रणनीति व्यापार

विदेशी मुद्रा बाजार में ट्रेडिंग के दिन

विदेशी मुद्रा बाजार में ट्रेडिंग के दिन

FTX ने दिवालिया कार्यवाही के लिए अमेरिका में किया आवेदन, CEO सैम बैंकमैन-फ्राइड ने दिया इस्तीफा

FTX इस सप्ताह की शुरुआत विदेशी मुद्रा बाजार में ट्रेडिंग के दिन में अरबों डॉलर के फंड की कमी के चलते धाराशायी हो गया था और इसके सीईओ सैम बैंकमैन-फ्राइड की संपत्ति रातोंरात 90% घट गई थी

क्रिप्टो एक्सचेंज एफटीएक्स (FTX) ने अमेरिका में दिवालिया कानून के तहत संरक्षण के लिए आवेदन किया है। साथ ही इसके CEO सैम बैंकमैन-फ्राइड (Sam Bankman-Fried) ने तत्काल प्रभाव से इस्तीफा दे दिया है। वित्तीय संकट में फसे इस क्रिप्टो-एक्सचेंज ने शुक्रवार 11 नवंबर को जारी एक बयान में यह जानकारी दी। FTX इस सप्ताह की शुरुआत में अरबों डॉलर के फंड की कमी के चलते धाराशायी हो गया था। यह एक्सचेंज धराशायी तब हुआ, जब बाइनेंस (Binance) इस सप्ताह की शुरुआत में इसे खरीदने प्रस्तावित डील से पीछे हट गई और निवेशकों से 9.4 अरब डॉलर की रकम जुटा पाने में नाकाम रहा।

कंपनी ने बताया कि बैंकमैन-फ्राइड की ट्रेडिंग फर्म Alameda Research के लिए भी दिवालिया कानून के तहत संरक्षण की मांग की है। न्यूज एजेंसी रॉयटर्स ने सूत्रों के हवाले से बताया कि FTX की वित्तीय समस्या के पीछे इस ट्रेडिंग फर्म का भी हाथ है और इसे FTX को करीब 10 अरब डॉलर चुकाने हैं।

सैम बैंकमैन-फ्राइड की संपत्ति रातोंरात घटी

FTX की धराशायी होने ने कंपनी की वैल्यू के साथ इसके फाउंडर सैम बैंकमैन-फ्राइड की संपत्ति में भी भारी गिरावट लाया है, जिन्हें कुछ दिनों पहले तक 'क्रिप्टो-अरबपति' और 'क्रिप्टो की दुनिया का सबसे दिग्गज निवेशक' माना जाता है। कई मंचों पर तो फ्राइड की तुलना शेयर बाजार के दिग्गज निवेश वॉरेन बुफे (Warren Buffett) से भी की जाती थी। हालांकि पिछले कुछ दिनों में उनके एसेट्स में 90 फीसदी से अधिक की गिरावट आ चुकी है।

लुढ़कता रुपया पहुंचा 83 के पार

डॉलर के मुकाबले रुपये में नरमी का रुख बना हुआ है और आज यह लुढ़ककर पहली बार 83 के स्तर के पार बंद हुआ। डीलरों ने कहा कि भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की ओर से मुद्रा बाजार में हस्तक्षेप धीमा करने तथा तेल कंपनियों द्वारा डॉलर की भारी मांग की वजह से रुपये में गिरावट बढ़ी है। वैश्विक स्तर पर डॉलर के मजबूत होने और अमेरिकी बॉन्ड प्रतिफल बढ़ने से भी रुपये पर दबाव बढ़ा है।

रुपया 0.8 फीसदी गिरकर 83.02 पर बंद हुआ। मंगलवार को रुपया 82.36 पर बंद हुआ था। इससे पहले रुपये का सबसे निचला बंद स्तर 82.36 था और कारोबार के दौरान इसने 82.72 के निचले विदेशी मुद्रा बाजार में ट्रेडिंग के दिन विदेशी मुद्रा बाजार में ट्रेडिंग के दिन स्तर को छुआ था। इस साल अब तक डॉलर के मुकाबले रुपये में 10.5 फीसदी की नरमी आ चुकी है।

शिनहान बैंक के वाइस प्रेसिडेंट कुणाल सोधानी ने कहा, 'कुछ तेल एवं गैस पीएसयू ने करीब 1 अरब डॉलर मूल्य के डॉलर की विदेशी मुद्रा बाजार में ट्रेडिंग के दिन खरीद की है। पिछले कुछ कारोबारी सत्रों से रुपया 82 से 82.40 के बीच कारोबार कर रहा था और बाजार में डॉलर की उपलब्धता भी कम है।' डीलरों के अनुसार आरबीआई ने आज ज्यादा तत्परता नहीं दिखाई और 82.40 से 82.44 के स्तर पर डॉलर की बिकवाली की। पिछले छह दिन से आरबीआई रुपये को इस स्तर पर सहारा दे रहा था।

11 अक्टूबर से ही रुपया 82.03 से 82.43 के दायरे में कारोबार कर रहा है। रुपये के लिए वृहद आर्थिक बुनियाद कमजोर बनी हुई है और आरबीआई द्वारा बाजार में हस्तक्षेप नहीं करने से स्थानीय मुद्रा में तेज गिरावट आई। ट्रेडरों का कहना है कि रुपये के 82.50 के स्तर को पार करने से उन्हें लगातार तकनीकी नुकसान उठाना पड़ा है। इससे भी रुपये में गिरावट को बल मिला। सभी उभरते बाजारों की मुद्राओं की तुलना में रुपये का प्रदर्शन आज सबसे खराब रहा।

एचडीएफसी बैंक के कार्यकारी उपाध्यक्ष (ओवरसीज ट्रेजरी) भास्कर पांडा ने कहा, '82.40 के स्तर को लांघने के बाद रुपया सीधे 83 के स्तर को पार कर गया। लोगों ने सोचा था कि 82.40-82.44 के स्तर पर रुपये को समर्थन मिलेगा। इस स्तर को लांघने के बाद हर कोई डॉलर खरीदने में जुट गया।' पांडा का मानना है कि निकट अवधि में रुपया 82.50 से 83.50 के दायरे में रह सकता है। अमेरिकी फेडरल रिजर्व द्वारा ब्याज दरों में तेज बढ़ोतरी और चालू खाते का खाता बढ़ना रुपये के लिए मुश्किलें खड़ी कर रहा है।

विश्लेषकों का कहना है कि आरबीआई डॉलर की बिकवाली के जरिये मुद्रा बाजार में कम हस्तक्षेप करने की नीति अपना सकता है। फरवरी में रूस-यूक्रेन युद्ध शुरू होने के बाद से आरबीआई के विदेशी मुद्रा भंडार में करीब 100 अरब डॉलर की कमी आई है। एएनजेड बैंक में ट्रेडिंग प्रमुख नितिन अग्रवाल ने कहा, 'तेल की मांग, आयात बढ़ने और चालू खाते का घाटा बढ़ने से डॉलर की मांग काफी ज्यादा है।' इस साल अब तक विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों ने शेयर बाजार में 23.16 अरब डॉलर की बिकवाली की है।

कमोडिटी बाजार में इंट्रा डे ट्रेडिंग और ओपन इंटरेस्ट के क्या हैं मायने ?

इंट्रा डे ट्रेडिंग दिन भर के अन्तराल में की जाने वाली खरीद और बिक्री को इंट्रा डे ट्रेडिंग कहा जाता है

trading

इंट्रा डे ट्रेडिंग दिन भर के अन्तराल में की जाने वाली खरीद और बिक्री को इंट्रा डे ट्रेडिंग कहा जाता है.

किसी कमोडिटी को जिस दिन खरीदा जाये, उसी दिन उस मार्केट बंद होने से पहले बेच भी दिया जाये या अगर आप शार्ट सेलिंग करते है, तो मार्केट बंद होने से अपनी ओपन पोजीशन को काट लें तो इस तरह कि कारोबारी रणनीति को इंट्रा डे ट्रेडिंग कहा जाता है.

क्या होता ओपन इंटरेस्ट ?
ओपन इंटरेस्ट मार्केट पार्टिसिपेंट्स (कारोबारियों) की कुल संख्या है. इससे पता चलता है कि किसी कमोडिटी के प्रति निवेशकों और कारोबारियों का रुझान कैसा है. ओपन इंटरेस्ट बढ़ने का मतलब है की नया पैसा मार्केट में आ रहा है.

ओपन इंटरेस्ट में गिरावट का मतलब है कि मार्केट में उस कमोडिटी की डिमांड कम है. कमोडिटी बाजार के जानकार किसी भी कमोडिटी में तेजी या मंदी का विश्लेषण करने के लिए ओपन इंटरेस्ट का सहारा लेते हैं. यह किसी भी कमोडिटी का टेक्नीकल एनालिसिस होता है. अगर किसी कमोडिटी का ओपन इंटरेस्ट ज्यादा है तो उस कमोडिटी की कीमतों में तेजी की संभावना बढ़ जाती विदेशी मुद्रा बाजार में ट्रेडिंग के दिन है

हिंदी में पर्सनल फाइनेंस और शेयर बाजार के नियमित अपडेट्स के लिए लाइक करें हमारा फेसबुक पेज. इस पेज को लाइक करने के लिए यहां क्लिक करें.

Sensex Update: एशियाई बाजारों में कमजोरी के बीच सेंसेक्स, निफ्टी में गिरावट

एशियाई बाजारों में कमजोरी के बीच बुधवार को शुरुआती कारोबार में सेंसेक्स और निफ्टी में गिरावट आई. इस दौरान 30 शेयरों वाला बीएसई सेंसेक्स 164.36 अंक गिरकर 61,708.63 पर था. दूसरी ओर व्यापक एनएसई निफ्टी 44.4 अंक गिरकर 18,359 पर आ गया.

Sensex Update: एशियाई बाजारों में कमजोरी के बीच सेंसेक्स, निफ्टी में गिरावट

मुंबई, 16 नवंबर : एशियाई बाजारों में कमजोरी के बीच बुधवार को शुरुआती कारोबार में सेंसेक्स और निफ्टी में गिरावट आई. इस दौरान 30 शेयरों वाला बीएसई सेंसेक्स 164.36 अंक गिरकर 61,708.63 पर था. दूसरी ओर व्यापक एनएसई निफ्टी 44.4 अंक गिरकर 18,359 पर आ गया.

सेंसेक्स में टाटा स्टील, हिंदुस्तान यूनिलीवर, बजाज फाइनेंस, पावर ग्रिड, बजाज फिनसर्व और एशियन पेंट्स गिरने वाले प्रमुख शेयरों में शामिल थे. दूसरी ओर डॉ रेड्डीज, मारुति, टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज और अल्ट्राटेक सीमेंट में तेजी हुई. अन्य एशियाई बाजारों में सोल, तोक्यो, शंघाई और हांगकांग के बाजार लाल निशान में कारोबार कर रहे थे. यह भी पढ़ें : Sensex Update: बाजार में लगातार दूसरे दिन गिरावट, सेंसेक्स 420 अंक टूटकर 61,000 अंक से नीचे फिसला

इसबीच अंतरराष्ट्रीय तेल सूचकांक ब्रेंट क्रूड 0.25 फीसदी की गिरावट के साथ 93.63 डॉलर प्रति बैरल पर था. शेयर बाजार के अस्थाई आंकड़ों के मुताबिक विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) ने मंगलवार को शुद्ध रूप से 221.32 करोड़ रुपये के शेयर बेचे.

Cryptocurrency : क्रिप्टो में निवेश करें या स्टॉक, बॉन्ड, गोल्ड जैसे विकल्प ही बेहतर होंगे?

Cryptocurrency Investment : स्टॉक, बॉन्ड, गोल्ड जैसे कई पारंपरिक विकल्प मौजूद हैं, लेकिन अब क्रिप्टोकरेंसी भारत में भी निवेशकों को अपनी ओर खींच रही है. लेकिन हम एक बार नजर डालते हैं कि क्रिप्टोकरेंसी, पहले से मौजूद ट्रेडिशनल ऑप्शन्स से कितनी अलग है.

Cryptocurrency : क्रिप्टो में निवेश करें या स्टॉक, बॉन्ड, गोल्ड जैसे विकल्प ही बेहतर होंगे?

Cryptocurrency और निवेश के ट्रेडिशनल टूल्स में विदेशी मुद्रा बाजार में ट्रेडिंग के दिन विदेशी मुद्रा बाजार में ट्रेडिंग के दिन हैं कई फर्क और नफे-नुकसान. (प्रतीकात्मक तस्वीर)

भारत में जब निवेश की बात आती है तो निवेशक ऐसे विकल्प चुनना चाहते हैं, जहां उन्हें एक निश्चित अवधि में कम रिस्क के साथ ज्यादा रिटर्न मिल जाए. स्टॉक, बॉन्ड, गोल्ड जैसे कई पारंपरिक विकल्प मौजूद हैं, लेकिन अब क्रिप्टोकरेंसी भारत (Cryptocurrency in India) में भी निवेशकों को अपनी ओर खींच रही है. भविष्य में क्रिप्टोकरेंसी की अहमियत को बढ़ता देखकर यहां इसकी स्टोर वैल्यू के लिए निवेश बढ़ रहा है. रिजर्व बैंक (RBI) ने 2018 में डिजिटल करेंसी फ्रॉड के डर से सभी बैंकों पर क्रिप्टोकरेंसी ट्रांजैक्शन करने पर बैन लगा दिया था. हालांकि, 2020 के मार्च महीने में सुप्रीम कोर्ट ने इस बैन को निरस्त कर दिया था. सुप्रीम कोर्ट के इस रुख के बाद से भारत में क्रिप्टोकरेंसी का बड़ा बाजार तैयार किया है. लेकिन हम एक बार नजर डालते हैं कि क्रिप्टोकरेंसी, पहले से मौजूद ट्रेडिशनल ऑप्शन्स से कितनी अलग है.

क्रिप्टोकरेंसी vs स्टॉक

यह भी पढ़ें

क्रिप्टोकरेंसी और स्टॉक मार्केट में क्या फर्क है, इससे शुरू करते हैं. दोनों ही बाजार में अच्छे-बुरे दिन देखने को मिलते हैं. हालांकि, स्टॉक मार्केट का इतिहास लंबा है, इससे निवेशकों को आगे का विदेशी मुद्रा बाजार में ट्रेडिंग के दिन विदेशी मुद्रा बाजार में ट्रेडिंग के दिन रुख तय करने में मदद मिलती है, वो ट्रेंड्स और प्रिडिक्शन के लिए इन आंकड़ों की मदद लेते हैं, लेकिन क्रिप्टोकरेंसी का बाजार अभी काफी नया है. यहां उतने आंकड़ों का सहारा नहीं होता. स्टॉक मार्केट में कई तरह के रिस्क होते हैं, बिजनेस, फाइनेंशियल, बाजार में वॉलेटिलिटी यानी अस्थिरता, सरकार का नियंत्रण और नियमन वगैरह जैसी चीजें हैं, जो इस बाजार को प्रभावित करती हैं. लेकिन क्रिप्टोकरेंसी का इकोसिस्टम डिसेंट्रलाइज्ड है, यानी अधिकतर करेंसी को कोई सरकार या कोई समूह या संस्था कंट्रोल नहीं करती है.

क्रिप्टोकरेंसी vs बॉन्ड्स

बॉन्ड्स भी निवेश का एक माध्यम होते हैं. ये एक तरह से किसी कंपनी या सरकार की ओर से किसी निवेशक से लिए जाने वाले लोन की तरह होते हैं. यानी कि जब कोई निवेशक किसी कंपनी से विदेशी मुद्रा बाजार में ट्रेडिंग के दिन या सरकार से कोई बॉन्ड खरीदता है तो वो कंपनी या सरकार उसके कर्ज में आ जाती है. जब तक वो कंपनी या सरकार उस निवेशक का लोन नहीं चुकाती है, तब तक उसे इसपर ब्याज मिलता रहता है. बॉन्ड के साथ रिस्क वाली बात यह है कि अगर कंपनी दिवालिया हो जाती है तो एक तो उसे ब्याज मिलना बंद हो जाएगा, दूसरा उसका मूलधन भी डूब जाएगा.

क्रिप्टोकरेंसी vs फॉरेक्स

फॉरेक्स या फॉरेन एक्सचेंज, में निवेशक विदेशी करेंसीज़ में निवेश करते हैं. क्रिप्टोकरेंसी दुनिया भर में कई जगहों पर पेमेंट के तौर पर स्वीकार की जाने वाली करेंसी है और फॉरेक्स में निवेशक भी ग्लोबल विदेशी मुद्रा बाजार में ट्रेडिंग के दिन बाजार से डील करते हैं. लेकिन जो बड़ा फैक्टर है वो अलग-अलग देशों की आर्थिक स्थिति. निवेशकों को किसी भी फॉरेन करेंसी से अच्छा रिटर्न मिलने की संभावना तभी होती है, जब उस देश की अर्थव्यवस्था अच्छा प्रदर्शन कर रही हो, इसी आधार पर यह देखा जा सकता है कि उन्हें कितना लाभ हो रहा है. ऐसे में क्रिप्टोकरेंसी के मुकाबले यह माध्यम थोड़ा रिस्की है.

क्रिप्टोकरेंसी vs सोना-चांदी

सोना-चांदी खरीदना हमारे देश की पसंद के अलावा एक परंपरा भी रही है. आज के वक्त में लोग इन बहुमूल्य धातुओं में विशेषतौर पर आभूषण वगैरह खरीदने के लिए लिहाज से निवेश करते हैं. ऐसे में इनकी कीमत तय करने में मार्केट सेंटिमेंट यानी बाजार की धारणा सबसे बड़ी भूमिका निभाता है. अगर रिस्क की बात करें तो इनमें जो निगेटिव पॉइंट है वो है- पोर्टेबिलिटी, इंपोर्ट टैक्स और इनकी सुरक्षा सुनिश्चित करना. वहीं, क्रिप्टोकरेंसी के साथ ऐसा कुछ नहीं विदेशी मुद्रा बाजार में ट्रेडिंग के दिन है. ये डिजिटल करेंसी है, न इसे कहीं से लाना-ले जाना है, न ही आपको इसपर कोई इंपोर्ट टैक्स देना है. इसकी सिक्योरिटी भी डिजिलाइज्ड है, ऐसे में इन कारणों से क्रिप्टो, मेटल्स के मुकाबले ज्यादा आसान निवेश माध्यम है.

क्रिप्टोकरेंसी vs फिक्स्ड डिपॉजिट

फिक्स्ड डिपॉजिट तब सही होते हैं, जब आपको कोई लॉन्ट टर्म इन्वेस्टमेंट करना हो. इसमें आपको रिटर्न के लिए मैच्योरिटी तक इंतजार करना पड़ता है. अगर आप रिटर्न के लिए लंबा इंतजार नहीं करना चाहते या एफडी का विकल्प छोड़ रहे हैं तो आप क्रिप्टोकरेंसी में निवेश कर सकते हैं. यहां बाजार में तेजी-से उतार-चढ़ाव आता है और आप तेजी से फैसले ले सकते हैं. यहां बाजार के गिरने पर आप अपना पैसा निकाल सकते हैं. लेकिन एक बात जो जाननी चाहिए वो ये कि एफडी को माइन करने या जेनरेट करने के लिए किसी को अलग से कुछ नहीं करना पड़ता. बस एफडी बनवाई और मैच्योरिटी तक भूल गए. लेकिन क्रिप्टोकरेंसी को सर्कुलेशन में लाने के लिए माइनिंग की जाती है. निवेशकों को इनपर अपना वक्त देना होता है क्योंकि बाजार में काफी अनिश्चितता होती है.

निवेश के ट्रेडिशनल टूल्स में लोग सहज महसूस कर सकते हैं क्योंकि इनकी आदत हैं. वहीं क्रिप्टोकरेंसी का बाजार नया है और इसके अपने अलग फायदे और नुकसान हैं, ऐसे में आपको समझदारी से अपना चुनाव करना चाहिए.

WATCH VIDEO : कॉफी एंड क्रिप्टो : क्रिप्टोकरेंसी में अच्छा क्या है? किस में कर सकते हैं ट्रेडिंग?

रेटिंग: 4.23
अधिकतम अंक: 5
न्यूनतम अंक: 1
मतदाताओं की संख्या: 630
उत्तर छोड़ दें

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा| अपेक्षित स्थानों को रेखांकित कर दिया गया है *