आईपीओ या स्टॉक

शेयर क्या होता है? – What is Share?
अक्सर अखबारों या न्यूज़पेपर में आपने शेयर के बारे में तो जरूर पढ़ा सुना होगा? जब यह न्यूज़ पेपर अखबार में शेयर लिखा हुआ देखते हैं तो हमारे जेहन में एक बात तो जरूर आती है कि यह शेयर मार्केट से संबंधित है. लेकिन क्या आपने कभी यह सोचा है कि शेयर क्या होता है? What is Share in Hindi कोई भी कंपनी शेयर कब जारी करती है? किसी भी कंपनी को शेयर जारी करके क्या लाभ मिलता है? ऐसे ही कुछ सवाल है, जो शायद आपके जहन में भी आया होगा. आज के हमारे इस लेख में हम आप लोगों को इस बारे में जानकारी देने वाले हैं कि शेयर क्या होता है? What is Share in Hindi
शेयर क्या होता है? – What is Share in Hindi
शेयर (Share) का अर्थ बांटना या हिस्सेदारी होती है. जब भी आप शेयर बाजार से किसी कंपनी के शेयर खरीदे हैं, तो इसका अर्थ यह होता है कि आप उस कंपनी में आंशिक रूप से अपनी हिस्सेदारी खरीदते हैं. यानी कि आप उस कंपनी के हिस्सेदारी में हिस्सा खरीदते हैं. जब आप उस कंपनी का शेयर खरीदते हैं तो आप उस कंपनी के हिस्सेदार (Share Holder) या इक्विटी होल्डर (Equity Holder) बन जाते हैं. स्टॉक एक्सचेंज में आपके द्वारा खरीदी गई शेयर या हिस्सेदारी को इक्विटी या स्क्रिप्ट भी कहा जाता है.
किसी भी कंपनी के द्वारा जारी किए गए शेयर, 2 तारीख को से खरीद-फरोख्त की जाती है:-
- पहला कंपनी इसके लिए आईपीओ (Initial Public Offering) जारी करती है. आईपीओ के जरिए ही कोई कंपनी पहली बार अपने शेयर को शेयर बाजार में उतारती है. जिससे कि पब्लिक इन शेयरों को खरीद सके.
- दूसरा तरीका यह है कि जो कंपनी स्टॉक एक्सचेंज (Stock Exchange) पर लिस्टेड है उनके शेयर की खरीद बिक्री की जा सके. यहां दो तरीके हैं जिसकी सहायता से कोई भी शेयर होल्डर अपने द्वारा खरीदे गए शेयर की खरीदारी एवं बिक्री करता है.
निवेशक आईपीओ या फिर सीधे स्टॉक एक्सचेंज से शेयर की खरीद फरोख्त करता है. कोई भी निवेशक ब्रोकर के माध्यम से स्टॉक एक्सचेंज से अपने लिए शेयर खरीदता है. What is Share in Hindi
कोई भी कंपनी शेयर क्यों जारी करती है? – Why Companies issue Share?
हर कंपनी यह चाहती है कि, आप अपने बिजनेस को आगे बढ़ा है. कंपनी को अपने बिजनेस को आगे बढ़ाने के लिए काफी पैसों की आवश्यकता होती है. बिजनेस को आगे बढ़ाने के लिए काफी ज्यादा पूंजी की जरूरत होती है. ऐसे में कंपनियां आम जनता से पैसे उठाने के लिए शेयर (Share) जारी करती है. कंपनी अपना बिजनेस का विस्तार करने के लिए कॉर्पोरेट ढांचा तैयार करती है. इसके लिए स्टॉक एक्सचेंज में आईपीओ के जरिए अपने शेयर पब्लिक के लिए लाती है. जिससे कि निवेशक बड़ी तादाद में उन शेयरों पर अपनी हिस्सेदारी खरीदते हैं. कोई भी कंपनी IPO के जरिए अपने शेयर को स्टॉक मार्केट में सूचीबद्ध करवाती है. निवेशक के लिए किसी भी सूचीबद्ध कंपनी के शेयर को खरीदने में आसानी होती है. कंपनी द्वारा घोषित किए गए डिविडेंड, बोनस शेयर और राइट शेयर पर निवेशकों का भी अधिकार होता है.
स्टॉक मार्केट में शेयर कितने प्रकार के होते हैं? – Type of Share in Stock Market
स्टॉक मार्केट में दो प्रकार के शेयर होते हैं:-
- इक्विटी शेयर (Equity Share)
- प्रेफरेंस शेयर (Preference Share)
हम नीचे इस बारे में जानेंगे कि इक्विटी शेयर और प्रेफरेंस शेयर क्या होते हैं?
Equity Share ( इक्विटी शेयर) क्या होता है?
इक्विटी शेयर किसी भी शेयर होल्डर वा निवेशक होता है, जो प्राइमरी मार्केट (Primary Market) और सेकेंडरी मार्केट (Secondary Market) से शेयर खरीद और बेच सकते हैं. What is Share in Hindi
आइए तब निकल लाभ और नुकसान से जुड़े रहते हैं. इक्विटी शेयर धारक की इक्विटी शेयर होल्डर होता है जो किसी भी कंपनी का इक्विटी शेयर होल्डर शेयर की संख्या के अनुपात में कंपनी पर मालिकाना अधिकार रखता है. उसको कंपनी के मामलों में वोटिंग का अधिकार भी होता है. जब हम शेयरों की बात करते हैं तो हमारे दिमाग में इक्विटी शेयर भी आते हैं. इन शेयरों पर लाभांश की कोई गारंटी नहीं होती है.
कंपनी सभी लेनदार ओ और प्रेफरेंस शेयर होल्डर का बकाया चुकाने के बाद ही इक्विटी शेयर पर लाभांश देती है. कंपनी का नुकसान होने पर शेयर होल्डर को कम कीमत या कुछ भी लाभांश नहीं मिलता है, और इसके विपरीत कंपनी को लाभ होने की स्थिति में सबसे अधिक लाभ इन्हीं शेयरधारकों को मिलता है.
Preference Share ( प्रेफरेंस शेयर) क्या होता है?
यह दूसरी तरह की शेयर होती है, इसमें आईपीओ या स्टॉक आईपीओ या स्टॉक धारकों को इक्विटी शेयर होल्डर की तरह वोटिंग करने का अधिकार नहीं होता है. इन शेयरों की कीमत इक्विटी शेयर की मौजूदा कीमत से कम होती है. इन शेयरों पर लाभांश की दर तय होती है. किसी भी कारणवश अगर कंपनी बंद हो जाती है तो पहला अधिकार प्रेफरेंस शेयर धारकों को दिया जाता है, और इन्हें इक्विटी शेयर धारकों से पहले लाभांश और मूलधन का भुगतान किया जाता है. शेयर होल्डर को अपना पहला लाभांश लाभांश के दर से मिलता है. इसमें चाहे कंपनी लाभ में हो या नुकसान.
शेयर मार्केट में निवेश करने से होने वाले लाभ
शेयर में निवेश करने से कई तरह से लाभ हो सकता है जिसे हमने सूचीबद्ध कर के नीचे बताया है
- डिविडेंड का लाभ :- यदि कंपनी भविष्य में लाभ कम आती है तो वह अपने शेयरधारकों को लाभ का कुछ हिस्सा लाभांश के तौर पर अदा करती है. जिसका लाभ प्रत्येक निवेशक को उसके द्वारा निवेश की गई धनराशि पर दिया जाता है.
- बोनस का लाभ प्राप्त होता है :- कंपनी समय-समय पर अपने निवेशकों को बोनस के रूप में आईपीओ या स्टॉक अतिरिक्त शेयर देती है. जिसका लाभ सभी शेयर होल्डर को मिलता है.
- राइट ईशु का लाभ :- कंपनी अपने शेयरधारकों के लिए राइट इश्यू जारी करती है. जिसका लाभ उन के शेयर के अनुपात में हर शेयर होल्डर को दिया जाता है.
- शेयर के मूल्य बढ़ने से होने वाला लाभ :- अगर कोई कंपनी अच्छा परफॉर्मेंस करती है तो उसकी शेयर की कीमतों में भी बढ़ोतरी होती है. जिसके चलते आईपीओ या स्टॉक निवेशकों द्वारा निवेश किया गया पैसा भी बढ़ता है. जिससे निवेशक को का मूलधन भी बढ़ जाता है. अच्छी कीमत बढ़ने पर शेयर धारक अपने शेयर अच्छी कीमत पर शेयर बाजार में भी बेच सकते हैं.
मैं इस ब्लॉग का संस्थापक हूं. यहां पर मैं विभिन्न विषयों पर आधारित लेख लिखता हूं. हम यहां सरल शब्दों में आप सभी को जानकारी उपलब्ध कराने की कोशिश करते हैं.
Ethos Listing: शेयर बाजारों में लिस्ट हुए एथोस के शेयर, IPO खरीदने वालों का लगा झटका
Ethos Listing लग्जरी और प्रीमियम वॉच रिटेलर कंपनी एथोस लिमिटेड का आईपीओ लेने वालों को झटका लगा है। स्टॉक मार्केट में इसके शेयरों की लिस्टिंग आईपीओ या स्टॉक हुई है लेकिन यह अपने आईपीओ प्राइस से कम कीमत पर लिस्ट हुए हैं।
नई दिल्ली, पीटीआइ। लग्जरी और प्रीमियम वॉच रिटेलर कंपनी एथोस लिमिटेड के शेयर सोमवार को 878 रुपये के निर्गम मूल्य के मुकाबले 6 प्रतिशत की गिरावट के साथ सूचीबद्ध (Ethos Listing) हुए। बीएसई पर इश्यू प्राइस से 5.46 फीसदी की गिरावट दर्ज करते हुए स्टॉक ने 830 रुपये पर अपनी शुरुआत की। इसके बाद यह 9.24 फीसदी आईपीओ या स्टॉक टूटकर 796.80 रुपये तक आ गया। वहीं, एनएसई पर यह 6 फीसदी की गिरावट के साथ 825 रुपये पर लिस्ट हुआ।
गौरतलब है कि 20 मई को सब्सक्रिप्शन के आखिरी दिन एथोस का इनिशियल पब्लिक ऑफर पूरी तरह से 1.04 गुना सब्सक्राइब हुआ था। इनिशियल पब्लिक ऑफरिंग (IPO) में 375 करोड़ रुपये के इक्विटी शेयरों का नया इश्यू और 11,08,037 इक्विटी शेयर ऑफर-फॉर-सेल (OFS) के तहत बाजार में लाए गए थे। कंपनी के आईपीओ का साइज 472.3 करोड़ रुपये का था। इसका इश्यू प्राइस 878 रुपये प्रति शेयर था।
नए निर्गम से प्राप्त होने वाली राशि का उपयोग ऋण की अदायगी, कार्यशील पूंजी आवश्यकताओं के वित्तपोषण, नए स्टोर खोलने और सामान्य कॉर्पोरेट उद्देश्यों के लिए किया जाएगा। बता दें कि एथोस के पास भारत में प्रीमियम और लक्ज़री घड़ियों का सबसे बड़ा पोर्टफोलियो है। यह दर्जनों ब्रांड की घड़ियां बेचती है।
एथोस यहां Omega, IWC Schaffhausen, Jaeger LeCoultre, Panerai, Bvlgari, H Moser & Cie, Rado, Longines, Baume & Mercier, Oris SA, Corum, Carl F Bucherer, Tissot, Raymond Weil, Louis Moinet और Balmain जैसे 50 प्रीमियम और लक्ज़री वॉच ब्रांड्स को रिटेल करती है।
एथोस ब्रांड के नाम से जनवरी 2003 में चंडीगढ़ में पहला लक्ज़री रिटेल वॉच स्टोर खोला गया था। इसके बाद अब कंपनी देश के अलग-अलग शहरों तक पहुंच गई है और इसके स्टोर्स उपलब्ध हैं।
Share Market IPO क्या है आईपीओ में इन्वेस्ट करे या न करें
दोस्तों आज की जानकारी में हम जाने वाले हैं आईपीओ क्या होता है IPO का Full form क्या होता है। क्या सच में आईपीओ में इन्वेस्ट करने से पैसा कुछ ही दिनों में दुगना हो जाता है हम IPO में इन्वेस्ट कैसे कर सकते हैं आईपीओ में इन्वेस्ट करने के नुकसान भी होते हैं क्या आज की जानकारी में हम पूरा जानेगै।
आईपीओ क्या है (What is IPO) ?
IPO का फुल फॉर्म इन Initial Public offering होता है। कोई भी कंपनी जब पहली बार स्टॉक मार्केट में अपने शेयर को लिस्ट करती है तो उस शेयर को आईपीओ कहते हैं। जब कोई कंपनी अपने कारोबार को बड़ा करना चाहती है तो उसे ज्यादा पैसे की आवश्यकता होती है लेकिन उसके पास इतना पैसा नहीं होता है तो वह स्टॉक मार्केट जाने की स्टॉक एक्सचेंज कंपनी में अपने शेयर को बेचेगी और स्टॉक एक्सचेंज कंपनी से लोग यानी कि ट्रेडर्स उस कंपनी के शेयर को खरीद लेंगे और उस शेयर के बदले उस कंपनी को पैसे मिल जाएंगे।
और जब कंपनी लोगों यानी कि ट्रेडर से अपने शेयर को बेच कर पैसे पा जाती है। तो वह अपने कंपनी के कारोबार को बढ़ाती है और जब वह कंपनी अपने कारोबार को बढ़ाएगी तो उससे ज्यादा लाभ मिलेगा जब कंपनी को लाभ मिलेगा तो उसके साथ जो इन्वेस्टर रहेंगे यानी की ट्रेडर्स उस कंपनी के शेयर खरीदे होंगे उनको भी लाभ मिलेगा। लेकिन ऐसा नहीं है कि सभी कंपनी आगे ग्रोथ करेगी कुछ कंपनियां ऐसी होती हैं जो आगे चलकर डूब भी जाते हैं।
किसी कंपनी को आईपीओ जाने की क्या जरूरत पड़ती है
जब किसी कंपनी को अपने कारोबार बढ़ाने की आवश्यकता होती है तो वह कंपनी IPO जारी करती है इसके अलावा यदि कोई कंपनी कर्ज में है तो भी आईपीओ जारी करके पब्लिक से पैसा ले सकती है।
जब कंपनी को लगता है कि उसका बिजनेस अच्छा बढ़ रहा है और उसे आगे बढ़ाने के लिए ज्यादा पैसे की आवश्यकता है तो उस कंपनी के पास तीन ऑप्शन होते हैं।
- कंपनी बैंक से लोन ले सकती है
- कंपनी रिश्तेदारों से पैसे ले सकती है
- कंपनी शेयर मार्केट में अपना आईपीओ लाकर पैसा ले सकती है
बैंक से कर्जा लेंगे तो वहां पर इंटरेस्ट देना होगा और यदि संबंधित रिश्तेदारों से लेंगे तो इतना ज्यादा पैसा नहीं मिल पाता है यदि किसी कंपनी की जरूरत करो रुपए है तो वह रिश्तेदारों और संबंधों से नहीं मिल पाएगा इसीलिए कंपनी को शेयर मार्केट में आईपीओ लाने का सबसे अच्छा ऑप्शन होता है जब कंपनी अपना आईपीओ लाती है तो वह पब्लिक में ऐलान करती है कि कोई भी हमारी कंपनी की हिस्सेदारी ले सकता है तो चलिए एक उदाहरण द्वारा इसे समझते हैं।
उदाहरण-7 दोस्त हैं और उन्होंने मिलकर एक खुद की कंपनी खोलने का फैसला किया जब भी किसी कंपनी को खड़ा करना है तो उसके लिए पैसा चाहिए तो हर एक दोस्त ने एक ₹100000 निकाले जो कुल मिलकर ₹700000 हो गए हैं उन्होंने ₹700000 लेकर एक कंपनी खड़ी कर दी शुरुआत में कंपनी को 100 कस्टमर मिलते हैं धीरे-धीरे कंपनी बढ़ने लगती है तो अलग-अलग शहरों में से भी कंपनी के कस्टमर आने लगते हैं अब कंपनी को देश के अलग-अलग शहरों में मुंबई चेन्नई कोलकाता मैं भी अपने ब्रांच खोलने की जरूरत पड़ती है।
क्योंकि कंपनी का कस्टमर बेस बढ़ने लगता है कंपनी का कारोबार इतना बढ़ने लगता है कि हर एक शहर में कंपनी की 1010 ब्रांच खोलने की जरूरत पड़ती है लेकिन कंपनी को इतने ब्रांच ओपन करने के लिए ज्यादा पैसे की जरूरत होती है समझ लीजिए ब्रांच खोलने के लिए कंपनी को 2000000 रुपए चाहिए और कंपनी को 50 ब्रांच खोलना है तो कुल मिलाकर ₹100000000 की जरूरत होगी जो कंपनी के पास अभी नहीं है लेकिन कंपनी तो ग्रो कर रही है आगे बढ़ रही है लेकिन कंपनी के पास पैसे नहीं है नई ब्रांच खोलने के लिए।
तो अब कंपनी शेयर मार्केट में अपना आईपीओ लेकर आएगी जहां से वह पब्लिक को अपने कंपनी में हिस्सेदारी बेचकर पैसा जमा करेगी और वह अपने बिजनेस में लगाएगी यानी की ब्रांच बनाएगी और जैसे-जैसे कंपनी बढ़ेगी वह अपने हिस्से यारों को बोनस के माध्यम से उसका प्रोफिट देगी। आज के समय में कोई भी प्राइवेट कंपनी पब्लिक से पैसा नहीं ले सकती यह इलीगल है कोई भी कंपनी प्राइवेट है तो है पब्लिक से पैसा नहीं ले सकती। लेकिन यहां पर अगर कंपनी सेबी के गाइडलाइन को फॉलो करके प्राइवेट लिमिटेड से पब्लिक लिमिटेड में रजिस्ट्रेशन करेगी।
और अगर कंपनी को शेयर मार्केट में अपना आईपीओ लाना है तो उसे से भी के कुछ नियम लागू होते हैं और जो कंपनी से भी के नियम को लागू करती है फॉलो करती है वह मार्केट में अपना उपयोग ला सकती है जब भी कंपनी का आईपीओ लाना होता है तो उसे सभी को अपनी कंपनी की सभी डिटेल देनी पड़ती है डिटेल में उसे बताना पड़ता है जो भी आईपीओ से पैसा आएगा वह कंपनी बिजनेस में कैसे और कहां लगाने वाली है।
आईपीओ में पैसे कौन कोन से लोग लगा सकते हैं ?
यदि कोई IPO Launch होता है। तो उस आईपीओ को खरीदने के लिए कौन-कौन से Inverter IPO को खरीद सकते हैं चले इसके बारे में जान लेते हैं तो इसके अंदर तीन तरह के लोग पैसा लगा सकते हैं
- Qualify institutional Buyer (QIB)– ऐसे लोग होते हैं जिनके पास बहुत ज्यादा पैसा होता है आपने म्यूच्यूअल फंड के बारे में सुना ही होगा तो नेचुरल फंड अपने पैसे को आईपीओ में लगा सकता है। और इसके अलावा बहुत सारी बड़ी-बड़ी कंपनियों के आईपीओ में इन्वेस्ट कर सकते हैं। जिसमें इंश्योरेंस कंपनियां भी आती है। तो सबसे पहले आईपीओ म्यूच्यूअल फंड और बड़ी-बड़ी कंपनियों के लिए 50% रिजर्व रहता है।
- Non institutional investor (NII) – अब दूसरे नंबर पर आईपीओ में इन्वेस्ट करने वाले होते हैं NNI आपने हाई नेटवर्क इंडिविजुअल (HNI) के बारे में सुना ही होगा फैशन आई इनके पास ज्यादा पैसा है वह भी इसमें यूनिवर्स कर सकते हैं इनके लिए 15% आईपीओ रिजर्वेशन होता है।
- Retail investors– रिटेल इन्वेस्टर्स वह होते हैं जो दो लाख से कम पैसा लगाते हैं तो आप कितना पैसा लगाना चाहते हो यदि आप दो लाख से कम लगाते हैं तो आप रिटेल की कैटेगरी में आएंगे। आईपीओ में रिटेल इन्वेस्टर्स के लिए 35% रिजर्वेशन होता है।
आईपीओ से ज्यादा प्रॉफिट कैसे होता है ?
जब कोई कंपनी आईपीओ लेकर आती है तो वह मान लीजिए अपना स्टार्टिंग प्राइस ₹100 मैं आईपीओ लाती है। और जब वह कंपनी स्टॉक एक्सचेंज यानी कि एनएससी और बीएससी में लिस्ट होगा तो हो सकता है। वह ₹200 में लिस्ट हो जाए ऐसा होता है क्योंकि जब कंपनी को प्रॉफिट होता है।तो वह शेयर प्राइस को स्टॉक एक्सचेंज में बढ़ाकर लिस्ट करती है। तो यदि आपने ₹50000 का आईपीओ में इन्वेस्ट किया था तो वह दुगना हो जाएगा यानी कि उसका प्राइस ₹100000 जाएंगे इसी तरह इसमें ज्यादा प्रॉफिट हो जाता है। जब कोई कंपनी अपना आईपीओ लाती है तो उसके 10 दिनों के अंदर वह एनएससी और बीएससी में लिस्ट हो जाती है। तो आप कम से कम समय में ज्यादा से ज्यादा मुनाफा पा सकते हैं।
आईपीओ में इन्वेस्ट करें या ना करें ?
दोस्तों यदि आप कंपनी के बारे में अच्छे से रिसर्च करते हैं और यदि आपको लगता है कंपनी आगे जाकर अच्छा गुरु करेगी तो आपको उस कंपनी के आईपीओ में पैसा भी नष्ट करने चाहिए पहले आईपीओ शेयर खरीदने से पहले उस कंपनी के बारे में अच्छी तरह से एनालिसिस जरूर कर लेना चाहिए।
जब DMART का आईपीओ मार्केट में लांच हुआ था तो उसका प्राइस ₹295 था और जब वह सेकेंडरी मार्केट में रिलीज हुआ तो उसकी कीमत 2 दिन में ₹600 हो गई और नवंबर 2017 तक डीमार्ट का शेयर प्राइस 1120 ऊपर हो गया। मतलब यदि आप सही आईपीओ में इन्वेस्ट करते हैं तो अच्छा खासा पैसा रिटर्न पा सकता है।
तो आज की जानकारी में हमने आईपीओ को के बारे में पूरी जानकारी जाननी है यदि इस जानकारी संबंधित आपको कुछ सवाल पूछने है तो कमेंट करके उनसे पूछ सकते हैं।
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इस IPO ने किया कमाल, इश्यू प्राइस से 35% तक चढ़ा भाव; एक्सपर्ट्स बोले- ₹500 को करेगा क्रॉस
इस साल के शुरुआत में स्टॉक मार्केट (Stock Market) में बहुत ज्यादा आईपीओ (IPO) के जरिए निवेशक करने का मौका इंवेस्टर्स को नहीं मिला था। लेकिन साल के अंत में एक के बाद एक कई कंपनियों के आईपीओ पर दांव लगाने का मौका निवेशकों को मिल रहा है। बड़ी संख्या में निवेशक इन कंपनियों के आईपीओ पर दांव भी लगा रहे हैं। निवेशकों की उम्मीदों पर जहां कुछ कंपनियों ने तोड़ा है, तो वहीं कुछ कपंनियों ने मालामाल भी किया है। मेदांता (Medanta IPO) के आईपीओ ने लिस्टिंग के बाद से ही ताबड़तोड़ रिटर्न दिया है। कंपनी के शेयर बीते दो दिन में आईपीओ के इश्यू प्राइस से 35 प्रतिशत तक चढ़ गए थे। बता दें, मेदांता के शेयरों में आज यानी गुरुवार को करीब 10 प्रतिशत की उछाल शुरुआती घंटों में देखने को मिली। दोपहर 12.11 बजे कंपनी के शेयर 4.76 प्रतिशत की उछाल के साथ 435.90 रुपये पर ट्रेड कर रहे थे। बीएसई में कंपनी के शेयर गुरुवार को 418.95 रुपये के लेवल पर बंद हुआ है।
बुधवार कपंनी शेयर मार्केट (Share Market) में डेब्यू किया था। लिस्टिंग के दिन कंपनी के शेयर एनएसई और बीएसई में 400 रुपये के लेवल को क्रॉस कर गए थे। यानी जिस किसी निवेशक ने आईपीओ पर दांव लगाया होगा और उसको शेयर अलॉट हुए होंगे, पहले दिन ही उन्हें 20 प्रतिशत का मुनाफा हुआ होगा। कल यानी मेदांता के शेयर एनएसई में 415 रुपये के लेवल पर पहुंच कर बंद हुए थे। जबकि आज यह शुरुआती कारोबार में 10 प्रतिशत की उछाल के साथ 455.70 रुपये के लेवल पर पहुंच गया था। बता दें, कंपनी का अपर प्राइस बैंड 336 रुपये था।
स्टॉक मार्केट के एक्सपर्ट के अनुसार कंपनी के शेयर आने वाले दिनों में 500 रुपये को क्रॉस कर जाएंगे।IIFL Securities के वाइस प्रेसीडेंट अनुज गुप्ता कहते हैं, “मेदांता के शेयर का भाव आने वाले समय में 480 रुपये के लेवल तक पहुंच सकता है। ऐसे में जिस किसी निवेशक को कंपनी के शेयर अलॉट हुए उन्हें इस स्टॉक को 410 रुपये के स्टॉप लॉस को ध्यान में रखकर होल्ड करने आईपीओ या स्टॉक की सलाह दी जाती है।”
GCL Securities के सीईओ रवि सिंघल कहते हैं, “मेदांता के शेयर लॉन्ग टर्म में ताबड़तोड़ रिटर्न दे सकते हैं। लेकिन नए निवेशकों को अभी स्टॉक खरीदने की सलाह नहीं दी जा सकती है। ऐसे इंवेस्टर्स प्रॉफिट बुकिंग का इंतजार करें। और जब कंपनी के शेयर 400 रुपये के लेवल पर आ जाएं तब पोजीशन लें। लॉन्ग टर्म निवेशक 370 रुपये से 400 रुपये के स्टॉप लॉस को ध्यान में रखकर दांव खेलें। एक साल मेंदाता के शेयर का भाव 515 रुपये के लेवल तक जा सकता है।”
(डिस्क्लेमर: यहां सिर्फ शेयर के परफॉर्मेंस की जानकारी दी गई है, यह निवेश की सलाह नहीं है। शेयर बाजार में निवेश जोखिमों के अधीन है और निवेश से पहले अपने एडवाइजर से परामर्श कर लें।)
LIC IPO: एलआईसी के आईपीओ में पैसे लगाना सही है या नहीं, जानिए एक्सपर्ट रजत शर्मा की राय
LIC IPO Updates: रजत शर्मा ने कहा है कि अगर उनकी बात की जाए तो वह एलआईसी के आईपीओ (LIC IPO) में ज्यादा दिलचस्पी नहीं ले रहे हैं. उन्होंने कहा है कि वह एलआईसी के शेयर बाजार में लिस्ट होने का इंतजार करेंगे और उसके बाद शेयरों में निवेश का फैसला कर सकते हैं.
LIC IPO निवेशकों को शेयर बाजार में एलआईसी के लिस्ट हो जाने के बाद LIC stocks में निवेश करने का फैसला करना चाहिए.
शेयर बाजार के एक्सपर्ट और साना सिक्योरिटीज के फाउंडर एवं सीईओ रजत शर्मा का कहना है कि एलआईसी के आईपीओ (LIC IPO) में भाग लेने की जगह निवेशकों को शेयर बाजार में एलआईसी के लिस्ट हो जाने के बाद इसमें निवेश करने का फैसला करना चाहिए.
रजत शर्मा ने कहा है कि अगर उनकी बात की जाए तो वह एलआईसी के आईपीओ (LIC IPO) में ज्यादा दिलचस्पी नहीं ले रहे हैं. उन्होंने कहा है कि वह एलआईसी के शेयर बाजार में लिस्ट होने का इंतजार करेंगे और उसके बाद शेयरों में निवेश का फैसला कर सकते हैं.
बीमा कंपनियों के कारोबार के बारे में रजत शर्मा ने कहा है कि नई पॉलिसी खरीदने के मामले में बीमा उद्योग इस समय कमजोरी का सामना कर रहा है. नई पॉलिसी के मामले में कारोबार 7 परसेंट गिरा है. अगर इस समय बीमा कंपनियों के कारोबार की बात की जाए तो कोरोना की वजह से जब ज्यादातर लोग पॉलिसी खरीदने में दिलचस्पी ले रहे हैं, उस हिसाब से बीमा उद्योग को बढ़िया कारोबार करना चाहिए.
लोगों को उम्मीद है कि बीमा कंपनियों के शानदार नतीजे देखने को मिल सकते हैं लेकिन वास्तविक स्थिति इससे उलट है. नई पॉलिसी खरीदने के मामले में 7 फ़ीसदी कमजोरी वास्तव में बीमा कारोबार की कुछ और ही कहानी कह रही है. इसके साथ ही बीमा कंपनियों का वैल्यूएशन इस समय उच्च लेवल पर है. इस समय नए निवेशकों को बीमा और नॉन बैंकिंग फाइनेंस कंपनियों में निवेश से बचना चाहिए.