सहसंबंध क्या है

सहसंबंध से आप क्या समझते हैं उदाहरण सहित समझाइए?
इसे सुनेंरोकेंसांख्यिकी एवं प्रायिकता के सन्दर्भ में सहसम्बन्ध (Correlation) का दो सांख्यिकीय चरों के बीच सम्बन्ध का माप होता है। यह बताता है कि दो चर आपस में कितने सम्बन्धित हैं। यदि एक श्रेणी के चर-मूल्य में परिवर्तन होने पर दूसरी श्रेणी के चर-मूल्य में भी परिवर्तन होता है, तो ये दोनों समंक-श्रेणियाँ सह-सम्बन्धित कही जाती है।
इसे सुनेंरोकेंजैसे -किसी व्यक्ति कि दो विषय कि विशेषताओं का परीक्षण द्वारा मापन करना ओर प्रत्येक व्यक्ति के दोनों विषयों के अलग-अलग प्राप्ताकों को तालिका में जोड़ों के रुप में व्यवस्थित करके सांख्यिकीय गणना द्वारा दोनों में सम्बन्ध ज्ञात किया जाता है उसे सह-सम्बन्ध कहते है।
इसे सुनेंरोकेंएक चर में परिवर्तन के साथ दूसरे चर में भी समान अथवा विपरीत दिशा में परिवर्तन होता है, तभी हम कहते हैं कि दोनों चर सहसंबंधित हैं। सहसंबंध के विभिन्न मापों की गणना कर सकेंगे; तथा • संबंधों की मात्रा और दिशा का विश्लेषण कर सकेंगे। सहसंबंध चरों के बीच संबंधों को बताता है।
इसे सुनेंरोकेंसहसंबंध के प्रकार उदाहरणार्थ किसी गैस का समान दाब पर तापक्रम बढ़ने से उसका आयतन बढ़ना अथवा तापक्रम कम होने से उसका आयतन कम होना गैस के दो चरौ- तापक्रम और आयतन के बीच धनात्मक सहसंबंध है।
रैखिक सहसंबंध क्या है?
इसे सुनेंरोकेंध्यान दें कि सहसंबंध एक रैखिक संबंध (शीर्ष पंक्ति) की ताकत और दिशा को दर्शाता है, लेकिन उस संबंध (मध्य) की ढलान नहीं, और न ही गैर-रेखीय संबंधों (नीचे) के कई पहलुओं को दर्शाता है। NB: केंद्र में आकृति का ढलान 0 है लेकिन उस स्थिति में सहसंबंध गुणांक अपरिभाषित है क्योंकि Y का विचरण शून्य है।
सहसंबंध क्या है सहसंबंध की विशेषताओं का उल्लेख करें?
इसे सुनेंरोकेंसहसंबंध उपलब्ध सांख्यिकीय डेटा के साथ दो मात्रात्मक चर के बीच प्रकार (सकारात्मक, नकारात्मक या कोई नहीं) और साहचर्य का स्तर (निकटता का परिमाण) की खोज करता है। यह कभी भी इस बात की जानकारी नहीं देता है कि उनके बीच क्या संबंध है। यह विश्लेषण मौलिक रूप से मात्रात्मक चर के बीच एक रैखिक संबंध की धारणा पर आधारित है।
सहसंबंध का क्या अर्थ है सरल सहसंबंध गुणांक का परास क्या होता है?
इसे सुनेंरोकेंउत्तर शून्य सहसंबंध का अर्थ स्वतंत्रता नहीं है अपितु इसका अर्थ रेखीय । सहसंबंध की स्वतंत्रता है। दो चरों में आरेखीय सहसंबंध होने पर जब उन्हें प्रकीर्ण आरेख पर दर्शाया जायेगा। तो वे शून्य सहसंबंध दर्शायेंगे तथा जब उन्हें पियरसन या स्पीयरमैन विधि से निकाला जाता है तो यह निम्न सहसंबंध का मान देगा।
सह संबंध सहसंबंध क्या है का अर्थ, परिभाषा, महत्व, प्रकार
व्यावहारिक जीवन में अनेक घटनायें परस्पर संबंधित होकर परिवर्तित होती रहती है, अतः हम कभी-कभी यह जानना चाहते हैं कि दो पदमालाओं में कुछ संबंध है या नहीं, और यदि है तो किन अंशों तक। हम यह भी कह सकते हैं कि यदि एक चल के मूल्य में परिवर्तन होने से दूसरे चल के मूल्य में भी परिवर्तन होता हो तो कहा जा सकेगा कि दोनों में सह-संबंध है। उदाहरणस्वरूप अगर घासलेट के भावों में वृद्धि होने से पेट्रोल के भावों में वृद्धि हो जाये तो कार्यकारण संबंध होने से दोनों सह-संबंधित कहलाऍगे। इस प्रकार दो श्रेणियों में साथ-साथ परिवर्तन संबंध होने की प्रवृत्ति को ही सहसंबंध कहा जाता है।
सह-संबंध की परिभाषा (sah sambandh ki paribhasha)
कॉनर के अनुसार, ‘‘जब दो या अधिक परिणाम सहानुभूति में परिवर्तित होते है। ताकि एक के परिवर्तन के फलस्वरूप दूसरे में भी परिवर्तन होता है तो वे सह-संबंधित कहलाते है।"
प्रो. किंग के अनुसार, ‘‘दो श्रेणियों अथवा समूहों के बीच कार्य-कारण संबंध को ही सहसंबंध कहते है।"
डेवनपोर्ट के अनुसार, ‘‘सहसंबंध सम्पूर्ण पृथक विशेषताओं के बीच पाये जाने वाले उस पारस्परिक संबंध की ओर संकेत करता है, जिसके अनुसार वे कुछ अंशों में साथ-साथ परिवर्तन होने की प्रवृत्ति रखते है।"
सह सम्बन्ध का महत्त्व (sah sambandh ka mahtva)
सांख्यिकीय विश्लेषण में सहसम्बन्ध के सिद्धांत और तकनीक का महत्त्वपूर्ण स्थान है। इस सिद्धांत को विकसित करने व आधुनिक रूप देने का श्रेय फ्रांसिस गाल्टन तथा सहसंबंध क्या है कार्ल पियर्सन को है। सहसम्बन्ध विश्लेषण मे हमे यह पता चलता है कि दो सम्बन्धित चल मूल्यों में कितना व किस प्रकार का सम्बन्ध है। आर्थिक क्रियाओं के विश्लेषण में सहसम्बन्ध के महत्त्व को निम्न शीर्षकों के अन्तर्गत रखा जा सकता है--
1. आर्थिक व्यवहारों का अध्ययन
इससे आर्थिक व्यवहारों के अध्ययन और विश्लेषण में सहायता मिलती है।
2. अधिक योग्य भविष्यवाणियां
सहसम्बन्ध के आधार पर निर्वचन से सम्बन्धित अनिश्चितता की मात्रा कम करने में सहायता मिलती है जिससे अधिक निर्भर योग्य भविष्यवाणियां की जा सकती हैं।
3. शोधकार्यो में उपयोगी
सहसम्बन्ध तकनीक आर्थिक शोधकार्यो में विश्लेषण करने, निष्कर्ष निकालने और सिद्धांतों को तैयार करने में भी अत्यत्न उपयोगी सिद्ध होती है।
इस प्रकार व्यावहारिक जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में दो या दो से अधिक सम्बन्धित घटनाओं के पारस्परिक सम्बन्ध का विवेचन करने मे यह सिद्धांत बहुत उपयोगी है।
सह संबंध के प्रकार (sah sambandh ke prakar)
सम्बन्धित चलों के मध्य परिवर्तन की दिशा, अनुपात तथा समंकमालाओं की संख्या के आधार पर सह संबंध निम्न प्रकार के हो सकते है--
1. धनात्मक तथा ऋणात्मक सहसम्बन्ध
यदि दो पदमालाओं का परिवर्तन एक ही दिशा में होता है तो उनके सहसम्बन्ध को प्रत्यक्ष, अनुलोम अथवा धनात्मक कहते हैं। उदाहरणार्थ, यदि किसी वस्तु की मांग की वृद्धि के साथ उस वस्तु के मूल्य में भी वृद्धि होती है तो उनके बीच के सम्बन्ध को प्रत्यक्ष अनुलोम या धनात्मक सहसम्बन्ध कहेंगे। इसके विपरीत, यदि दो पदमालाओं में परिवर्तन एक ही दिशा में न होकर विपरीत दिशाओं में होते हैं, तो उन दो मालाओं के सहसम्बन्ध को प्रतीप, अप्रत्यक्ष, विलोम या ऋणात्मक कहते है। उदाहरणार्थ, पूर्ति की वृद्धि के साथ मूल्य घटता जाता है इसलिए पूर्ति व मूल्य में ऋणात्मक सहसम्बन्ध है।
2. रेखीय और अरेखीय वक्ररेखीय सहसम्बन्ध
जब दो चलों में परिवर्तन का अनुपात स्थायी रूप से समान होता है अर्थात् जब दो चलों में विचरण का अनुपात सदैव एक-सा हो, तो इस प्रकार के सहसम्बन्ध को रेखीय कहते हैं। इसे यदि बिन्दुरेखीय-पत्र पर अंकित किया जाये तो एक सीधी रेखा बनेगी। उदाहरणस्वरूप, यदि किसी कारखाने में मजदूरों की संख्या को दूना करने पर उत्पादन भी दूना हो जाये तो इसे रेखीय सहसम्बन्ध कहेंगे। इसके विपरीत, जब परिवर्तन का अनुपात स्थायी रूप से समान नहीं रहता, तब सहसम्बन्ध को अरेखीय या वक्ररेखीय है।
इसे यदि बिन्दूरेखीय-पत्र पर प्रदर्शित किया जाये तो एक वक्र रेखा बनेगी जैसे विज्ञापन व्यय और बिक्री में सामान्यतः वक्ररेखीय सहसम्बन्ध होगा, क्योंकि बहुत कम सम्भावना है कि दोनों चलों के परिवर्तन के अनुपात में स्थायित्व होगा।
3. सरल, बहुगुणी एवं आंशिक सहसम्बंध
दो चल-मूल्यों के बीच में पाये जाने वाले सहसम्बन्ध को सरल सहसम्बन्ध कहते हैं। इन दो चल-मूल्यों में से एक कारण या स्वतंत्र श्रेणी कहलाता है और दूसरा परिणाम या आश्रित श्रेणी। बहुगुणी सहसम्बन्ध तब होता है जब दो या दो से अधिक स्वतंत्र चल-मूल्य होते है और सहसंबंध क्या है आश्रित चल-मूल्य केवल एक होता है। इन सभी स्वतंत्र चल-मूल्यों का आश्रित चल-मूल्यों पर सम्मिलित प्रभाव पड़ता है। आंशिक सहसम्बन्ध तब होता है जब दो से अधिक चल-मूल्यों का अध्ययन किया जाता है परन्तु अन्य चल-मूल्यों के प्रभाव को स्थिर रखकर केवल दो चल-मूल्यों में सहसम्बन्ध निकाला जाता है। उदाहरण के लिए, यदि वर्षा और खाद दोनों के गेहूँ की उपज पर सामूहिक प्रभाव का गणितीय अध्ययन किया जाये तो वह बहुगुणी सहसम्बन्ध कहलायेगा। इसके विपरीत, यदि एक स्थिर वर्षा की मात्रा में खाद की मात्रा व गेहूँ की उपज के सम्बन्ध का विवेचन किया जाये तो वह आंशिक सहसम्बन्ध कहलायेगा।
सहसंबंध का अर्थ, परिभाषा, प्रकार, उपयोगिता और महत्व
सहसंबंध का अर्थ एक दूसरे के सम्बन्ध से है। सुविधा की दृष्टि से ही हमनें एक निश्चित ज्ञान को पृथक-पृथक विषयों में विभाजित कर लिया है। वास्तव में कोई भी विषय अपने आप में पृथक नहीं है। इसी तरह जीव विज्ञान का अध्ययन भी रसायन विज्ञान और भौतिक विज्ञान के नियमों के अभाव में सम्भव नहीं है। एक विषय को दूसरे विषय से सम्बन्धित कर पढाने से अधिगम अधिक होता है। ऐसी अपनायी गई शिक्षक प्रक्रिया को सहसंबंध कहते हैं।
सहसंबंध का अर्थ
सहसंबंध- correlation शब्द की उत्पत्ति co-relation से हुई है जिसका अर्थ है-पारस्परिक सम्बन्ध। सह-सम्बन्ध इस बात का सूचक होता है। दो विशेषताओं के बीच कितना अंतसंबंध है इससे इसकी जानकारी मिलती है। जैसे -किसी व्यक्ति कि दो विषय कि विशेषताओं का परीक्षण द्वारा मापन करना ओर प्रत्येक व्यक्ति के सहसंबंध क्या है दोनों विषयों के अलग-अलग प्राप्ताकों को तालिका में जोड़ों के रुप में व्यवस्थित करके सांख्यिकीय गणना द्वारा दोनों में सम्बन्ध ज्ञात किया जाता है उसे सह-सम्बन्ध कहते है।
सहसंबंध की परिभाषा
गिलफोर्ड के अनुसार - “सह-सम्बन्ध गुणांक वह अकेली संख्या है जो यह बताती है कि दो वस्तुएँ किस सीमा तक एक दूसरे से सह-सम्बन्धित है तथा एक के परिवर्तन दूसरे के परिवर्तनों को किस सीमा तक प्रभावित करते है।”
डी.एन. श्रीवास्तव के अनुसार - “जब दो चर राशियॉ इस प्रकार सम्बन्धित हो कि एक चर राशि के बढ़ने से दूसरी चर राशि बढ़े या धटे या इसके विपरीत हो तो उन दोनो चर राशियों में सह-सम्बन्ध पाया जाता है।”
बेलिस के अनुसार- “सह-सम्बन्ध का अभिप्राय है- आकडों के दो या अधिक विभिन्न समूहो की तुलना जिसके उसके सम्बन्ध को जाना जा सके और उस सम्बन्ध की मात्रा को अंकात्मक रुप में व्यक्त किया जा सके।”
मेहरसन एवं लेहमन के अनुसार - ‘‘व्यक्तियों के एक ही समूह से प्राप्त दो माप विन्यासों के बीच सम्बन्ध या ‘सहगमशीलता’ का स्तर द्योतक मापन है।’’
सहसंबंध के प्रकार
- धनात्मक सहसंबंध
- ऋणात्मक सहसंबंध
- शून्य सहसंबंध
1. धनात्मक सहसंबंध
जब किसी वस्तु, समूह अथवा घटना के किसी एक चर के मान में वृद्धि होने से दूसरे साहचर्य चर के मान में वृद्धि होती है अथवा उसके मान में कमी होने से दूसरे साहचर्य चर के मान में कमी होती है तो मान दोनों चरों के बीच पाए जाने वाले इस अनुरूप सम्बंध को धनात्मक सहसंबंध करते सहसंबंध क्या है हैं।
उदाहरणार्थ किसी गैस का समान दाब पर तापक्रम बढ़ने से उसका आयतन बढ़ना अथवा तापक्रम कम होने से उसका आयतन कम होना गैस के दो चरौ- तापक्रम और आयतन के बीच धनात्मक सहसंबंध है।
2. ऋणात्मक सहसंबंध
जब किसी वस्तु, समूह अथवा घटना के किसी एक चर के मान में वृद्धि होने से दूसरे साहचर्य चर के मान में कमी आती है अथवा उसके मान में कमी होने से दूसरे साहचर्य चर के मान में वृद्धि होती है तो इन दोनों चरों के बीच पाए जाने वाले इस प्रतिकूल सम्बंध को ऋणात्मक सहसंबंध कहते हैं।
उदाहरणार्थ किसी गैस का समान तापक्रम पर दाब बढ़ने से उसका आयतन कम होना अथवा दाब कम होने से उसका आयतन बढ़ना, गैस के दो चरों-दाब और आयतन के बीच ऋणात्मक सहसंबंध है।
3. शून्य सहसंबंध
जब किसी वस्तु , समूह अथवा घटना के किसी एक चर में परिवर्तन होने से दूसरे साहचर्य चर पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता तो इन दोनों चरों के बीच के सम्बंध को शून्य सहसंबंध कहते हैं।
उदाहरणार्थ किसी गैस के आयतन के बढ़ने अथवा घटने से उसके रासायनिक सूत्र में कोई अन्तर न होना गैस के दो चरों- आयतन और रासायनिक सूत्र के बीच शून्य सहसंबंध है।
सहसंबंध की उपयोगिता, आवश्यकता और महत्व
विज्ञान का मूल आधार कार्य-कारण सम्बंध (Cause and Effect Relationship) है। इस सम्बंध की जानकारी के आधार पर किसी एक क्षेत्र में होने वाले परिवर्तन से किसी दूसरे क्षेत्र में होने वाले परिवर्तन की भविष्यवाणी की जा सकती है। इस प्रकार विज्ञान के क्षेत्र में तो सहसंबंध की सबसे अधिक उपयोगिता है, उसकी सबसे अधिक आवश्यकता है और उसका सबसे अधिक महत्व है।
इस युग में मनोवैज्ञानिकों ने भी मानव व्यवहार के कारकों का पता लगाकर कार्य-कारण सम्बंधों की स्थापना की है। आज मानवीय व्यवहार में कार्य-कारण सम्बंधों को समझने के लिए सहसंबंध प्रविधियों (Correlation Techniques) का प्रयोग किया जाता है।
सहसंबंध क्या है इसके माप की तीन विधियां बताइए?
इसे सुनेंरोकेंदो चरों x और y के बीच विशिष्ट संख्यात्मक मान दिए बिना दृश्य रूप में सहसंबंध की उपस्थिति का अर्थ है कि जब एक चर प्रस्तुत करता है। इसे आसानी से समझने के लिए, यहाँ बीच उनके गुणों के आधार पर निर्धारित कोटियों के हम मान लें कि सहसंबंध, यदि है, तो रेखीय है, द्वारा रेखीय सहसंबंध को मापा जाता है।
दो प्रतिगमन गुणांक कौन से हैं?
इसे सुनेंरोकेंसहसंबंध गुणांक दो चरों के बीच रेखीय संबंध को व्यक्त करता है जबकि प्रतिगमन गुणांक ऐसे चरों के बीच औसत संबंध को व्यक्त करता है। सहसंबंध गुणांक चरों के बीच सापेक्ष माप है जबकि प्रतिगमन विश्लेषण दो चरों के बीच संबंध ज्ञात करने का निरपेक्ष माप है।
आंकड़े से आप क्या समझते हैं?
इसे सुनेंरोकेंटिप्पणी आंकड़ों से अभिप्राय, तथ्यों को सामूहिक रूप में उपलब्ध कराने वाली संख्यात्मक सूचना है। सूचना किसी के भी बारे में हो सकती है, जिसे संख्यात्मक रूप में दिया जा सकता है और निर्णय लेने में सहायक होती है। इसे संख्यात्मक आंकड़े या सरल रूप से, सांख्यिकी भी कहते हैं। आंकड़े एक बहुवचन पद है।
कोटि विधि क्या है?
इसे सुनेंरोकेंकिसी राशि के परिमाण को निकटतम दस के घात के रूप में अभिव्यक्ति को उस राशि के परिमाण की कोटि कहते हैं। इस प्रकार कहते हैं कि धरती के द्रव्यमान के परिमाण की कोटि १०२२ टन है जबकि सूर्य के द्रव्यमान के परिमाण की कोटि १०२७ टन है। महत्ता के क्रमों का प्रयोग प्रायः बहुत लगभग के आंकलनों/तुलनाओं हेतु किया जाता है।
विषमता गुणांक का सूत्र क्या है?
इसे सुनेंरोकेंयदि वंटन में समान्तर माध्य, मध्यिका और बहुलक के बीच जितनी ही अधिक दूरी होगी आवृत्ति वंटन में विषमता उतनी अधिक होगी। मध्यिका तथा बहुलक से निकाले गये विचलनों का योग शून्य न हो। विषमता की माप के द्वारा हमें किसी वंटन विषमता या असमिति की मात्रा (अंकात्मक मान) तथा दिशा (धनात्मक या ऋणात्मक) का ज्ञान होता है।
प्रतिगमन रेखाएं क्या है?सहसंबंध क्या है
इसे सुनेंरोकेंमें आंकड़े , रेखीय प्रतीपगमन एक है रैखिक एक के बीच संबंधों को मॉडलिंग के लिए दृष्टिकोण अदिश प्रतिक्रिया और एक या अधिक व्याख्यात्मक चर (भी रूप में जाना जाता आश्रित एवं स्वतंत्र चरों )। एक व्याख्यात्मक चर के मामले को सरल रैखिक प्रतिगमन कहा जाता है ; एक से अधिक के लिए, प्रक्रिया को बहु रेखीय प्रतिगमन कहा जाता है ।
सहसंबंध एवं प्रतिगमन को क्या अर्थ है?
इसे सुनेंरोकेंसहसंबंध को विश्लेषण के रूप में वर्णित किया गया है जो हमें संघ या दो चर ‘x’ और ‘y’ के बीच संबंध की अनुपस्थिति की जानकारी देता है। दूसरे छोर पर, प्रतिगमन विश्लेषण, स्वतंत्र चर के ज्ञात मूल्य के आधार पर निर्भर चर के मूल्य की भविष्यवाणी करता है, जो दो या अधिक चर के बीच औसत गणितीय संबंध मानता है।
आंशिक गुण संबंध क्या है?
इसे सुनेंरोकेंऔपचारिक परिभाषा प्रथम-क्रम आंशिक सहसंबंध (अर्थात, जब n = 1) एक सहसंबंध और हटाने योग्य सहसंबंधों के गुणनफल के बीच का अंतर है जो हटाने योग्य सहसंबंधों के अलगाव के गुणांक के उत्पाद द्वारा विभाजित है। अलगाव का गुणांक , और सहसंबंध के माध्यम से संयुक्त विचरण के साथ इसका संबंध गिलफोर्ड (1973, पीपी। 344-345) में उपलब्ध है।