विदेशी मुद्रा के लिए लंबित आदेश

Published - Tuesday, 22 November, 2022
Заметка! Прежде чем инвестировать, проверьте, какого брокера выбрать!
Вас интересуют разные формы и виды инвестирования денег? Вы заинтересованы в торговле или инвестировании в производные инструменты, например, в CFD, опционы, золото, валюты, нефть? Если это так, помните, что во время инвестирования или торговли, например, CFD , бинарных опционов , криптовалют или форекс , важная вещь – это хороший выбор брокера, с которым вы будете устанавливать счет для торговли. Ниже вы найдете важную информацию о том, как правильно выбрать брокера и информацию о том, на что обратить внимание. Мы считаем, что нам удалось выбрать некоторых из самых популярных брокеров в 2020 году (вы найдете рейтинг ниже этой статьи).
Прежде чем начать свое приключение с инвестирования или обучения на инвестиционной платформе, стоит узнать несколько фактов.
Вот список важной информации
- Вы можете начать изучение и тестирование конкретной платформы на своем демо-счете с виртуальной суммой для инвестирования.
- Выбор правильного брокера – очень важный вопрос, потому что мы переводим деньги на данную платформу. Мы хотим быть уверены, что это безопасно и что мы сможем получить его, когда получим прибыль от инвестиций и осуществим перевод на наш собственный счет.
- Сложный интерес, стоит знать, насколько он силен и как, вкладывая 1 доллар, вы можете приумножить свой капитал за определенный период времени.
- Риск, каждый инвестор должен знать, что каждая инвестиция рискованна, поэтому не вкладывайте деньги, которые вы не можете позволить себе потерять.
- Урегулирование прибылей и убытков, как и любой доход или убыток, должно осуществляться в данной налоговой стране.
Инвестирование и торговля в विदेशी मुद्रा के लिए लंबित आदेश 2020р.
Если вы заинтересованы в инвестировании в различные типы активов, валют, форекс или криптовалют, например, в биткойны, эфириум или в покупку контрактов CFD на золото, серебро, платину или иностранные компании, такие как Amazon, Microsoft, Google или другие крупные компании, у нас есть некоторая важная информация для вас.
А именно, выбор правильного брокера является очень важным шагом при инвестировании. Это человек, которому мы переводим наши деньги, которыми будем управлять. Вот почему доверие к брокеру очень важно, потому что, если мы хотим снять определенную сумму, мы хотим быть уверены, что получим ее. Некоторые люди говорят, что многие брокеры или страницы, к сожалению, не очень надежны. Поэтому мы решили проверить, какие брокеры популярны в 2020 году, и подготовить специальный рейтинг для брокеров, который будет представлен ниже этой статьи.
Прежде чем начать инвестировать, вы можете создать демо-счет, который позволит вам протестировать выбранного брокера, познакомиться с платформой и научиться торговать на ней. Вы можете сделать свои первые инвестиции и торговать на актив, который вы выбрали. Вы проверите возможности платформы и узнаете, как покупать и продавать активы, вы можете отслеживать курсы доллара, евро, нефти, золота, серебра или криптовалюты, такие как биткойны или эфириум.
Инвестируя с брокером без соответствующих лицензий, вы можете, например: потерять весь свой विदेशी मुद्रा के लिए लंबित आदेश капитал. Также следует помнить, что каждая инвестиция всегда сопряжена с риском потери капитала. Вот почему стоит выбирать сертифицированных брокеров и тех, кто имеет соответствующие разрешения для ведения этого вида бизнеса.
Доверие брокера !!
Достоверность брокеров может быть проверена путем анализа их лицензий, разрешений, сертификатов и того, подлежат ли они соответствующему финансовому надзору в стране, в которой вы проживаете.
Демо-счет!
Вы можете попробовать так называемый демо-счет, чтобы узнать, проверить платформу и свои навыки. Вам не нужно проверять свои данные, чтобы начать свое приключение с инвестирования (например, в Plus500 вам нужен только адрес электронной почты).
Преимущества демо-счета
- Вы получаете виртуальную валюту и сумму для изучения
- Вы можете выбирать и тестировать различные варианты покупки и продажи определенного актива, например, золота, серебра, криптовалюты, нефти и т. Д.
- Вы сами решаете, сколько вы покупаете и сколько продаете, что покупаете и что продаете.
- Вы сами решаете, когда перейти на реальный счет и начать вкладывать свои реальные деньги.
- Вы можете отписаться от платформы в любое время.
Вы можете создать демо-счет , например, у брокера Plus500 № 1 в нашем списке самых популярных брокеров в 2020 году (все, что вам нужно, это адрес электронной почты для регистрации)
Ниже представлены 4 самых популярных брокера в 2020 году. Вы можете создать демо-счет и протестировать платформу или, например, проверить, как торговать, например, золотом, валютами, нефтью, акциями или криптовалютами.
देश की खबरें | गुजरात चुनाव के पहले चरण के 21 प्रतिशत उम्मीदवार ‘दागी’ : रिपोर्ट
Get Latest हिन्दी समाचार, Breaking News on India at LatestLY हिन्दी. गुजरात विधानसभा के लिए पहले चरण के तहत 89 सीट पर चुनाव हो रहे हैं और कुल 788 उम्मीदवार मैदान में हैं जिनमें 167 प्रत्याशियों के खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज हैं। इनमें से 100 उम्मीदवारों के खिलाफ हत्या एवं बलात्कार जैसे गंभीर आरोप हैं। यह जानकारी बृहस्पतिवार को एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) की एक रिपोर्ट से मिली।
अहमदाबाद, 24 नवंबर गुजरात विधानसभा के लिए पहले चरण के तहत 89 सीट पर चुनाव हो रहे हैं और कुल 788 उम्मीदवार मैदान में हैं जिनमें 167 प्रत्याशियों के खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज हैं। इनमें से 100 उम्मीदवारों के खिलाफ हत्या एवं बलात्कार जैसे गंभीर आरोप हैं। यह जानकारी बृहस्पतिवार को एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) की एक रिपोर्ट से मिली।
इसके साथ ही 21 प्रतिशत प्रत्याशियों के खिलाफ आपराधिक मामले हैं जबकि 13 प्रतिशत उम्मीदवारों के खिलाफ गंभीर आरोप हैं।
पहले चरण के तहत, आम आदमी पार्टी (आप)कुल 89 में से 88 सीट पर चुनाव लड़ रही है और वह इस सूची में सबसे ऊपर है जिसके 36 प्रतिशत उम्मीदवारों के खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज हैं।
एडीआर ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि आप के 30 प्रतिशत उम्मीदवार हत्या, बलात्कार, अपहरण जैसे गंभीर आरोपों का सामना कर रहे हैं। आप के 32 उम्मीदवारों के खिलाफ आपराधिक मामले हैं।
अरविंद केजरीवाल नीत पार्टी के बाद दूसरे नंबर पर कांग्रेस है जिसके 35 प्रतिशत उम्मीदवारों के खिलाफ आपराधिक मामले हैं। ऐसे 20 प्रतिशत उम्मीदवारों के खिलाफ गंभीर आरोप हैं। रिपोर्ट के अनुसार कांग्रेस पहले चरण में सभी 89 सीट पर चुनाव लड़ रही है और आपराधिक मामलों वाले उसके उम्मीदवारों की संख्या 31 है।
सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) भी पहले चरण के चुनाव में सभी सीट पर चुनाव लड़ रही है। एडीआर की रिपोर्ट के अनुसार भाजपा ने आपराधिक अतीत वाले 14 उम्मीदवारों को मैदान में उतारा है। प्रतिशत के लिहाज से यह संख्या 16 प्रतिशत है।
भारतीय ट्राइबल पार्टी (बीटीपी) पहले चरण में 14 सीट पर चुनाव लड़ रही है और उसके चार उम्मीदवारों (29 प्रतिशत) के खिलाफ आपराधिक मामले हैं। उसके सात प्रतिशत उम्मीदवारों के खिलाफ गंभीर आपराधिक मामले हैं।
रिपोर्ट के अनुसार 2017 के विधानसभा चुनावों में, पहले चरण के 15 प्रतिशत उम्मीदवारों के खिलाफ आपराधिक मामले थे, जबकि आठ प्रतिशत उम्मीदवारों के खिलाफ गंभीर आपराधिक मामले थे।
गंभीर आपराधिक मामलों वाले उम्मीदवारों में जनक तलविया (भाजपा), वसंत पटेल (कांग्रेस), अमरदास देसानी (स्वतंत्र) शामिल हैं। आपराधिक रिकॉर्ड वाले अन्य उम्मीदवारों में भाजपा के पुरुषोत्तम सोलंकी, कांग्रेस के गनीबेन ठाकोर और जिग्नेश मेवानी, आप के गोपाल इटालिया और अल्पेश कठेरिया शामिल हैं।
वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस, भाजपा और बीटीपी ने पहले चरण में क्रमश: 36, 25 और 67 प्रतिशत ऐसे उम्मीदवारों को मैदान में उतारा था जिनके खिलाफ आपराधिक मामले थे।
उच्चतम न्यायालय के 25 सितंबर, 2018 के आदेश के अनुपालन में निर्वाचन आयोग के निर्देशों के अनुसार, सभी राजनीतिक दलों के लिए लंबित आपराधिक मामलों और ऐसे उम्मीदवारों के चयन की वजहों की जानकारी अपनी वेबसाइट पर अपलोड करना अनिवार्य है।
इसके साथ ही जानकारी को एक स्थानीय और एक राष्ट्रीय दैनिक में प्रकाशित करने एवं आधिकारिक सोशल मीडिया मंच पर अपलोड करने की भी आवश्यकता होती है।
एडीआर के प्रमुख अनिल वर्मा ने वीडियो लिंक के जरिए एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा, "इन निर्देशों का ठीक से पालन नहीं किया जा रहा है. हमने गौर किया है कि स्थानीय समाचार पत्रों में गुजराती में जानकारी प्रकाशित की जाती है, लेकिन घोषणाएं अंग्रेजी में होती हैं। साथ ही, ऐसी जानकारी का ‘फ़ॉन्ट’ आकार 12 होना चाहिए, लेकिन उन्हें बहुत छोटे फ़ॉन्ट आकार में प्रकाशित किया गया है।’’
(यह सिंडिकेटेड न्यूज़ फीड से अनएडिटेड और ऑटो-जेनरेटेड स्टोरी है, ऐसी संभावना है कि लेटेस्टली स्टाफ द्वारा इसमें कोई बदलाव या एडिट नहीं किया गया है)
19 रुपए या इससे कम कीमत वाले चैनल ही होंगे बुके का हिस्सा: TRAI
by समाचार4मीडिया ब्यूरो
Published - Tuesday, 22 November, 2022
ट्राई ने मंगलवार को दूरसंचार (प्रसारण और केबल) सेवाएं (आठवां) (एड्रेसेबल सिस्टम्स) टैरिफ (तीसरा संशोधन) आदेश, 2022 (2022 का 4) और दूरसंचार (प्रसारण और केबल) सेवाएं इंटरकनेक्शन (एड्रेसेबल सिस्टम) (चौथा संशोधन) विदेशी मुद्रा के लिए लंबित आदेश विनियम, 2022 (2022 का 2) जारी किया।
यह स्टेटमेंट ट्राई के सचिव वी. रघुनंदन की ओर से जारी किया गया है, जिसमें कहा गया है कि-
1- केबल टीवी क्षेत्र के पूर्ण डिजिटलीकरण के अनुरूप, ट्राई ने 3 मार्च 2017 को प्रसारण व केबल सेवाओं के लिए न्यू रेगुलेटरी फ्रेमवर्क (नया विनियामक ढांचा) अधिसूचित किया। मद्रास उच्च न्यायालय और सर्वोच्च न्यायालय में कानूनी जांच पारित करने के बाद, 29 दिसंबर 2018 से नया फ्रेमवर्क लागू किया गया।
2- न्यू रेगुलेटरी फ्रेमवर्क में जैसे ही कुछ व्यावसायिक नियमों को बदला गया, उसमें कई सकारात्मक बातें सामने आईं। हालांकि, न्यू रेगुलेटरी फ्रेमवर्क 2017 के कार्यान्वयन पर, ट्राई ने उपभोक्ताओं को प्रभावित करने वाली कुछ कमियों पर ध्यान दिया। न्यू रेगुलेटरी फ्रेमवर्क के कार्यान्वयन के बाद उत्पन्न होने वाले कुछ मुद्दों को हल करने के लिए, हितधारकों के साथ उचित परामर्श प्रक्रिया के बाद, ट्राई ने 01.01.2020 को न्यू रेगुलेटरी फ्रेमवर्क 2020 को अधिसूचित किया।
3- कुछ हितधारकों ने टैरिफ संशोधन आदेश 2020, इंटरकनेक्शन संशोधन विनियम 2020 और क्यूओएस संशोधन विनियम 2020 के प्रावधानों को बॉम्बे और केरल उच्च न्यायालयों सहित विभिन्न उच्च न्यायालयों में चुनौती दी। उच्च न्यायालयों ने कुछ प्रावधानों को छोड़कर न्यू रेगुलेटरी फ्रेमवर्क 2020 की वैधता को बरकरार रखा।
4- नेटवर्क विदेशी मुद्रा के लिए लंबित आदेश कैपेसिटी फी (एनसीएफ) और न्यू रेगुलेटरी फ्रेमवर्क 2020 के लंबी अवधि के सब्सक्रिप्शन से संबंधित प्रावधान पहले ही लागू किए जा चुके हैं और बड़े पैमाने पर उपभोक्ताओं को इसका लाभ दिया जा रहा है। प्रत्येक उपभोक्ता अब अधिकतम एनसीएफ 130 रुपए में 100 चैनलों के बजाय 228 टीवी चैनल प्राप्त कर सकता है। इसने उपभोक्ताओं को 2017 के ढांचे के अनुसार समान संख्या में चैनलों का लाभ उठाने के लिए अपने एनसीएफ को 40 से 50 रुपए तक कम करने में सक्षम बनाया है। इसके अतिरिक्त, मल्टी-टीवी घरों के लिए संशोधित एनसीएफ ने उपभोक्ताओं को दूसरे (और अधिक) टेलीविजन सेट्स पर 60% की बचत करने में सक्षम बनाया है।
5- हालांकि, ब्रॉडकास्टर्स द्वारा नवंबर 2021 में दायर रियो (RIO) के अनुसार, नए टैरिफ एक सामान्य प्रवृत्ति को दर्शाते हैं, यानी स्पोर्ट्स चैनलों सहित उनके सबसे लोकप्रिय चैनलों की कीमतों में 19 रुपए प्रति माह से अधिक की वृद्धि की गई। पे चैनलों को बुके में शामिल करने के संबंध में मौजूदा प्रावधानों का अनुपालन करते हुए, ऐसे सभी चैनल जिनकी कीमत 12 रुपए प्रति माह से अधिक है, को बुके से बाहर रखा जाता है और केवल अ-ला-कार्टे आधार पर पेश किया जाता है। फाइल किए गए संशोधित रियो लगभग सभी पेश किए जा रहे बुके की संरचना में व्यापक पैमाने पर बदलाव का संकेत देते हैं।
6- नए टैरिफ की घोषणा के तुरंत बाद, ट्राई को डिस्ट्रीब्यूशन प्लेटफॉर्म ऑपरेटर्स (DPOs), एसोसिएशन ऑफ लोकल केबल ऑपरेटर्स (LCOs) और उपभोक्ता संगठनों से अभ्यावेदन प्राप्त हुए। डीपीओ ने विशेष रूप से ब्रॉडकास्टर्स द्वारा घोषित पे चैनलों और बुके की दरों में वृद्धि के कारण सिस्टम में नई दरों को लागू करने और लगभग सभी बुके को प्रभावित करने वाले विकल्पों के सूचित अभ्यास के माध्यम से उपभोक्ताओं को नई टैरिफ व्यवस्था में स्थानांतरित करने में आने वाली कठिनाइयों पर प्रकाश डाला। इसलिए, ट्राई ने एलसीओ के प्रतिनिधियों सहित सभी विभिन्न संघों और उपभोक्ता समूहों के साथ बातचीत की।
7- न्यू रेगुलेटरी फ्रेमवर्क 2020 के कार्यान्वयन से संबंधित विभिन्न मुद्दों पर विचार-विमर्श करने और आगे का रास्ता तय करने के लिए, ट्राई के तत्वावधान में इंडियन ब्रॉडकास्टिंग एंड डिजिटल फाउंडेशन (IBDF), ऑल इंडिया डिजिटल केबल फेडरेशन (AIDCF) और DTH एसोसिएशन के सदस्यों वाली एक समिति का गठन किया गया था।
8- समिति का उद्देश्य टैरिफ संशोधन आदेश 2020 के सुचारू कार्यन्वयन के लिए परस्पर सहमत तरीकों पर कार्क करने के लिए विभिन्न हितधारकों के बीच चर्चा की सुविधा प्रदान करना था। हितधारकों को एक कार्यान्वयन योजना के साथ आने की सलाह दी गई, जहां उपभोक्ताओं को न्यू रेगुलेटरी फ्रेमवर्क 2020 को लागू करते समय कम से कम दिक्ततों का सामना करना पड़े।
9- समिति ने न्यू रेगुलेटरी फ्रेमवर्क 2020 से जुड़े कई मुद्दों को विचार के लिए सूचीबद्ध किया। हालांकि, हितधारकों ने ट्राई से उन महत्वपूर्ण मुद्दों को तुरंत दूर करने का अनुरोध किया, जो टैरिफ संशोधन आदेश 2020 के सुचारू कार्यान्वयन के लिए बाधाएं पैदा कर सकते हैं।
10- हितधारकों की समिति द्वारा पहचाने गए मुद्दों को संबोधित करने के लिए; ट्राई ने न्यू रेगुलेटरी फ्रेमवर्क 2020 के पूर्ण कार्यान्वयन के लिए लंबित बिंदुओं/मुद्दों पर हितधारकों की टिप्पणियां प्राप्त करने के लिए एक परामर्श पत्र जारी किया। परामर्श पत्र में बुके के निर्माण में दी गई छूट, बुके में शामिल करने के लिए चैनलों की अधिकतम कीमत और वितरण शुल्क के अलावा ब्रॉडकास्टर्स द्वारा डीपीओ को दी जाने वाली छूट से संबंधित मुद्दों पर विभिन्न हितधारकों से टिप्पणियां और सुझाव मांगे गए।
11- प्राधिकरण ने हितधारकों की टिप्पणियों का विश्लेषण किया और उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा विदेशी मुद्रा के लिए लंबित आदेश के लिए टैरिफ आदेश 2017 और इंटरकनेक्शन विनियम 2017 में संशोधनों को अधिसूचित किया।
संशोधनों की मुख्य विशेषताएं इस प्रकार हैं-
* टीवी चैनलों के एमआरपी पर ढील जारी रहेगी
* केवल उन्हीं चैनलों को बुके का हिस्सा बनने की अनुमति होगी, जिनकी एमआरपी 19 रुपए या उससे कम होगी।
* एक ब्रॉडकास्टर अपने पे चैनलों के बुके का मूल्य निर्धारण करते समय उस बुके में सभी पे चैनलों के एमआरपी के योग से अधिक 45% की अधिकतम छूट की पेशकश कर सकता है।
* किसी ब्रॉडकास्टर द्वारा किसी पे चैनल के अधिकतम खुदरा मूल्य पर प्रोत्साहन के रूप में दी जाने वाली छूट अ-ला-कार्टे और बुके दोनों में उस चैनल की सदस्यता पर आधारित होगी।
12- सभी ब्रॉडकास्टर 16 दिसंबर 2022 तक चैनलों के नाम, प्रकृति, भाषा, चैनलों की प्रति माह एमआरपी और चैनलों के बुके की संरचना और एमआरपी में किसी भी बदलाव की सूचना प्राधिकरण को देंगे और साथ ही साथ अपनी वेबसाइट्स पर भी ऐसी जानकारी प्रकाशित करेंगे। जिन ब्रॉडकास्टर ने न्यू रेगुलेटरी फ्रेमवर्क 2020 के अनुपालन में अपने रियो पहले ही जमा कर दिए हैं, वे भी 16 दिसंबर 2022 तक अपने रियो को संशोधित कर सकते हैं।
13- सभी डीपीओ 1 जनवरी 2023 तक पे चैनलों के डीआरपी, पे चैनलों के बुके और पे व एफटीए चैनलों के बुके की संरचना को प्राधिकरण को रिपोर्ट करेंगे और साथ ही साथ ऐसी जानकारी को अपनी वेबसाइट्स पर प्रकाशित करेंगे। डीपीओ जिन्होंने न्यू रेगुलेटरी फ्रेमवर्क 2020 के अनुपालन में अपने रियो को पहले ही जमा करा दिए हैं, वे भी 1 जनवरी 2023 तक अपने रियो को संशोधित कर सकते हैं।
14- इसके अलावा टेलीविजन चैनलों के सभी वितरक यह सुनिश्चित करेंगे कि 1 फरवरी 2023 से ग्राहकों को सेवाएं उनके द्वारा चुने गए बुके या चैनलों के अनुसार प्रदान की जाएं।
15- वर्तमान संशोधनों में ट्राई ने केवल उन महत्वपूर्ण मुद्दों को संबोधित किया है जो टैरिफ संशोधन आदेश 2020 को लागू करते समय उपभोक्ताओं को असुविधा से बचाने के लिए हितधारक समिति द्वारा सुझाए गए थे। हितधारकों की समिति ने अन्य मुद्दों को भी सूचीबद्ध किया, जिन पर बाद में ट्राई द्वारा विचार किया जाएगा।इसके अलावा, प्राधिकरण ने एलसीओ के प्रतिनिधियों के साथ कई बैठकें कीं, जिसमें एक ऑनलाइन बैठक में देशभर से 200 से अधिक एलसीओ ने भाग लिया। इन बैठकों के दौरान कई मुद्दों को रखा गया। ट्राई ने सुझावों को नोट कर लिया है और यदि आवश्यक हुआ तो आगामी मुद्दों के समाधान के लिए और उपयुक्त कदम उठा सकता है।
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ज्ञानवापी केस: वाराणसी कोर्ट ने मुस्लिम पक्ष की याचिका की खारिज, मामला सुनवाई योग्य माना
वाराणसी कोर्ट ने गुरुवार को अंजुमन मस्जिद समिति की अर्जी को खारिज कर दिया, मुस्लिम पक्ष ने कहा था कि ज्ञानवापी परिसर का कब्जा हिंदुओं को सौंपने से जुड़ा मुकदमा सुनवाई योग्य नहीं है।
वाराणसी कोर्ट ने गुरुवार को अंजुमन मस्जिद समिति की अर्जी को खारिज कर दिया, मुस्लिम पक्ष ने कहा था कि ज्ञानवापी परिसर का कब्जा हिंदुओं को सौंपने से जुड़ा मुकदमा सुनवाई योग्य नहीं है। इसकी सुनवाई नहीं होनी चाहिए, लेकिन कोर्ट ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद आदेश दिया कि इस मुकदमे पर सुनवाई संभव है। आवेदन को विदेशी मुद्रा के लिए लंबित आदेश विदेशी मुद्रा के लिए लंबित आदेश खारिज करते हुए, सिविल जज (सीनियर डिवीजन) महेंद्र कुमार पांडेय की फास्ट-ट्रैक कोर्ट ने मामले को 2 दिसंबर को आगे की सुनवाई के लिए पोस्ट किया, यानी अब हिन्दुओं की याचिका पर सुनवाई 2 दिसंबर को की जाएगी। इससे पहले कोर्ट ने 27 अक्टूबर को इस मामले में फैसला सुरक्षित रख लिया था।
यहां आपको बता दें कि, भगवान विश्वेश्वर विराजमान (स्वयंभू) ने किरण सिंह के माध्यम से मुकदमा दायर किया है, जो विश्व वैदिक सनातन संघ (वीवीएसएस) के अंतर्राष्ट्रीय महासचिव हैं। दायर याचिका में प्रार्थना की गई है कि पूरे ज्ञानवापी परिसर का कब्जा हिंदुओं को सौंप दिया जाए और वादी को कथित तौर पर 16 मई को मस्जिद परिसर के अंदर पाए गए 'शिव लिंग' की पूजा करने की अनुमति दी जाए।
यहा ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि, यह एक अलग मुकदमा है जो 5 हिंदू महिला उपासकों द्वारा वाराणसी कोर्ट के समक्ष लंबित एक अन्य मुकदमे से जुड़ा नहीं है।
आईएएनएस के इनपुट के साथ
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