रणनीति व्यापार

चित्र ध्वज

चित्र ध्वज

RSS ने सोशल मीडिया अकाउंट्स पर लगाई तिरंगे की तस्वीर, राष्ट्रीय ध्वज को लेकर कांग्रेस ने की थी संघ की आलोचना

आरएसएस ने स्वतंत्रता दिवस से पहले शुक्रवार को अपने इंटरनेट मीडिया अकाउंट्स की प्रोफाइल में अपने पारंपरिक भगवा झंडे के स्थान पर तिरंगे का चित्र लगा दिया। कांग्रेस और अन्य विपक्षी दल राष्ट्र ध्वज के प्रति संघ के रुख को लेकर उसकी आलोचना करते रहे हैं।

नई दिल्ली, एजेंसियां: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) ने स्वतंत्रता दिवस से पहले शुक्रवार को अपने इंटरनेट मीडिया अकाउंट्स की प्रोफाइल में अपने पारंपरिक भगवा झंडे के स्थान पर तिरंगे का चित्र लगा दिया। कांग्रेस और अन्य विपक्षी दल राष्ट्र ध्वज के प्रति संघ के रुख को लेकर उसकी आलोचना करते रहे हैं।

कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने इस महीने की शुरुआत में सवाल किया था कि क्या नागपुर में अपने मुख्यालय पर 52 साल तक राष्ट्र ध्वज नहीं फहराने वाला संगठन अपने इंटरनेट मीडिया अकाउंट्स की प्रोफाइल पर तिरंगा लगाने के प्रधानमंत्री के आग्रह को मानेगा। आरएसएस प्रचार विभाग के सह प्रभारी नरेंद्र ठाकुर ने शुक्रवार को कहा कि संघ अपने सभी कार्यालयों में राष्ट्र ध्वज फहराकर स्वतंत्रता दिवस मनाता आ रहा है।

पब्लिक डाटा इस्तेमाल करने वाली संस्थाओं को अब रखनी होगी साइबर अटैक से बचने की तैयारी

संघ ने अपने इंटरनेट मीडिया अकाउंट्स की अपनी प्रोफाइल पर अपने संगठन के झंडे को हटाकर राष्ट्र ध्वज लगाया है। ठाकुर ने कहा कि आरएसएस कार्यकर्ता 'हर घर तिरंगा' मुहिम में सक्रिय रूप से भाग ले रहे हैं। इससे पहले, आरएसएस के प्रचार विभाग के प्रमुख सुनील आंबेकर ने कहा था कि इस तरह की चीजों का राजनीतिकरण नहीं किया जाना चाहिए। आरएसएस 'हर घर तिरंगा' और 'आजादी का अमृत महोत्सव' कार्यक्रमों को पहले ही अपना समर्थन दे चुका है।

राजनेता लालू यादव को उनकी बेटी अपनी किडनी देगी।

आपको बता दें, केंद्र सरकार ने अपने 'हर घर तिरंगा' कार्यक्रम के तहत 13-15 अगस्त के दौरान लोगों से अपने घरों से राष्ट्रीय ध्वज फहराने का आग्रह किया है। इससे पहले आरएसएस के प्रचार विभाग के प्रमुख सुनील आंबेकर ने कहा था कि इस तरह की चीजों का राजनीतिकरण नहीं किया जाना चाहिए। आरएसएस पहले ही 'हर घर तिरंगा' और 'आजादी का अमृत महोत्सव' कार्यक्रमों को अपना समर्थन दे चुका है। आंबेकर ने कहा था कि संघ ने जुलाई में सरकार, निजी निकायों और संघ से जुड़े संगठनों द्वारा आयोजित किए चित्र ध्वज जाने वाले कार्यक्रमों में लोगों और स्वयंसेवकों के पूर्ण समर्थन और भागीदारी की अपील की थी।

What is the history of Indian National Flag- भारत के राष्ट्रीय ध्वज का सम्पूर्ण इतिहास

ये तो हम सभी जानते हैं कि 15 अगस्त 1947 को हमारा देश आजाद हुआ था एवं आज हम भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम,1947 का 75वाँ स्वतंत्रता दिवस आजादी के अमृत महोत्सव के रूप में मना रहे हैं, हम राष्ट्रीय ध्वज फहराकर आजादी का उत्सव मनाते हैं। आज हम आपको बताएंगे कि राष्ट्रीय ध्वज कब हमारा राष्ट्रीय ध्वज बना क्या है इसका सम्पूर्ण इतिहास जानिए।

18 अगस्त 1907 जर्मनी के एक समारोह में क्रांतिकारी महिला श्रीमती कामा ने भाषण देते हुए अचानक एक ध्वज निकाल कर फहरा दिया और यह घोषणा की कि यह भारत की स्वतंत्रता का पहला ध्वज हैं। उस समय यह ध्वज लाल, हरे और पीले रंग की तिरछी धारियों वाला था एवं ऊपर की लाल धारी में कमल का फूल और सात सितारे बने हुए थे। बीच की पीली धारी में गहरे नीले रंग से वन्दे मातरम् लिखा था एवं हरी धारी में सूरज, चांद व तारा अंकित था।

इसके बाद सन् 1917 में लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक चित्र ध्वज एवं एनी बेसेन्ट के होम रूल आंदोलन ने एक नए ध्वज को जन्म दिया जिसमें पाँच लाल एवं चार हरी तिरछी पट्टिया थी। बीच में लाल तारे बने हुए थे। दाएं कोने में यूनियन जैक का चित्र ओर बाएं कोने में तारे के साथ चांद का चित्र था।

यूनियन जैक के चित्र के कारण कुछ राष्ट्रीय नेताओ ने आपत्ति उठाई तब महात्मा गांधी जी द्वारा इस ध्वज को भी बदल दिया गया। नए ध्वज में लाल और हरे रंग की दो पत्तिया रखी गई थी एवं लाला हंसराज के सुझाव पर ध्वज में एक चरखे का चित्र भी लगाया गया। ध्वज में लाल रंग हिन्दुओ का प्रतिक था एवं हरा रंग मुसलमानों का। लेकिन भारत में हिन्दू मुसलमानों के साथ साथ अन्य धर्मावलम्बी भी रहते थे एवं उन धर्मविलम्बियों के लिए सफेद रंग को स्थान दिया गया।

सन् 1931 में एक बार फिर एक समिति बनाई इस समिति ने एक ही रंग का ध्वज रखने का प्रस्ताव दिया ओर वह रंग था केसरिया। लेकिन समय के साथ बहुत बदलाव किए गए एवं अब हमारे ध्वज में तीन रंग को स्थान दे दिया है केसरिया, सफेद, हरा।

1857 से 1947 तक. 9 बार बदला भारत का राष्ट्रीय झंडा, तस्वीरों में देखिए तिरंगे तक यात्रा की पूरी कहानी

भारत में आजादी के 75 साल के मौके पर आजादी का अमृत महोत्सव मनाया जा रहा है। घर-घर पर तिरंगे लगाए जा रहे हैं। भारत के राष्ट्रीय ध्वज के रूप में तिरंगे को 22 जुलाई 1947 को स्वीकार किया गया। इस ध्वज में केसरिया, सफेद और हरे रंग की पट्टी लगी है और बीच में अशोक चक्र बना हुआ है। हालांकि, इससे चित्र ध्वज पहले स्वतंत्रता के लिए चले आंदोलनों में 1857 से लेकर 1947 तक क्रांतिकारियों ने 8 राष्ट्रीय ध्वजों को प्रतीक बनाकर उसने नेतृत्व में लड़ाइयां लड़ीं। आखिर में 1947 में तिरंगे को भारतीय ध्वज की मान्यता मिली।

जफर ने फहराया जो झंडा

जफर ने फहराया चित्र ध्वज जो झंडा

साल 1857 में पहली बार हिंदुस्तान में आजादी की संगठित लड़ाई लड़ी गई। सैनिकों की तरफ से हुए इस विद्रोह को अंग्रेजों ने बेरहमी से कुचल दिया था। भारत के इस प्रथम स्वाधीनता संग्राम के दौरान जो झंडा राष्ट्रीय ध्वज के रूप में इस्तेमाल किया गया था, वह कुछ ऐसा दिखता था। इसमें हरे रंग की पृष्ठभूमि में एक चांद और कमल का फूल बना हुआ था। बताया जाता है कि इसे बहादुर शाह जफर ने फहराया था।

​भगिनी निवेदिता का ध्वज

​भगिनी निवेदिता का ध्वज

साल 1904 से 1906 के बीच स्वामी विवेकानंद की शिष्या भगिनी निवेदिता ने एक ध्वज तैयार किया था। इसे भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का पहला राष्ट्रीय ध्वज कहा जाता है। बाद में इसे सिस्टर निवेदिता के ध्वज के नाम से भी जाना जाने लगा था। इस झंडे में पीला और लाल दो रंग थे। लाल का मतलब स्वतंत्रता के लिए संघर्ष से था। वहीं पीला विजय का प्रतीक था। ध्वज पर चित्र ध्वज बांग्ला में 'बोंदे मातोरम' लिखा था। इसमें एक वज्र भी बना था, जो इंद्र का अस्त्र माना जाता है। यह देश की शक्ति का प्रतीक था। बीच में एक कमल भी बना था, जिसे शुद्धता का प्रतीक बताया गया।

​सूर्य-चंद्र वाला कलकत्ता फ्लैग

​सूर्य-चंद्र वाला कलकत्ता फ्लैग

सिस्टर निवेदिता के झंडे के बाद साल 1906 में एक और राष्ट्रीय ध्वज अस्तित्व में आया। इसमें तीन पट्टियां थीं, जिसके रंग क्रमशः नीला (शीर्ष पर), पीला (मध्य में) और लाल (नीचे) थे। सबसे ऊपर की पट्टी पर कमल के फूल बने थे। मध्य में देवनागरी में वंदे मातरम लिखा था और नीचे वाली पट्टी पर चांद और सूर्य बने थे। 7 अगस्त 1906 को पारसी बागान चौक कोलकाता में इसे फहराया गया था।

​भीकाजी कामा का झंडा

​भीकाजी कामा का झंडा

साल 1907 में फ्रांस की राजधानी पेरिस में भीकाजी कामा ने कुछ निर्वासित क्रांतिकारियों के साथ यह ध्वज फहराया था। यह कलकत्ता फ्लैग जैसा ही दिखता था। बस सबसे ऊपर वाली पट्टी में कमल की जगह सात सितारे लगा दिए गए थे, जो सप्तर्षियों का संकेत करते थे। बर्लिन के सोशलिस्ट कॉन्फ्रेंस में भी इसे फहराया गया था, इसलिए इसे बर्लिम कमिटी फ्लैग भी कहा जाता है।

पिंगलि वेंकैया का ध्वज

पिंगलि वेंकैया का ध्वज

साल 1916 में लेखक और जियोफिजिसिस्ट पिंगलि वेंकैया गांधी जी से मिले और उन्हें एक ध्वज दिखाते हुए उसे अप्रूव करने को कहा। यह ध्वज खादी के कपड़े पर बना था, जिसमें तीन रंग की पट्टियां थीं और बीच में चरखा बना हुआ था। चरखा भारत के आर्थिक उन्नयन का प्रतीक था। इसमें दो हरा और केसरियां रंग की पट्टियां थीं। गांधी जी ने इस झंडे को मंजूरी देने से इनकार कर दिया क्योंकि उनका मानना था कि हरा रंग मुस्लिम और केसरिया हिंदू धर्म से संबंधित है। ऐसे में इस झंडे में देश के बाकी धर्मों को प्रतिनिधित्व नहीं मिलता।

​होमरूल फ्लैग

​होमरूल फ्लैग

लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक ने होमरूल लीग के साल 1917 में बनाए इस राष्ट्रीय ध्वज को फहराया था। उस समय में भारत को एक डोमिनियन स्टेट बनाने की मांग की जा रही थी। चित्र ध्वज चित्र ध्वज इस झंडे में ऊपर अंग्रेजों का ध्वज यूनियन जैक बना हुआ था। बाकी के झंडे में 5 लाल और चार हरे रंग की पट्टियां थीं। इनमें सात सितारे भी लगे थे, जो सप्तर्षियों के प्रतीक बताए गए। इसके चित्र ध्वज एक कोने पर चांद-तारा भी बना हुआ था। यह झंडा लोगों में ज्यादा लोकप्रिय नहीं हुआ।

​विजयवाड़ा ध्वज

​विजयवाड़ा ध्वज

विजयवाड़ा में साल 1921 में कांग्रेस का अधिवेशन हुआ। इस दौरान आंध्र के एक युवा ने एक झंडा तैयार किया और गांधीजी के पास लेकर गया। इस झंडे में दो रंग थे। दोनों रंग दो समुदायों हिंदू और मुस्लिम को रिप्रेजेंट करते थे। इस पर गांधीजी ने सुझाव दिया कि भारत के बाकी समुदायों की प्रतिनिधित्व करने के लिए इसमें सफेद रंग की पट्टी भी जोड़ दिया जाए। साथ ही राष्ट्र की प्रगति को दर्शाने के लिए एक चरखा भी लगा दिया जाए। बताते हैं कि यह झंडा आयरलैंड के झंडे से प्रेरित था, जो उस समय ब्रिटेन से आजादी की लड़ाई लड़ रहा था। हालांकि, कांग्रेस ने इस झंडे को मान्यता नहीं दी लेकिन यह भारत की आजादी की लड़ाई में एक महत्वपूर्ण प्रतीक के रूप में गिना जाता है।

​1931 का राष्ट्रीय ध्वज

​1931 का राष्ट्रीय ध्वज

विजयवाड़ा के झंडे से बहुत से लोग नाखुश थे। ऐसे में पिंगलि वेंकैया ने तीन रंगो का इस्तेमाल कर एक नया ध्वज तैयार किया, जिसमें केसरिया, हरा और सफेद रंग थे। बीच में चरखा बना हुआ था। 1931 में कांग्रेस ने इस ध्वज को मान्यता दी और इसे कमिटी के आधिकारिक ध्वज के रूप में स्वीकार कर लिया। साल 1931 भारतीय ध्वजों के इतिहास में एक उल्लेखनीय वर्ष के रूप में दर्ज है। इस ध्वज को सुभाष चंद्र बोस के आजाद हिंद फौज ने भी अपनाया था।

​आजादी और तिरंगा

​आजादी और तिरंगा

सदियों के संघर्ष के बाद वह दिन भी आने वाला था, जब भारत को अंग्रेजों से पूरी तरह आजादी मिलने वाली थी। इस बीच 22 जुलाई 1947 चित्र ध्वज को राजेंद्र प्रसाद की अगुआई में गठित कमिटी ने स्वतंत्र भारत के राष्ट्रीय ध्वज को मान्यता दी। इस झंडे में तीन रंग केसरिया, हरा और सफेद बरकरार रखे गए थे। चरखे की जगह पर सम्राट अशोक के धर्मचक्र को रिप्लेस कर दिया गया था। इस तरह से स्वतंत्र भारत को उसका राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा मिल गया था।

भारत का तो तिरंगा है, पाकिस्तान के झंडे को क्या कहते हैं? अमेरिका, ब्रिटेन और फ्रांस का भी जान लीजिए

रूस का राष्ट्रीय ध्वज भी तीन रंगों की पट्टियों से मिलकर बना है, जिसमें खूनी लाल, गाढ़ा नीला और सिलेटी रंग शामिल हैं. अपने राष्ट्रीय ध्वज को रूसी लोग ट्राईकोलोर कह के बुलाते हैं.

TV9 Bharatvarsh | Edited By: निलेश कुमार

Updated on: Aug 08, 2022, 9:42 PM IST

भारत का तो तिरंगा है, पाकिस्तान के झंडे को क्या कहते हैं? अमेरिका, ब्रिटेन और फ्रांस का भी जान लीजिए

पाकिस्तान का झंडा हरे और सफेद रंग का है. इसमें एक चांद और तारा भी बना हुआ है. पाकिस्तान के राष्ट्रीय झंडे को 'परचम-ए सितारा ओ-हिलाल' कहकर बुलाया जाता है.

पाकिस्तान का झंडा हरे और सफेद रंग का है. इसमें एक चांद और तारा भी बना हुआ है. पाकिस्तान के राष्ट्रीय झंडे को 'परचम-ए सितारा ओ-हिलाल' कहकर बुलाया जाता है.

ब्रिटेन को इंगलैंड और यूके यानी यूनाइटेड किंगडम के नाम से भी जाना जाता है. ब्रिटेन के राष्‍ट्रीय ध्‍वज को दो नामों से बुलाया जाता है. यूनियन जैक और यूनियन फ्लैग. वैसे यूनियन जैक नाम ज्‍यादा पॉपुलर हुआ.

ब्रिटेन को इंगलैंड और यूके यानी यूनाइटेड किंगडम के नाम से भी जाना जाता है. ब्रिटेन के राष्‍ट्रीय ध्‍वज को दो नामों से बुलाया जाता है. यूनियन जैक और यूनियन फ्लैग. वैसे यूनियन जैक नाम ज्‍यादा पॉपुलर हुआ.

America

फ्रांस के नेशनल फ्लैग में मुख्‍य रूप से तीन रंग शामिल हैं, जिनमें लाल, नीला और सफेद रंग शामिल है. इसे भी तिरंगा के नाम से जाना जाता है, जिसे अंग्रेजी में ट्राईकलर कह के बुलाया जाता है.

फ्रांस के नेशनल फ्लैग में मुख्‍य रूप से तीन रंग शामिल हैं, जिनमें लाल, नीला चित्र ध्वज और सफेद रंग शामिल है. इसे भी तिरंगा के नाम से जाना जाता है, जिसे अंग्रेजी में ट्राईकलर कह के बुलाया जाता है.

रूस का राष्ट्रीय ध्वज भी तीन रंगों की पट्टियों से मिलकर बना है, जिसमें खूनी लाल, गाढ़ा नीला और सिलेटी रंग शामिल हैं. अपने राष्‍ट्रीय ध्‍वज को रूसी लोग ट्राईकोलोर कह के बुलाते हैं.

रूस का राष्ट्रीय ध्वज भी तीन रंगों की पट्टियों से मिलकर बना है, जिसमें खूनी लाल, गाढ़ा नीला और सिलेटी रंग शामिल हैं. अपने राष्‍ट्रीय ध्‍वज को रूसी लोग ट्राईकोलोर कह के बुलाते हैं.

रेटिंग: 4.89
अधिकतम अंक: 5
न्यूनतम अंक: 1
मतदाताओं की संख्या: 287
उत्तर छोड़ दें

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा| अपेक्षित स्थानों को रेखांकित कर दिया गया है *