मूल्य सीमाएं

मूल्य सीमा द्वारा हाई स्कूल स्नातक उपहार विचार
वह उपहार जिसे आप अपने किशोरों को हाईस्कूल स्नातक मनाने के लिए देते हैं, व्यावहारिक, भावनात्मक, या दोनों का संयोजन हो सकता है। और वयस्कों में वयस्कता में प्रवेश करने वाले किशोरों के पास अक्सर कई वस्तुएं होती हैं जिनका उपयोग वे कर सकते हैं, सही उपहार ढूंढना एक चुनौती हो सकता है।
पैसा एक सबसे प्रशंसनीय उपहार है
चाहे आपका हाईस्कूल स्नातक कॉलेज जा रहा है, सेना में शामिल हो रहा है, या कार्यबल में प्रवेश कर रहा है, धन की सराहना की जा सकती है। अगर अंदर एक चेक के साथ एक कार्ड सौंपना थोड़ा उबाऊ लगता है, रचनात्मक हो। किशोरों को उपहार नकद के लिए कई मजेदार तरीके हैं।
एक भावनात्मक उपहार दें
यदि आप स्नातक उपहार के लिए अधिक स्मृति चिन्ह खरीदेंगे, तो ट्रेंडी के विपरीत क्लासिक कुछ के साथ जाएं। उदाहरण के लिए, यदि आप अपनी किशोर बेटी को स्नातक स्तर पर पहनने के लिए रख-रखाव के रूप में गहने का एक यादगार टुकड़ा प्राप्त करना चाहते हैं, तो मोती की एक स्ट्रिंग या एक कथन हार के बजाय एक सुंदर लिंक्ड सोना श्रृंखला के साथ जाएं।
एक समय कैप्सूल भी एक महान भावनात्मक उपहार हो सकता है। अपने किशोरों और उसके दोस्तों को एक कंटेनर के अंदर सामान डालने के लिए प्रोत्साहित करें जो उन्हें उच्च विद्यालय की याद दिलाएगा।
उनके स्नातक वर्ष के बारे में कुछ तथ्यों को भी लिखें, जैसे कि राष्ट्रपति कौन है और गैस की कीमत है।
फिर, किशोरों को कैप्सूल को दफनाने और सड़क के नीचे 25 या 30 साल की तारीख को खोलने के लिए प्रोत्साहित करें। यह स्नातक पार्टी के लिए एक महान गतिविधि हो सकती है।
टेक्नो गिफ्ट या ऐड-ऑन एक अच्छी पसंद है
पता लगाएं कि आपके किशोरों के पास कौन सी तकनीक या डिवाइस हैं और इसके लिए एक अच्छा सहायक खरीदते हैं। आपके किशोर पहले से उपयोग किए जाने वाले किसी चीज़ को मूल्य जोड़ना एक शानदार उपहार बनाता है।
एक स्मार्टफोन घड़ी या गैजेट मूल्य सीमाएं जो उसे अपने टीवी टीवी प्रोजेक्टर में बदलने में मदद करेगा, उसे अच्छे उपयोग के लिए रखा जा सकता है।
एक तस्वीर बहुत कुछ कहती है
अधिकांश किशोरों के पास उनके फोन या उनके लैपटॉप पर बहुत सारी तस्वीरें होती हैं, लेकिन वे कभी भी उनके साथ कुछ नहीं करते हैं। एक डिजिटल फ्रेम खरीदें और आपके किशोर उन तस्वीरों को अपलोड करने और उन्हें नियमित रूप से देखने में सक्षम होंगे।
बिग टिकट आइटम (मूल्य कोई वस्तु नहीं है)
यदि आपके स्नातक उपहार के लिए असीमित बजट है, तो इन वस्तुओं पर विचार करें:
- अवकाश या यात्रा यात्रा
- गाड़ी
- पैसे
- लैपटॉप
- स्टॉक या सीडी
- स्मार्टफोन
- एक नए अपार्टमेंट के लिए फर्नीचर
मध्य-मूल्यवान आइटम ($ 51 - $ 250)
- ब्रीफ़केस या लैपटॉप बैग
- वस्त्र उपहार कार्ड
- घड़ी
- माइक्रोवेव
- सामान
- टीवी
- उस पर स्नातक वर्ष के साथ शुद्ध सोने या चांदी का सिक्का
- मुद्रक
- बुनियादी उपकरण के साथ उपकरण बॉक्स
- उत्कीर्ण गहने
- व्यक्तिगत स्नातक आइटम
- पैसे के साथ पूरा पैसा क्लिप
- नकदी के साथ वॉलेट
आर्थिक उपहार ($ 50 से कम)
- अध्ययन या करियर के भविष्य के क्षेत्र के बारे में किताबें
- धार्मिक
- स्वसहायता पुस्तक
- कपड़े मूल्य सीमाएं धोने की साबुन, कपड़े सॉफ़्टनर या ड्रायर शीट, क्वार्टर रोल और कपड़े धोने के तरीके के बारे में निर्देशों के साथ एक कपड़े धोने की टोकरी भरें। यह उन किशोरों के लिए एक आदर्श उपहार है जो बाहर जा रहे हैं या कॉलेज जा रहे हैं।
- चादरों का सेट
- हाई स्कूल के वर्षों की तस्वीरों के साथ चित्र फ्रेम
- आयोजक या योजनाकार
- डेस्क सहायक उपकरण
- छतरी
- लोहा
- कॉफ़ी बनाने वाला
घर का बना उपहार हमेशा एक दिल से और सस्ती विकल्प होते हैं। उस स्नातक पार्टी की योजना बनाना भी याद रखें।
G7 ने रूस से तेल आयात करने के मूल्य पर 'तत्काल' सीमा तय करने का लिया फैसला
जी7 औद्योगिक शक्तियों ने रूसी तेल आयात पर मूल्य मूल्य सीमाएं कैप को लागू करने की दिशा में "तत्काल" कदम उठाने का फैसला किया है.
जी7 औद्योगिक शक्तियों ने रूसी तेल आयात पर मूल्य कैप को लागू करने की दिशा में "तत्काल" कदम उठाने का फैसला किया है. यूक्रेन में मास्को के युद्ध के लिए धन के एक प्रमुख स्रोत में कटौती करने के लिए औद्योगिक शक्तियों ने फैसला लिया है.
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G7 ने कहा कि वह इस फैसले को मूर्त रूप देने के लिए "व्यापक गठबंधन" की दिशा में काम कर रहा था. लेकिन फ्रांस में अधिकारियों ने रूकने का आग्रह करते हुए कहा कि "अंतिम" निर्णय केवल तभी लिया जा सकता है जब यूरोपीय संघ के सभी 27 सदस्यों ने अपनी सहमति दे दी हो.
बता दें कि युद्ध के कारण महाद्वीप के परिवारों ने ऊर्जा की बढ़ती कीमतों का खामियाजा उठाया है, जिसके परिणामस्वरूप सरकार पर बढ़ती महंगाई को कम करने का दबाव है.
जर्मन वित्त मंत्री क्रिश्चियन लिंडनर ने इस कदम की घोषणा के बाद एक पीसी में कहा, "रूस युद्ध के कारण ऊर्जा बाजारों पर अनिश्चितता से आर्थिक रूप से लाभान्वित हो रहा है और तेल के निर्यात से बड़ा मुनाफा कमा रहा है. ऐसे में हम इसका निर्णायक मुकाबला करना चाहते हैं."
उन्होंने कहा कि तेल आयात पर मूल्य सीमा का उद्देश्य "आक्रामकता के युद्ध के लिए वित्तपोषण के एक महत्वपूर्ण स्रोत को रोकना और वैश्विक ऊर्जा कीमतों में वृद्धि को रोकना है. शुक्रवार के फैसले से पहले क्रेमलिन के प्रवक्ता दिमित्री पेसकोव ने स्पष्ट चेतावनी दी. उन्होंने कहा कि मूल्य सीमा को अपनाने से "तेल बाजारों में महत्वपूर्ण अस्थिरता आएगी. "
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रूस के तेल की मूल्य सीमा तय करने पर बोले पेट्रोलियम मंत्री, दबाव में नहीं भारत सरकार
अक्टूबर के दौरान रूस ने भारत को 935,556 बैरल प्रति दिन (बीपीडी) कच्चे तेल की आपूर्ति की है. यह उसके द्वारा भारत को कच्चे तेल की अब तक की सर्वाधिक आपूर्ति है.
TV9 Bharatvarsh | Edited By: सौरभ शर्मा
Updated on: Nov 17, 2022 | 12:51 PM
दुनिया के विकसित देशों के द्वारा रूस के तेल की मूल्य सीमा तय करने पर भारत के पेट्रोलियम मंत्री ने कहा है कि इस बात से भारत सरकार किसी दबाव में नहीं है.दरअसल भारत के द्वारा रूस से उत्पादित कच्चे तेल की खरीद बढ़ाने के साथ ही दुनिया के 7 सबसे विकसित देशों के संगठन ग्रुप 7 ने कीमतों की सीमा तय करने का प्रस्ताव दिया है जिसके मैकेनिज्म का ऐलान 5 दिसंबर को होगा. रूस पहले ही धमकी दे चुका है कि अगर ये सीमाएं उसके हितों के अनुसार नहीं हुई तो वो तेल की आपूर्ति बंद कर देगा. वहीं भारत पहले ही कह चुका है कि वो वहीं से तेल खरीदेगा जहां से कीमतें उसके नागरिकों के लिए बेहतर होंगी
क्या कहा पेट्रोलियम मंत्री ने
दिल्ली के करीब ग्रेटर नोएडा में एक कार्यकर्म में शामिल होने पहुंचे पेट्रोलियम मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने एक सवाल के जवाब में कहा कि मोदी सरकार कीमतों की सीमा के बारे में किसी दबाव में नहीं है. बाजार लॉजिस्टिक्स से जुड़ी किसी समस्या का हल खुद ही निकाल लेगा. जब भी ऐसा होगा सरकार इसे हल कर लेगी. पेट्रोलियम मंत्री पहले ही विदेशी मीडिया के साथ एक इंटरव्यू में साफ कर चुके हैं कि तेल खरीदने के मामले में सरकार अपने नागरिकों की हित सबसे ऊपर रखेगी. और जहां से उन्हें बेहतर कीमत वहीं से वो तेल की खरीद करेंगे.
अक्टूबर में भारत ने खरीदा रिकॉर्ड तेल
भारत सरकार के द्वारा रूस से खरीद बढ़ाने की वजह से रूस अक्टूबर में सऊदी अरब और इराक जैसे परंपरागत विक्रेताओं को पछाड़कर भारत का शीर्ष तेल मूल्य सीमाएं आपूर्तिकर्ता बन गया. आंकड़ों के अनुसार अक्टूबर के दौरान रूस ने भारत को 935,556 बैरल प्रति दिन (बीपीडी) कच्चे तेल की आपूर्ति मूल्य सीमाएं की है. यह उसके द्वारा भारत को कच्चे तेल की अब तक की सर्वाधिक आपूर्ति है.
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वहीं, बीते वित्त वर्ष के दौरान भारत द्वारा आयात किए गए सभी तेल में रूस के तेल का सिर्फ 0.2 प्रतिशत हिस्सा था. यह अब भारत के कुल कच्चे तेल के आयात का 22 प्रतिशत हो गया है, जो इराक के 20.5 प्रतिशत और सऊदी अरब के 16 प्रतिशत से अधिक है. वोर्टेक्स के अनुसार, भारत ने दिसंबर 2021 में रूस से प्रति दिन केवल 36,255 बैरल कच्चे तेल का आयात किया, जबकि इराक से 10.5 लाख बैरल और सऊदी अरब से 952,625 बैरल प्रति दिन का आयात किया गया था.
मूल्य सीमाएं
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अमेरिका क्यों चाहता है कि भारत रूसी तेल की मूल्य सीमा तय करने वाले गठजोड़ का हिस्सा बनें ?
अमेरिका भारत को अपने पाले में लाने के लिए किसी भी हद तक जाने को तैयार हैं!
वर्तमान समय में अमेरिका के स्वभाव से पूरी दुनिया वाकिफ होने लग गई है। दो देशों को किस तरह युद्ध की आग में झोंककर अमेरिका स्वयं पीछे हट जाता है यह रूस और यूक्रेन युद्ध के दौरान देखने को मिल ही गया। यही कारण है कि जो अमेरिका कभी पूरी दुनिया पर अपनी दादागिरी चलाया करता था, उसकी छवि अब एक कमजोर देश के रूप में बदलने लगी हैं। इसी के चलते जो अमेरिका कभी भारत को डराता और धमकाता था, आज उसके लिए भारत का साथ बेहद ही आवश्यक होता चला जा रहा है।अमेरिका किसी भी हाल में भारत को अपने पाले के लिए बेकरार हो रहा है।
दरअसल अब अमेरिका चाहता है कि भारत रूसी तेल की मूल्य सीमा तय करने वाले गठजोड़ का हिस्सा बनें। इसका उद्देश्य रूस के लिए आय के साधनों को बाधित करना और वैश्विक ऊर्जा कीमतों को नरम बनाना है। कच्चे तेल की कीमत 100 डॉलर प्रति बैरल से अधिक होने पर अमेरिका समेत दूसरे जी-7 देश रूसी तेल पर मूल्य सीमा लागू करने पर विचार विमर्श कर रहे हैं।
भारत रूस की बढती मित्रता देख अमेरिका बौखलाया
अमेरिका के उप वित्त मंत्री वैली अडेयेमो हाल ही में तीन दिनों की भारत यात्रा पर आए हुए थे। इस दौरान उन्होंने इन्हीं मुद्दों पर चर्चा की। इस दौरान अडेयेमो ने अपने एक बयान में कहा कि “रूस के ऊर्जा और खाद्यान्न व्यापार को प्रतिबंधों से बाहर रखा गया। भारत जैसे देश स्थानीय मुद्रा सहित किसी भी मुद्रा का प्रयोग करके सौदे कर सकते हैं।” उन्होंने यह भी दावा किया कि “भारत ने रूस से आने वाले तेल के दाम की सीमा तय करने वाले प्रस्ताव पर ‘गहरी दिलचस्पी’ दिखाई है।” उन्होंने कहा कि “मूल्य सीमा तय होने से रूस को मिलने वाले राजस्व में कमी आएगी।”
अमेरिकी उप वित्त मंत्री के अनुसार यह उपभोक्ताओं के लिए ऊर्जा की कीमतों को कम करने के उद्देश्य के अनुरूप है। इस बारे में हम उन्हें (भारत को) सूचनाएं दे रहे हैं और विषय पर संवाद जारी रखेंगे। गौरतलब है कि युद्ध की शुरुआत से ही देखने को मिलाकि भारत ने रूस या यूक्रेन में से किसी एक का पक्ष चुनने से परहेज किया। भारत ने भले ही किसी का साथ नहीं दिया, परंतु कही न कही अमेरिका की जगह रूस के पक्ष में खड़ा रहा। हालांकि भारत ने जो भी निर्णय लिए वो स्वयं के फायदे को ध्यान में रखकर किए। सस्ते दाम में भारी मात्रा में तेल खरीदने के साथ हमने रूस के साथ अपने पक्के संबंध भी बरकरार रखे।
इससे सबसे ज्यादा मिर्ची अगर किसी को लगी तो वो अमेरिका ही था। भारत के सहयोग से ही रूस प्रतिबंधों के परिणाम को काफी हद तक बेअसर करने में कामयाब रहा। यही कारण है कि अमेरिका ने भारत को कई बार धमकी देकर झुकाने के भी प्रयास किए। उसने रूस का साथ देने के लिए भारत को अंजाम भुगतने तक की भी धमकी दी, परंतु इन सबका भारत पर तनिक भी असर नहीं पड़ा।
भारत के आगे अमेरिका के सारे दांव फेल
अमेरिका को अपने सभी दांव स्पष्ट तौर पर फेल होते हुए नजर आ रहे हैं। परंतु अभी भी अमेरिका भारत को अपने इशारों पर चलाने की कोशिश कर रहा मूल्य सीमाएं है और इसलिए वो चाहता है कि भारत इस रूस विरोधी गठजोड़ का हिस्सा बने, जिसे भारत और रूस की साझेदारी टूट जाए। हालांकि ऐसा प्रतीत है कि अमेरिका बार-बार यह भूल जाता है कि अब उसका सामना एक नए भारत से हो रहा है, जो किसी के भी इशारों पर नहीं चलता। ना ही कोई भारत को अपने इशारों पर चला सकता हैं। भारत अपना हर निर्णय स्वयं लेने में पूरी तरह से सक्षम हैं। वही फैसले भारत लेता है, जो उसके स्वयं के लिए फायदेमंद हो।
रूस से कच्चा तेल खरीदने को लेकर पश्चिमी देशों द्वारा जताई जाने वाली आपत्ति को लेकर भारत कई बार करारा जवाब देता आया है।विदेश मंत्री एस जयशंकर ने अमेरिका के ज्ञान को लेकर आईना दिखाते हुए अपने एक बयान में कहा था कि “भारत रूस से जितना तेल एक महीने में खरीदता है, यूरोप उसे ज्यादा आयात महज एक दोपहर तक कर डालता है।”
इसके अलावा बीते हफ्ते भी तेल खरीद को लेकर जयशंकर ने दुनिया को दो टूक जवाब दिया था। उन्होंने कहा था कि “मेरे देश की प्रति व्यक्ति आय 2000 डॉलर है।वो महंगा तेल नहीं खरीद सकते, इसलिए यह मेरा नैतिक कर्तव्य बनता है कि अपने देश के लोगों के लिए सर्वश्रेष्ठ डील कर सकूं। दुनिया के कई देश भी अपने लोगों का हित देखते हैं और उसी के अनुसार फैसले करते हैं।”
अमेरिका भारत के इसी रूख से परेशान है, क्योंकि यह कही न कही उसके द्वारा रूस पर लगाए गए प्रतिबंधों को बेअसर करने का काम कर रहा है और इन्हीं कारणों से रूस युद्ध में अब तक मजबूती से खड़ा है। इसलिए अमेरिका के लिए भारत का साथ बेहद ही जरूरी होता चला जा रहा है। भारत को अपने पक्ष में लाने के लिए वो किसी भी हद तक जाने को तैयार हैं।
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