प्रचलित मुद्राओं की सूची

Special Story: चाय दूकानदार ‘शत्रुघ्न’ को है मुद्राओं को एकत्र करने का शौक
किसी भी देश में समय-समय पर प्रचलित मुद्राओं में वहां के इतिहास की झलक मिलती है. जब किसी एक ही स्थान पर विभिन्न देशों की प्राचीन मुद्राओं का संग्रह हो तो यह अपने आप में अद्भुत है. छपरा शहर के शत्रुघ्न प्रसाद उर्फ नन्हे ने विभिन्न देशों के प्राचीन सिक्कों तथा नोटों का अनूठा संग्रह कर रखा है. उनके पास मुगलकालीन एवं ईस्ट इंडिया कंपनी तथा ब्रिटिश क्राउन की याद दिलाने वाले प्राचीन सिक्कों के साथ ही एशिया और यूरोप के विभिन्न देशों के पुराने नोटों का बेहतरीन खजाना है.
शहर के मुख्य चौराहे नगरपालिका चौक पर चाय की दूकान लगाने वाले शत्रुधन प्रसाद उर्फ नन्हे को 8 साल की उम्र (1980) से ही सिक्कों को संग्रह करने का शौक लग गया. समय गुजरने के साथ ही उनका यह शौक जुनून में बदल गया. उन्हें पता चले कि किसी के पास कोई प्राचीन प्रचलित मुद्राओं की सूची सिक्का है तो वे उससे संपर्क कर उसे अपने संग्रह में शामिल करते.
अपनी दूकान पर चाय बेचते शत्रुघ्न
इस समय उनके पास करीब 175 देशों के विभिन्न प्राचीन सिक्के और करेंसी नोटों का संग्रह हैं. इनमें 16वीं सदी में मुगलकालीन कुछ सिक्के तो ऐसे हैं जिन पर चांद, सितारा के साथ ही अरबी भाषा में लिखा है. ईस्ट इंडिया कंपनी द्वारा जारी अनेक सिक्के उन्होंने सहेज कर रखे हैं. ब्रिटिश शासन के लंबे दौर में भारत में प्रचलित रहे किंग जार्ज पंचम व षष्टम तथा रानी विक्टोरिया की तस्वीर वाले तमाम सिक्के अपने इतिहास को समेटे हैं.
आज की पीढ़ी को आश्चर्य हो सकता है कि इस देश में कभी एक पैसे का तांबे का सिक्का भी चलन में था. इस संग्रह में एक पैसे के सैकड़ों सिक्के आज भी चमचमा रहे हैं. शत्रुघ्न के पास सिर्फ भारत के ही नहीं बल्कि नेपाल, बंग्लादेश, पाकिस्तान, सऊदी अरब, ईरान, कुवैत, जर्मनी, यूरोपियन देशों समेत 175 देशों के प्रचलित मुद्राओं की सूची पुराने नोट व सिक्के एकत्र हैं.
शत्रुघ्न को अपने जीवन में काफी संघर्ष भी करना पड़ा. चाय की दूकान से अपना और अपने परिवार का भरण पोषण करते है. वह कहते हैं कि “सिक्कों, नोटों के संग्रह में उन्हें अपने पिता स्व. सुखनंदन प्रसाद तथा भाई मोहन जी का पूरा सहयोग मिलता रहा है”. प्राचीन सिक्कों, नोटों के संग्रह प्रचलित मुद्राओं की सूची का उद्देश्य पूछे जाने पर वह कहते हैं कि “सिर्फ शौक है. मेरे इस शौक को गिनीज बुक ऑफ रिकॉर्ड में जगह मिले”.
मुद्राओं के संकलन का शौक रखने वाले शत्रुघ्न के पास अपना घर नही है. जन्म से लेकर वर्तमान तक किराये के मकान में रहते चले आ रहे है. शत्रुघ्न की पत्नी ने बताया कि विदेशी मुद्राओ का संकलन के शौक में वह अपने पति का सहयोग करती है. हालाँकि इतनी विदेशी मुद्राओं को एकत्र करने वाले के बच्चे पैसे के आभाव में सरकारी स्कूलो में पढाई कर पाते है.
भगवान विष्णु विश्राम मुद्रा में क्यों रहते हैं, सिंहासन पर क्यों नहीं बैठते- GK in Hindi
सृष्टि के पालनकर्ता भगवान विष्णु का ध्यान जैसे ही आता है, प्रचलित मुद्राओं की सूची हृदय में एक चित्र उपस्थित होता है। भगवान श्री हरि विष्णु विश्राम मुद्रा में है और माता लक्ष्मी उनके चरणों के पास बैठी हुई है। जबकि शेष ज्यादातर भगवान सिंहासन पर बैठे हुए दिखाई देते हैं और माता उनके साथ उसी सिंहासन पर विराजमान होती हैं। प्रश्न यह है कि भगवान श्री हरि विष्णु हमेशा विश्राम मुद्रा में क्यों रहते हैं। जबकि सृष्टि का पालन करना एक महत्वपूर्ण काम है।
विश्राम नहीं सदायोगी मुद्रा में होते हैं श्री हरि विष्णु
शास्त्रों में भगवान श्री हरि विष्णु के विषय में विस्तार से बताया गया है। अपन यहां सरल शब्दों में बात करेंगे। यह तो सभी जानते हैं कि भगवान विष्णु का निवास क्षीर सागर में है। उनका दरबार नहीं लगता। भगवान विष्णु का आसन शेषनाग हैं। वह कोई निर्जीव वस्तु नहीं है बल्कि ब्रह्मांड के संतुलन का कारण हैं। क्षीर सागर में शेषनाग पर विराजमान भगवान विष्णु अपने चारों हाथों में शंख, चक्र, गदा और पद्म धारण किए होते हैं। उनके शंख को ‘पाञ्चजन्य’ कहा जाता है। चक्र को ‘सुदर्शन’, गदा को ‘कौमोदकी’ और मणि को ‘कौस्तुभ’ कहते हैं। भगवान विष्णु सदायोगी है। यह उनकी योग मुद्रा है। यानी इस मुद्रा में भगवान विष्णु सबसे ज्यादा सक्रिय होते हैं। जिन्हें इसके विषय में पता नहीं होता उनके लिए भगवान विष्णु की सदायोगी मुद्रा के दर्शन विश्राम का भ्रम उत्पन्न करते हैं।
भगवान विष्णु की अन्य प्रचलित मुद्राएं
भगवान विष्णु को उनके भक्त सदायोगी मुद्रा में दर्शन करना पसंद करते हैं। क्योंकि यही सबसे सक्रिय अवस्था है लेकिन भगवान विष्णु की दूसरी सबसे प्रचलित मुद्रा में भगवान खड़े हुए दिखाई देते हैं। श्री सत्यनारायण भगवान और तिरुमाला पर्वत पर भगवान वेंकटेश खड़ी हुई मुद्रा में दर्शन देते हैं। इसके अलावा भगवान परमपदनाथ एवं तोताद्री मुद्रा में भगवान सिंहासन पर बैठे हुए दर्शन देते हैं। लेकिन जिस प्रकार एक राजा सिंहासन पर सक्रिय होता है और उसके दर्शन शोभा देते हैं, उसी प्रकार भगवान विष्णु सदा योगी मुद्रा में सर्वाधिक सक्रिय प्रचलित मुद्राओं की सूची होते हैं और माता लक्ष्मी के साथ उनके दर्शन कल्याणकारी माने जाते हैं। Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article
मुद्रा एंव वित्तीय प्रणालियां (Money & Financial Systems)
इकाई 1: मुद्रा: कार्य, भारत में आपूर्ति के वैकल्पिक उपाय, उनके विभिन्न अंग, अर्थ और परिवर्तित प्रासंगिक महत्व, उच्च शक्ति मुद्रा – अर्थ और उपयोग, उच्च शक्ति मुद्रा के परिवर्तनों के साधन, वित्त: अर्थव्यवस्था में वित्त का योगदान, वित्त के प्रकार, वित्तीय प्रणाली, अंग, वित्तीय मध्यस्थ, बाजार और उसके उपागम और बाजार के कार्य।
इकाई 2: भारतीय बैंकिंग प्रणाली – बैंक की परिभाषा, वाणिज्यिक बैंक के महत्व व कार्य, भारत में वाणिज्यिक बैंकिंग प्रणालियों का ढांचा, बैंक का स्थिति विवरण, मुख्य देयताएं और सम्पत्तियों का आशय व महत्व, क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक, भारत में सहकारी बैंकिंग।
इकाई 3: बैंकों द्वारा साख सृजन की प्रक्रिया, मुद्रा आपूर्ति और कुल बैंक साख का निर्धारण, विकास बैंक और गैर बैंकिंग वित्तीय संस्थाएं, उनकी मुख्य विशेषताएं, भारत में अनियमित साख बाजार, मुख्य विशेषताएं।
इकाई 4: रिजर्व बैंक ऑफ़ इण्डिया: कार्य, मौद्रिक एवं साख नियन्त्रण के उपकरण, स्वाधीनता के पश्चात् मौद्रिक नीति की मुख्य विशेषताएं, ब्याज दरें, भारत में विभिन्न दरें ;जैसे – बाॅण्ड दर, बिल दर, जमा दर आदिद्ध प्रशासनिक एवं बाजार निर्धारण दरें, ब्याज की दरों में अन्तर के विभिन्न स्रोत, 1951 के पश्चात् औसत ब्याज दरों के सम्बन्ध में व्यवहार, मुद्रास्फीति व स्फीतिक प्रत्याशाओं का प्रभाव।
इकाई 5: संस्थागत साख के अभिविभाजन ;प्रचलित मुद्राओं की सूची आबंटनद्ध की समस्याएं और नीतियां, सहकारी और वाणिज्यिक क्षेत्र के मध्य समस्याएं, अंतर्वर्गीय और अंतर्क्षेत्रीय समस्याएं, वृहद् एवं लघु ऋणग्रहीता (ऋणी) की समस्याएं, बैंकों के राष्ट्रीयकरण 1969 के पूर्व और पश्चात् बैंकों की क्रियाओं के सम्बन्ध में विवादित दबावों की क्रियाएं।
मुद्रा एंव वित्तीय प्रणालियां Money & Financial Systems Book विषय-सूची
ब्रिटेनः 42 साल के ऋषि सुनक ने किया कमाल, जानें इंडिया से क्या है रिश्ता
कंजरवेटिव पार्टी के ‘बैकबेंच’ सांसदों की प्रभावशाली 1922 समिति के अध्यक्ष सर ग्राहम ब्रैडी ने संसद परिसर में घोषणा की कि उन्हें केवल एक नामांकन मिला है, लिहाजा नेतृत्व प्रतियोगिता में ऋषि सुनक विजयी रहे हैं।
पेशेवर मोर्चे पर वित्त मंत्री के रूप में अपने विरोधियों के हमलों का सामना करना पड़ा।
Highlights धर्मनिष्ठ हिंदू के रूप में, सुनक नियमित रूप से मंदिर में जाते हैं। नवंबर 2020 में 11 डाउनिंग स्ट्रीट के अपने कार्यालय-निवास के बाहर दीपावली के दीये जलाने वाले पहले वित्त मंत्री बने। पेशेवर मोर्चे पर वित्त मंत्री के रूप में अपने विरोधियों के हमलों का सामना करना पड़ा।
लंदनः भारतीय मूल के ऋषि सुनक को सोमवार को निर्विरोध सत्तारूढ़ कंजरवेटिव पार्टी का नया नेता चुन लिया गया, जिसके साथ ही उनका ब्रिटेन के प्रधानमंत्री पद पर आसीन होना तय हो गया है। इससे पहले पेनी मॉर्डांट ने कंजरवेटिव पार्टी की नेता बनने की दौड़ से अपना नाम वापस ले लिया। पूर्व वित्त मंत्री सुनक (42) ने आसानी से जीत हासिल की।
कंजरवेटिव पार्टी के 357 सांसदों में से आधे से अधिक सांसदों ने उनका समर्थन किया। पार्टी का नेता बनने के लिए उन्हें कम से कम 100 सांसदों के समर्थन की जरूरत थी। कंजरवेटिव पार्टी के ‘बैकबेंच’ सांसदों की प्रभावशाली 1922 समिति के अध्यक्ष सर ग्राहम ब्रैडी ने संसद परिसर में घोषणा की कि उन्हें केवल एक नामांकन मिला है, लिहाजा नेतृत्व प्रतियोगिता में सुनक विजयी रहे हैं।
ऑक्सफॉर्ड विश्वविद्यालय और स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय जैसे दुनिया के नामचीन शिक्षण संस्थानों से शिक्षा हासिल करने वाले ऋषि सुनक भारतीय मूल के ब्रिटेन के पहले प्रधानमंत्री बनेंगे। यहां उनके बारे में और भारत से उनके संबंध के बारे में कुछ अहम जानकारियां हैं।
- प्रचलित मुद्राओं की सूची 42 वर्षीय सुनक का जन्म ब्रिटेन के साउथेम्प्टन में एक भारतीय परिवार के यहां हुआ था। उनके दादा-दादी का ताल्लुक पंजाब से था।
- फार्मेसिस्ट मां और डॉक्टर पिता के बेटे सुनक ने इंग्लैंड के सबसे प्रसिद्ध स्कूलों में से एक ‘विनचेस्टर’ से पढ़ाई की है। इसके बाद वह आगे की पढ़ाई के लिए ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय गए। उन्होंने ’गोल्डमैन सैक्स ग्रुप इंक’ में काम किया और बाद में अमेरिका के कैलिफोर्निया में स्थित स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय से एमबीए किया। यहीं उनकी मुलाकात अपनी पत्नी अक्षता मूर्ति से हुई, जो इंफोसिस के सह संस्थापक नारायण मूर्ति की बेटी हैं।
- सुनक ने ‘हेज फंड’ (जमा निवेश फंड) प्रबंधक क्रिस होन के‘ टीसीआई फंड मैनेजमेंट’ में लगभग तीन वर्षों तक काम किया और फिर पैट्रिक डीगॉर्स के ‘हेज फंड’ ‘थेलेम पार्टनर्स’ में काम करने लगे।
- उन्होंने अक्षता से 2009 में शादी की और दंपति की दो बेटियां हैं, जिनके नाम कृष्णा और अनुष्का हैं।
- सुनक 2015 में रिचमंड, यॉर्कशायर से संसद सदस्य बने।
- उन्होंने संसद में भगवद् गीता पर सांसद के रूप में शपथ ली।
- फरवरी 2020 में उन्हें ब्रिटेन के कैबिनेट के सबसे महत्वपूर्ण पद, ‘ चांसलर ऑफ एक्सचेकर’ यानी वित्त मंत्री नियुक्त किया गया। बोरिस जॉनसन के नेतृत्व वाली सरकार में वित्त मंत्री के तौर पर उन्होंने डाउनिंग स्ट्रीट के अपने आवास पर दिवाली पर दीए जलाए। वह शराब का सेवन नहीं करते हैं।
- वह अक्सर अपनी विरासत के बारे में बात करते हैं और बताते हैं कि कैसे उनके परिवार ने उन्हें मूल्यों और संस्कृति के बारे में याद दिलाया।
- जब बोरिस जॉनसन ने कोविड-19 महामारी के कारण पहली बार राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन का ऐलान किया, तो सुनक ने लाखों नौकरियां बचाने के लिए एक व्यापक राहत पैकेज तैयार किया। जॉनसन के करीबी माने जाने वाले सुनक पूर्व प्रधानमंत्री के व्यक्तित्व से ठीक विपरीत शख्सियत प्रतीत होते रहे।
- सुनक के जब सितारे चमक रहे थे तब ब्रिटेन की पत्रिकाएं उन्हें ‘डिशी ऋषि’ यानी ‘आकर्षक ऋषि’ कहते थे। मगर उनकी पत्नी अक्षता की कर स्थिति और दौलत के साथ-साथ ‘पार्टीगेट’ कांड में उनका नाम आने और लाखों लोगों के लिए कर बढ़ाने के सुनक के कदम की कंजरवेटिव पार्टी के सदस्यों द्वारा आलोचना ने उनकी स्थिति बदली और उन्हें ‘फिशी ऋषि’ यानी ‘संदिग्ध ऋषि’ कहा जाने लगा।
- सुनक दंपति की वित्तीय स्थिति हाल ही में जांच के प्रचलित मुद्राओं की सूची दायरे में तब आई, जब यह पता चला कि अक्षता अब भी भारतीय नागरिक हैं और उनकी ब्रिटेन में गैर-अधिवासित स्थिति है। इस वजह से उन्हें विदेशी कमाई पर यहां कर नहीं देना पड़ता है और वह भारत वापस जाने की योजना बना रही हैं।
अक्षता के गैर-अधिवासी होने की वजह से वह इंफोसिस के शेयर से मिलने वाले लाभांश पर लगभग दो करोड़ पाउंड का कर बचा पाईं। - इस साल प्रधानमंत्री पद के लिए प्रचार के दौरान सुनक प्रचलित मुद्राओं की सूची को कई मोर्चों पर आलोचना का सामना करना पड़ा, जिनमें आलीशान घर, महंगे कपड़े और जूते शामिल थे।
- सुनक की कुल संपत्ति 70 करोड़ पाउंड की है। यॉर्कशायर में एक आलीशान बंगले के अलावा, सुनक और उनकी पत्नी अक्षता प्रचलित मुद्राओं की सूची के पास मध्य लंदन के केंसिंग्टन में और एक संपत्ति है। चुनौतियां: - ब्रिटेन की अर्थव्यवस्था परेशानी का सामना कर रही है। महंगाई उच्च स्तर पर है तथा ब्याज दर बढ़ रही है। यूक्रेन के युद्ध ने इस साल दूसरी बार ऊर्जा पर होने वाले खर्च को बढ़ा दिया।
मुद्रा बाजार में स्टर्लिंग (ब्रिटेन में प्रचलित मुद्रा) कमजोर दिख रहा है। - सुनक का पहला काम ब्रिटेन की अंतरराष्ट्रीय वित्तीय विश्वसनीयता को बहाल करना होगा, क्योंकि निवर्तमान नेता लिज़ ट्रस की बिना कोष मुहैया कराए कर कटौती की योजना और महंगी ऊर्जा मूल्य गारंटी ने बांड बाजार को हिला दिया था।