इक्विटी शेयर के प्रकार

ईक्विटी शेयर , प्रकार - Equity Shares, Types
कंपनी अधिनियम की धारा 43 के अनुसार, ईक्विटी शेयर से आशय इक्विटी शेयर के प्रकार उन शेयरों से है जो पूर्वाधिकार शेयर नहीं है अर्थात् इन शेयरों पर लाभांश का भुगतान पूर्वाधिकार शेयरों पर निश्चित दर से लाभांश चुकाने के पश्चात किया जाता है तथा कंपनी के समापन के समय पूँजी वापसी भी पूर्वाधिकार शेयरधारियों की पूँजी को लौटाने के पश्चात ही की जाती है। इन शेयरों पर लाभांश तभी दिया जा सकता है जब संचालक-मंडल उसकी सिफारिस करे तथा कंपनी वार्षिक साधारण सभा में उसको घोषित किया जाए। यही कारण है कि ऐसे शेयरों द्वारा प्राप्त शेयर पूँजी "जोखिम पूँजी " का नाम दिया जाता है। ऐसे शेयर धारियों का भाग्य कंपनी की उन्नति एवं अवनति के साथ बाँधा होता है। यदि कंपनी असफल होती है तो वास्तविक जोखिम इन शेयरधारियों को ही सहन करनी होती है, इसके विपरीत कंपनी की असाधारण सफलता पर साधारण शेयरधारी को सबसे अधिक लाभ होता है।
इक्विटी शेयरों के प्रकार
कंपनी अधिनियम, 2013 की धारा 43 के अनुसार, अब भविष्य में कंपनियाँ निम्नलिखित दो प्रकार के ईक्विटी शेयर निर्गमित कर सकती है:
1) मताधिकार सहित इक्विटी शेयर ऐसे इक्विटी शेयरधारियों को सामान्य मताधिकार प्राप्त होते हैं; उन्हें कंपनी की किसी भी साधारण सभा में पारित किये जानेवाले प्रत्येक संकल्प पर मतदान का अधिकार प्राप्त होता है। मतगणना के लिए उनके मताधिकार कंपनी की प्रदत्त इक्विटी शेयर पूँजी इक्विटी शेयर के प्रकार में उनके शेयर के अनुपात में होता है। इन शेयरधारियों का ही वास्तव में कंपनी के प्रबंधन एवं संचालन पर नियंत्रण होता है। ऐसे शेयरों को केवल इक्विटी शेयर' के नाम से भी जाना जाता है।
2) विभेदात्मक अधिकार वाले इक्विटी शेयर ऐसे इक्विटी शेयरधारियों को लाभांश एवं मताधिकार के प्रति, केन्द्र सरकार द्वारा निर्धारित नियमों तथा शर्तों के अनुसार, विभेदात्मक अधिकार प्राप्त होते हैं।
केन्द्र सरकार ने इस धारा के अंतर्गत प्राप्त शक्ति का उपयोग करते हुए विभेदात्मक अधिकार वाले इक्विटी शेयरों के संबंध में नियम अधिसूचित कर दिये हैं। इन नियमों को कंपनी (शेयर पूँजी एवं ऋण पत्र) नियमावली 2014 के नाम से जाना जाता है। इस नियमावली का नियम 4, अन्य बातों के साथ साथ, "लाभांश एवं मताधिकार के संबंध में विभेदात्मक अधिकारों वाले इक्विटी शेयरों के निर्गमन के संबंध में नियमों को बताता है। संक्षेप में, इन नियमों के कुछ प्रावधान निम्नलिखित है :
i. शेयरों द्वारा सीमित प्रत्येक कंपनी अपनी कुल निर्गमित प्रदत्त ईक्विटी शेयर पूँजी के 21 प्रतिशत तक लाभांश एवं मताधिकार के प्रति विभेदात्मक अधिकार वाले इक्विटी शेयर निर्गमित कर सकती है बशर्ते गत तीन वित्तीय वर्ष के दौरान कंपनी के पास कंपनी अधिनियम की धारा 123 के अनुसार लाभ की वितरण योग्य राशि रही हो तथा उसके निक्षेपों या ऋणपत्रों की परिपक्वता पर उनके पुनर्भुगतान करने में चूक न की हो ।
ii. कंपनी की अंतर्नियमावली में ऐसे शेयरों के निर्गमन की व्यवस्था होनी चाहिए तथा शेयरधारियों के साधारण संकल्प द्वारा साधारण सभा में ऐसे संकल्प की पुष्टि कराई जानी चाहिए।
iii. साधारण सभा में पुष्टि कराई गई साधारण संकल्प में अन्य बातों के साथ-साथ (क) मताधिकार की दर एवं (ख) अतिरिक्त लाभांश की दर, जो कि विभेदात्मक मताधिकार वाली इक्विटी शेयर पूँजी पर लागु हो दी जानी चाहिए।
iv. कंपनी अपनी सामान्य मताधिकार वाली इक्विटी शेयर पूँजी को विभेदात्मक मताधिकार वाली इक्विटी शेयर पूँजी में तथा विभेदात्मक इक्विटी शेयर के प्रकार मताधिकार वाली इक्विटी शेयर पूँजी को सामान्य मताधिकार वाली इक्विटी शेयर पूँजी में परिवर्तित नहीं कर सकेगी।
V. मताधिकार या लाभांश के संबंध में विभेदात्मक अधिकार वाले इक्विटी शेयरधारियों के उसी वर्ग के बोनस शेयर या अधिकार शेयर प्राप्त करने का अधिकार होगा तथा उन्हें उस विभेदात्मक मताधिकार जिनके साथ उन्हें शेयर जारी किये गये थे, को छोड़कर कंपनी की सदस्यता संबंधी अन्य सभी अधिकार प्राप्त होंगे।
इस प्रकार अब कंपनियां लाभांश की अतिरिक्त दर वाले गैर-मतदान शेयरों सहित विभेदात्मक मताधिकार वाले इक्विटी शेयरों को निर्गमित कर सकती है।
इक्विटी शेयर (Equity Share)
इक्विटी शेयर को आर्डिनरी शेयर के नाम से भी जाना जाता है, Equity Share को शोर्ट में सिर्फ शेयर भी कहा जाता है, इसका मतलब है अगर किसी शेयर के आगे पीछे कुछ नहीं लिखा है -सिर्फ “शेयर” लिखा है तो वो Equity Share माना जाता है,
इसके आलावा इक्विटी शेयर जिनके पास होता है, उन्हें कम्पनी का असली इक्विटी शेयर के प्रकार मालिक कहा जाता है, इक्विटी शेयर जिनके पास होता है उन्हें इक्विटी शेयर होल्ल्डर कहा जाता है,
इक्विटी शेयर होल्डर कंपनी के मालिक क्यों होते है ?
इक्विटी शेयर होल्डर को कंपनी का असली मालिक इसलिए माना जाता है क्योकि इक्विटी शेयरहोल्डर के पास कंपनी में किये जाने वाल मैनेजमेंट के फैसले में वोट (Vote) देने का अधिकार होता है, इस तरह Equity Share Holder कंपनी के कार्यो पर कण्ट्रोल होता है,
साथ ही Equity Share होल्डर को सबसे अंत में बचे लाभ में से डिविडेंड के रूप में हिस्सा दिया जाता है, और अगर कभी कंपनी के पास प्रॉफिट का पैसा नहीं रहता तो Equity Share होल्डर को कोई लाभ नहीं मिलता है,
हा ये जरुर है कि – अगर कंपनी ज्यादा लाभ कमा रही है, तो Equity Share होल्डर को अधिक लाभ मिलने की सम्भावना होती है,
इस तरह Equity Share होल्डर, अपनी पूंजी पर सबसे अधिक रिस्क लेते है, क्योकि अगर कभी कंपनी बंद होती है, तो Equity Share Holder को सबसे अंत में पूंजी वापस मिलता है, और इसीलिए इनको कंपनी का असली मालिक कहा जाता है,
इक्विटी शेयर से कंपनी को होने वाले फायदे –
- इक्विटी शेयर पर कंपनी अपनी मर्जी से डिविडेंडदेती है, अगर कंपनी फैसला करती है , कि डिविडेंड नहीं देना, तो इक्विटी शेयरहोल्डर को कोई डिविडेंड नहीं मिलता है,
- इक्विटी शेयर, कंपनी के लिए पूंजी जुटाने का सबसे अधिक फायदा होता है, क्योकि इक्विटी शेयर जारी करने पर कंपनी को इस पूंजी को वापस करने का कोई समय नहीं रहता है, इक्विटी शेयर की पूंजी कंपनी के समापन के समय सबसे अंत में दी जाती है,
- इक्विटी शेयर जारी करने से कंपनी की सम्पति के ऊपर कोई अतिरिक्त दायित्व उत्पन नहीं होता है,
- Equity Share, स्टॉक मार्किट पर आसानी से ट्रेड किये जा सकते है,
इक्विटी शेयर से इक्विटी शेयरहोल्डर को होने वाले फायदे
- इक्विटी शेयर होल्डर कंपनी के असली मालिक होते है, जिनका कंपनी के कार्यो के ऊपर कण्ट्रोल होता है, और उनके पास मतदान का अधिकार (Voting Rights ) होता है,
- इक्विटी शेयर होल्डर के लाभ की कोई सीमा नहीं होती, और उनका दायित्व उनके द्वारा ख़रीदे गए शेयर के बराबर ही होता है,
- अगर कम्पनी बड़ा लाभ कमाती है, तो इसका अधिक फायदा इक्विटी शेयर होल्डर को मिलता है, इक्विटी शेयर का भाव बढ़ जाता है और दूसरा लाभांश अधिक मिलने की उम्मीद होती है,
अब बात करते है, शेयर के दुसरे प्रकार – Preference share (प्रेफेरेंस शेयर) के बारे में –
Preference share (प्रेफेरेंस शेयर) क्या होता है ?
आप देखेंगे कि Preference share (प्रेफेरेंस शेयर) में पहला शव्द preference का है, जिस से स्पस्ट होता है कि Preference share (प्रेफेरेंस शेयर) को कुछ विशेष अधिकार पहले से निश्चित होते है,
जैसे – Preference share (प्रेफेरेंस शेयर) के केस में Preference shareholder को हर साल कितना लाभांश दिया जायेगा, ये पहले ही तय होता है,
और दूसरा प्रेफेरेंस शेयरहोल्डर को वोट देने का अधिकार नहीं होता है, ये सबसे बड़ा फर्क है इक्विटी और प्रेफेरेंस शेयर में,
ध्यान देने वाली बात ये है कि – प्रेफेरंस शेयर में कई अलग अलग प्रकार होते है,
लेकिन, मुख्य समझने वाली बात ये है कि – आज के समय में प्रेफेरंस शेयर के बजाये कोई भी कंपनी इक्विटी शेयर निर्गमित करने में ज्यादा रूचि रखती है,
अब बात करते है शेयर के तीसरे प्रकार के बारे में –
DVR SHARE (डीवीआर शेयर ) क्या होता है ?
DVR का फुल फॉर्म है – Shares with Differential Voting Rights,
इस तरह के शेयर इक्विटी और परेफरेंस शेयर दोनों का मिला जुला रूप है, इसमें DVR शेयर होल्डर को , इक्विटी शेयरहोल्डर की तरह से पूरी तरह वोटिंग का अधिकार नहीं होता, कुछ प्रतिशत ही होता है,
लेकिन, DVR शेयर होल्डर को अधिक लाभांश मिलता है,
फ़िलहाल – भारत में दो कंपनी ने DVR शेयर जारी किया है, पहला – TATA MOTORS और दूसरा – JAIN इरीगेशन
आशा है,
इस पोस्ट से आप समझ पाए होंगे कि इक्विटी शेयर Equity Share क्या होता है और साथ ही ये भी जान पाए होंगे कि शेयर कितने प्रकार के होते है ,
आप इस पोस्ट के बारे में अपने सुझाव, सवाल और विचार को नीचे कमेंट करके जरुर बताये,
शेयर मार्केट में इक्विटी क्या है और इक्विटी और शेयर में अंतर (Equity Share In Hindi)
Equity Share Market In Hindi: अगर आप शेयर बाजार में निवेश करते हैं तो एक शब्द आपने आमतौर पर सुना होगा वह है इक्विटी. लेकिन क्या आप जानते हैं Equity क्या है. यदि नहीं तो आज का यह लेख आपके लिए बहुत महत्वपूर्ण हैं, क्योंकि हर एक निवेशक को इक्विटी के बारे में जरुर पता होना चाहिए.
आज के इस लेख में हम आपको इक्विटी शेयर क्या है, इक्विटी मार्केट क्या है, इक्विटी ट्रेडिंग क्या है, इक्विटी और शेयर में क्या अंतर है और इसी प्रकार के इक्विटी से जुडी सारी जानकारी प्रदान करवाने वाले हैं, इसलिए इक्विटी के बारे में अच्छे से समझने के लिए लेख को अंत तक जरुर पढ़ें.
तो चलिए आपका अधिक समय न लेते ही शुरू करते हैं आज का यह लेख, और सबसे पहले जानते हैं Equity का मतलब क्या होता है.
शेयर कितने प्रकार के होते हैं ?
इक्विटी शेयर को आम भाषा में केवल 'शेयर ' कहा जाता है। विभिन्न प्रकार के शेयरों की अलग-अलग विशेषताएँ इक्विटी शेयर के प्रकार होती हैं । अत: इनके प्रकार को समझना आवश्यक है, ताकि निवेशक अपनी जरूरत तथा विवेक के अनुसार उनका चयन कर सके।
भारत में निवेशकों को दो प्रकार के शेयर विकल्प उपलब्ध हैं-
- इक्विटी शेयर (Equity Shares) इक्विटी शेयर के प्रकार
- प्रीफरेंस शेयर (Preference Shares)
इक्विटी शेयर (Equity Shares)
प्राइमरी तथा सेकंडरी मार्केट से निवेशक जो शेयर हासिल करता है, इक्विटी शेयर के प्रकार वह ' साधारण शेयर ' कहलाता है। इस प्रकार का शेयरधारक कंपनी का आंशिक हिस्सेदार होता है तथा कंपनी के नफे-नुकसान से जुड़ा रहता है । साधारण शेयरधारक ही इक्विटी शेयर होल्डर होते हैं । शेयरों की संख्या के अनुपात में कंपनी पर इनका मालिकाना अधिकार होता है। कंपनी की नीति बनानेवाली जनरल मीटिंग में इन्हें वोट देने का अधिकार होता है। इसी प्रकार, ये कंपनी से जुड़े रिस्क तथा नफा-नुकसान के हिस्सेदार भी होते हैं। यदि कंपनी अपना व्यवसाय पूर्ण रूप से समाप्त करती है, तब कंपनी अपनी सारी देनदारी चुकता करने के बाद बची हुई पूँजी संपत्ति को इन साधारण शेयरधारकों को उनकी शेयर संख्या के अनुपात से वितरित करती है।
प्रीफरेंस शेयर (Preference Shares)
साधारण शेयर के विपरीत कंपनी चुनिंदा निवेशकों, प्रोमोटरों तथा दोस्ताना निवेशकों को नीतिगत रूप से प्रिफरेंस शेयर (तरजीह आधार पर) जारी करती है। इन प्रिफरेंस शेयरों की कीमत साधारण शेयर की मौजूदा कीमत से अलग भी हो सकती है। साधारण शेयर के विपरीत प्रिफरेंस शेयरधारकों को वोट देने का अधिकार नहीं होता। प्रिफरेंस शेयरधारकों को प्रतिवर्ष निश्चित मात्रा में लाभांश (डिविडेंड) मिलता है। प्रिफरेंस शेयरधारक साधारण शेयरधारक की अपेक्षा अधिक सुरक्षित होते हैं, क्योंकि जब कभी कंपनी बंद करने की स्थिति आती है तो पूँजी चुकाने के मामले में प्रिफरेंस
शेयरधारकों को साधारण शेयरधारकों से अधिक तरजीह दी जाती है। कंपनी अपनी नीति के अनुसार प्रिफरेंस शेयरों को आंशिक अथवा पूर्ण रूप से साधारण शेयर में परिवर्तित भी कर सकती है। जब कोई कंपनी बहुत अच्छा बिजनेस कर रही है तो उसके साधारण शेयरधारक को ज्यादा फायदा होता है।
प्रिफरेंस शेयरधारक को लाभ में से सबसे पहले हिस्सा मिलता है; लेकिन इन्हें कंपनी का हिस्सेदार नहीं माना जाता है। लाभ के आधार पर प्रिफरेंस शेयर चार तरह के होते हैं-