ट्रेडिंग विचार

लीजिंग और क्रेडिट

लीजिंग और क्रेडिट
प्रतीकात्मक फोटो

आरबीआर्इ के प्रतिभूतिकरण नियमों में छूट के बाद NBFC व हाउसिंग फाइनेंस कंपनियों के शेयर्स में उछाल

नर्इ दिल्ली। भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा गैर-बैंकिंग उधारकर्ताअों व हाउसिंग फाइनेंस कंपनियों को तरलता को लेकर दिए गए राहत के बाद इनके शेयरों में तेजी देखने को मिल रही है। बीते गुरुवार को एक नोटिफिकेशन में रिजर्व बैंक ने कहा कि गैर-बैंकिंग वित्तिय कंपनियों के लिए न्यूनतम होल्डिंग अवधि 6 महीने या दो तिमाहियों की होगी। इसके पहले यह अवधि 12 महीनों की थी। रिजर्व बैंक की तरफ से रिवाइज किए हुए यह नियम उन कर्ज के लिए है जिनकी मेच्योरिटी पीरियड 5 साल की है।

RBI

एनबीएफसी लोन पोर्टफोलियाे को मिल सकेगा पर्याप्त फायदा

इससे खासतौर पर हाउसिंग फाइनेंस कंपनियों को फायदा होगा जिनकी मैयच्योरिटी पीरियड लंबी अवधि की है। हालांकि, आरबीआर्इ ने लोन पोर्टफोलियो के लिए होल्डिंग अमाउंट को 10 फीसदी से बढ़ाकर 20 फीसदी कर दिया है। आरबीआर्इ ने यह कदम इसलिए उठाया है ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि एनबीएफसी का लोन पोर्टफोलियाे को पर्याप्त फायदा मिल सके। आरबीआर्इ ने कहा यह छूट 6 महीनों की अवधि के लिए है।

IL&FS संकट से उबरने में मिलेगी मदद

गौरतलब है कि इन्फ्रास्ट्रक्चर लीजिंग एंड फाइनेंशियल सर्विसेज (आर्इएलएंडएफएस) संकट के बाद वित्तीय बाजार को क्रेडिट संकट से जूझना पड़ा था। इस साल अब तक, प्रतिभूतिकरण को लेकर 83,800 रुपए के बारे में जानकारी प्राप्त हुर्इ है। हालांकि कयास लगाए जा रहे हैं कि आरबीआर्इ के इस कदम के बाद इसमें आैर भी इजाफा हो सकता है। गत 2 नवंबर को ही आरबीआर्इ ने एनबीएफसी बाॅन्ड को लेकर प्रारदर्शी रूप से क्रेडिट बढ़ोतरी के लिए सहमत हुर्इ थी। इससे छोटे गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों को अपने क्रेडिट सुधारने के साथ-साथ आैर अधिक फंड इकट्ठा करने में मदद मिलेगी।

‘इंफ्रास्ट्रक्चर लीजिंग एंड फाइनेंशियन सर्विसेस लिमिटेड’ की तेजी से बिगड़ती वित्तीय स्थिति

प्रतीकात्मक फोटो

Girish Malviya

शेयर बाजार में पिछले 5 दिनों में निवेशकों के 8.47 लाख करोड़ रुपये स्वाहा हो गए हैं. वैसे इसके कई कारण बताए जा रहे हैं. जैसे कच्चे तेल के दामों में बढोत्तरी, रुपये का गिरना ओर अमेरिका के केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व की होने वाली मीटिंग, लेकिन लगातार आ रही गिरावट का एक विशिष्ट कारण और भी है.

और वो कारण है देश की अग्रणी आधारभूत संरचना विकास एवं वित्त कंपनी ‘इंफ्रास्ट्रक्चर लीजिंग एंड फाइनेंशियन सर्विसेस लिमिटेड’ (आईएल एंड एफएस) की बेहद तेजी से बिगड़ती वित्तीय स्थिति, मित्र और आर्थिक मामलों के विशेषज्ञ मुकेश असीम इसे भारत का ‘लीमैन ब्रदर्स’ बता रहे हैं.

नवभारत टाइम्स ने अपने संपादकीय में जो लिखा है, उसे समझना बेहद आवश्यक है ‘अतीत में भारतीय शेयर बाजार कई बार इससे ज्यादा गिर चुके हैं. लेकिन इस बार की गिरावट साफ आसमान से बिजली गिर जाने जैसी है. इससे भी बुरी बात यह कि इसे निकट भविष्य में और भी अप्रत्याशित झटकों के लीजिंग और क्रेडिट लीजिंग और क्रेडिट संकेत की तरह देखा जा रहा है’
‘कच्चे तेल के बढ़ते दाम और डॉलर के मुकाबले रुपये की गिरती कीमत ने इसके लिए जमीन भी तैयार कर दी है. लेकिन शुक्रवार को बाजार में आए भूचाल का मुख्य कारण बना इन्फ्रास्ट्रक्चर निवेश से जुड़ी बड़ी कंपनी आईएल एंड एफएस का लीजिंग और क्रेडिट अपने कर्जों की किस्त न चुका पाना.’

आईएल एंड एफएस किस स्तर की कंपनी है ये इस बात से समझा जाइये कि खुद आरबीआई ने कहा है कि वह आगामी 28 सितंबर को कंपनी के शेयरधारकों से मिलेगा. इस कंपनी में एलआईसी की 25.34 फीसदी की हिस्सेदारी है. साथ ही जापान की कंपनी ओरिक्स कॉरपोरेट इस कंपनी में 23.54 फीसदी हिस्सेदारी के साथ दूसरा बड़ा साझेदार है. हालांकि, तीसरा सरकारी उपक्रम स्टेट बैंक ऑफ इंडिया की भी इसमें 6.42 फीसदी हिस्सेदारी मौजूद है. HDFC बैंक भी इसमें हिस्सेदार है.

आईएल एंड एफएस का संकट तब शुरू हुआ जब स्मॉल इंडस्ट्रीज डेवलपमेंट बैंक ऑफ इंडिया (सिडबी) के कॉरपोरेट डिपॉजिट की 450 करोड़ की राशि लौटाने में विफल रही. सारी समस्या लिक्विडिटी की है, यह देनदारी कंपनी पर सितंबर माह में भी चढ़ी हुई है. पिछले शुक्रवार को आईएल एंड एफएस ने शेयर बाजार को सूचित किया था कि वह आईडीबीआई बैंक के लेटर ऑफ क्रेडिट के मामले के समाधान में विफल है.

मोदी सरकार द्वारा IL & FS को इस संकट से उबारने की लीजिंग और क्रेडिट सारी जिम्मेदारी LIC ओर स्टेट बैंक ऑफ इंडिया पर डाली जा रही है. इनसे 3,500 करोड़ रुपये कर्ज दिलवाया जा रहा है. लेकिन अभी लीजिंग और क्रेडिट तक यह प्रस्ताव उनकी SBI और LIC की निवेश समिति ने मंजूर नहीं की है. यानी एक बार फिर वही कहानी दोहराई जा रही है कि जनता की बचत के पैसों से बड़े पूंजीपतियों की मदद करना.

IL & FS बहुत बड़ी इंफ्रास्ट्रक्चर कंपनी है देश में इसके सैकड़ों प्रोजेक्ट चल रहे हैं. दरअसल यह कंपनी बड़े ठेके खुद हासिल करती हैं और उस कांट्रेक्ट को बड़े पूंजीपतियों के हवाले कर देती है. देश में यह PPP यानी प्राइवेट पब्लिक पार्टनर का कॉन्सेप्ट लाने वाली पहली कंपनी है. यही कंपनी बनारस के घाटों की सफाई कर रही हैं, यही कंपनी जोजिला दर्रे में सड़क बना रही है. कश्मीर को भारत से जोड़ने वाली सुरंग का निर्माण कर रही है.

और मोदी जी ने देश में 100 स्मार्ट सिटी के लिए जिस कंपनी को गुजरात डेवलपमेंट कॉरपोरेशन के साथ देश की पहली स्मार्ट मॉडल सिटी बनाने का ठेका दिया था. यह वही लीजिंग और क्रेडिट कंपनी है 2007 में बनाई गयी, इस परियोजना के अधिकतर काम अधूरे पड़े हुए हैं. ऐसे ही कामों में लगवा कर देश का धन बर्बाद किया जा रहा है. और इसके नतीजे पूरा देश भुगत रहा है.

(लेखक आर्थिक मामलों के जानकार हैं और ये उनके निजी विचार हैं)

अब बिना कार खरीदे बनें गाड़ी मालिक, महिंद्रा, ह्युंडई के बाद अब मारुति सुजुकी भी कार लीजिंग को तैयार

भारत का ऑटोमोबाइल लंबे समय से बुरे दौर से गुजर रहा है। पहले यह सेक्टर आर्थिक मंदी की मार से जूझता रहा और अब कोरोना की मार ने और ज्यादा मुसीबत में पहुंचा दिया है। लेकिन इस बीच कंपनियां भी ग्राहकों को आकर्षित करने के लिए कई तरह के बिजनेस मॉडल की तलाश में लगी हैं।

Maruti Suzuki plans car leasing to boost sales | अब बिना कार खरीदे बनें गाड़ी मालिक, महिंद्रा, ह्युंडई के बाद अब मारुति सुजुकी भी कार लीजिंग को तैयार

फोटो क्रेडिट: सोशल मीडिया

Highlights व्हीकल लीजिंग स्ट्रैटिजी अमेरिका और यूरोप जैसे विकसित बाजारों में पहले से ही काफी लोकप्रिय बिजनेस मॉडल है। अब भारत में यह सर्विस उपलब्ध होगी। कार लीजिंग के तहत ग्राहक बिना कार खरीदे उसे अपने खुद की गाड़ी की तरह इस्तेमाल कर सकते हैं। इसके लिए उन्हें कंपनी तरफ से तय की गई एक निश्चित रकम चुकानी होती है।

कोरोना वायरस का प्रभाव भारत के ऑटोमोबाइल सेक्टर पर काफी बुरा पड़ा है। लॉकडाउन के लीजिंग और क्रेडिट दौर में वाहनों की बिक्री बुरी तरह प्रभावित हुई है ऐसे में वाहन निर्माता कंपनियां बिक्री बढ़ाने के लिए ग्राहकों को कई तरह की स्कीम दे रही हैं। इसी क्रम में अब मारूति सुजुकी ने ग्राहकों के लिए नई स्कीम पेश किया है।

इस स्कीम के तहत कंपनी अपने ग्राहकों को डीलरशिप नेटवर्क के जरिए लीज पर कार की सुविधा प्रदान करेगी। ईटी की खबर के मुताबिक मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो कंपनी इस स्कीम पर लगभग एक साल से काम कर रही है।

एक मीडिया रिपोर्ट में कहा गया, 'मौजूदा परिस्थिति में ऐसी सर्विस लॉन्च करना मारुति के लिए फायदेमंद साबित हो सकता है। शहरी ग्राहक कार के लीजिंग मॉडल को प्राथमिकता दे सकते हैं।'

व्हीकल लीजिंग स्ट्रैटिजी अमेरिका और यूरोप जैसे विकसित बाजारों में पहले से लीजिंग और क्रेडिट ही काफी लोकप्रिय बिजनेस मॉडल है। अब भारत में यह सर्विस उपलब्ध होगी।

इससे पहले मारुति ग्राहकों आकर्षित करने के लिए कई तरह के ईएमआई स्कीम भी पेश कर चुकी है। इसमें लंबे समय तक के लिए लोन और महिलाओं के लिए स्पेशल ऑफर भी शामिल हैं।

ये कंपनियां पहले से दे रही हैं सुविधा
ह्युंडई और महिंद्रा कंपनी साल 2018 में भी व्हीकल लीजिंग सर्विस लॉन्च कर चुके हैं। महिंद्रा ने जूमकार (Zoomcar) में 176 करोड़ का निवेश भी किया है। ह्युंडई ने भी Revv में इंवेस्ट किया है।

इसके अलावा हाल ही में महिंद्रा भी कार खरीदने के बाद पैसा चुकाने के लिए कई तरह की स्कीम पेश कर चुका है। इसमें एक स्कीम तो ऐसी भी है जिसमें आप कार खरीदने के अगले साल से पैसा चुका सकते हैं।

लग्जरी कार कंपनी मर्सेडीज और बीएमडब्ल्यू भी देती है कार लीज सर्विस
लग्जरी कार निर्मता कंपनी मर्सेडीज बेंज और BMW इंडिया भी अपने ग्राहकों को कस्टमाइज्ड लीजिंग ऑप्शन देती हैं। फॉक्सवैगन ने भी हाल ही में व्हीकल लीजिंग और फाइनेंसिंग सर्विस की घोषणा की है।

क्या है कार लीजिंग सर्विस
कार लीजिंग के तहत ग्राहक बिना कार खरीदे उसे अपने खुद की गाड़ी की तरह इस्तेमाल कर सकते हैं। इसके लिए उन्हें कंपनी तरफ से तय की गई एक निश्चित रकम चुकानी होती है। अधिकतर मामलों में यह रकम हर महीने के हिसाब से चुकानी होती है। लीज कार के लिए ग्राहक को कार की सर्विस और बीमा कवर जैसी अन्य लागतों की चिंता नहीं करनी होती है।

यह बिजनेस मॉडल अमेरिका जैसे देशों में पहले से ही काफी लोकप्रिय है, लेकिन भारत में अभी चलन में नहीं है। हालांकि भारत में भी कुछ कॉरपोरेट कंपनियां अपने कर्मचारियों के लिए इस लीज प्लान का उपयोग करती हैं।

जाली लोन पेपर से लगाया पंजाब और सिंध बैंक को चूना, दिल्ली पुलिस ने ऐसे पकड़ा

इस मामले में 2005 और 2006 में शिकायत दर्ज की गई थी. (सांकेतिक तस्वीर)

Forged Loan Documents Case: शिकायतकर्ता और आरोपी सगे भाई हैं. दोनों लिब्रा फाइनेंस और लिब्रा लीजिंग के डायरेक्टर हैं. 1992 में इस कम्पनी ने 80 लाख का कैश क्रेडिट शॉर्ट टर्म लोन लिया. जिस प्रॉपर्टी पर यह लोन लिया गया वह तीनों भाईयों और उनकी पत्नियों की संयुक्त सम्पत्ति है.

  • News18Hindi
  • Last Updated : June 06, 2022, 09:03 IST

नई दिल्ली. दिल्ली स्थित एक राष्ट्रीय बैंक से जाली लोन पेपर के जरिए ठगी का एक मामला सामने आया है. रविवार को दिल्ली पुलिस की इकोनॉमिक ऑफेंस विंग की ओर से 67 वर्षीय हरजीत सिंह को गिरफ्तार किया गया है. इस फर्जी ठगी को लेकर भारतीय दंड संहिता की धारा 177, 420, 465, 467, 468 और 120B के तहत मामला दर्ज किया गया है.

इकोनॉमिक ऑफेंस विंग की जॉइंट सीपी छाया शर्मा के अनुसार, शिकायतकर्ता और आरोपी सगे भाई हैं. दोनों लिब्रा फाइनेंस और लिब्रा लीजिंग के डायरेक्टर हैं. 1992 में इस कम्पनी ने 80 लाख का कैश लीजिंग और क्रेडिट क्रेडिट शॉर्ट टर्म लोन लिया. जिस प्रॉपर्टी पर यह लोन लिया गया वह तीनों भाईयों और उनकी पत्नियों की संयुक्त सम्पत्ति है. कैश क्रेडिट की लीजिंग और क्रेडिट लिमिट को 2005 में 80 लाख से बढ़ाकर दो करोड़ रुपये कर दिया गया. इसके बाद 2008 में 5.5 करोड़ और 2010 में हर कम्पनी पर 10 करोड़ रुपये बढ़ा दिए गए.

इस मामले में 2005 और 2006 में शिकायत दर्ज की गई थी. इसके अनुसार लोन पर किए गए शिकायकर्ता के साइन जाली हैं. इस लोन अकाउंट को 2014 में एनपीए घोषित कर दिया गया था. बैंक ने कम्पनी के खिलाफ SARFAESI Act के तहत कार्यवाही शुरू की थी और प्रॉपर्टी की नीलामी शुरू की थी, जो कि तीनों भाईयों की संयुक्त प्रॉपर्टी है. 2015 में शिकायतकर्ता को बैंक से लिए गए इस जाली लोन के बारे में पता लगा और उसने लुधियाना पुलिस में मामला दर्ज करवाया.

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शिकायत के बाद लोन पेपर्स को एफएसएल में जांच के लिए भेजा गया और इसके बाद यह केस इकोनॉमिक ऑफेंस विंग को ट्रांसफर कर दिया गया. इस मामले की जांच के दौरान पता चला कि आरोपी ने षड्यंत्र के तहत जाली लोन पेपर पर पंजाब और सिंध बैंक से लोन ​लिया था और कैश ​क्रेडिट लिमिट को बढ़ाया था. हरजीत सिंह ने सारा रुपया बिजनेस में लगाया था लेकिन वह लोन वापस चुकाने की स्थिति में नहीं था इसलिए उसका खाता एनपीए घोषित कर दिया गया था.

हरजीत सिंह लगातार अपने फोन नम्बर बदल दिया करता था और इस मामले में भागने की फिराक में था. पुलिस ने उसके भागने से पहले टैगोर पार्क दिल्ली से उसे गिरफ्तार कर लिया. फिलहाल इस मामले में आगे की जांच की जा रही है.

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लैंड लीजिंग को कानूनी बनाने के लिए मोदी सरकार ने बनाया मॉडल ऐक्ट

बीजेपी की अगुवाई वाली केंद्र की एनडीए सरकार ने मॉडल ऐग्रिकल्चर लैंड लीजिंग ऐक्ट 2016 तैयार कर दिया है जिसके तहत देश में जमीन लीज पर देना कानूनी हो जाएगा। इस ऐक्ट को मोदी सरकार के लिए बड़ी राहत देने वाला बताया जा रहा है क्योंकि सरकार लैंड अक्वीजिशन ऐक्ट, 20013 संसद से पास करवाने में नाकामयाब रही है।

लैंड लीजिंग को कानूनी बनाने के लिए मोदी सरकार ने बनाया मॉडल ऐक्ट

लैंड लीजिंग को कानूनी बनाने के लिए मोदी सरकार ने बनाया मॉडल ऐक्ट

खेती और संबंधित कार्यों में फसल उगाने (खाद्यान्न और गैर-खाद्यान्न), चारा या घास उगाने, फल, फूल और सब्जियों की खेती करने, किसी भी तरह की बागवानी और पौधारोपण, पशुपालन और दूध उत्पादन, मुर्गी पालन, मछली पालन, कृषि वानिकी, कृषि प्रसंस्करण और किसानों लीजिंग और क्रेडिट एवं किसान समूहों द्वारा अन्य संबंधित गतिविधियां शामिल होंगी। पिछले साल नीति आयोग द्वारा गठित टी हक के नेतृत्व वाली समिति ने इस ऐक्ट को तैयार किया जिसे मोदी सरकार के लिए बड़ी राहत देने वाला बताया जा रहा है क्योंकि लगातार प्रयास के बावजूद सरकार लैंड अक्वीजिशन ऐक्ट, 20013 को संसद से पास करवाने में नाकामयाब रही है।

तेलंगाना, बिहार, कर्नाटक, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश की सरकारों ने लैंड लीजिंग को बैन कर दिया है। लीजिंग और क्रेडिट हालांकि, विधवा, अल्पसंख्यक, दिव्यांग और सुरक्षा बलों के लोगों को इससे छूट मिली हुई है। केरल में पट्टेदारी लंबे समय से प्रतिबंधित है, लेकिन सिर्फ स्वयं सहायता समूह को हाल ही में लैंड लीज की अनुमति मिली है। वहीं, पंजाब, हरियाणा, गुजरात, महाराष्ट्र और असम जैसे राज्यों में जमीन लीज पर देना बैन नहीं है लेकिन इन राज्यों में किरायेदार को एक तय समयसीमा के बाद जमीन मालिक से जमीन खरीदने का अधिकार मिल जाता है। सिर्फ आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, राजस्थान और पश्चिम बंगाल में पट्टेदारी के उदार कानून हैं।

नए ऐक्ट के तहत जमीन को लीज पर देते वक्त मालिक को उसके मालिकाना हक की संपूर्ण सुरक्षा मिलती है। साथ ही तय अवधि तक पट्टेदारी को भी जमीन के इस्तेमाल का अधिकार सुनिश्चित होता है। इसमें जमीन मालिक की सहमति से किराएदार को इंशूरंस बैंक क्रेडिट और अनुमानित उत्पादन के आधार पर कर्ज लेकर लैंड इंप्रूवमेंट में निवेश करने की अनुमति मिलती है। साथ ही किराये की अवधि खत्म होने के वक्त पट्टेदार को इस्तेमाल नहीं हो पाई निवेश की राशि वापस पाने का भी अधिकार होगा।

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