क्रिप्टो बैन

बता दें कि कल इस खबर के आने के बाद रात 11:क्रिप्टो बैन 45 बजे सभी बड़ी क्रिप्टोकरेंसी में 15 फीसदी से ज्यादा की गिरावट देखी जा रही थी. Bitcoin जहां 17 फीसदी तक गिर गया था, वहीं Ethereum में 15 फीसदी की गिरावट देखी जा रही थी. मार्केट कैप के लिहाज से तीसरा सबसे बड़ा क्रिप्टो तो Tether तो 18 फीसदी तक गिर गया था.
Cryptocurrency: रिजर्व बैंक क्रिप्टो पर बैन लगाना चाहता है लेकिन इसके लिए चाहिए ग्लोबल सपोर्ट-निर्मला सीतामरण
वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) ने एक बार फिर क्रिप्टोकरेंसीज (Cryptocurrencies) के बारे में सरकार का रुख साफ किया है। सोमवार (18 जुलाई) को उन्होंने संसद में इस बारे में बयान दिया। उन्होंने कहा कि क्रिप्टोकरेंसी पर प्रतिबंध या सख्त क्रिप्टो बैन नियमों के प्रभावी होने के लिए दूसरे देशों का सहयोग (Global Collaboration) जरूरी है।
RBI क्रिप्टो बैन क्रिप्टोकरेंसीज को लेकर सख्त नियम बनाने और इसके इस्तेमाल पर रोक लगाने के पक्ष में रहा है। सीतारमण ने लोकसभा में एक सवाल के लिखित जवाब में कहा, "RBI देश की मॉनेटरी और फिस्कल स्टैबिलिटी के लिए क्रिप्टोकरेंसीज को खतरा बता चुका है। उसने इस सेक्टर के लिए कानून बनाने की सिफारिश की है। RBI का मानना है कि इस पर रोक लगाई जानी चाहिए। "
'Crypto ban'
WeChat के मैनेजमेंट ने इस वर्ष की शुरुआत में चीन के रेगुलेटर्स की ओर से जारी की गई गाइडलाइंस के अनुसार रूल्स में बदलाव किया है। इन क्रिप्टो बैन रेगुलेटर्स ने इंडस्ट्री को ऐसे डिजिटल एसेट्स से दूरी बनाने की सलाह दी थी
WeChat के मैनेजमेंट ने इस वर्ष की शुरुआत में चीन के रेगुलेटर्स की ओर से जारी की गई गाइडलाइंस के अनुसार रूल्स में बदलाव किया है. इन रेगुलेटर्स क्रिप्टो बैन ने इंडस्ट्री को ऐसे डिजिटल एसेट्स से दूरी बनाने की सलाह दी थी
हाल ही में दक्षिण कोरिया के सत्तारूढ़ दल ने एक नई डिजिटल एसेट कमेटी बनाने की भी घोषणा की थी। क्रिप्टो इंडस्ट्री के लिए रेगुलेटर के तौर पर काम करने वाली इस कमेटी को इस सेगमेंट से जुड़ी पॉलिसी भी बनानी होगी
क्रिप्टो बैन: सही कदम या भूल
भारत में इन दिनों क्रिप्टोकरेंसी को लेकर चर्चा हरेक की जुबान पर है भले ही उसने इसमें कभी निवेश किया हो या नहीं. अब सरकार इस पर कानून लाने वाली है, लेकिन यह काम भी बड़ा उलझन भरा है. जाानिए क्यों?भारतीय संसद के इस हफ्ते शुरू हुए शीतकालीन सत्र की खास बात कृषि या विकास संबंधी परियोजनाएं न होकर एक ऐसी करेंसी या मुद्रा रही जो न देखी जा सकती है, न छुई जा सकती है और जिसकी कीमत तेजी से घटती-बढ़ती रहती है. इसे क्रिप्टोकरेंसी या डिजिटल करेंसी कहते हैं, जिस पर सरकार या बैंक का नियंत्रण नहीं होता है. यह करेंसी ब्लॉकचेन तकनीक पर बनी होती है, जो किसी डेटा को डिजिटली सहेजता है. अब जो करेंसी किसी के नियंत्रण में नहीं है, उस पर सरकार कानून कैसे ला सकती है? इसका जवाब हां और ना दोनों है. भले ही सरकार ने क्रिप्टोकरेंसी को लेकर कोई कानून न बनाया हो, लेकिन भारत का आयकर विभाग क्रिप्टो निवेश पर होने वाली इनकम पर टैक्स लेता है. हालांकि क्रिप्टो टैक्स के नियम ज्यादा साफ नहीं हैं, लेकिन अगर किसी निवेश पर टैक्स लिया जा रहा है तो इसका मतलब है कि सरकार उसे आय का स्रोत मान रही है. दूसरा पक्ष यह है कि सरकार इसे पेमेंट का माध्यम मानने से इनकार कर रही है. हाल ही में संसद की ओर से जारी एक बुलेटिन में कहा गया कि बिटकॉइन या इथेरियम जैसी अन्य क्रिप्टोकरेंसी को करेंसी का दर्जा नहीं दिया जा सकता है. यानि इनसे कोई भी दूसरा सामान नहीं खरीदा जा सकेगा.
RBI और SEBI की भी टेढ़ी निगाहें
वहीं, RBI तो कई बार इस बाजार को लेकर चिंता जाहिर कर चुकी है. आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने भी पिछले हफ्ते कहा कि क्रिप्टोकरेंसी से जुड़े गहरे मुद्दों पर गहन विमर्श की जरूरत है. दास ने कहा, ‘आंतरिक विमर्श के बाद आरबीआई की यह राय है कि वृहत आर्थिक और वित्तीय स्थिरता पर गंभीर चिंताएं हैं और इनके बारे में गहन चर्चा करने की जरूरत है.' उन्होंने चलन में मौजूद क्रिप्टोकरेंसी की मात्रा पर संदेह जताते हुए कहा कि निवेशकों को इसके जरिये लुभाने की कोशिश की जा रही है. क्रिप्टो खाते खोलने के लिए ऋण भी दिए जा रहे हैं.
वहीं बाजार नियामक संस्था Securities and Exchange Board of India (SEBI) ने भी रिटेल निवेशकों को ध्यान में रखते हुए भारत में अनियमित क्रिप्टोकरेंसी बाजार के तेज ग्रोथ को लेकर चिंताएं जताई थीं.
Video : कॉफी एंड क्रिप्टो - भारत में क्रिप्टोकरेंसी को लेकर हलचल तेज, मिल सकता है ऐसेट क्लास का दर्जा
तो क्या क्रिप्टो करेंसी लीगल हो गई?
बजट में हुए इस ऐलान के बाद ज्यादातर लोगों के मन में ये सवाल है कि क्या सरकार ने डिजिटल करेंसी पर टैक्स लगा कर क्रिप्टो बैन इसे लीगल कर दिया है? जवाब है- नहीं. इसे ऐसे समझिए, सरकार सिर्फ उस डिजिटल करेंसी (Digital Currency) को लीगल यानी वैध मानती है, जिसे Reserve Bank of India-RBI जारी करता है या करेगा. मतलब अभी जो Bitcoin जैसी Crypto Currency हैं, वो वैध नहीं है. बजट भाषण के बाद पत्रकारों से सवाल-जवाब में वित्तमंत्री ने साफ किया कि क्रिप्टो की वैधता को लेकर सरकार में चर्चा जारी है लेकिन अब तक कोई फैसला नहीं हुआ है. उन्होंने कहा कि सेंट्रल बैंक के फ्रेमवर्क के बाहर जो भी क्रिप्टोकरेंसी हैं, वे करेंसी नहीं हैं. अगर क्रिप्टो बैन कोई आपसे कहे कि ये लीगल हो गई हैं तो जब तक सरकार नहीं कहती, मानिएगा नहीं. यहां पर गौर करने की बात ये भी है कि सरकार अप्रैल से शुरू होने वाले कारोबारी साल में अपनी डिजिटल करेंसी लाने की भी तैयारी में है जिसका जिक्र वित्तमंत्री ने अपने भाषण में किया. जाहिर है ये करेंसी पूरी तरह लीगल होगी.
वर्चुअल एसेट से वित्तमंत्री का मतलब क्या है?
आसान तरीके से समझें तो आप जो सोना खरीदते हैं या जो घर क्रिप्टो बैन खरीदते हैं, वो आपकी Assets होती है. मतलब आपकी सम्पत्ति, ना कि ये करेंसी है. ठीक इसी तरह Crypto Currency भारत सरकार के लिए एक Asset होगी और इस पर लोगों से टैक्स वसूला जाएगा. अगर आप ये सोच रहे हैं कि Bitcoin, Ethereum, Tether, Ripple जैसी डिजिटल करेंसी को लीगल माना गया है तो तकनीकी तौर पर बिल्कुल सही नहीं है. हालांकि, लोग इसमें निवेश कर सकेंगे.
सरकार के प्रतिनिधियों ने ये भी बताया कि देश में क्रिप्टोकरेंसी ट्रांजैक्शन साल 2017 से ही सरकार के राडार पर है. इस पर टैक्स लगाने से सरकारी खजाने में मोटी रकम पहुंचनी तय है. अभी अमेरिका, ब्रिटेन, इटली, Netherlands और ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों में वर्चुअल करेंसी (Virtual Currency) पर वहां की सरकारें टैक्स लगाती हैं. सरकार के इस फैसले के पीछे एक बड़ी वजह ये हो सकती है कि, हमारे देश में जितने लोगों ने CryptoCurrency में निवेश किया है, वो देश की आबादी का लगभग 8% हैं. RBI के आंकड़ों के मुताबिक, इन लोगों ने अपने 70 हजार करोड़ रुपए इस समय ऐसी Virtual Currency में लगाए हुए हैं. पूरी दुनिया में CryptoCurrency में ट्रेड करने के मामले में भारतीय सबसे आगे हैं. सरल शब्दों में कहें तो ये 30 प्रतिशत टैक्स, सीधे तौर पर 70 हजार करोड़ रुपए के निवेश को एक गारंटी देगा और हो सकता है कि क्रिप्टो बैन भारत में इसका इस्तेमाल बढ़ जाए.
गिफ्ट पर भी लगेगा टैक्स, ऐसे होगा कैलकुलेट
बजट पेश करते हुए वित्त मंत्री ने वर्चुअल एसेट्स (Virtual Assets) के ट्रांजैक्शन से हुई कमाई पर 30% टैक्स लगाने का प्रस्ताव किया. क्रिप्टोकरेंसी गिफ्ट करने को भी ट्रांजेक्शन माना जाएगा. मतलब अगर आप क्रिप्टोकरेंसी किसी को गिफ्ट में देते हैं तब भी 30 फीसदी टैक्स की देनदारी बनेगी. गिफ्ट किए जाने के मामले में उस समय की वैल्यू पर टैक्स लगेगा. इस वैल्यू को Recipient का इनकम क्रिप्टो बैन माना जाएगा और उसे वैल्यू पर टैक्स देना होगा.
एक और बात जो नोटिस करने वाली है कि ये नया टैक्स आने वाले कारोबारी साल यानी 1 अप्रैल से लागू होगा. यानी क्रिप्टो में कारोबार करने वालों के पास फिलहाल 31 क्रिप्टो बैन मार्च तक की मोहलत है. वित्त मंत्री ने यह भी प्रस्ताव किया कि डिजिटल क्रिप्टो बैन एसेट्स के दायरे में क्रिप्टोकरेंसी के अलावा NFT समेत सारे टोकन आते हैं, जो सेंट्रल बैंक के फ्रेमवर्क में नहीं हैं. वित्त मंत्री ने यह भी बताया कि रिजर्व बैंक की डिजिटल करेंसी आने आने वाली है. ये सारे बदलाव बजट पर कैबिनेट की मुहर लगने के बाद 1 अप्रैल 2022 से लागू हो जाएंगे.