कॉमर्स का इतिहास

ई-कॉमर्स तथा भारत में इसकी संभावनाओं के संबंध में संक्षिप्त परिचय
प्रश्न: ई-कॉमर्स क्षेत्रक विगत कुछ वर्षों से भारत में तेजी से बढ़ रहा है। हाल ही में प्रस्तावित ड्राफ्ट ई-कॉमर्स नीति के आलोक में इसके विनियमन की आवश्यकता का परीक्षण कीजिए। साथ ही, इस क्षेत्रक द्वारा वर्तमान में सामना की जाने वाली चुनौतियों की पहचान कीजिए। (250 शब्द)
दृष्टिकोण
- ई-कॉमर्स तथा भारत में इसकी संभावनाओं के संबंध में संक्षिप्त परिचय दीजिए।
- उन कारणों को सूचीबद्ध कीजिए जो एक ई-कॉमर्स नीति की आवश्यकता को इंगित करते हैं।
- ई-कॉमर्स क्षेत्रक द्वारा अनुभव की जाने वाली चुनौतियों की चर्चा कीजिए।
- उपयुक्त निष्कर्ष दीजिए।
उत्तर
ई-कॉमर्स एक ऐसा इलेक्ट्रॉनिक प्लेटफॉर्म (मुख्यतः इन्टरनेट आधारित) है जिसके माध्यम से वस्तुओं एवं सेवाओं का क्रय-विक्रय अथवा फण्ड या डेटा का प्रसारण किया जाता है। इसने भारत में व्यवसाय के तरीके को परिवर्तित कर दिया है। वर्तमान में यह अनुमानित 25% की वृद्धि दर के साथ 53 बिलियन डॉलर का व्यवसाय बन गया है तथा इस उद्योग के 2020 तक 100 अरब डॉलर से भी अधिक हो जाने का अनुमान किया गया है।
ई-कॉमर्स उद्योग के विनियमन की आवश्यकता इस क्षेत्र से उत्पन्न या भविष्य में उत्पन्न होने वाली विशिष्ट चुनौतियों के कारण प्रकट हुई है। इन चुनौतियों में निम्नलिखित शामिल हैं:
- उपभोक्ताओं का शोषण: उपभोक्ताओं को ऑनलाइन विक्रेताओं की संभावित धोखाधड़ी से सुरक्षा प्रदान करने हेतु उपभोक्ता संरक्षण मानदंडों की आवश्यकता है।
- घरेलू खुदरा बाजार: अमेज़न और फ्लिप्कार्ट जैसे बड़े ऑनलाइन विक्रेताओं द्वारा किया जाने वाला अनुचित मूल्य निर्धारण ( Predatory pricing) स्थानीय खुदरा विक्रेताओं को हानि पहुंचाता है जबकि खुदरा विक्रेताओं द्वारा बड़ी संख्या में श्रमबल को नियोजित किया जाता है।
- प्रतिस्पर्धा: कुछ ई-रिटेलर्स लाखों छोटे खुदरा विक्रेताओं (मुख्यत: दुकान) की तुलना में खुदरा बाजार में गैर-आनुपातिक रूप से बड़ी हिस्सेदारी का लाभ उठाते हैं। व्यावसायिक गुटबंदी, विलय, अधिग्रहण या अन्य तरीकों से उनके पास बाजार मूल्यों को निर्धारित करने तथा प्रतिस्पर्धा को समाप्त करने की शक्ति होती है।
- उपभोक्ता डेटा: लेन-देन से संबंधित डेटा को डेटा सुरक्षा हेतु स्थानीयकृत करना चाहिए। राष्ट्रीय सुरक्षा और सार्वजनिक नीति उद्देश्यों के लिए सरकार को इस डेटा तक पहुंच की आवश्यकता हो सकती है।
- स्थानीय भुगतान प्रणालियाँ: वित्तीय लेन-देन से संबंधित लागतों को कम करने हेतु राज्य-संचालित रूपे (RuPay) भुगतान, भीम (BHIIM) ऐप इत्यादि को प्रोत्साहित करने की आवश्यकता है।
- MSME की सहभागिता: ऑनलाइन खुदरा व्यापार में MSME की सहभागिता में वृद्धि करने की भी आवश्यकता है।
- प्रत्यक्ष विदेशी निवेश को ऐसे तरीके से विनियमित किया जाना चाहिए जो मेक इन इंडिया पर ध्यान केंद्रित करते समय विदेशी और घरेलू अभिकर्ताओं के लिए व्यावसायिक अवसरों में वृद्धि करें।
भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग द्वारा प्रतिस्पर्धा को हानि पंहुचाने वाले विलयों तथा अधिग्रहणों के निरीक्षण करने की भी आवश्यकता है। हाल ही में प्रस्तावित ड्राफ्ट ई-कॉमर्स नीति का उद्देश्य इन चुनौतियों का समाधान करना है। इसके कुछ विशिष्ट पहलू निम्नलिखित हैं:
- प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से विक्रय कॉमर्स का इतिहास मूल्यों को प्रभावित करने वाली ई-कॉमर्स कंपनियों को प्रतिबंधित करना चाहिए।
- संबंधित तीसरे पक्ष के विक्रेताओं द्वारा मोबाइल फोन, फैशन आइटम जैसी वस्तुओं की थोक खरीद पर प्रतिबंध लगाना चाहिए जो बाजार में मूल्य विकृति का कारण बनता है।
- अत्यधिक छूट ऑफर के लिए सनसेट क्लॉज़ (अर्थात् छूटों की समयबद्ध प्रकृति)।
- इन्वेंटरी मॉडल के सन्दर्भ में यह तय किया जाना चाहिए कि केवल बहुसंख्यक भारतीय स्वामित्व या प्रबंधन वाली कंपनियां ही इस मॉडल का प्रयोग करते हुए विक्रय कर सकती हैं। वहीं विदेशी वित्तपोषित कंपनियों के लिए रिस्ट्रिक्टेड इन्वेंटरी मॉडल का उपयोग किया जाना चाहिए।
- कराधान मामलों में उल्लंघन पर निगरानी रखने हेतु पृथक प्रवर्तन निदेशालय विंग।
- विलयों और अधिग्रहणों के मुद्दों पर निगरानी रखने हेतु प्रतिस्पर्धा आयोग।
- ई-कॉमर्स क्षेत्रक हेतु एकल विनियामक तथा एकल क़ानून।
- भारत द्वारा उत्पन्न डेटा पर नियंत्रण और प्रतिबंध लगाना तथा साथ ही कुछ परिस्थितियों में सरकार के लिए उपयोग हेतु उपलब्ध होना चाहिए।
ई-कॉमर्स क्षेत्रक द्वारा अनुभव की जाने वाली चुनौतियाँ:
- सीमारहित अर्थव्यवस्थाएं: वैश्वीकरण के साथ ही कंपनियों के समक्ष सरकारी विनियमों, भू-राजनीतिक प्रस्थिति, “स्टेटलेस इनकम” तथा अत्यधिक स्थानीय तथा अंतर्राष्ट्रीय प्रतिस्पर्धा से निपटने की आवश्यकता प्रकट होती है।
- भारत में पसंदीदा भुगतान प्रणाली के रूप में कैश ऑन डिलीवरी (COD) को प्राथमिकता दी जाती है जोकि जो कठिन, जोखिमपूर्ण तथा महंगी प्रणाली है।
- पेमेंट गेटवे की उच्च विफलता दर: भारतीय पेमेंट गेटवे की विफलता दर वैश्विक मानकों की तुलना में सामान्यत: उच्च है।
- विश्वास और ब्रांड निर्माण: उपभोक्ताओं की मांगों के किसी भी पहलू की आपूर्ति की विफलता के कारण ऑनलाइन ग्राहक के विश्वास में कमी आ सकती है।
- डाक पते का मानकीकृत न होना: अंतिम गन्तव्य स्थल से संबंधित मुद्दे ई-कॉमर्स की लॉजिस्टिक्स समस्याओं में वृद्धि करते है।
- आपूर्ति श्रृंखला से संबंधित मुद्देः अवस्थिति, अवसंरचना तथा अपरिहार्य बाधाओं पर आधारित समयबद्ध वितरण एक प्रमुख मुद्दा है जो ऑर्डर्स को रद्द करने का कारण बनता है।
- ऑनलाइन सुरक्षा से संबंधित मुद्दे: ई-कॉमर्स साइट्स साइबर हमलों के उच्च जोखिम का सामना करती हैं, क्योंकि वहां वित्तीय लेन-देन तथा उपभोक्ताओं से संबंधित आंकड़े संग्रहित होते हैं।
इस प्रकार, समय की मांग है कि एक ई-कॉमर्स नीति को क्रियान्वित किया जाए जो इस क्षेत्र के व्यापक महत्त्व की उपेक्षा किए बिना एक कुशल ई-कॉमर्स उद्योग के लिए मार्ग प्रशस्त करे। नीति में प्रस्तावित एकल राष्ट्रीय ई-कॉमर्स विनियामक उपभोक्ता संरक्षण और ई-कॉमर्स में विदेशी निवेश की उच्चतम सीमा के अनुपालन को सुनिश्चित करेगा।
आज का इतिहास: पाकिस्तान की सेना ने जुल्फिकार अली भुट्टो सरकार का किया था तख्ता पलट, जानिए 5 जुलाई की महत्वपूर्ण घटनाएं
Aaj Ka Itihas: इतिहास के पन्नों में 5 जुलाई का काफी महत्व है। इस दिन पड़ोसी देश पाकिस्तान में तख्तापलट हुआ था। ये तख्तापलट खुद उसकी सेना ने किया था। सेना ने जुल्फिकार अली भुट्टो सरकार का तख्ता पलट शासन अपने हाथ में ले लिया था। जानिए 5 जुलाई की महत्वपूर्ण घटनाएं
जुल्फिकार अली भुट्टो
1811 : वेनेजुएला के सात प्रांतों ने स्पेन के शासन से स्वतंत्रता की घोषणा की।
1922 : नीदरलैंड में पहली बार आम चुनाव हुए।
1935 : फ्रैंकलिन डी. रूजवेल्ट ने अमेरिका के नेशनल लेबर रिलेशंस कानून पर हस्ताक्षर किए।
1947 : भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम 1947 को ब्रिटेश संसद में पेश किया गया। इसे 18 जुलाई को ब्रिटिश राजशाही की मंजूरी मिली।
1950 : नये कानून के तहत सभी यहूदियों को इस्राइल में रहने की अनुमति दी गयी।
1954 : बीबीसी ने अपने पहले टीवी समाचार बुलेटिन का प्रसारण किया।
1959 : इंडोनेशिया में संविधान बहाल किया गया।
1960 : मंगोलिया ने संविधान अपनाया।
1962 : अल्जीरिया 132 साल के फ्रांसीसी शासन से आजाद हुआ।
1968 : भारत की पहली पनडुब्बी सोवियत रूस से पहुंची।
1977 : जनरल मोहम्मद जिया उल-हक के नेतृत्व में पाकिस्तानी सेना ने तख्ता पलट कर देश के शासन पर कब्जा किया।
1994 : जेफ बेजोस ने ई-कॉमर्स वेबसाइट अमेजन की स्थापना की।
1998 : टैंक भेदी प्रक्षेपास्त्र ‘नाग’ का परीक्षण।
1998 : महाबलीपुरम में डाल्फिन सिटी का उद्घाटन।
2013 : इराक की राजधानी बगदाद की एक मस्जिद पर हुए बम हमले में 15 लोगों की मौत।
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ई कॉमर्स बिजनेस कैसे शुरू करें? यहां जानें | E-commerce Business in hindi
E-commerce Business in hindi: इंटरनेट की दुनिया में व्यवसाय करने का तरीका बदलता जा रहा है। सभी व्यवसाय अब तेजी से इंटरनेट की दुनिया से जुड़ रहे हैं। इंटरनेट से जुड़े सभी व्यवसाय को ही ई कॉमर्स बिजनेस (E-commerce business) कहा जाता है। ई-कॉमर्स बिजनेस देश दुनिया में बहुत तेजी से अपने पांव पसार रहा है।
बिल गेट्स ने एक बार कहा था कि अगर आपका बिजनेस इंटरनेट पर नहीं है तो आपका बिजनेस बिजनेस है ही नहीं। विशेषज्ञों का मानना है कि भारत में अगले 3 साल के अंदर ई-कॉमर्स में दोगुनी तेजी से बढ़ोतरी होगी।
अमेजॉन और फ्लिपकार्ट जैसी ई-कॉमर्स वेबसाइट ने दिखा दिया है कि आने वाले दिनों में बिजनेस का भविष्य क्या होने वाला है इसलिए आपको भी इकॉमर्स से जुड़ने का प्रयास करना चाहिए।
अब सवाल यह है कि ई-कॉमर्स बिजनेस (E-commerce business) करने के लिए आपको क्या-क्या करना होगा।
तो आइए, द रूरल इंडिया के इस ब्लॉग में ई कॉमर्स बिजनेस कैसे शुरू करें (e commerce business kaise start kare)? और ई-कॉमर्स के सभी बिन्दुओं को आसान भाषा में जानें।
ई कॉमर्स बिजनेस के प्रकार
एक बिजनेस मॉडल कैसे तैयार करें
बिजनेस का नाम चुनना
बिजनेस को ब्रांड बनाना
कंपनी का रजिस्ट्रेशन कैसे करवाएं
ई-कॉमर्स वेबसाइट कैसे बनाएं
सही कीवर्ड का इस्तेमाल करें
ई कॉमर्स क्या है?
ई-कॉमर्स को आसान भाषा में कहें तो जो बिजनेस इंटरनेट से जुड़कर व्यवसाय करता है उसे ई कॉमर्स बिजनेस कहते हैं।
ई कॉमर्स बिजनेस के प्रकार
(ई-कॉमर्स बिजनेस) E-commerce बिनेस 3 प्रकार के होते हैं।
इसमें हम अपने प्रॉडक्ट्स को किसी अन्य बिज़नेस को बेचते है इसको Business to Business (B2B) इसीलिए कहते है।
इसमें हम अपने प्रॉडक्ट्स को कस्टमर को बेचते है इसको Business to Customer (B2C) इसीलिए कहते है।
यहां बिजनेस कस्टमर से कस्टमर के बीच होता है Customer to Customer (C2C) इसीलिए कहते है।
बिजनेस मॉडल कैसे तैयार करें
ई-कॉमर्स शुरू करने के लिए आपको सबसे पहले अपने बिजनेस के बारे में अच्छी तरह सोचना होगा कि आप करना क्या चाहते हैं।
अब आपको दो विकल्प मिलेंगे। जैसे-
अगर आपका बजट कम है तो आप एकल बेंडर या सिंगल वेंडर को चुन सकते हैं इसका मतलब इसमें आप किसी एक ही प्रोडक्ट या सर्विस को अपने कॉमर्स साइट पर बेचेंगे।
एकल वेंडर बिजनेस का फायदा है कि एक तो इसमें एडमिनिस्ट्रेटिव लागत कम आती है और पूरा कंट्रोल आपके ही हाथ में होता है
एकाधिक वेंडर स्टोर-
इसमें एक से अधिक विक्रेता अपने सामानों को एक ही साइट पर बेचते हैं।
स्थिति अपने फायदे हैं कि बड़े प्लेटफार्म पर मुनाफे भी बड़े होते हैं और लोगों को एक ही जगह पर इस्तेमाल में आने वाली सारी चीजें मिल जाती है तो कस्टमर भी बढ़ते हैं।
इसका एक फायदा यह भी है कि कभी आप उपलब्ध नहीं है तो आपका सामान किसी और से डिलीवरी करवा दी जाती है ऐसा करने से कस्टमर बने रहते हैं।
बिजनेस को ब्रांड बनाना
अपने इ कॉमर्स बिजनेस (E-commerce business) का मॉडल चुनने के बाद सब लिस्ट बनानी होती है कि आप कितने लोगों को काम में रखना चाहते हैं।
बिजनेस का नाम चुनना
बिजनेस का नाम रखने से पहले आप का ध्यान रखना चाहिए कि आपको एक ब्रांड का नाम चुनना है नाम ऐसा हो जो सभी को याद रहे। यूनिक हो और नाम से ही आपके बिजनेस को दर्शाता हो। जिसका किसी दूसरी भाषा में कोई नकारात्मक मतलब ना हो।
बिजनेस का नाम चुनने के बाद आपको लोगों की डिजाइन करवाना है, जिसे ब्रांड लोगो कहा जाएगा।
कंपनी का प्रकार चुनना होगा
भारत में 4 तरह की कंपनियां होती है।
1. Sole Proprietorship (एकल स्वामित्व)
इसमें एक ही व्यक्ति व्यवसाय या बिजनेस का स्वामी होता है। व्यापार से संबंधित सभी काम और नियंत्रण एक ही व्यक्ति के हाथ में होता है।
2. एक व्यक्ति कंपनी(One Person Company)
यह एक कंपनी के रूप को दर्शात है जिसमें केवल एक ही व्यक्ति कंपनी का मालिक/सदस्य होता है। एक व्यक्ति कंपनी का मतलब ऐसी कंपनी है जिसमें सदस्य के रूप में केवल एक व्यक्ति होता है।
3. सीमित दायित्व भागीदारी limited liability partnership
देश में कंपनियों के रजिस्ट्रेशन के कई तरीके हैं। इनमें से ही एक है एलएलपी फर्म। इस तरह की फर्म के नाम के अंत में एलएलपी लिखा रहता है। एलएलपी के स्ट्रक्चर को सिर्फ किसी कंपनी द्वारा ही इस्तेमाल किया जा सकता है।
कंपनी के रजिस्ट्रेशन की यह प्रक्रिया बहुत आसान है और इसमें खर्च भी बहुत कम आता है। एलएलपी एक अलग कानूनी इकाई है। यह व्यक्तिगत पार्टनर से अलग है।
कंपनी के रजिस्ट्रेशन के एग्रीमेंट के हिसाब से हर पार्टनर की जिम्मेदारी सीमित है. इसकी वजह यह है कि नियमित पार्टनरशिप फर्म में असीमित जिम्मेदारी होती है, जबकि इसमें शेयर होल्डिंग के हिसाब से ही जिम्मेदारी होती है।
4. प्राइवेट लिमिटेड (private limited)
एक प्राइवेट लिमिटेड कंपनी एक संयुक्त स्टॉक कंपनी है, जो भारतीय कंपनी अधिनियम, 2013 या किसी अन्य पिछले अधिनियम के तहत स्थापित की गई है।
यह स्वैच्छिक रूप से बनाए गए व्यक्तियों का एक संघ है। प्राइवेट लिमिटेड कंपनी में मौजूदा कर्मचारियों की अधिकतम संख्या 200 हो सकती है। हम आपको इन चारों में से कोई एक कंपनी के प्रकार सुनना है कि आप किस तरह की बिजनेस चलाना चाहते हैं।
कंपनी का रजिस्ट्रेशन कैसे करवाएं
ई-कॉमर्स पर कैसे शुरू करने का सबसे महत्वपूर्ण भाग है। सबसे पहले डी आई एन यानी कि डायरेक्टर आईडेंटिफिकेशन नंबर के लिए आपको मिनिस्ट्री ऑफ कॉरपोरेट अफेयर्स किस साइट पर जाकर ऑनलाइन फॉर्म भरना है। और सभी दस्तावेजों को अपलोड करना होगा।
रजिस्ट्रेशन के लिए जरूरी दस्तावेज
डिजिटल सिगनेचर सर्टिफिकेट
अपना डीएल नंबर पाने के बाद आपको अपनी कंपनी के कॉमर्स का इतिहास नाम की उपलब्धता चेक करनी होगी। इसके बाद आपको r.o.c. यानी रजिस्ट्रार ऑफ कंपनीज में आवेदन करना है। नाम कंफर्म होने के बाद आपको और भी चीजों के लिए कॉमर्स का इतिहास आवेदन करना होगा।
प्रोविडेंट फंड रजिस्ट्रेशन
कंपनी का खाता कैसे खोलें
इस चरण में नाम कंफर्म होने के बाद आपको कंपनी के नाम से ही एक खाता खोलना होगा। आप खाता किसी भी बैंक में खुलवा सकते हैं।
अगर आपने एकल स्वामित्व कंपनी के विकल्प को चुना है,तो खाता खुल आने से पहले आपको जीएसटी रजिस्ट्रेशन करवाना होगा तभी आप खाता खुलवा सकेंगे।
ई-कॉमर्स वेबसाइट कैसे बनाएं
इसके लिए आपको एक ई-कॉमर्स वेबसाइट बना सकते हैं। वेबसाइट लॉन्च करने से पहले कुछ ध्यान रखने वाली जरूरी बातें
आपको पहले ही यह सोच लेना है कि आप अपनी वेबसाइट पर खुद ही पोस्ट करेंगे या किसी प्रोफेशनल को इसके लिए रखना चाहेंगे
आपको यह भी ध्यान देना है कि जो पोस्ट हो रहा है उसकी पूरी डिटेल सामान के साफ फोटो है या नही।
पेमेंट गेटवे क्या है
आपको अपने एक ई-कॉमर्स बिज़नेस (E-commerce business) को और फायदेमंद बनाने के लिए पेमेंट गेटवे सेट करना होगा जिसमें हर पॉपुलर पेमेंट मेथड रखने होंगे जिससे आपके ग्राहक को पेमेंट करने में आसानी हो। पेमेंट गेटवे बनाने के लिए आपको कुछ दस्तावेज जमा करने होंगे जैस
आपके बिजनेस के नाम का बैंक अकाउंट
सर्टिफिकेट आफ इनकॉरपोरेशन
मेमोरेंडम ऑफ एसोसिएशन
आर्टिकल ऑफ एसोसिएशन
वेबसाइट प्राइवेसी पॉलिसी
यह ई कॉमर्स बिजनेस (E-commerce business) का बहुत ही जरूरी है इसका ताल्लुक ग्राहक तक सामान पहुंचने से है। इसके तहत जब तक सामान ग्राहक तक ना पहुंच जाए तब तक नजर रखना।
इसमें कस्टमर भी अपने ऑर्डर को ट्रैक कर पाते हैं जिससे ग्राहक का भरोसा वेबसाइट पर बाढ़ जाता है।
लोगों को अपने बिजनेस से आकर्षित कैसे करें
लोगों को अपनी वेबसाइट की तरफ आकर्षित करने के लिए आपको मार्केट में ट्रैफिक तैयार करना होगा। इसके लिए विज्ञापन सबसे अच्छा तरीका है आप चाहे तो व्हाट्सएप इंस्टाग्राम पर पेड ऐड चला सकते हैं जिससे लोग आपकी वेबसाइट तक पहुंच सके। इस प्रकार भारत में ई-कॉमर्स बिजनेस करने पर आप लाखों का मुनाफा कमा सकते हैं।
ये तो थी, ई कॉमर्स बिजनेस (E-commerce Business in hindi) की संपूर्ण जानकारी। यदि आप इसी तरह कृषि, मशीनीकरण, सरकारी योजना, बिजनेस आइडिया और ग्रामीण विकास की जानकारी चाहते हैं तो इस वेबसाइट की अन्य लेख जरूर पढ़ें और दूसरों को भी पढ़ने के लिए शेयर करें।
इतिहास कॉमर्स का इतिहास में करें ये कोर्स, IAS-IPS से लेकर प्रोफेसर तक करियर के हैं बेस्ट ऑप्शन
Benefits of History Subject: साइंस और कॉमर्स की पढ़ाई के फायदे तो आपने बहुत बारीकी से समझे होंगे, लेकिन हिस्ट्री भी एक ऐसा सब्जेक्ट है जिसे पढ़कर करियर के कई बेहतरीन रास्ते खुलते हैं, जानिए- इनके बारे में.
aajtak.in
- नई दिल्ली ,
- 20 जुलाई 2022,
- (अपडेटेड 20 कॉमर्स का इतिहास जुलाई 2022, 8:06 PM IST)
- छात्र के लिए करियर के तमाम रास्ते खोलती है हिस्ट्री
- इतिहास के स्टूडेंट्स के लिए यूपीएससी की डगर भी होती है आसान
Career Benefits of History Subject: देश के ज्यादातर केंद्रीय और राज्य बोर्ड एग्जाम के रिजल्ट आ चुके हैं. अब जिन्होंने कक्षा 12वीं की परीक्षा पास कर ली है, उनके लिए अपने करियर का चुनाव करने का सही समय है. यहां हम ह्यूमेनिटी स्ट्रीम के छात्रों के लिए इतिहास विषय से पढ़ाई करने के बाद करियर विकल्पों के बारे में बता रहे हैं.
सेंटर फॉर हिस्टोरिकल स्टडीज के प्रो हीरामन तिवारी aajtak.in से बातचीत में कहते हैं कि हिस्ट्री एक बहुत वृहद विषय है, इसका चुनाव छात्र के लिए करियर के तमाम रास्ते खोलता है. कोई छात्र अगर 12वीं के बाद हिस्ट्री से पढ़ाई शुरू करता है तो उसके लिए आने वाले सालों में यूपीएससी से लेकर शैक्षणिक क्षेत्र में करियर के कई रास्ते खुलते हैं. यही नहीं, यूजी कोर्स में हिस्ट्री से पढ़ने वाले आगे चलकर जनर्लिज्म की पढ़ाई करके भी अपनी फील्ड में बहुत बेहतर कार्य करते हैं.
पुरातत्व (Archaeology) में बनाएं करियर
आर्कलॉजी में एंशिएंट इंडियन कल्चर, एंशिएंट इंडियन हिस्ट्री एंड आर्कलॉजी, आर्कलॉजी एंड म्यूजोलॉजी में बीए की डिग्री लेकर आप इस फील्ड में बेहतर करियर बना सकते हैं. एक पुरातत्वविद् का कार्य रीसर्च या फील्ड-संबंधी हो सकता है. इसमें आप मुद्राशास्त्री कहे जाने वाले सिक्कों के विशेषज्ञ या शिलालेखों को समझने वाले पुरालेखशास्त्री हो सकते हैं.
भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) पुरातत्वविदों को नियुक्त करता है, और इसे 3,600 स्मारकों, विभिन्न राज्य सरकारों के पुरातत्व विभाग, विरासत निकायों, संग्रहालयों और अन्य अनुसंधान संस्थानों के रखरखाव का काम सौंपा गया है.
यूपीएससी तैयारी में है खास रोल
सिविल सेवा परीक्षा, विशेष रूप से मेंस एग्जाम के लिए इतिहास हमेशा से एक पसंदीदा विषय रहा है. हालांकि ये विशाल सिलेबस है, लेकिन इसके कई फायदे भी है, जैसे विषयों को अच्छे से समझने और कॉमर्स का इतिहास उन्हें एब्जॉर्ब करने में आसान है. इसमें स्टडी मैटीरियल की कोई कमी नहीं है और इतिहास जनरल स्टडीज पेपर के एक मेन सेगमेंट को कवर करता है. इतिहास के स्टूडेंट्स के लिए यूपीएससी की डगर काफी आसान हो जाती है.
म्यूजियम क्यूरेटर्स के जॉब भी हैं खास
आर्कोलॉजी एंड म्यूजियोलॉजी में बैचलर से लेकर डिप्लोमा और एडवांस डिप्लोमा के कई कोर्स यूनिवर्सिटीज में मिल जाएंगे. इन्हें करके आप म्यूजियम क्यूरेटर्स नैचुरल हिस्ट्री, मेटल्स, टेराकोटा और पेंटिंग्स जैसे क्षेत्रों में एक्सपर्ट होते हैं. ये स्ट्रीम एक क्रिएटिव स्ट्रीम के तौर पर बहुत फेमस है. म्यूजियम क्यूरेटर्स का मुख्य काम खोजी गई मूर्तियों, पेंटिंग्स और मेटल्स को बचा के रखने का होता है.
हिस्टोरियन, इतिहास विशेषज्ञ से लेकर प्रोफेसर तक के जॉब
हिस्ट्री से बीए ऑनर्स या बीएड के बाद आपके सामने हिस्टोरियन या हिस्ट्री एक्सपर्ट बनने की काबिलियत आ जाती है. हिस्टोरियन बनकर इतिहास का अध्ययन और शोध करके रिसर्च को लिखित रूप में प्रकाशित करते हैं. इतिहासकार बनने के लिए हिस्ट्री में ग्रेजुएशन होना जरूरी है. इसके बाद पॉलिटिकल हिस्ट्री या मिलिट्री हिस्ट्री जैसे सब्जेक्ट्स में मास्टर्स कर सकते हैं.
हिस्ट्री एक्सपर्ट की मार्केट में बहुत डिमांड है. मूवी प्रोडक्शन हाउसेज से लेकर कॉस्ट्यूम और ज्वेलरी डिजाइनरों के बीच हिस्ट्री के एक्सपर्ट की बहुत मांग रहती है. आजकल हिस्ट्री के ऊपर बनने वाली मूवीज के सेट डिजाइन करने के लिए भी हिस्ट्री एक्सपर्ट की मदद ली जाती है. इसके अलावा हिस्ट्री टीचर बनने के भी ऑप्शन हैं.
BBKMU : पीजी की 3312 सीटों के लिए आये 8402 आवेदन, इतिहास, हिदी, इंग्लिश और कॉमर्स बना हॉट केक
Dhanbad : बिनोद बिहारी महतो कोयलांचल विश्वविद्यालय के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है जब एडमिशन के लिए तय सीट पर लगभग तीन गुना एप्लीकेशन आये हैं. अब आलम यह कॉमर्स का इतिहास है कि पीजी विभाग और पीजी कालेजों में इस बार दाखिले के लिए पैरवी तक चल रही है. यहां के पीजी डिपार्टमेंट और धनबाद-बोकारो स्थिति पीजी संचालित कॉलेजों में इतिहास, हिदी, इंग्लिश और कामर्स जैसे विषय हॉट केक बने हुए हैं. विवि के एडमिशन सेल से मिली जानकारी के अनुसार पीजी की 3,312 सीटों में एडमिशन के लिए 8,402 आवेदन आये हैं. किसी विषय में एक सीट पर दो से तीन दावेदार तो किसी में तीन से चार दावेदार हैं. इतिहास, हिदी, इंग्लिश और कामर्स जैसे विषयों में सबसे ज्यादा आवेदन आए हैं.