड़ रुपये का निवेश किया है।

दिल्ली सरकार की बड़ी घोषणा, राजधानी में 100 करोड़ खर्च कर डेवलप होंगे 5 रिटेल बाजार

टाइम्स नाउ डिजिटल

Delhi News: दिल्‍ली सरकार 100 करोड़ रुपये खर्च कर राजधानी की 5 रिटेल बाजार को डेवलप करने जा रही है। इसके लिए कमेठी का गठन कर दिया गया है। यह कमेटी सीटीआई चेयरमैन बृजेश गोयल की अध्‍यक्षता में काम करेगी।

CM Arvind Kejrival

  • दिल्‍ली सरकार डेवलप करेगी 5 रिटेल मार्केट
  • इस योजना पर सरकार खर्च करेगी 100 करोड़ रुपये
  • योजना को अमलीजामा पहनाने के लिए कमेटी गठित

Delhi Retail Market: राजधानी में डेवलपमेंट को लेकर दिल्‍ली की आप सरकार ने बड़ी घोषणा की है। राजधानी के अलग-अलग जगहों पर 5 रिटेल बाजार डेवलप किए जाएंगे। इसके लिए दिल्‍ली सरकार ने एक कमेटी का गठन भी किया है, जिसका अध्‍यक्ष सीटीआई चेयरमैन बृजेश गोयल को बनाया गया है। कमेटी की पहली बैठक 17 मई को होगी। सरकार की योजना के अनुसार, 100 करोड़ रुपए खर्च कर रिटेल के अंदर 5 बाजारों का कायाकल्प करना है।

दरअसल, दिल्ली सरकार क्लाउड किचन और फूड डिलीवरी योजना पर काम कर रही है। इसे जल्द से जल्द जमीन पर उतारने की कोशिश की जा रही है। योजना के अनुसार, राजधानी में अब फूड हब और फूड डिलीवरी के माध्यम से लोगों को बाजार से ही घर जैसा खाना मिल सकेगा, वहीं इससे लोगों को बड़े स्तर पर रोजगार भी मिल सकेगा। क्लाउड किचन को बढ़ावा देने का प्रस्ताव दिल्ली सरकार के रोजगार बजट 2022-23 का हिस्सा था। इसके तहत दिल्ली के अंदर पांच वर्षों में 20 लाख नौकरियां पैदा करने का लक्ष्‍य है।

लोगों को अधिक सुविधा व रोजगार देना सरकार का लक्ष्‍य

दिल्‍ली सरकार लोगों को रोजगार देने और बाजारों को दोबारा डेवलप करने पर कार्य कर रही है। योजना के अनुसार, सरकार उन बाजारों को दोबारा से डेवलप करना चाहती है, जो बेतरतीब तरीके से बसे हैं। इन बाजारों में आने वाले लोगों को सभी सुविधाएं देने के साथ सरकार व्‍यापारियों को भी व्‍यापार के लिए बेहतर अवसर उपलब्‍ध कराना चाहती है। साथ ही वे युवा भी सरकार के टारगेट हैं जो बेरोजगार हैं और रोजगार की तलाश में घूम रहे हैं। सरकार के अनुसार, ऐसे लोगों के लिए ही क्लाउड किचन और फूड डिलीवरी योजना लाई गई है। इनके लिए 5 रिटेल बाजारों को दोबारा से डेवलप किया जाएगा। योजना के तहत गठित की गई कमेटी सबसे पहले ऐसे 5 बाजारों का चयन करेगी। जिसके बाद यहां पर 100 रुपये खर्च कर डेवलपमेंट का कार्य होगा। यह पूरा कार्य इसी वित्‍त वर्ष में कर लिया जाएगा। सरकार के अनुसार, इस साल के अंत या अगले साल के शुरुआत तक इस योजना को अमलीजामा पहना दिया जाएगा।

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Subway India को क़रीब ₹1860 करोड़ में ख़रीद सकता है Reliance Retail रिटेल के अंदर – रिपोर्ट

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पेट्रोकेमिकल, डिजिटल कम्यूनिकेशन, ग्रोसरी, रिटेल, फैशन, आदि के बाद अब मुकेश अंबानी (Mukesh Ambani) सर्विस रेस्टोरेंट के बिजनेस में भी क़दम रखने की तैयारी कर रहें हैं। जी हाँ! असल में मुकेश अंबानी की कंपनी रिलायंस इंडस्ट्रीज (Reliance Industries) दुनिया की सबसे बड़ी रेस्टोरेंट चेन फ़र्म, Subway की भारतीय इकाई, Subway India को खरीदेने की तैयारी कर रही है।

सूत्रों के अनुसार सामने ये आया है कि Reliance ये सौदा अपनी रिटेल इकाई, Reliance Retail के ज़रिए कर सकती है, साथ ही Subway India और रिलायंस रिटेल के बीच ये डील ₹1488 करोड़ से ₹1860 करोड़ के बीच हो सकती है।

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ये तमाम जानकारी द इकोनॉमिक टाइम्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक़ इस मामले के जानकार लोगों के हवाले से सामने आ सकी है।

‘Subway India’ को ख़रीद सकता है Reliance

दिलचस्प ये है कि अगर Reliance-Subway के बीच ये डील हो जाती है तो रिलायंस अब सीधे भारत में Tata Group और Jubilant Group समर्थित स्टारबक्स (Starbucks) व अन्य चेन जैसे डॉमिनोज पिज्जा (Domino’s Pizza), बर्गर किंग (Burger King) आदि से भी सीधी टक्कर लेना शुरू कर देगा।

वैसे रिपोर्ट में ये भी सामने आया है कि Subway Inc मौजूदा सीईओ, John Chidsey के नेतृत्व में ग्लोबल स्तर पर एक पुनर्गठन प्रक्रिया (रिस्ट्रक्चरिंग प्रॉसेस) से गुजर रहा है, और लागत में कटौती और कर्मचारियों की छँटनी तक के विकल्प तलाश रहा है। इन सब के पीछे का कारण महामारी के दौर में प्रभावित हुई बिक्री को माना जा रहा है।

लेकिन इस नए क़दम के ज़रिए कम से कम भारत में Subway ज़रूर एक रिटेल के अंदर ऐसे स्थानीय पार्टनर की तलाश कर सकता है, जो उसको देश की मौजूदा अग्रणी फ्रैंचाइजी और व्यक्तिगत नेटवर्क फ़ूड चेन से मुक़ाबला करने में मददगार साबित हो सके।

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Subway भारत में फ्रेंचाइजी मॉडल पर काम रिटेल के अंदर करता है। इस बीच रिपोर्ट में ये भी कहा गया है कि अगर ये सौदा होता है तो रिलायंस इंडस्ट्रीज की रिटेल यूनिट को पूरे भारत में करीब 600 Subway India स्टोर्स मिल रिटेल के अंदर सकेंगें।

भारत में इस अमेरिकी कंपनी Subway ने साल 2001 में अपना संचालन शुरू किया था। कुछ अन्य रिपोर्ट्स के अनुसार आँकड़ो की मानें तो अपने सेगमेंट में देश के अंदर Subway का मार्केट शेयर करीब 6% का बताया जाता है।

वहीं 21% हिस्सेदारी के साथ डॉमिनोज (Domino’s) फ़िलहाल इस सेगमेंट में भारत में टॉप पर है, वहीं दूसरे नबंर पर 11% हिस्सेडरि के साथ मैकडोनाल्ड्स (McDonald’s) जगह बनाए हुए है।

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