सिल्वर ETF

Silver ETF क्या है, निवेश करना कितना है सुरक्षित?
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड यानी SEBI ने कुछ दिन पहले सिल्वर ETF के लिए परिचालन को लेकर मानदंड जारी कर दिए हैं. लोगों को अब चांदी की खरीदारी के लिए बड़ी रकम की जरूरत नहीं होगी और वे ETF के जरिए एक ग्राम चांदी भी खरीद सकेंगे.
विविध निवेश के लिए गोल्ड और सिल्वर ईटीएफ उम्दा विकल्प
सोना या फिर किसी भी कीमती धातु को भौतिक रूप से हासिल किए बिना ही इसमें निवेश करने को डिजिटल इन्वेस्टमेंट कहा जाता है. यह एक आभासी तरीका है. भौतिक सोना में तो शुद्धता को लेकर रिस्क बना रहता है, लेकिन डिजिटल निवेश में इन झंझटों से बिलकुल बेपरवाह रहिए. दूसरी बात है कि यहां इसे सुरक्षित रखने का भी कोई खतरा नहीं रहता है.
हैदराबाद : हाल के दिनों में लोगों में डिजिटल रूप से सोने में निवेश करने की प्रवृत्ति बढ़ी है. निवेश को इक्विटी तक सीमित किए बिना लोग अपने निवेश विकल्पों का विस्तार कर रहे हैं. जैसे सोने और चांदी में निवेश करने के लिए कुछ राशि निर्धारित करना.
ऐसे निवेशकों के लिए, मोतीलाल ओसवाल म्यूचुअल फंड ने हाल ही में मोतीलाल ओसवाल गोल्ड एंड सिल्वर एक्सचेंज ट्रेडेड फंड (ETF) की शुरुआत की है. इस योजना का एनएफओ 7 नवंबर को समाप्त हो जाएगा. इस एनएफओ में न्यूनतम निवेश 500 रुपये है. अभिरूप मुखर्जी इसके फंड मैनेजर हैं. इस योजना के तहत अन्य म्यूचुअल फंड के गोल्ड और सिल्वर ईटीएफ भी यहां खरीदे जा सकते हैं.
सोने के निवेश के अन्य विकल्पों में आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल गोल्ड ईटीएफ, निप्पॉन इंडिया ईटीएफ गोल्ड बीज़, एसबीआई-ईटीएफ गोल्ड, कोटक गोल्ड ईटीएफ और एचडीएफसी गोल्ड ईटीएफ शामिल हैं. वहीं चांदी की योजनाओं के लिए आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल सिल्वर ईटीएफ, निप्पॉन इंडिया सिल्वर ईटीएफ और आदित्य बिड़ला सिल्वर ईटीएफ में खरीदारी की जा सकती है.
कुल निवेश राशि में से 70 प्रतिशत गोल्ड ईटीएफ के लिए निर्धारित किया जा सकता है और शेष राशि सिल्वर ईटीएफ इकाइयों के लिए आवंटित की जा सकती है. ये योजनाएं उन निवेशकों के लिए हैं, जो अपने निवेश में विविधता लाना चाहते हैं. आदित्य बिड़ला सन लाइफ म्यूचुअल फंड ने एकल म्यूचुअल फंड योजना के माध्यम से विविध निवेश की योजना के साथ एक अभिनव फंड का अनावरण किया है.
इसका नाम है आदित्य बिड़ला सन लाइफ मल्टी-इंडेक्स फंड ऑफ फंड्स (एफओएफ) और यह फंड ऑफर 10 नवंबर को बंद होने वाला है. न्यूनतम निवेश 100 रुपये किया जा सकता है. यह एक ओपन एंडेड स्कीम है और विनोद भट्ट इस स्कीम के फंड मैनेजर हैं. ए 'फंड ऑफ फंड्स' (एफओएफ) स्टॉक, बॉन्ड या अन्य प्रतिभूतियों में सीधे निवेश करने के बजाय अन्य निवेश फंडों के पोर्टफोलियो को रखने की एक निवेश रणनीति है. वे सोने और चांदी की आकर्षक योजनाओं में भी निवेश करते हैं.
फंड मैनेजर परिस्थितियों सिल्वर ETF के आधार पर फैसला करेगा कि क्या निवेश करना है और कितना निवेश करना है. यह कहा जा सकता है कि यह फंड निवेशकों को अपने पैसे को अलग-अलग योजनाओं को चुने बिना मल्टी-इंडेक्स फंड ऑफ फंड्स के माध्यम से अलग-अलग जगहों पर निवेश करने का अवसर प्रदान करता है.
एडलवाइस एमएफ ने पेश किया भारत का पहला गोल्ड और सिल्वर फंड
एडलवाइस म्यूचुअल फंड 24 अगस्त को भारत की पहली स्कीम लॉन्च करने वाली है, जो सिंगल फंड के जरिए सोने और चांदी में निवेश की पेशकश करेगी। एडलवाइस गोल्ड एंड सिल्वर ईटीएफ सिल्वर ETF फंड ऑफ फंड (FoF) के लिए नया फंड ऑफर (NFO) 7 सितंबर को बंद होगा। स्कीम के लिए फंड के मैनेजर भावेश जैन और भरत लाहोटी हैं। भारत का पहला गोल्ड फंड, निप्पॉन इंडिया ईटीएफ गोल्ड BEES, मार्च 2007 में लॉन्च किया गया था, जबकि सिल्वर का म्यूचुअल फंड पहली बार इस साल जनवरी में पेश किया गया।
NIMF ने निप्पॉन इंडिया सिल्वर और सिल्वर ETF फंड ऑफ फंड किया लॉन्च
07 जनवरी 2022: निप्पॉन इंडिया म्यूचुअल फंड (NIMF) की एसेट मैनेजर निप्पॉन लाइफ इंडिया एसेट मैनेजमेंट लिमिटेड (एनएएम इंडिया) ने फिजिकल सिल्वर और सिल्वर रिलेटेड इंस्ट्रूमेंट्स तथा निप्पॉन इंडिया सिल्वर ईटीएफ फंड ऑफ फंड (fof) में निवेश करते हुए निप्पॉन इंडिया सिल्वर ईटीएफ को लॉन्च करने की घोषणा की है, जो निप्पॉन इंडिया सिल्वर ईटीएफ की यूनिट्स में निवेश करेगा। दोनों योजनाओं का यह एनएफओ 13 जनवरी 2022 को खुलेगा और 27 जनवरी 2022 को बंद होगा।
निप्पॉन इंडिया सिल्वर ETF के लिए एनएफओ के दौरान आवश्यक न्यूनतम निवेश राशि 1,000 रुपये और उसके बाद 1 सिल्वर ETF रुपये के गुणकों में है; जबकि निप्पॉन इंडिया सिल्वर ईटीएफ फंड ऑफ फंड (एफओएफ) के लिए एनएफओ के दौरान आवश्यक न्यूनतम निवेश राशि 100 रुपये और उसके बाद 1 रुपये के गुणकों में है। निप्पॉन इंडिया सिल्वर ईटीएफ फंड ऑफ फंड (एफओएफ) के जरिए निवेशक कोई डीमैट खाता न होते हुए भी निवेश कर सकते हैं और सिस्टमेटिक इन्वेस्टमेंट प्लान (एसआईपी) वाला विकल्प भी चुन सकते हैं।
इस लॉन्च के अवसर पर बात करते हुए सिल्वर ETF निप्पॉन इंडिया म्यूचुअल फंड के ईटीएफ प्रमुख हेमेन भाटिया ने कहा, “गोल्ड ईटीएफ और गोल्ड एफओएफ का अग्रदूत होने के नाते हम निप्पॉन इंडिया सिल्वर ईटीएफ और निप्पॉन इंडिया सिल्वर ईटीएफ फंड ऑफ फंड (एफओएफ) को लॉन्च करने के साथ कमोडिटी स्पेस के भीतर निवेशकों को एक अतिरिक्त बिल्डिंग ब्लॉक की पेशकश करके खुश हैं।
ऐतिहासिक रूप से भारतीय इक्विटी सूचकांकों के साथ सिल्वर का अपेक्षाकृत कम अंतर्संबंध रहा है और इसीलिए यह निवेशकों को अपने एसेट एलोकेशन के लिए खुद के पोर्टफोलियो में विविधता लाने का अवसर प्रदान करेगा। इसके अलावा निप्पॉन इंडिया सिल्वर ईटीएफ या निप्पॉन इंडिया सिल्वर ईटीएफ फंड ऑफ फंड (एफओएफ) के जरिए निवेश करने से सिल्वर का परेशानी मुक्त भंडारण होगा, छोटे मूल्यवर्ग में खरीदारी कर सकते हैं, चोरी का कोई डर नहीं होगा, सिल्वर को भौतिक रूप से अपने पास रखने के मुकाबले आसान लिक्विडिटी उपलब्ध रहेगी और सिल्वर की शुद्धता की कोई चिंता नहीं करनी पड़ेगी।”
यह ईटीएफ फिजिकल सिल्वर और सिल्वर रिलेटेड इंस्ट्रूमेंट्स में निवेश करेगा और योजना के सिल्वर ETF पर्फॉर्मेंस को सिल्वर के घरेलू मूल्य (एलबीएमए सिल्वर के दैनिक स्पॉट फिक्सिंग मूल्य के आधार पर) के मुकाबले बेंचमार्क किया जाएगा। फिजिकल सिल्वर 99.9 प्रतिशत शुद्धता (प्रति हजार 999 हिस्से) की होगी जो लंदन बुलियन मार्केट सिल्वर ETF एसोसिएशन (एलबीएमए) गुड डिलिवरी स्टैंडर्ड्स के अनुरूप होगी।
निप्पॉन इंडिया म्यूचुअल फंड (एनआईएमएफ) भारत के सबसे बड़े ईटीएफ खिलाड़ियों में सिल्वर ETF गिना जाता है, जिसका 30 नवंबर, 2021 तक एयूएम 500 बिलियन रुपये से अधिक रहा। भारतीय इंडस्ट्री के गोल्ड ईटीएफ एवं गोल्ड ईटीएफ आधारित एफओएफ के बीच निप्पॉन इंडिया ईटीएफ गोल्ड बीईईएस एवं निप्पॉन इंडिया गोल्ड सेविंग्स फंड का एयूएम सबसे बड़ा है। भारतीय इंडस्ट्री के गोल्ड ईटीएफ में निप्पॉन इंडिया ईटीएफ गोल्ड बीईईएस का वॉल्यूम सबसे ज्यादा है।
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क्या इस बार दिवाली पर गोल्ड या चांदी के म्यूचुअल फंड में पैसा लगाना चाहिए? जानिए इससे जुड़ी सभी काम की बातें
दिवाली के मौके पर खासकर धनतेरस पर लोग सोना-चांदी खरीदते हैं. हालांकि अब कुछ लोग सोने सिल्वर ETF और चांदी के फंड और ईटीएफ ETF(exchange-traded fund) में निवेश करने में भी रुचि दिखा रहे हैं. कुछ म्यूचुअल फंड हाउस दिवाली सीजन में नए सिल्वर और गोल्ड ईटीएफ लेकर आए हैं. इस समय बाजार में ऐसी दो योजनाएं उपलब्ध हैं.
हमारे देश में सोना और चांदी महज एक मेटल नहीं है, बल्कि त्योहारों का एक अहम हिस्सा माने जाते हैं. दिवाली के मौके पर खासकर धनतेरस पर लोग सोना-चांदी खरीदते हैं. हालांकि अब कुछ लोग सोने और चांदी के फंड और ईटीएफ ETF(exchange-traded fund) में निवेश करने में भी रुचि दिखा रहे हैं. कुछ म्यूचुअल फंड हाउस दिवाली सीजन में नए सिल्वर और गोल्ड ईटीएफ लेकर आए हैं. इस समय बाजार में ऐसी दो योजनाएं उपलब्ध हैं.
एडलवाइस गोल्ड एंड सिल्वर ETF भारत में इस तरह की पहली योजना थी, इसे अगस्त में लॉन्च किया गया था. मोतीलाल ओसवाल म्यूचुअल फंड भी अब इसमें शामिल हो गया है. मोतीलाल ओसवाल गोल्ड एंड सिल्वर ईटीएफ Fund Of Funds (FOF) 19 अक्टूबर को सब्सक्रिप्शन के लिए खुल चुका हैं. आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल म्यूचुअल फंड ने गोल्ड एंड सिल्वर ईटीएफ और एफओएफ के लिए एक ड्राफ्ट डॉक्यूमेंट भी दाखिल किया है.
विशेषज्ञों का मानना है कि आर्थिक मंदी के दौरान सोना अच्छा प्रदर्शन करता है जबकि इन धातुओं की कीमतों में तेजी आने पर चांदी बेहतर प्रदर्शन करती है. दोनों लंबे समय में इंफ्लेशन के खिलाफ ढाल की तरह काम करते हैं. म्यूचुअल फंड, खासतौर पर एफओएफ, खुदरा निवेशकों के लिए भौतिक सोने और चांदी में निवेश करने की तुलना में अधिक सुविधाजनक हो सकता है. म्यूचुअल फंड हाउसों का मानना है कि एफओएफ फॉर्म में ये दोनों मेटल मिलकर मुश्किलों को कम कर सकती हैं और ऐसे में ये निवेशक के लिए ज्यादा लाभदायक हो सकता है.
सोने और चांदी में निवेश ने वैश्विक अनिश्चितता के समय में निवेशकों के पोर्टफोलियो को स्थिरता प्रदान की है. इन निवेशों को एक डाइवर्सिफिकेशन टूल के रूप में देखा जाना चाहिए. इसमें लंबी अवधि के लिए भी निवेश किया जा सकता है, खासकर दीपावली के दौरान जबकि सोना-चांदी खरीदना शुभ माना जाता है.हालांकि, म्यूचुअल फंड एडवाइजर चांदी को पोर्टफोलियो डायवर्सिफायर के रूप में इस्तेमाल करने के विचार से सहमत नहीं दिखते. ऐसा माना जाता है कि जहां सोना आपके पोर्टफोलियो में एक बड़ा सेवर है, वहीं चांदी खुदरा पोर्टफोलियो में जरूरी नहीं है.
इन दोनों ही को केवल लंबी अवधि के बचाव के रूप में देखा जाना चाहिए.भले ही सोने और चांदी की कीमतों में कोरिलेशन है, लेकिन वे अलग-अलग तरीकों से काम करते हैं. सोने की कीमतें मुख्य रूप से मांग-आपूर्ति (मुख्य रूप से गैर-औद्योगिक) और दुनिया भर की जियोपॉलिटिकल स्थितियों पर निर्भर करती हैं. दूसरी ओर, चांदी की कीमतें वैश्विक आर्थिक विकास पर निर्भर करती हैं. विश्व स्तर पर खनन किए गए चांदी का लगभग 50% इंडस्ट्रियल एप्लीकेशन्स और उत्पादों में उपयोग किया जाता है, इस प्रकार सोने के विपरीत, जो एक शुद्ध बचत उत्पाद हो सकता है, चांदी की कीमतें आर्थिक संकट, मंदी, बाजार में गिरावट के दौरान प्रभावित हो सकती हैं.
अगर आप दिवाली पर निवेश करने की सोच रहे हैं तो सोने और चांदी को मिलाकर एक कॉम्बो उत्पाद में निवेश करने के बजाय अलग-अलग निवेश करना बेहतर है.म्यूचुअल फंड एडवाइजरों का मानना है कि निवेश को एसेट एलोकेशन के नजरिए से देखने की भी जरूरत है. भले ही सोने में लंबे समय तक स्थिर रहने सिल्वर ETF की प्रवृत्ति होती है, लेकिन सोने में निवेश यह सुनिश्चित करता है कि बुरे समय के दौरान पैसे का मूल्य बना रहे. सिल्वर फंड्स का भारत में अभी तक ऐसा ट्रैक रिकॉर्ड नहीं है.
सोने और चांदी की कीमतें काफी समय से सुस्त बनी हुई हैं. ऐसे में लॉन्ग टर्म इन्वेस्टमेंट पर दांव लगाया जा सकता है. निवेशकों को यह ध्यान रखना चाहिए कि सोना किसी के मुख्य पोर्टफोलियो का हिस्सा हो सकता है लेकिन चांदी को केवल किसी के सेटेलाइट पोर्टफोलियो में ही लिया जा सकता है. चांदी, सोने की तुलना में ज्यादा अस्थिर हो सकती है. इसलिए, सोने और चांदी की अलग-अलग गतिशीलता को देखते हुए, उनमें कॉम्बो निवेश की बजाय अलग-अलग निवेश करना चाहिए.
अगर आप इस दिवाली निवेश करना चाहते हैं, तो मिश्रित उत्पाद के बजाय गोल्ड फंड से शुरुआत करें. आपको बता दें कि फिलहाल म्यूचुअल फंड बाजार में 22 गोल्ड ईटीएफ सिल्वर ETF और गोल्ड फंड उपलब्ध हैं. इनमें से 20 फंड और ईटीएफ लगभग 10 साल से अधिक समय से हैं.