धन का प्रबंधन

मॉर्गन स्टेनली एक अमेरिकी बहुराष्ट्रीय निवेश बैंकिंग धन का प्रबंधन फर्म है जिसे 1935 में न्यूयॉर्क शहर में स्थापित किया गया था।
जानिये हस्तरेखा धन रेखा के बारे में, जो देती है आपकी हथेली पर धन और धन के संकेत
आपकी हथेली आपके भविष्य के बारे में बहुत कुछ बताती है; आकार, आकार और रेखाएँ आपके व्यक्तित्व के बारे में उन सच्चाइयों को प्रकट करती हैं जो अन्यथा नहीं पाई जा सकतीं। आपके लक्षणों सहित, यह आपके जीवन के प्रकार और आपके पास मौजूद प्राकृतिक क्षमताओं को भी दर्शाता है।
हर कोई जीवन में प्रचुर मात्रा में धन और धन का आनंद लेना चाहता है, लेकिन क्या यह बेहतर नहीं होगा कि आप पहले से जान लें कि आपका भविष्य धन से समृद्ध है या नहीं? हस्तरेखा विज्ञान लोगों को उनके भविष्य के बारे में करीबी अनुमान लगाने में मदद करता है। लेकिन हथेली में कौन से संकेत हैं जो जीवन के इस छिपे हुए पहलू को प्रकट करते हैं?
हथेली में धन रेखा धन और धन के स्पष्ट संकेतों को प्रकट करती है। गहरी, स्पष्ट धन रेखा आपके भविष्य में धन की प्रचुरता को दर्शाती है। जबकि रुक-रुक कर और लहराती हुई धन रेखा आपके भावी जीवन में अस्थिरता या धन की कमी को भी प्रकट करती है।
हस्तरेखा विज्ञान इन दिनों एक अच्छी तरह से विकसित अभ्यास है और दुनिया भर में लोग जीवन में धन का आनंद लेने के बारे में सच्चाई जानने के लिए हस्तरेखाविदों के पास जाते हैं। धन रेखा, धन के मामले में आपका भविष्य कैसा होगा, इसके बारे में बहुत कुछ कहती है।
भागवत कथा सुनने से धन नहीं आनन्द मिलता हैं – श्रीहरि जी महाराज
राहुल सिंह
जमशेदपुर। भुइयाडीह स्लैग रोड़ स्थित नीतिबाग कॉलोनी में चल रहे भागवत कथा के दूसरे दिन शुक्रवार को वृदांवन से पधारे श्रीहरि जी महाराज ने व्यासपीठ से परीक्षित जन्म, सुखदेव आगमन की कथा सुनाई। जिसे सुनकर श्रोता भाव विभोर हो उठे। उन्होंने कहा कि कथा सुनने से धन नहीं आनन्द मिलता हैं। धन से आत्मिक सुख नहीं मिलता। वह सुख कथा सुनने से ही मिलता हैं। धन का प्रबंधन उन्होंने बताया कि, धन तो कोई भी कमा लेता है मगर धन से सुख, नींद, चौन, संतोष आदि नहीं खरीदा जा सकता है। महाराज ने भागवत महात्म्य पर विस्तृत चर्चा करते हुए कहा कि युद्ध में गुरु द्रोण के मारे जाने से क्रोधित होकर उनके पुत्र अश्वत्थामा ने क्रोधित होकर पांडवों को मारने के लिए ब्रह्मास्त्र चलाया। ब्रह्मास्त्र लगने से अभिमन्यु की गर्भवती पत्नी उत्तरा के गर्भ से परीक्षित का जन्म हुआ। परीक्षित जब बड़े हुए नाती पोतों से भरा पूरा परिवार था। सुख वैभव से समृद्ध राज्य था। वह जब 60 वर्ष के थे। एक दिन वह क्रमिक मुनि से मिलने उनके आश्रम गए। उन्होंने आवाज लगाई, लेकिन तप में लीन होने के कारण मुनि ने कोई उत्तर नहीं दिया। राजा परीक्षित स्वयं का अपमान मानकर निकट मृत पड़े सर्प को क्रमिक मुनि के गले में डाल कर चले गए। अपने पिता के गले में मृत सर्प को देख मुनि के पुत्र ने श्राप दे दिया कि जिस किसी ने भी मेरे पिता के गले में मृत सर्प डाला है। उसकी मृत्यु सात दिनों के अंदर सांप के डसने से हो जाएगी। ऐसा ज्ञात होने पर राजा परीक्षित ने विद्वानों को अपने दरबार में बुलाया और उनसे राय मांगी। उस समय विद्वानों ने उन्हें सुखदेव का नाम सुझाया और इस प्रकार सुखदेव का आगमन हुआ। आज की कथा विश्राम के बाद मुख्य यजमान यशवंत सिंह नेे व्यासपीठ की आरती उतारी। इस मौके पर श्री हरि गोबिन्द सेवा समिति की सुनीता सरोज, हंसा सरोज, सीमा सरोज, नंदजी सिंह, रामेश्वर सिंह, विकास कुमार, डा. एसके तिवारी, श्रीराम सरोज, रविशंकर सिंह, दिलीप सिंह, महेश कुमार समेत बड़ी संख्या में श्रद्धालु मौजूद रहे।
2020-2030 भारत का दशक होगा और भारत दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था और बाजार बनेगा: मॉर्गन स्टेनली
अमेरिकी निवेश बैंकिंग फर्म मॉर्गन स्टैनली ने 'व्हाई दिस इज इंडियाज डिकेड' शीर्षक वाली एक रिपोर्ट में उम्मीद की है कि भारत दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा और अगले दशक में वैश्विक आर्थिक विकास में इसका पांचवां हिस्सा होगा।
मॉर्गन स्टेनली की यह अनुमान अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) के अनुमान से मेल खाती है जिसके अनुसार धन का प्रबंधन 2027-28 तक भारत विश्व की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगी। भारत के शीर्ष बैंक एसबीआई ने भी हाल ही में जारी एक रिपोर्ट में 2029 तक भारत को विश्व की तीसरी सबसे सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने का अनुमान लगाया है ।
Seminar organized at VCW: वसंता कॉलेज फॉर वोमेन में आयोजित हुआ सेमिनार
वाराणसी, 20 नवंबर: Seminar organized at VCW: वसंता कॉलेज फॉर वोमेन के वाणिज्य विभाग में आईसीएफएआई बिजनेस स्कूल के सहयोग से नियो बैंकिंग और फिंटैक: करियर की संभावनाओं पर एक सेमिनार का आयोजन किया गया। मुख्य वक्ता डॉ प्राप्ति पॉल ने अपने ज्ञानवर्धक व्याख्यान से छात्राओं को प्रेरित किया।
प्रारंभ में प्राचार्या प्रो.अलका सिंह ने मुख्य वक्ता डॉ प्राप्ति पॉल का स्वागत किया। प्रो.सीमा श्रीवास्तव, समन्वयक आइक्यूएसी ने डॉ प्राप्ति पॉल के व्यक्तित्व और कृतित्व पर प्रकाश डाला। वाणिज्य विभाग की प्रमुख डॉक्टर डी.उमा देवी ने सेमिनार के विषय की गंभीरता को रेखांकित किया।
इस अवसर धन का प्रबंधन पर मुख्य वक्ता डॉ प्राप्ति पॉल ने बीकॉम ऑनर्स की छात्राओं के साथ एक इंटरएक्टिव सत्र किया। उन्होंने बैंकिंग के विभिन्न आयामों जैसे ब्लॉकचेन, व्यक्तिगत वित्त, पूंजी बाजार, धन प्रबंधन और इंसुरेट पर एक मूल्यवान अंतर्दृष्टि प्रदान की। उन्होंने छात्राओं को फिंटेक से परिचित कराया और नियो बैंकिंग के गुण और दोषों पर प्रकाश डाला।