ट्रेंड मूवमेंट क्या है?

How to do Technical Analysis in Hindi | टेक्निकल एनालिसिस को कैसे किया है?
How to do Technical Analysis: टेक्निकल एनालिसिस क्या है और ये कैसे कार्य करता है ये हम सभी जानते है| अगर आप नहीं जानते तो हमारा यह लेख “What isTechnical Analysis in Hindi” अवश्य पढ़े जिसमे हमने आपसे टेक्निकल एनालिसिस(तकनीकी विश्लेषण) के बारे में सभी महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान की है| आज के इस लेख के माध्यम से हम आपसे किसी भी स्टॉक, फ्यूचर या आप्शन के टेक्निकल एनालिसिस को कैसे किया है? उसकी विस्तार से जानकारी देंगे|
How to do Technical Analysis in Hindi
टेक्निकल एनालिसिस एक ऐसी पद्धति है जिससे भूतकाल में स्टॉक के द्वारा की गयी मूवमेंट, क्वांटिटी, प्राइस का आन्दोलन, जैसे डाटा के माध्यम से आनेवाले समय में वह स्टॉक या एसेट किस दिशा में आगे बढेगा वह तय किया जाता है| लेकिन यह तय करना हर किसी के बस की बात नहीं है| यहाँ हमने आपसे कुछ स्टेप शेयर किये है जिसके माध्यम से आप किसी भी स्टोक का टेक्निकल एनालिसिस कर सकते है| टेक्निकल एनालिसिस एक फुलप्रूफ सिस्टम नहीं है परन्तु इससे आपकी प्रॉफिट में रहने की संभावना अधिक बढ़ जाती है|
Spotting The Trend(ट्रेंड की खोज करे)
तकनीकी विशलेषण के माध्यम से आप किसी भी स्टॉक, करेंसी, या फ्यूचर आप्शन में आसानी से ट्रेंड का पता लगा सकते है| किसी भी चार्ट में ट्रेंड का पता लगाने के लिए उसे अलग अलग टाइम फ्राम में देखना पड़ता है| अगर आप Intraday के लिए टेक्निकल एनालिसिस करना चाहते है तब आपको 5 min से 15 min के चार्ट पर निर्भर रहना चाहिए| अगर आप शोर्ट टर्म के लिए निवेश करते है तब घंटे की टाइम फ्रेम से Daily टाइम फ्रेम का उपयोग करना चाहिए| लोंगे टर्म के लिए आप Daily, Weekly, और Monthly चार्ट का उपयोग कर सकते है|
ट्रेंड का पता लगाना बहोत ही आसान है और एक बार इसका पता चले तब हम यह तय कर सकते है की इस स्टॉक में निवेश करना चाहिए या नहीं|
- Stock Market में ट्रेंड क्या है जाने हिंदी में
Finding support and resistance (सपोर्ट और रेसिस्टेंट खोजना)
एक बार सही से किसी भी स्टॉक या ओवरआल मार्किट का ट्रेंड पता लगाने के बाद आपको टेक्निकल एनालिसिस की मदद से सपोर्ट और रेसिस्टेंट की खोज करनी चाहिए| टेक्निकल एनालिसिस में कैंडलस्टिक चार्ट में इसे खोजना बेहद आसान है लेकिन कुछ अनुभव की भी आवश्यकता है| एक बार सही सपोर्ट और रेसिस्टेंट क खोज करने के बाद आपको स्टॉक की प्राइस सपोर्ट पर आने तक का इंतज़ार करना होगा| जब भी स्टॉक की प्राइस सपोर्ट पर रिवर्स पैटर्न दिखाए तब बी करना चाहिए| जब भी स्टॉक किसी भी रेसिस्टेंट पर आकर रूके तब उसे बेच देना चाहिए|
- What is support and resistance in Hindi | सपोर्ट और रेसिस्टेंट क्या है?
पहले स्टेप में ट्रेंड का पता लगाने के बाद चार्ट में सपोर्ट और रेसिस्टेंट का पता लगाना चाहिए| अच्छे टेक्निकल एनालिस्ट बनने के लिए नियम को पूरी तरह से फॉलो करना चाहिए| एक बार पूरी तरह से एनालिसिस करने के बाद ही किसी स्टॉक में एंट्री लेनी चाहिए और सपोर्ट के निचे Stoploss रखना चाहिए| इस तरह से नियम को फॉलो करने के बाद आप शेयर मार्किट में टेक्निकल एनालिसिस के माध्यमसे एक प्रॉफिटेबल इन्वेस्टर या ट्रेडर बन सकते है|
Technical Analysis क्या होता हे ?
आज का हमारा आर्टिकल Technical Analysis के ऊपर है। आज हम इस आर्टिकल में जानेंगे कि इंवेस्टिंग क्या होता है, ट्रेडिंग क्या होता है, Technical Analysis क्या होता है, हम Technical Analysis को ट्रेंड मूवमेंट क्या है? कैसे इस्तेमाल करते है और Technical Analysis की क्या लिमिटेशन है।
जब हम शेयर मार्किट में किसी भी कंपनी के शेयर खरीदते है तो हम दो तरीको से उन कंपनी में निवेश करते है एक इन्वेस्टिंग और दूसरा ट्रेडिंग।
इंवेस्टिंग
इंवेस्टिंग में हम किसी कंपनी के शेयर खरीदते है और उसे ज्यादा समय के लिए होल्ड कर के रख देते है। इंवेस्टिंग आप 4 -5 साल तक भी कर सकते है। इंवेस्टिंग आप तब करते है जब आप से पास शेयर मार्केट के लिए ज्यादा समय नहीं होता है क्योंकि इस में आप अपने शेयरों को जल्द नहीं बेचते। इस में हमे ज्यादा पैसे कमाने के लिए इंतजार करना पड़ता है।
ट्रेडिंग
ट्रेडिंग में हम किसी कंपनी के शेयर खरीदते है और जैसे ही उस का प्राइस बढ़ जाता है हम उसे बेच देते है। ट्रेडिंग हम एक दिन, एक हफ्ता या फिर तीन महीने तक कर सकते है। इस में हम तीन महीने तक अपने शेयरों को होल्ड कर के रख सकते है। ट्रेडिंग कई प्रकार की होती है जैसे इंट्राडे ट्रेडिंग, स्विंग ट्रेडिंग, scalping,
डे- ट्रेडिंग। ट्रेडिंग में हम कम समय में भी ज्यादा पैसे कमा सकते है।
Technical Analysis
ट्रेडिंग और इन्वेस्ट करने से पहले हमे कंपनी के फण्डामेंटल चेक करने पड़ते है और भी कंपनी की बहुत सारी चीजों को देखना होता है। इसी को ही Technical Analysis कहा जाता है। अगर हम Technical Analysis किए बिना ही किसी कंपनी में निवेश करते है तो इस से हमे नुकसान भी हो सकता है।
Technical Analysis की सहायता से हम हम यह देख सकते है कि फ्यूचर में किसी कंपनी के शेयर का प्राइस बढ़ेगा या नहीं। जो लोग Technical Analysis का इस्तेमाल कर के शेयर मार्किट में प्रवेश करते है उन्हें शेयर मार्केट से अधिक लाभ होता है। Technical Analysis का इस्तेमाल कर के हम देख सकते है कि कंपनी आगे जा कर क्या पर्फ़ोम करने वाली है।
Technical Analysis से हम सिर्फ अंदाजा लगा सकते है क्योंकि शेयर मार्किट में यह कोई भी नहीं बता सकता कि आगे जा कर मार्केट कैसा रहेगा। Technical Analysis किसी कंपनी के शेयर के प्राइस को एक मूवमेंट में फॉलो ट्रेंड मूवमेंट क्या है? करता है जैसे कि वह एक ट्रेंड में रहता है। शेयर मार्किट में शेयरों के ट्रेंड तीन प्रकार के होते है जैसे up trend, down trend, sideways trend आदि।
up ट्रेंड मूवमेंट क्या है? trend
शेयर मार्किट में जब किसी कंपनी के शेयर का प्राइस एक ही पैटर्न में बढ़ता रहता है तो उसे उप ट्रेंड कहा जाता है। up trend को फॉलो करते हुए हम Technical Analysis की सहायता से हम यह अंदाजा लगा सकते है कि आगे जा कर भी इस कंपनी के शेयर का प्राइस एक ही पैटर्न में बढ़ता रहेगा लेकिन Technical Analysis से केवल कम अंदाजा लगा सकते है कि वह कंपनी के शेयर का प्राइस बढ़ेगा क्या पता वह कम भी हो सकता है।
down trend
जब किसी कंपनी के शेयर का प्राइस एक ही पैटर्न में निचे गिरता जा रहा हो तो कहा जाता है कि शेयर डाउन ट्रेंड में चल रहा है। जब किसी शेयर का प्राइस गिरता जा रहा हो तो उसे डाउन ट्रेंड कहा जाता है। डाउन ट्रेंड को फॉलो करते हुए हम Technical Analysis की सहायता से किसी कंपनी के फ्यूचर के बारे में जान सकते है।
sideways trend
जब किसी कंपनी के शेयर का प्राइस एक ही रेंज में रहता है यानि फिक्स्ड प्राइस में कम और ज्यादा रहता है तो sideways trend कहा जाता है। यह न तो ज्यादा कम होता है और न ही ज्यादा बढ़ता है। एक ही रेंज में कम और ज्यादा होता रहता है।
Technical Analysis को कैसे इस्तेमाल किया जाता है
Technical Analysis से हम यह जानते है कि किसी कंपनी के शेयर का प्राइस आगे जा कर क्या रहने वाला है और यह कंपनी के हिस्टोरिकल डाटा से होता है। Technical Analysis में हम कंपनी के अगर अगर हिस्टोरिकल डाटा को चेक करते है और उसी को देखते हुए हम यह अंदाजा लगाते है कि शेयर का प्राइस बढ़ेगा या नहीं।
Technical Analysis में हम कंपनी के फंडामेंटल चेक करते है , कैंडल चार्ट चेक करते है और भी बहुत सारी चीजों को देखते है। Technical Analysis का इस्तेमाल कर के हम अच्छी कंपनियों की पहचान कर सकते है।
Technical Analysis की लिमिटेशन
हमे शेयर मार्किट में निवेश करते समय ट्रेंड मूवमेंट क्या है? यह हमेशा याद रहना चाहिए कि Technical Analysis से हम सिर्फ कंपनी के शेयर का प्राइस बढ़ेगा या नहीं इस का अंदाजा लगा सकते है क्योंकि शेयर मार्केट में कई कारणों की वजह से एक दम ही शेयर का प्राइस कम और ज्यादा हो जाता है। शेयर मार्केट कभी भी स्थिर नहीं रहता। शेयर मार्केट में यह ट्रेंड मूवमेंट क्या है? कोई भी नहीं बता सकता कि आगे चल कर मार्केट कैसा रहने वाला है।
क्या है टेक्निकल और फंडामेंटल एनालिसिस? शेयर बाजार में पैसा कमाने के लिए जरूरी है ये ट्रेंड मूवमेंट क्या है? ज्ञान, जानें इसे कैसे सीखें
टेक्निकल और फंडामेंटल एनालिसिस में किसी भी शेयर या कंपनी के पिछले और वर्तमान प्रदर्शन के आधार पर भविष्य की संभावना का अ . अधिक पढ़ें
- News18Hindi
- Last Updated : November 03, 2022, 11:42 IST
हाइलाइट्स
टेक्निकल एनालिसिस में इंडिकेटर के जरिए स्टॉक के प्राइस की मूवमेंट का अंदाजा लगाया जाता है.
फंडामेंटल एनालिसिस में किसी भी कंपनी के बिजनेस मॉडल और ग्रोथ स्टोरी का अध्ययन किया जाता है.
टेक्निकल और फंडामेंटल एनालिसिस सीखने के लिए कई बुक, कोर्स और ऑनलाइन कंटेंट उपलब्ध है.
नई दिल्ली. शेयर मार्केट में निवेश करने से पहले इसकी पर्याप्त समझ होनी चाहिए. किसी भी स्टॉक को खरीदने के लिए उसके बारे में अच्छे से अध्ययन करना होता है और यह दो तरीकों टेक्निकल और फंडामेंटल एनालिसिस के जरिए किया जाता है. लेकिन, आम निवेशक को इसके बारे में ज्यादा समझ नहीं होती है लेकिन बाजार में सक्रिय रूप से काम करने वाले निवेशक और मार्केट एक्सपर्ट्स इसकी गहरी समझ रखते हैं. हालांकि, टेक्निकल और फंडामेंटल एनालिसिस की समझ विकसित करना ज्यादा मुश्किल नहीं है.
आइये जानते हैं कि आखिर टेक्निकल और फंटामेंटल एनालिसिस क्या है और कैसे इसके बारे में समझ विकसित करके शेयर बाजार में सक्रिय निवेशक के तौर पर ट्रेंड मूवमेंट क्या है? काम किया जा सकता है. इन दोनों तरीकों से आप शेयर की कीमत का सही अनुमान और भविष्य से जुड़ी संभावनाओं के बारे में पता लगा सकते हैं, साथ ही स्टॉक कब खरीदें और कब बेचें, यह निर्णय लेने में भी आपको मदद मिलेगी.
क्या है टेक्निकल एनालिसिस?
टेक्निकल एनालिसिस में किसी भी शेयर के चार्ट को देखकर उसकी डेली, वीकली और मंथली मूवमेंट और प्राइस के बारे में जानकारी हासिल की जाती है. चार्ट के जरिए सबसे शेयर के सपोर्ट और रेजिस्टेंस देखा जाता ट्रेंड मूवमेंट क्या है? है. यहां सपोर्ट से मतलब है कि स्टॉक कितनी बार किसी एक खास भाव से ऊपर की ओर गया है. ज्यादातर एनालिस्ट सपोर्ट लेवल पर ही खरीदी की सलाह देते हैं.
वहीं, रेजिस्टेंस का मतलब है कि कोई स्टॉक कितनी बार किसी एक भाव से फिर से नीचे की ओर लौटकर आया है. अगर कोई शेयर अपने रेजिस्टेंस को तोड़कर ऊपर की ओर जाता है तो इसे ब्रेकआउट कहते हैं यानी कि अब शेयर का भाव और बढ़ेगा. इसके विपरीत, यदि स्टॉक सपोर्ट लेवल को तोड़ देता है तो उसके नीचे जाने की संभावना ज्यादा रहती है.
टेक्निकल एनालिसिस में अहम इंडिकेटर
टेक्निकल एनालिसिस में इंडिकेटर अहम टूल्स होते हैं. दरअसल ये शेयर की मूवमेंट को लेकर अहम संकेत देते हैं. इनमें मूविंग एवरेज, RSI, MACD, सुपर ट्रेंड और बोलिंजर बैंड समेत कई इंडिकेटर्स शामिल हैं. हर इंडिकेटर का अपना महत्व है लेकिन शेयर बाजार में सक्रिय ज्यादातर निवेशक मूविंग एवरेज, MACD और RSI इंडिकेटर को अहम मानते हैं.
मूविंग एवरेज इंडिकेटर के जरिए किसी भी स्टॉक के पिछले 5, 10, 20, 50, 100 और 200 दिन के एवरेज प्राइस का अध्ययन किया जाता है. अलग-अलग टाइम फ्रेम पर स्टॉक के भाव में बढ़त और गिरावट से तेजी व मंदी का अनुमान लगाया जाता है. वहीं, RSI यानी रिलेटिव स्ट्रेंथ इंडेक्स एक ग्राफ के जरिए यह प्रदर्शित करता है कि शेयर में कितनी खरीदारी और बिकवाली हावी है.
फंडामेंटल एनालिसिस क्यों जरूरी?
फंडामेंटल एनालिसिस में किसी भी कंपनी के बिजनेस मॉडल और ग्रोथ स्टोरी का अध्ययन किया जाता है. इसमें मुख्य रूप से कंपनी के फाइनेंशियल्स यानी आर्थिक आंकड़ों पर नजर डाली जाती है. इनमें P/E Ratio और P/B Ratio जैसे रेशियो को देखा जाता है. अगर प्राइस अर्निंग रेशियो की वैल्यू कम है तो इसका मतलब है कि इसमें ग्रोथ की काफी गुंजाइश है. वहीं, प्राइस टू बुक वैल्यू रेशियो कम है तो इसका मतलब हुआ कि स्टॉक अंडरवैल्यूड है.
फंडामेंटल एनालिसिस में कम्पनी की सम्पत्तियों तथा देनदारियों की अध्ययन करके कम्पनी की नेट वैल्यू निकाली जाती है. इसके आधार पर कम्पनी के स्टॉक की कीमत का अनुमान लगाया जाता है. इसमें कम्पनी की डिविडेंड पॉलिसी भी देखी जाती है. इस तरह की स्टडी से अंडरवैल्यूड कंपनियों के बारे में पता लगाया जा सकता है जिनके भविष्य में बेहतर प्रदर्शन करने की संभावना होती है.
कैसे सीखें टेक्निकल और फंडामेंटल एनालिसिस
टेक्निकल और फंडामेंटल एनालिसिस के बारे में जानने के बाद अब सवाल उठता है कि यह ज्ञान कहां से लिया या सीखा जाए. टेक्निकल और फंडामेंटल एनालिसिस के लिए कई बुक्स और इंटरनेट पर ऑनलाइन कंटेंट उपलब्ध है.
इसके अलावा आप नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ सिक्योरिटी मार्केट (NISM) के जरिए शेयर मार्केट में बतौर रजिस्टर्ड इन्वेस्टमेंट एडवाइज के तौर पर काम करने के लिए कई कोर्सेस ज्वाइन कर सकते हैं. इनमें टेक्निकल और फंडामेंटल एनालिसिस से जुड़े विषयों को कवर किया जाता है.
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इन शेयरों में जबर्दस्त उछाल, क्या आपको करना चाहिए निवेश?
फाइनेंशियल सर्विसेज, कैपिटल गुड्स, कंस्ट्रक्शन, मेटल जैसे सेक्टरों और कुछ कंज्यूमर डिस्क्रीशनरी कंपनियों के शेयर हाई बीटा कैटेगरी के हैं.
जिस शेयर में मार्केट के मुकाबले कम मूवमेंट होता है, उसका बीटा एक से कम होता है. आमतौर पर हाई बीटा शेयर साइक्लिकल नेचर वाली कंपनियों ट्रेंड मूवमेंट क्या है? के होते हैं. इनका संबंध बदलते इकनॉमिक, मैक्रो, सरकारी रेगुलेशंस या राजनीतिक संरक्षण से होता है.
फाइनेंशियल सर्विसेज, कैपिटल गुड्स, कंस्ट्रक्शन, मेटल जैसे सेक्टरों और कुछ कंज्यूमर डिस्क्रीशनरी कंपनियों के शेयर हाई बीटा कैटेगरी के हैं. इनमें से कुछ कंपनियां बैलेंसशीट पर भारी भरकम कर्ज वाली एसेट हैवी बिजनेस हैं.
क्वालिटी शेयर क्या होते हैं?
जहां तक क्वालिटी शेयरों की बात है तो पिछले कुछ वर्षों में व्यापक आर्थिक सुस्ती और कॉरपारेट प्रॉफिट ग्रोथ के बीच निवेशकों ने इनमें खूब दिलचस्पी ली है. आमतौर पर ऐसी कंपनियों की अर्निंग विजिबिलिटी हाई होती है. प्रॉफिटेबिलिटी बढ़ रही होती है. रिटर्न ऑन कैपिटल इम्प्लॉयड ज्यादा होता है. कैश फ्लो मजबूत होता है. कर्ज का स्तर कम होता है. ऐसे ज्यादातर शेयर लो बीटा यानी कम वोलेटिलिटी वाले होते हैं.
दिलचस्प यह है कि निफ्टी 50 में शामिल हाई बीटा शेयर सितंबर 2019 से कम बीटा वाले शेयरों को आउटपरफॉर्म कर रहे हैं. इसका खुलासा आईसीआईसीआई सिक्योरिटीज की रिपोर्ट में हुआ है.
हाई बीटा शेयरों में मजबूती जिंदल स्टील एंड पावर, टाटा स्टील और सेल की वजह से आई है. मोतीलाल ओसवाल फाइनेंशियल सर्विसेज, इंडियाबुल्स हाउसिंग और एलआईसी हाउसिंग जैसे फाइनेंशियल सेक्टर के हाई बीटा शेयरों में भी तेजी का रुझान रहा है.
पिछले कुछ महीनों में तेजी से बढ़े हैं हाई बीटा स्टॉक
किन बातों से मिलता है बल?
विश्लेषकों का कहना है कि हाई बीटा शेयरों में तेजी को सरकारी उपायों से लगी उम्मीदों, ग्रोथ आउटलुक में सुधार और कम ब्याज दर से बढ़ावा मिलता है. आमतौर पर बाजार में नकदी के बढ़े स्तर से इनमें बनी तेजी को ट्रेंड मूवमेंट क्या है? सपोर्ट मिलता है. मौजूदा तेजी को ग्लोबल लिक्विडिटी से ताकत मिल रही है.
ओम्नीसाइंस कैपिटल के सीईओ और चीफ इनवेस्टमेंट स्ट्रैटेजिस्ट विकास गुप्ता कहते हैं, ''ग्लोबल लेवल पर निवेशकों में रिस्क उठाने की क्षमता बढ़ी है. वे ज्यादा जोखिम वाले एसेटों पर दांव लगाने लगे हैं.''
इसकी बड़ी वजहों में दुनियाभर के केंद्रीय बैंकों की तरफ से ब्याज दर में की गई कटौती, अमेरिका और चीन के बीच व्यापारिक तनाव में कमी और विकसित बाजारों में मंदी की घटती आशंका है.
घरेलू मोर्चे पर सरकार की तरफ से इंफ्रास्ट्रक्चर सेक्टर को दिए जा रहे मेगा सपोर्ट से हाई लोन ग्रोथ और प्राइवेट सेक्टर के कैपिटल एक्सपेंडिचर में इजाफे की उम्मीदें बढ़ी हैं. बजट में बड़े एलान होने की उम्मीदों ने भी हाई बीटा शेयरों में तेजी को हवा दी है.
बाजार के कुछ जानकारों को लगता है कि क्वालिटी शेयरों से हाई बीटा शेयरों में शिफ्ट हुई दिलचस्पी गहरी है. आईसीआईसीआई सिक्योरिटीज के मुताबिक, ''ट्रेंड में आया बदलाव इस बात का संकेत है कि निवेशकों में रिस्क से बचने का रुझान अब बदल रहा है. वे अब ज्यादा रिस्क उठाने को तैयार हैं.''
टाटा स्टील, जुबिलेंट फूडवर्क्स, टाटा मोटर्स, एसबीआई और अल्ट्राटेक इसके पसंदीदा शेयर हैं. इक्विरस सिक्योरिटीज के मुताबिक, वैसे तो कमोडिटी शेयर पहले ही काफी चढ़ चुके हैं. लेकिन, उनमें तेजी की गुंजाइश अब भी है.
एंजेल ब्रोकिंग में डीवीपी, इक्विटी स्ट्रैटेजिस्ट ज्योति रॉय कहती हैं कि इन हालात में बाजार में व्यापक तेजी का रुझान बनेगा क्योंकि वैल्यूएशन आकर्षक बना हुआ है. इसके उलट महंगे हो चुके क्वालिटी शेयरों ने बाजार को अंडरपरफॉर्म करना शुरू कर दिया है. यह खासतौर से उन शेयरों के साथ रहा है जो बाजार की उम्मीदों के मुताबिक बिजनेस ग्रोथ हासिल नहीं कर पा रही हैं. दिग्गज इंडेक्स शेयरों के साथ ऐसी ही स्थिति बनी है.
क्या आपको करना चाहिए निवेश?
विश्लेषक हाई बीटा शेयरों में तेजी पर दांव संभलकर लगाने की सलाह दे रहे हैं. इनमें तेजी आई तो है लेकिन घरेलू बाजार में अब भी ज्यादा रिस्क उठाने से परहेज हो रहा है. आउटपरफॉर्मेंस चुनिंदा बड़े हाई बीटा शेयरों ने दी है.
हाई बीटा मिड और स्मॉलकैप शेयरों में तेजी जोर नहीं पकड़ पाई है. लेकिन, हाई बीटा शेयरों में तेजी का ट्रेंड बनने पर कमजोर क्वालिटी वाले शेयरों में भी उछाल आ सकती है. गुप्ता कहते हैं, ''हाई बीटा शेयरों पर दांव लगाते वक्त निवेशकों को यह जरूर देखना चाहिए कि कहीं उसके ऊपर कर्ज का बोझ ज्यादा तो ट्रेंड मूवमेंट क्या है? नहीं है.''
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