रणनीति व्यापार

अंतरराष्ट्रीय व्यापार क्या है

अंतरराष्ट्रीय व्यापार क्या है
दूसरा कदम वाणिज्यिक मंत्रालय के पुनर्गठन द्व‍ारा स्थायी व्यापार अफसरशाही का गठन करना है। इस समय हमारे पास जो है, वह एक भद्दे मजाक से भी बदतर है।

How different is Digital Currency from UPI, Paytm, PhonePe and Google Pay

अंतरराष्ट्रीय व्यापार क्या है

प्रश्न 268 : अंतर्राष्ट्रीय व्यापार को प्रभावित करने वाले कोई 04 कारकों को लिखिए।

उत्तर :
अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार को प्रभावित करने वाले कारक-

(i) स्थिति- जो देश संसार के अंतरराष्ट्रीय व्यापार क्या है व्यापारिक मार्गों पर स्थित होते हैं, उनकी व्यापारिक उन्नति शीघ्र होती है।

(ii) कटा-फटा समुद्र तट- जिन देशों का समुद्र तट बहुत कटा-फटा होता है, वहाँ उन्नत बंदरगाह विकसित होते हैं, लोग साहसी और अच्छे नाविक होते हैं।

(iii) प्राकृतिक साधन- किसी देश का व्यापार वहाँ के प्राकृतिक साधनों की भिन्नता से प्रभावित होता है। प्राकृतिक साधनों में देश की जलवायु, वन, कृषि योग्य भूमि, कृषि उपजें, खनिज आदि सम्मिलित किये जाते हैं। इन्हीं साधनों पर उत्पादन निर्भर करता है।

(iv) आर्थिक विकास- सभी देशों के आर्थिक विकास की स्थिति एक समान नहीं होती। जो देश आर्थिक प्रगति में आगे है, उनका व्यापार अधिक उन्नत होता है।

अंतरराष्ट्रीय व्यापार बने राजनीतिक प्राथमिकता

हाल में संपन्न विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) की बैठक में भारत के रुख का मजाक बनाते हुए पश्चिमी आर्थिक मीडिया में कुछ आलोचनात्मक लेख लिखे गए हैं। जब इस तरह आपके देश का मजाक बनाया जाता है तो बड़ी तकलीफ होती है। लेकिन सच कहा जाए तो यह उपहास का पात्र है अंतरराष्ट्रीय व्यापार क्या है क्योंकि भारत सरकार को 1960 से नहीं पता कि अंतरराष्ट्रीय कारोबार क्या है।

मैंने 1980 में भारतीय व्यापार नीति का अध्ययन शुरू किया। इसके लिए मुझे अब बंद हो चुकी उस पत्रिका के संपादक ने कहा था, जिसके लिए मैं काम करता था।

वर्ष 1987 में इक्रियर अंतरराष्ट्रीय व्यापार क्या है ने मुझे गैट समझौते में सेवाओं को शामिल करने पर एक शोध पत्र लिखने को कहा। इसके नतीजतन 1988 में आए पत्र का सार था कि भारत का भविष्य अंतरराष्ट्रीय व्यापार क्या है तकनीक आधारित, बिना व्यक्तिगत मौजूदगी वाली सेवाओं में है। हालांकि यह पत्र कभी प्रकाशित नहीं हुआ क्योंकि इसकी 'शैली काफी अधिक पत्रकारिता' वाली थी।

अंतरराष्ट्रीय व्यापार क्या है

कृषि उपज से संबंधित चीजों के अंतर्राष्ट्रीय व्यापार तीन-चौथाई तक बढ़ा रहे हैं उत्सर्जन

पाम के तेल अंतरराष्ट्रीय व्यापार क्या है के निर्यात के लिए इंडोनेशिया में वनों की कटाई

वैज्ञानिकों की एक टीम ने एशिया, यूरोप और उत्तरी अमेरिका के समृद्ध देशों में कृषि उपज से संबंधित ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन अंतरराष्ट्रीय व्यापार क्या है को लेकर एक अध्ययन किया है। जिसमें पाया गया की विकसित देशों के कृषि उपज के उपभोक्ता विकासशील देशों में ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को बढ़ाने के लिए जिम्मेवार हैं। अंतरराष्ट्रीय व्यापार क्या है उपभोक्ता कृषि उपज की पूर्ति के लिए विकासशील देशों पर निर्भर रहते हैं, जिनकी आपूर्ति व्यापार के जरिए की जाती हैं। यह अध्ययन कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय, इरविन और अन्य संस्थानों ने मिलकर किया है।

शोधकर्ताओं ने बताया कि भूमि उपयोग से होने वाले उत्सर्जन में व्यापार, जो कृषि और भूमि उपयोग में होने वाले बदलावों से जुड़ा है। जिसकी वजह से कार्बन डाइऑक्साइड जो कि 2004 में 5.1 गीगाटन से हर साल बढ़ कर 2017 में 5.8 गीगाटन तक हो गई। यहां बताते चलें कि इसमें अन्य ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन जैसे नाइट्रस ऑक्साइड और मीथेन भी शामिल हैं।

Jagran Explainer: RBI ने अंतरराष्‍ट्रीय व्‍यापार के लिए रुपये में सेटलमेंट की क्‍यों दी मंजूरी, क्‍या होगा इसका लाभ; जानें एक्‍सपर्ट की राय

Export Import trade in rupee आरबीआइ द्वारा इंटरनेशनल ट्रेड का का सेटलमेंट रुपये में करने की इजाजत देने के फैसले का भारतीय अर्थव्यवस्था पर होने वाले असर और इसके बाकी पहलुओं को समझने के लिए हमने एक्सपर्ट्स से बातचीत की।

नई दिल्ली, बिजनेस डेस्क। RBI ने सोमवार को एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए एक्सपोर्ट और इंपोर्ट का सेटलमेंट भारतीय अंतरराष्ट्रीय व्यापार क्या है रुपये में करने की इजाजत दे दी। रुपये की लगातार गिरती कीमत और बढ़ते व्यापार घाटे के दबाव के बीच आरबीआइ के इस फैसले का बड़ा ही दूरगामी महत्व है। माना जा रहा है कि केंद्रीय बैंक के इस फैसले से डॉलर की मांग में कमी आएगी और इससे रुपये की गिरती कीमतों पर काबू में रखने में मदद मिलेगी। साथ ही एक अंतरराष्ट्रीय करेंसी के रूप में रुपये की स्वीकार्यता भी बढ़ेगी। इन सब अटकलों के बीच बड़ा सवाल यह है कि क्या वाकई आरबीआइ के इस कदम का जमीनी हकीकत पर कोई असर पड़ेगा। क्या रुपये को अंतरराष्ट्रीय बाजार में भुगतान के एक नए टूल के रूप ने दूसरे देश स्वीकार कर पाएंगे? इस आर्टिकल में हमने कुछ ऐसे ही सवालों के जवाब ढूंढने की कोशिश की है।

रुपये में सेटलमेंट से क्या होगा बदलाव

आरबीआइ के इस कदम का तात्कालिक और दीर्घलाकिक दोनों महत्व है। इस बारे में पूछे जाने पर एसबीआइ की पूर्व चीफ इकोनॉमिस्ट बृंदा जागीरदार कहती हैं, "ऐसा नहीं है कि इस तरह का फैसला पहली बार लिया गया है। इसके पहले भी यह व्यवस्था लागू हो चुकी है, लेकिन पहले के मुकाबले वैश्विक परिस्थितियां काफी बदल चुकी हैं। इसलिए आरबीआइ के इस फैसले का तात्कालिक महत्व कहीं अधिक है। पहला फायदा तो यह है कि हमें जो पेमेंट करना है, उसके लिए फॉरेन रिजर्व से पूंजी निकालने की जरूरत नहीं पड़ेगी। अगर पड़ी भी तो पूंजी की निकासी कम होगी।" नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ पब्लिक फाइनेंस एंड पॉलिसी से जुड़ी सीनियर फेलो राधिका पांडे मानती हैं कि रुपये में कारोबार सेटलमेंट की अनुमति दिए जाने के कई खास मकसद हैं। इससे जिन देशों पर व्यापारिक प्रतिबंध लगे हुए हैं, उनके साथ ट्रेड में आसानी होगी, खासकर रूस के साथ, जिससे इन दिनों भारत सस्ते दाम पर बड़ी मात्रा में तेल खरीद रहा है। प्रतिबंधों के चलते डॉलर में भुगतान करने में आ रही मुश्किलों को देखते हुए रुपये में भुगतान करना कहीं अधिक आसान होगा।

रुपये की स्वीकार्यता का सवाल

रुपये में अंतरराष्ट्रीय व्यापार के सेटलमेंट का विचार हमेशा से नीति-निर्माताओं के दिमाग में था, लेकिन इसके पीछे सबसे बड़ी हिचक यह थी कि क्या निर्यातकों और आयातकों के लिए रुपये की स्वीकार्यता बन पाएगी। हाल के दिनों में रूस-यूक्रेन संघर्ष के लंबा खिंचने और कोविड अंतरराष्ट्रीय व्यापार क्या है के बाद चालू खाता घाटे के अचानक बढ़ने से आरबीआइ को यह फैसला लागू करने का साहस दिखाना पड़ा। दुनिया में तेजी से बदल रहे राजनीतिक और आर्थिक गतिविधियों का भी इसमें बहुत योगदान था। बृंदा जागीरदार मानती हैं कि जहां रुपये की अंतरराष्ट्रीय स्वीकार्यता का सवाल है, यह एक लॉन्ग टर्म टारगेट है। जैसे-जैसे इंडिया की इकोनॉमी ग्रो करेगी और ग्लोबल सप्लाई चेन में हमारा अंशदान बढ़ेगा, तब रुपये की अंतरराष्ट्रीय स्तर पर स्वीकार्यता भी बढ़ेगी। राधिका पांडे भी मानती हैं कि इस कदम का मीडियम टर्म में एक फायदा यह होगा कि बाकी देशों के साथ हम रुपये में कारोबार कर पाएंगे और धीरे-धीरे कुछ देश रुपये को अंतरराष्ट्रीय करेंसी के रूप में स्वीकार कर लेंगे। आगे चलकर इससे रुपये को पूर्ण परिवर्तनीय बनाने में भी मदद मिलेगी।

रुपये की गिरावट पर क्या होगा असर

बृंदा जागीरदार का मानना है कि आरबीआइ के इस फैसले को रुपये की कीमत से लिंक करने की कोई जरूरत नहीं है। वह कहती हैं, "रुपये में मजबूती तब आएगी जब वह डॉलर के मुकाबले बाजार में स्थिर होगा। कमोडिटी एक्सपोर्ट करने वाले देशों को कच्चा तेल, कोयला, आयरन स्टील या दूसरी कमोडिटीज का निर्यात करने से अंतरराष्ट्रीय व्यापार क्या है विदेशी मुद्रा के रूप में डॉलर आसानी से हासिल हो जाता है। लेकिन हमारे पास वह सुविधा नहीं है। कमोडिटीज का इंटरनेशनल ट्रेड सबसे अधिक होता है, इसलिए वहां हम पिछड़ जाते हैं। हमारे पास डॉलर को हासिल करने के मौके सीमित हैं। भारत के कुल आयात में अकेले कच्चे तेल का हिस्सा 80 फीसद से ऊपर है, जबकि कुल इंपोर्ट बिल में तेल का हिस्सा 50 फीसद से अधिक है। तो जब तक तेल के आयात पर हमारी इस तरह निर्भरता बनी रहेगी, रुपये में स्थिरता नहीं आने वाली। यूक्रेन युद्ध के लंबा खिंचने से दुनिया की सभी करेंसी में गिरावट आई है, बल्कि बाकी करेंसी को देखे तो रुपये में गिरावट बाकियों के मुकाबले बहुत कम है। जब तक वैश्विक परिस्थितियां नहीं सुधरतीं, तब तक रुपये की यह अनिश्चितता बनी रहेगी।" इस बारे में राधिका पांडे की भी कुछ ऐसी ही राय है। वह कहती हैं, "जब तक हम तेल के आयात को कम नहीं करते, रुपया प्रेशर में रहेगा। लेकिन आइबीआइ के इस कदम ने संभावनाओं के नए द्वार खोल दिए हैं। आगे आने वाले महीनों में जब ग्लोबल परिस्थितियां स्थिर होंगी, तब रुपया जरूर मजबूत होगा।"

रुपये अंतरराष्ट्रीय व्यापार क्या है में कैसे होगा अंतरराष्ट्रीय व्यापार? केंद्र सरकार का जोर क्यों

rbi

यूएस डॉलर (USD) के बजाय भारतीय रुपये (INR) में अंतरराष्ट्रीय व्यापार (International Trade) को बढ़ावा देने पर केंद्र सरकार ने अपने कदम बढ़ा दिए हैं. केंद्रीय वित्त मंत्रालय (Finance Ministry) इस पहल के तरीकों पर चर्चा अंतरराष्ट्रीय व्यापार क्या है करने के लिए देश के बैंकों, विदेश मंत्रालय और वाणिज्य मंत्रालयों सहित हितधारकों के साथ बैठक कर रहा है. बैठक में भारतीय रिजर्व बैंक (RBI), भारतीय बैंक संघ, बैंकों के प्रतिनिधि निकाय और उद्योग निकायों के प्रतिनिधि शामिल होंगे.

सूत्रों के हवाले से रिपोर्ट में कहा गया है कि बैंकों से कहा जाएगा कि वे निर्यातकों को रुपये के कारोबार पर बातचीत करने के लिए कहें. हालांकि, रूस-यूक्रेन युद्ध (Russia-Ukraine War) के बाद बदले अंतरराष्ट्रीय परिस्थितियों में भारत सरकार ने रुपये में कारोबार को बढ़ाने के विकल्प पर विचार तेज किया हुआ है. आइए, जानने की कोशिश करते हैं कि अंतरराष्ट्रीय व्यापार रुपये में कैसे हो सकता है? साथ ही सरकार क्यों इस पर जोर दे रही है?

रेटिंग: 4.71
अधिकतम अंक: 5
न्यूनतम अंक: 1
मतदाताओं की संख्या: 819
उत्तर छोड़ दें

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा| अपेक्षित स्थानों को रेखांकित कर दिया गया है *