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निवेशकों के लिए क्यों खास है दिवाली?

निवेशकों के लिए क्यों खास है दिवाली?
धातु, बुनियादी ढांचा, पूंजीगत वस्तुएं और रियल एस्टेट जैसे निवेशकों के लिए क्यों खास है दिवाली? प्रमुख सूचकांकों की हालत खस्ता रही जिन्होंने नकारात्मक प्रतिफल दिया। दूसरे परिसंपत्ति वर्गों में शेयरों के अलावा ऋण में भी लगातार नुकसान उठाना पड़ा जैसा कि ऊंची मुद्रास्फीति की स्थिति में हमेशा होता है। जमीन जायदाद खंड भी सुस्त रहा। गैर-खाद्य जिंसें भी नुकसान का सबब बनीं। ऐसे में अधिकांश भारतीय निवेशकों ने सोने पर दांव लगाया। मूल्यवान धातुएं मुद्रास्फीति के खिलाफ कवच तो साबित हुईं लेकिन उनमें प्रतिफल आकर्षक नहीं रहा और पूंजीगत लाभ एक सीमित दायरे में रहा। अब नए निवेशक के लिए क्या विकल्प हैं? तत्काल मुनाफा तो मुश्किल है।

निवेशकों के लिए क्यों खास है दिवाली?

दीवाली से दीवाली तक के चंद्र पंचांग पर पहली नजर डालें तो यही संकेत मिलता है कि यह दौर शेयर निवेशकों के लिए बढिय़ा रहा। वास्तव में निफ्टी और सेंसेक्स में सालाना निवेशकों के लिए क्यों खास है दिवाली? आधार पर 10 फीसदी से अधिक की बढ़ोतरी दर्ज की गई जबकि कुछ खास शेयर और विशेष खंडों ने और भी शानदार प्रदर्शन किया।

मिसाल के तौर पर सबसे ज्यादा कारोबार करने वाले 44 शेयरों में 100 फीसदी से भी ज्यादा का पूंजीगत लाभ निवेशकों के लिए क्यों खास है दिवाली? हुआ तो वहीं दैनिक उपभोग के उत्पाद बनाने वाले खंड में 38 फीसदी, बैंकिंग में 25 फीसदी, वित्तीय सेवाओं में 25 फीसदी और दवा में 23 फीसदी की वृद्घि ने व्यापक सूचकांकों को आसानी से मात दी। बहरहाल सूचकांक पूंजीगत लाभ मुद्रास्फीति का शिकार रहा जो पिछले एक साल से तकरीबन दहाई अंकों में बनी हुई है।

अगर यह मान लिया जाए कि एक दीर्घकालिक निवेशक जो निफ्टी/सेंसेक्स से 1.6 फीसदी की कमाई पर कर-मुक्त लाभांश लेता निवेशकों के लिए क्यों खास है दिवाली? हो, उसके पास शिकायत के लिए कोई खास आधार नहीं होगा। यह मुश्किल हालात के एकदम उलट प्रदर्शन है जहां वृहद आर्थिक स्तर और कंपनियों का प्रदर्शन इस अवधि के अधिकांश दौर में हिचकोले खाता रहा। क्या यह सही था, निराशा का यह मौजूदा माहौल क्यों है?

Dev Deepawali 2022: काशी की देव दीपावली क्यों है खास, भगवान शिव से है रिश्ता

Dev Deepawali 2022: काशी की देव दीपावली क्यों है खास, भगवान शिव से है रिश्ता

डीएनए हिंदीः Dev Deepawali Significance in Kashi- हर साल कार्तिक पूर्णिमा (Kartik Purnima 2022) के दिन देव दिवाली मनाई जाती है जो इस बार 7 नवंबर दिन मंगलवार को पड़ रही है. सनातन धर्म में सभी पूर्णिमा का विशेष स्थान होता है इनमें से कार्तिक माह में आने वाली पूर्णिमा मुख्य है.

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार कार्तिक पूर्णिमा के दिन समस्त देवी-देवता स्वर्ग लोक से धरती पर आते हैं और निवेशकों के लिए क्यों खास है दिवाली? गंगा स्नान करने के बाद दीपोत्सव का त्योहार मनाते हैं. ऐसे में लोग देव दीपावली के मौके पर अपने घर को दीए और रंगोली से सजाते हैं.

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EARN MONEY : हर किसी को पैसे कमाना (Earn Money) पसंद होता है ऐसा कोई नहीं होगा जिसे पैसे कमाना पसंद ना हो। हमारे लाखों पाठकों में भी ऐसे लाखों लोग हैं जो तरह-तरह के तरीके ढूंढते निवेशकों के लिए क्यों खास है दिवाली? रहते हैं कि उन्हें कुछ पैसे कमाने (Earn Money) को मिल जाए। कुछ लोग इंटरनेट पर तमाम बातें ढूंढते हैं जैसे "How to make money online" , "How to earn money online" , "How to make money without investment" , "Home to make money at home" "Online paise kaise kamaye" "Online paise kamane ke tarike" , "How to earn money", फिलहाल हम आपको एक खास तरीका बताने वाले हैं जिसमें आप अगर चाहे तो इन्वेस्ट (Invest) भी कर सकते हैं और अगर आप ना चाहे तो बिना इन्वेस्ट (Invest) किए भी लाखों करोड़ों कमा सकते हैं। आइए आपको बताते हैं पूरा तरीका निवेशकों के लिए क्यों खास है दिवाली? कि कैसे क्या करना है। एक बात का ध्यान रखें कि जो भी स्टेप्स करें उसे ध्यान से और समझ कर करें।

क्यों मनाई जाती है देव दिवाली, पौराणिक कथा से जाने इसके पीछे का रहस्‍य

नई दिल्‍ली। कार्तिक पूर्णिमा(Kartik Purnima) का त्योहार त्रिपुरासुर पर भगवान शिव (Lord Shiva) की जीत की खुशी में मनाया जाता है. इस दिन देवतागण दीपदान करते हैं. यह देवताओं की दिवाली (Diwali of the Gods) कहलाती है. कार्तिक पूर्णिमा पर स्नान-दान का विशेष महत्व (special importance) है. कार्तिक पूर्णिमा का काशी से खास संबंध है. इस दिन काशी के घाटों को दीपों से रौशन किया जाता है.

इस साल कार्तिक पूर्णिमा का व्रत उदयातिथि के अनुसार 8 नवंबर 2022 को रखा जाएगा. इस तिथि पर दीपदान संघ्याकाल में किया जाता है इसलिए देव दिवाली 7 नवंबर 2022 को मनाई जाएगी. आइए जानते हैं देव दिवाली की कथा.

देव दिवाली की कथा (Dev diwali Katha)
पौराणिक कथा के अनुसार भगवान शिव बड़े पुत्र और देवताओं के सेनापति भगवान कार्तिकेय (Lord Kartikeya) ने तारकासुर का वध कर दिया था. पिता की मृत्यु का बदला लेने के लिए तारकासुर के तीनों बेटे तारकाक्ष, कमलाक्ष और विद्युन्माली ने प्रण लिया. इन तीनों को त्रिपुरासुर के नाम से जाना जाता था. तीनों ने कठोर तप कर ब्रह्मा जी को प्रसन्न किया और उनसे अमरत्व का वरदान मांगा लेकिन ब्रह्म देव ने उन्हें यह वरदान देने से इनकार कर दिया और कहा कुछ और मांगो

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त्रिपुरासुर को ब्रह्मा जी ने दिया था ये वरदान
त्रिपुरासुर ()Tripurasur ने वरदान मांगा कि हमारे लिए निर्मित तीन पुरियां जब अभिजित नक्षत्र में एक पंक्ति में हों और कोई क्रोधजित अत्यंत शांत होकर असंभव रथ पर सवार असंभव बाण से मारना चाहे, तब ही हमारी मृत्यु हो. ब्रह्मा जी ने तथास्तु कह दिया. इसके बाद त्रिपुरासुर बहुत बलशाली हो गए और उनका आतंक बढ़ गया. ये जहां भी जाते समस्त सत्पुरषों पर अत्याचार करते. यहां तक कि देवतागण भी उनके आतंक से पीड़ित थे. उन्हें युद्ध में कोई हरा नहीं पाता था.

शिव ने किया त्रिपुरासुर का वध (Lord Shiv Killed Tripurasur)
अंत में परेशान होकर सभी देवता, ऋषि-मुनि भगवान शिव की शरण में पहुंचे. सभी ने महादेव से अपनी व्यथा कही तो उन्होंने देवताओं को अपना आधा बल देकर त्रिपुरासुर का सामना करने के लिए कहा लेकिन सभी देवता भगवान शिव के बल को संभाल नहीं पाए. इसके बाद स्वंय शंभू ने त्रिपुरासुर का संहार करने का संकल्प लिया. इसके बाद देवतागण ने अपना आधा बल शिव को समर्पित कर दिया.

Muhurat Trading: दिवाली पर एक घंटे के लिए होगा मुहूर्त कारोबार, शेयर बाजार से निवेशक होंगे मालामाल!

Diwali Muhurat निवेशकों के लिए क्यों खास है दिवाली? Trading: दिवाली (Diwali 2022) पर अगर आप भी स्टॉक मार्केट में पैसा लगाने का प्लान कर रहे हैं तो आपके लिए जरूरी खबर है. शेयर मार्केट में हर साल दिवाली पर मुहूर्त कारोबार (diwali muhurat trading 2022) होता है तो आप भी इस शुभ मुहूर्त में पैसा लगा सकते हैं. हिंदू संवत वर्ष 2079 की शुरुआत के पहले दिन दीपावली पर सोमवार को प्रमुख शेयर बाजार बीएसई और नेशनल स्टॉक एक्सचेंज में एक घंटे का विशेष कारोबारी सत्र ‘मुहूर्त ट्रेडिंग’ (muhurat trading) होगी.

बाजार में होगी मुहूर्त ट्रेडिंग

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