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बिटकॉइन सरल भाषा में

बिटकॉइन सरल भाषा में

What is Bitcoin | बिटकॉइन क्या है ?

बिटकॉइन एक तरह की क्रिप्टो करेंसी है जिसे केवल वर्चुअल ही स्टोर किया जा सकता है। बिटकॉइन को 2008 में सातोशी नाकामोतो ने बिटकॉइन सरल भाषा में पेश किया गया था। यह कोई नहीं जनता की सातोशी नाकामोतो कोन थे। बिटकॉइन को कोई भी सरकार या बैंक कंट्रोल नहीं करता। ब्लॉकचैन टेक्नोलॉजी पर बनाई गई सबसे पहली क्रिप्टोकोर्रेंसी बिटकॉइन ही है।

बिटकॉइन पर किये गए आज तक के लेन देन उसकी ब्लॉकचैन पर संग्रहीत किये गए है। उन्हें कोई भी देख सकता है , यह इसकी पारदर्शिता को दिखता है। बिटकॉइन को इस्तेमाल कोई भी कर सकता है।

बिटकॉइन कैसे काम करता है ?

जैसा कि अभी हम जान चुके हैं की बिटकॉइन को कोई भी सरकार या बैंक कंट्रोल नहीं करता तो इस पर की गई ट्रांजैक्शन को यूजर्स (users) के द्वारा ही verify किया जाता है। बिटकॉइन ब्लॉकचैन टेक्नोलॉजी पर काम करता है जिसमे नेटवर्क पर गयी सभी ट्रांसक्शन को ब्लॉकचैन पर save कर लिया जाता है।

‌ बिटकॉइन कैसे बनता है ?

बिटकॉइन के बनाने की प्रोसेस को माइनिंग (Mining) कहा जाता है माइनिंग करने के लिए काफी महंगे और सक्षम कंप्यूटर की जरूरत पड़ती है , क्योंकि इसमें एक जटिल प्रक्रिया के द्वारा ही बिटकॉइन की माइनिंग की जाती है। बिटकॉइन प्रूफ ऑफ वर्क(Proof of Work) के सिद्धांत पर काम करता है यानी सरल भाषा में से समझे तो जब भी माइनर (Miner) कोई भी ट्रांजैक्शन को वेरीफाई (verify) करते हैं तो उन्हें बदले में Reward के तौर पर बिटकॉइन दिया जाता है। यह सब करने में काफी ज्यादा बिजली का इस्तेमाल होता है।

बिटकॉइन के सप्लाई

‌बिटकॉइन की टोटल सप्लाई 21 मिलियन (Million) हो सकती है जिसमें से अभी सरकुलेशन में 18.92 million आ चुके हैं। बिटकॉइन का सॉफ्टवेयर कुछ इस तरह से लिखा गया है की 21 मिलियन सर्कुलेटिंग सप्लाई होने में साल 2140 तक का समय लड़ जाएगा। लिमिटेड सप्लाई होने की वजह यह बहुत कीमती है कुछ एक्सपर्ट तो बिटकॉइन को डिजिटल गोल्ड भी कहते है।

बिटकॉइन Halving क्या है ?

जैसा कि हमने पढ़ा की Miners को Reward के दौर पर बिटकॉइन दिया जाता है। ब्लॉक वेरीफाई (Verify) करने के लिए यह reward हर 4 साल बाद यानि लगभग 210000 ब्लॉक माइन होने पर आधा कर दिया जाता है। इस प्रोसेस को Halving कहते हैं यह इसलिए किया गया है ताकि नया बिटकॉइन जो मार्केट में आ रहा है उसके सप्लाई ज्यादा ना हो जाए तीसरी हार्विंग 11 मई 2020 को की गई थी जिसमें हर ब्लाक के माइन किए जाने पर 6.25 बिटकॉइन Reward में दिए जाते हैं।

‌बिटकॉइन के uses

  • बिटकॉइन को हम दुनिया में किसी को भी भेज सकते हैं।
  • बिटकॉइन की ट्रांजैक्शन करते हुए कोई भी मिडिल मैन नहीं होता है।
  • जिस प्रकार कई बार हमारे बैंक अकाउंट ब्लॉक कर दिए जाते हैं उस तरह बिटकॉइन को ब्लॉक करना मुमकिन नहीं है।
  • एल साल्वाडोर (El Salvador) ऐसा पहला देश बना है, जिसने बिटकॉइन को अपनी करेंसी के रूप में मान्यता दी है।

‌ बिटकॉइन कैसे खरीदें ?

आजकल भारत में बिटकॉइन या अन्य कोई भी क्रिप्टो करेंसी खरीदना बेहद आसान हो गया है। हम किसी भी इंडियन एक्सचेंज से रुपए के बदले क्रिप्टोकरंसी खरीद सकते हैं। जैसे CoinDCX , CoinSwitch , WazirX .

क्या बिटकॉइन खरीदना सेफ है ?

बिटकॉइन खरीदना एक हाई रिस्क (High Risk) इन्वेस्टमेंट है। बिटकॉइन का रेट मार्केट के हिसाब से बढ़ता या घटता रहता है। कभी-कभी बिटकॉइन का प्राइस 30 से 40 परसेंट भी गिर जाता है। Investment करने से पहले पूरी जानकारी लेना बहुत बिटकॉइन सरल भाषा में जरुरी है।

बिटकॉइन के नुकसान

  • अगर आपने अपने बिटकॉइन किसी वॉलेट में store किए हुए हैं और आप उसका पासवर्ड भूल जाएं तो उसे रिकवर कर पाना बेहद मुश्किल होता है।
  • किसी सरकार या अथॉरिटी के कंट्रोल में ना होने की वजह से बिटकॉइन का इस्तेमाल illegal चीजें खरीदने में लिया जाता है।

भारत सरकार क्या कहती कई क्रिप्टोकोर्रेंसी के बारे में ?

भारत सरकार ने अभी तक कोई बिल क्रिप्टोकरंसी को लेकर संसद में पेश नहीं किया है हालांकि सरकार क्रिप्टो करेंसी को लेकर बेहद सचेत है और इस पर काम किया जा रहा है। जल्द ही क्रिप्टो करेंसी को लेकर बिल भी पेश किया जा सकता है। जिससे कि एक्सपर्ट मानते हैं की इस क्रिप्टोकरंसी पर रेगुलेशंस लगाई जाएंगी।

रघुराम राजन का बिटकॉइन पर ध्रुवीकरण वाला रुख

बिटकॉइन पर रघुराम राजन - स्मार्ट मनी

यह बढ़ रहा है और लोग इस बेशुमार बढ़त के दौर में कुछ फायदा उठाने के लिए क्रिप्टोकरेंसी की ओर भाग रहे हैं और इस बढ़त का इस बार कोई अंत नजर नहीं आ रहा है। पिछले साल बिटकॉइन गिरकर 10,000 डॉलर पर आ गया और दिसम्बर 2020 में यह 40,000 डॉलर पर पहुँच गया। इस प्रक्रिया में कई खुदरा निवेशक भी इस ब्लॉकचेन दुनिया में अन्य ऑल्टकॉइन के साथ पैसे बनाने आ गये। हालांकि भारत के मशहूर अर्थशास्त्री रघुराम राजन जिन्होंने 2008 के वित्तीय संकट की ठीक-ठीक भविष्यवाणी की थी, वह न बिटकॉइन से प्रभावित हैं और न ही बिटकॉइन में इस बढ़त को वृद्धि की रूपरेखा मानते हैं। सो इस शीर्ष अर्थशास्त्री की बिटकॉइन पर क्या राय है?

इससे पहले बिटकॉइन अर्थव्यवस्था और क्रिप्टोकरेंसी की दुनिया में इसकी भूमिका पर एक निगाह डालते हैं। बिटकॉइन या अन्य कोई भी अन्य क्रिप्टोकरेंसी मुख्य रूप से मूल्य के लेन-देन का डिजिटल माध्यम है। दरअसल यदि आपके पास एक बिटकॉइन है तो आपके पास कोई वस्तु नहीं है, या ऐसी चीज़ नहीं है जो वास्तविक दुनिया की किसी चीज़ का प्रतिनिधित्व करती हो। हालांकि, आप अपने बिटकॉइन को किसी और को बेच सकते हैं और इसके बदले में डॉलर या रुपये वसूल सकते हैं। यहीं पर बिटकॉइन के साथ परेशानी खड़ी होती है।

बिटकॉइन अभी आपको कितने डॉलर देगा, और साल भर बाद कितना इसमें काफी फर्क हो सकता है। ऐसा इसलिए है क्योंकि अपेक्षाकृत स्थिर वास्तविक दुनिया की मुद्राओं के मुकाबले बिटकॉइन की कीमत बहुत उतार-चढ़ाव होता है। और इससे हमारा बिटकॉइन सरल भाषा में मतलब है, बेहद उतार-चढ़ाव। इतना अधिक कि कुछ लोग जिन्होंने 2009 में पांच सौ रुपये में दस बिटकॉइन खरीदे थे और 2017 तक या पिछले साल तक रखा हुआ था, वे अब तक करोड़पति हो गए होंगे। और ऐसे लोग हैं - सबसे उल्लेखनीय है विंकलवॉस ट्विन्स, जिन्हें इंटरनेट पर बिटकॉइन अरबपतियों के रूप में जाना जाता है। तो बिटकॉइन इतना महंगा क्यों हो गया, और रघुराम राजन इससे नाखुश क्यों हैं?

जब बिटकॉइन चलन में आये थे तो वे निश्चित संख्या में ही बनाए गए थे। हमेशा केवल कुछ मिलियन बिटकॉइन ही होंगे, और आखिरी बिटकॉइन 2140 के आसपास बनेगा। हाँ, बिटकॉइन का खनन होता है - सोने की तरह, और यही वजह है कि कुछ अर्थशास्त्रियों ने बिटकॉइन को सोने के बराबर रखा है। दरअसल, कुछ का मानना है कि बिटकॉइन 21 वीं सदी में सोने के बराबर है - फर्क सिर्फ इतना है कि आप इससे कहीं से भी जुड़ सकते हैं और जब चाहे इसकी कीमत भुना सकते हैं। बिटकॉइन खनन समय के साथ और अधिक महंगा होता जा रहा है - क्योंकि कुछ बिटकॉइन के खनन के लिए, आपको बेहद मुश्किल गणितीय समस्याओं को हल करना होगा, जिसमें भारी मात्रा में कंप्यूटिंग शक्ति की ज़रुरत होती है। बिटकॉइन खनन कम्प्यूटेशन और बिजली के लिहाज़ से इतना महंगा होता है, कि बिटकॉइन खनन से दुनिया भर में कार्बन फुटप्रिंट में काफी बढ़ोतरी होती है।

पिछले साल, सिटीबैंक के एक विश्लेषक ने भविष्यवाणी की थी कि 2021 में बिटकॉइन एक लाख डॉलर के स्तर को पार कर जाएगा, और बिटकॉइन सरल भाषा में क्रिप्टोकरेंसी में रूचि रखने वाले कई अन्य लोगों ने बहुत बड़ी संख्या का पूर्वानुमान लगाया है। लेकिन रघुराम राजन का मानना है कि बिटकॉइन में मौजूदा उछाल बुलबुले का सटीक उदाहरण है। उनके अनुसार, टेस्ला इंक, जो एस एंड पी 500 पर कारोबार करती है, की कीमत भी उसके वास्तविक मूल्य से बहुत अधिक है, जबकि टोयोटा और फोर्ड जैसी प्रतिद्वंद्वी कंपनियाँ टेस्ला के मुकाबले अपने वास्तविक आर्थिक उत्पादन से बहुत नीचे कारोबार कर रही हैं। इसलिए यदि बिटकॉइन में तेज़ी बुलबुला है, तो इसका मूल्य कहां से आता है?

इस साल की शुरुआत में, ईलॉन मस्क की वाहन कंपनी टेस्ला ने घोषणा की कि उसके पास 1.5 बिलियन डॉलर मूल्य के बिटकॉइन हैं - जिसके बाद, बिटकॉइन ने अपना रिकॉर्ड तोड़ दिया और 47,000 डॉलर पर कारोबार करने लगा। टेस्ला ने अपनी कारों के बदले में क्रिप्टोक्यूरेंसी भुगतान स्वीकार करने के इरादे से बिटकॉइन खरीदे - इसलिए यदि आपके पास बिटकॉइन हों आप आराम से उनसे टेस्ला कार खरीद सकते हैं। यहीं से चीजें दिलचस्प होने लगती हैं। रघुराम राजन के अनुसार, बिटकॉइन तकलीफदेह है क्योंकि इसके ज़रिये भुगतान स्वीकार करना किसी और के द्वारा अदा की जाने वाली वास्तविक धन राशि और दूसरी पार्टी द्वारा प्राप्त की गई राशि के बीच काफी असमानता पैदा कर सकता है। कल्पना कीजिये, अगर आप भारतीय रुपए में मोटरसाइकिल खरीद रहे हैं, और अचानक डीलरशिप ने आपको बताता है कि अब आपके वाहन की कीमत कल बताई गई कीमत से दोगुनी होगी क्योंकि अब, रुपए की खरीद शक्ति कल के मुकाबले आधी रह गई है। अच्छा नहीं लगता।

तो बिटकॉइन की कीमत में बेतहाशा उतार-चढ़ाव होता रहता है - अब क्या? और क्यों कुछ लोग अब भी इसके पीछे पागल हो रहे हैं? मूल रूप से, किसी को ऐसी मुद्रा में भुगतान करना जिसका वह उपयोग नहीं करता है, यह महंगा सौदा हो सकता है। आप इसे पेपाल के ज़रिये आसानी से कर सकते हैं, कंपनियां और देश हर साल सीमा पार भुगतान के लिए लेनदेन शुल्क के तौर पर अरबों डॉलर खर्च करते हैं। बिटकॉइन इन भुगतानों को सरल बनाने का पहला तरीका था। इतना आसान कि जैसे यूपीआई के ज़रिये 10 रुपये की चाय का भुगतान करना। यही कारण है कि कुछ विश्लेषकों को बिटकॉइन में मूल्य दीखता है।

वहीं अन्य विश्लेषक आम तौर पर ब्लॉकचैन के आइडिया पर दांव लगा रहे हैं। मूल रूप से, भुगतान मूल्य विनिमय का जरिया है, और इस मूल्य के विनिमय में स्थिरता बनाए रखने के लिए विश्वास की ज़रुरत होती है। कैसे? इसलिए जब आप अपने चायवाले को दस रुपये का भुगतान करते हैं, तो भारत सरकार यह सुनिश्चित करती है कि उन दस रुपये का मूल्य कुछ होगा - दूसरे बिटकॉइन सरल भाषा में बिटकॉइन सरल भाषा में शब्दों में, यह दोनों पक्षों के बीच विश्वास के माध्यम का काम करता है। बिटकॉइन में, और ब्लॉकचैन में, विशवास की यह अवधारणा एक खुले बहीखाता से तैयार की जाती है - जहां लेनदेन उन हजारों लोगों द्वारा सत्यापित किए जाते हैं जो बिटकॉइन का उपयोग कर रहे हैं। नतीजतन, यह खुला स्रोत है, और ब्लॉकचेन के साथ विश्वास कायम करना आसान है।

कोई फर्क नहीं पड़ता कि बिटकॉइन का वास्तविक मूल्य कहाँ स्थित है, मांग और आपूर्ति का अर्थशास्त्र लगातार इसके मूल्य को दहाई प्रतिशत में ऊपर और नीचे ले जाता है। रघुराम राजन को लगता है कि यह बिटकॉइन के लिए एक और बुलबुला है, और इसलिए इलॉन मस्क जैसे बिटकॉइन, ब्लॉकचेन और प्रोद्योगिकी के दीवानों के बारे में उनकी राय बिल्कुल उलट है। यह लेख जब लिखा जा रहा था तब बिटकॉइन में एक दिन में 57,000 डॉलर के उच्चतम स्तर छूने के बाद 14 प्रतिशत की गिरावट दर्ज़ हुई। क्या आपको लगता है कि यह एक और बुलबुला जो फूटने की प्रतीक्षा में है?

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Crypto Currency Price

नई दिल्ली: बदलते वक्त के साथ आज पैसे बिटकॉइन सरल भाषा में कमाने और उसे बचाने के तरीके बदल गए है. पहले व्यक्ति पैसों को गुल्लक या बैंक में संभाल कर रखता था लेकिन, अब लोग पैसे को इन्वेस्ट कर लाखों रुपए कमा रहे हैं. पैसे कमाने के लिए जहां पहले व्यक्ति दिन भर मजदूरी या काम करता था. अब मात्र घर बैठे व्यक्ति लाखों रुपए कमा रहा है. इन्वेस्टमेंट और इन्वेस्टमेंट के तरीकों ने लोगों की जिंदगी को बदल दिया है.

आज इन्वेस्टमेंट के नाम पर हर व्यक्ति के दिमाग में जो पहला शब्द आता है वह है क्रिप्टोकरेंसी। दरअसल, क्रिप्टोकरेंसी को फटाफट पैसे कमाने के रूप में देखा जा रहा है. दुनिया भर के देशों ने क्रिप्टोकरेंसी पर अलग-अलग नियम बनाए है और इस पर होने वाली आय पर टैक्स भी लगाया है. भारत में भी क्रिप्टो करेंसी पर कानून बनाए गए है. एक रिपोर्ट के मुताबिक जब क्रिप्टोकरेंसी पहली बार इन्वेस्टमेंट के रूप में सामने आई थी तब जिन लोगों ने इसमें पैसे लगाए थे आज वह लखपति बन चुके हैं. बता दें बाजार में आज एक क्रिप्टो (बिटकॉइन) की वैल्यू 16 लाख के आसपास है. एक बिटकॉइन को आप सरल भाषा में एक शेयर(share) की तरह समझ सकते है.

क्रिप्टोकरेंसी एक बड़ा टर्म है जिसके अंदर अलग-अलग इन्वेस्टमेंट के विकप्ल्प है. क्रिप्टोकरेंसी के कई पार्ट या निवेश विकल्प है जिसमें आप इन्वेस्ट कर अच्छा पैसा कमा सकते है. जैसे- Bitcoin, Ethereum, Coinbase, Ripple, Solana और Tether आदि. इस समय कुछ क्रिप्टोकरंसी इतनी सस्ती है कि जिनका रेट 12 रूपये से लेकर 150 रूपये तक है. ये सभी क्रिप्टोकरेंसी लोगों को अच्छा मुनाफा कमा कर दे रही हैं. यदि आप पैसा इन्वेस्ट करना चाहते है तो यहां निवेश करके अच्छा रिटर्न भविष्य में ले सकते है.

आइए जानते है इस वक्त क्रिप्टो के क्या रेट चल रहे है?

-कोइंडेस्क पर Ethereum Cryptocurrency का रेट फिलहाल 2855.16 डॉलर चल रहा है. इसमें 2.85 फ़ीसदी की गिरावट देखी गई है. जनवरी से लेकर अब तक इस क्रिप्टोकरंसी ने 22.35 फ़ीसदी का नेगेटिव रिटर्न इन्वेस्टर को दिया है.

-वहीं कोइंडेस्क पर बिटकॉइन क्रिप्टोकरेंसी का रेट 39000.51 डॉलर है. हालांकि इस वक्त बिटकॉइन के दामों में 1.51 फ़ीसदी की गिरावट देखी जा रही है. लेकिन, इसके ऑल टाइम हाई रेट को देखें तो इस वक्त इसमें 50 फ़ीसदी तक गिरावट आ चुकी है. वही बिटकॉइन का हाई रेट 68,990 डॉलर तक पहुंचा है.

-एक्सआरपी क्रिप्टोकरेंसी कॉइनडेस्क पर 0.677 डॉलर में खरीदी जा सकती है. इसमें आप इन्वेस्ट करके आने वाले समय में अच्छा रिटर्न ले सकते है. एक्स आरपी क्रिप्टोकरेंसी का ऑल टाइम अधिकतम मूल्य 3.40 डॉलर तक पहुंचा है.

-बाजार में इस समय सबसे सस्ती लेकिन किफायती क्रिप्टोकरंसी के रूप में प्रसिद्ध Dogecoin Cryptocurrency की कॉइनडेस्क पर मौजूदा कीमत 0.12 डॉलर (करीब 9 रूपये) चल रही है. इस क्रिप्टोकरेंसी का ऑल टाइम हाई रेट 0.74 डॉलर रहा है.निवेशकों का मानना है कि अगले एक महीने में इस क्रिप्टोकरेंसी की कीमत 120 डॉलर (लगभग 9200 रुपए) तक पहुंच सकती है।

क्या है RBI का ‘डिजिटल रुपया', बिटकॉइन जैसी क्रिप्टोकरेंसी से कैसे है अलग

क्या है RBI का ‘डिजिटल रुपया', बिटकॉइन जैसी क्रिप्टोकरेंसी से कैसे है अलग

देश की डिजिटल मुद्रा- ‘डिजिटल रुपया’ (e₹) का पहला पायलट परीक्षण 1 नवंबर से शुरू हो गया. केंद्रीय बैंक (RBI) ने अभी होलसेल ट्रांजेक्शन के लिए डिजिटल रुपया जारी किया है. इस परीक्षण में बैंक, सरकारी प्रतिभूतियों (Government Securities) में सेकेंडरी मार्केट लेनदेन के लिए इस डिजिटल मुद्रा का इस्तेमाल करेंगे. भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) द्वारा शुरू ‘डिजिटल रुपये’ के पहले पायलट परीक्षण में ICICI बैंक और बैंक ऑफ बड़ौदा समेत कई बैंकों ने मंगलवार को सरकारी प्रतिभूतियों में लेनदेन के लिए हिस्सा लिया.

न्यूज एजेंसी पीटीआई-भाषा की रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से कहा गया है कि आईसीआईसीआई बैंक ने ‘केंद्रीय बैंक डिजिटल मुद्रा’ (सीबीडीसी) का इस्तेमाल करते हुए आईडीएफसी फर्स्ट बैंक को जीएस 2027 प्रतिभूतियां बेचीं. डिजिटल रुपये के साथ कुल मिलाकर 275 करोड़ रुपये के 48 सौदे हुए. भारतीय स्टेट बैंक, बैंक ऑफ बड़ौदा और कोटक महिंद्रा बैंक ने भी डिजिटल रुपये (थोक खंड) (e₹-W) के पहले पायलट परीक्षण में भाग लिया.

आखिर क्या है डिजिटल रुपया उर्फ CBDC

डिजिटल करेंसी का पूरा नाम सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (Central Bank Digital Currency or CBDC) है. सरकार ने वित्त वर्ष 2022-23 के बजट में डिजिटल रुपया लाने की घोषणा की थी. 30 मार्च 2022 को सीबीडीसी जारी करने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक अधिनियम, 1934 में संशोधनों को सरकार ने राजपत्र अधिसूचना के माध्यम से अधिसूचित किया था. सीबीडीसी किसी केंद्रीय बैंक की तरफ से जारी होने वाले मौद्रिक नोटों का डिजिटल स्वरूप है. इससे यूजर्स को मौजूदा भुगतान प्रणालियों के साथ अतिरिक्त भुगतान विकल्प मिल पाएंगे. डिजिटल रुपया, डिजिटल रूप में नकद रुपए-पैसे की ही तरह है. इसका उपयोग संपत्ति जमा करने के साधन के बजाय लेनदेन की मुद्रा के रूप में किया जाएगा. CBDC को फिजिकल तौर पर नष्ट, जलाया या फाड़ा नहीं जा सकता है.

जिस देश का केंद्रीय बैंक डिजिटल करेंसी को जारी करता है, उस देश की सरकार की मान्यता इसे हासिल होती है. यह उस देश की केंद्रीय बैंक की बैलेंसशीट में भी शामिल होती है. इसकी खासियत यह है कि इसे देश की सॉवरेन करेंसी में बदला जा सकता है.

लीगल टेंडर है डिजिटल रुपया

भारतीय रिजर्व बैंक का CBDC एक लीगल टेंडर है. CBDC के पीछे भारत के केंद्रीय बैंक RBI का बैकअप रहेगा. यह आम मुद्रा यानी फिएट मुद्रा की तरह ही होगा, लेकिन डिजिटल फॉर्मेट में होगा. फिएट मुद्रा, सरकार द्वारा जारी की जाने वाली करेंसी को कहा जाता है. इसलिए एक प्रकार से कह सकते हैं कि डिजिटल रुपया, सरकारी गारंटी वाला डिजिटल वॉलेट होगा. डिजिटल मुद्रा बिटकॉइन सरल भाषा में के रूप में जारी इकाइयों को चलन में मौजूद मुद्रा में शामिल किया जाएगा. जैसे लोग सामान या सेवाओं के बदले करेंसी देते हैं, उसी तरह CBDC से भी आप लेनदेन कर सकेंगे. सरल शब्दों में डिजिटल करेंसी का इस्तेमाल हम अपने सामान्य रुपये-पैसे के रूप में कर सकेंगे, बस रुपये-पैसे डिजिटल फॉर्म में होंगे.

दो तरह की CBDC

रिटेल (CBDC-R): रिटेल CBDC संभवतः सभी को इस्तेमाल के लिए उपलब्ध होगी

होलसेल (CBDC-W): इसे सिर्फ चुनिंदा फाइनेंशियल इंस्टीट्यूशंस के लिए डिजाइन किया गया है.

पिछले दिनों RBI ने इस बारे में जानकारी देते हुए कहा था कि केंद्रीय बैंक डिजिटल मुद्रा (सीबीडीसी) का उद्देश्य मुद्रा के मौजूदा रूपों को बदलने के बजाय डिजिटल मुद्रा को उनका पूरक बनाना और यूजर्स को भुगतान के लिए एक अतिरिक्त विकल्प देना है. इसका मकसद किसी भी तरह से मौजूदा भुगतान प्रणालियों को बदलना नहीं है.

RBI को सीबीडीसी की शुरुआत से कई तरह के लाभ मिलने की उम्मीद है, जैसे कि नकदी पर निर्भरता कम होना, मुद्रा प्रबंधन की कम लागत और निपटान जोखिम में कमी. यह आम जनता और व्यवसायों को सुरक्षा और लिक्विडिटी के साथ केंद्रीय बैंक के पैसे का एक सुविधाजनक, इलेक्ट्रॉनिक रूप प्रदान कर सकता है और उद्यमियों को नए उत्पाद और सेवाएं बनाने के लिए एक मंच प्रदान कर सकता है.

क्रिप्टोकरेंसी से कैसे अलग

डिजिटल करेंसी (Digital Currency) और क्रिप्टोकरेंसी (Cryptocurrency) में काफी अंतर है. इसलिए दोनों में कन्फ्यूज न हों. सबसे बड़ा अंतर यह है कि डिजिटल करेंसी को उस देश की सरकार की मान्यता हासिल होती है, जिस देश का केंद्रीय बैंक इसे जारी करता है. डिजिटल रुपये को केंद्रीय बैंक द्वारा विनियमित किया जाता है. इसलिए इसमें जोखिम नहीं होता है. वहीं क्रिप्टोकरेंसी एक मुक्त डिजिटल एसेट या वर्चुअल एसेट है. यह किसी देश या क्षेत्र की सरकार के अधिकार क्षेत्र या कंट्रोल में नहीं है. बिटकॉइन जैसी क्रिप्टोकरेंसी डिसेंट्रलाइज्ड है और किसी सरकार या सरकारी संस्था से संबंध नहीं है.

कब होगा रिटेल सेगमेंट का ट्रायल

RBI के गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा है कि डिजिटल रुपये (खुदरा खंड) (e₹-R) का पहला पायलट परीक्षण नवंबर माह के आखिर में शुरू करने की योजना है. आरबीआई की डिजिटल मुद्रा में सौदों का निपटान करने से निपटान लागत में कमी आने की संभावना है. डिजिटल रुपये (थोक खंड) के पहले पायलट परीक्षण में हिस्सा लेने के लिए SBI, बैंक ऑफ बड़ौदा, यूनियन बैंक ऑफ इंडिया, HDFC बैंक, ICICI बैंक, कोटक महिंद्रा बैंक, यस बैंक, IDFC फर्स्ट बैंक और HSBC को चुना गया है.

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