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और निवेश करें

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Edited By: Alok Kumar @alocksone
Updated on: November 13, 2022 6:56 IST

म्यूचुअल फंड की स्कीम्स में निवेश करना कैसे शुरू करें?

अब म्यूचुअल फंड्स में निवेश करना इतना आसान और सरल हो गया है कि कोई व्यक्ति अतिरिक्त दस्तावेज़ों के बिना कई फंड्स में निवेश करने के बारे में सोच सकता है। म्यूचुअल फंड में पहली बार निवेश करने वाले निवेशकों को अपना KYC पूरा करना होगा जो एक बार की प्रक्रिया है। KYC सत्यापन पूरा करने में आपकी मदद करने के लिए आप किसी डिस्ट्रिब्यूटर या निवेश सलाहकार के पास जा सकते हैं या आप ऑनलाइन ई-KYC कर सकते हैं। KYC म्यूचुअल फंड्स की दुनिया की चाबी की तरह है। अपना KYC पूरा होने के बाद, आप हर निवेश के लिए आगे सत्यापन से गुज़रे बिना किसी भी फंड में निवेश कर सकते हैं।

KYC सत्यापन के बाद निवेश करने के लिए तैयार होने पर, आप किसी म्यूचुअल फंड डिस्ट्रिब्यूटर, रजिस्टर्ड निवेश सलाहकार, स्टॉक मार्केट ब्रोकर, बैंक या किसी अन्य वित्तीय प्रतिनिधि की मदद से निवेश करने का चुनाव कर सकते हैं। लेकिन अगर आप खुद निवेश करना चाहते हैं, तो आप फंड हाउस के नज़दीकी कार्यालय में जा सकते हैं या ऑनलाइन निवेश करने के लिए उनकी वेबसाइट पर जा सकते हैं अथवा किसी ऑनलाइन प्लेटफ़ॉर्म के माध्यम से ऐसा कर सकते हैं।

सीधे निवेश करने या किसी डिस्ट्रिब्यूटर के माध्यम से निवेश करने के बीच चुनाव व्यक्तिगत है। अगर आपको खुद अपने निवेश का प्रबंधन करना पसंद है, तो आप बेशक फंड की वेबसाइट या किसी ऑनलाइन प्लेटफ़ॉर्म के माध्यम से ऑनलाइन निवेश कर सकते हैं। लेकिन अगर आप सलाह लेना चाहते हैं या आपको निवेश करने में मदद की ज़रूरत है, तो आप किसी प्रतिनिधि के माध्यम से निवेश कर सकते हैं, जैसे डिस्ट्रिब्यूटर, निवेश सलाहकार, बैंक आदि।

Mutual Funds में निवेश करना ही काफी नहीं! शानदार रिटर्न के लिए इस तरह करें सही फंड का चुनाव

बाजार के जानकारों का कहना है कि किसी भी म्यूचुअल फंड में निवेश करते वक्त निवेशकों को पता होना चाहिये की वह किस फंड में निवश कर रहा है।

Alok Kumar

Edited By: Alok Kumar @alocksone
Updated on: November 13, 2022 6:56 IST

म्यूचुअल फंड- India TV Hindi

Photo:INDIA TV म्यूचुअल फंड

Mutual Funds में ज्यादातर निवशक बिना सोचे-समझे निवेश कर देते हैं। वो मानकर चलते हैं कि म्यूचुअल फंड में निवेश कर दिया है तो शानदार रिटर्न मिलेगा। हालांकि, ऐसा नहीं है। बेहतर रिटर्न के लिए सही म्यूचुअल फंड का चुनाव करना जरूरी है। ऐसा नहीं करने पर फायदे की जगह नुकसान होने का भी खतरा रहता है। बाजार के जानकारों का कहना है कि किसी भी म्यूचुअल फंड में निवेश करते वक्त निवेशकों को पता होना चाहिये की वह किस फंड में निवश कर रहा है। क्योंकि इसी के आधार पर तय होगा निवेश पर कितना जोखिम है और रिटर्न कितना मिलेगा। तो आइए, जानते हैं कि म्यूचुअल फंड में कौन-कौन से फंड और किसमें निवेश करना सबसे सही।

Equity Funds

इक्विटी फंड स्कीम का कम से कम 65 प्रतिशत निवेश शेयरों में होता है, जिसे 100 प्रतिशत तक बढ़ाया जा सकता है। उच्च इक्विटी एक्सपोजर के कारण, ऐसे फंड बाजार के उतार-चढ़ाव से सबसे अधिक प्रभावित होते हैं और जोखिम अधिक होता है। हालांकि, लंबी अवधि में निवेशकों को सबसे शानदार रिटर्न मिलता है।

इक्विटी फंड क्यों: म्यूचुअल फंड की इक्विटी ही एकमात्र स्कीम जिसमें महंगाई को मात देने की क्षमता है।

कितने साल के लिए करें निवेश: इक्विटी फंडों पर बाजार के उतार-चढ़ाव का सबसे ज्यादा असर होता है। ऐसे में आपको कम से कम 3 साल से ज्यादा समय के लिए निवेश करना चाहिए। निवेश की अवधि जितनी अधिक होगी, जोखिम कम होगा और बेहतर रिटर्न मिलेगा।

ELSS

इक्विटी लिंक्ड सेविंग स्कीम (ईएलएसएस) म्यूचुअल फंड की विशेष स्कीम हैं, जिसमें निवेश करने पर आपको इनकम टैक्स की धरा 80सी के तहत कर छूट मिलती है। लेकिन इसमें 3 साल की लॉक इन अवधि होती है। ईएलएसएस की अन्य विशेषताएं इक्विटी फंड के समान हैं।

Debt Funds

डेट स्कीम फिक्स्ड इनकम सिक्योरिटी में निवेश करते हैं,जैसे बॉन्ड, कॉर्पोरेट बॉन्ड, गर्वनमेंट सिक्योरिटी, मनी मार्केट इंस्ट्रूमेंट्स आदि। इस स्कीम का लक्ष्य निवेशकों को एक स्थिर और नियमित आय देना होता है। इसमें जोखिम कम लिया जाता है और रिटर्न भी सीमित होता है।

क्यों करें निवेश: कम जोखिम लेने वाले निवेशक इस स्कीम का चुनाव कर सकते हैं। इसमें कम जोखिम पर एफडी से ज्यादा रिटर्न मिलता है।

निवेश की अवधि: निवेश की अवधि विभिन्न डेट फंडों के लिए अलग-अलग हो सकती है। 1-3 साल के लिए पैसा लगाना बेहतर होगा।

Liquid Funds

लिक्विड फंड भी डेट फंड श्रेणी के अंतर्गत आते हैं। इसके पोर्टफोलियो में बहुत कम परिपक्वता अवधि वाले उत्पाद होते हैं। इस तरह के फंड 1-60 दिनों की निवेश अवधि के लिए आदर्श होते हैं। ऐसे फंड का नेट एसेट वैल्यू (एनएवी) शनिवार और रविवार को भी निर्धारित किया जाता है। इसलिए, छुट्टियों में भी इससे निकासी संभव है।

Hybrid Funds

कम जोखिम के साथ इक्विटी रिटर्न प्रदान करने के उद्देश्य से हाइब्रिड फंड इक्विटी और डेट इंस्ट्रूमेंट दोनों में निवेश करते हैं।

हाइब्रिड स्कीम क्यों: बाजार में तेजी का फायदा उठाने के लिए यह फंड बेहतर है। इसके साथ ही आप निश्चित आय के लिए भी इसका चुनाव कर सकते हैं। यह आपको बाजार में तेज उतार-चढ़ाव से भी सुरक्षा देता है।

FD करें या म्यूचुअल फंड में SIP और निवेश करें के जरिये​ निवेश शुरू करें, आप अपने सभी सवालों के जवाब महज 2 मिनट में जानें

आज के समय में किसी भी म्यूचुअल फंड से 12% का रिटर्न पाना आम बात है। लेकिन कुछ बात ध्यान में रखकर 15 फीसदी या उससे भी ऊपर रिटर्न जेनरेट कर सकते हैं।

ANISH KUMAR SINGH

Written By: ANISH KUMAR SINGH
Updated on: November 20, 2022 22:01 IST

म्यूचुअल फंड- India TV Hindi

Photo:FILE म्यूचुअल फंड

नई दिल्ली, अनीश कुमार सिंह। फिक्स्ड डिपोजिट में कभी आपके पैसे 6 ये 7 साल में डबल होते थे, आज आपके पैसों को डबल होने में करीब 12 से 13 साल लग जाएंगे। अब आप कहेंगे कि अपने पैसे लगाएं कहां, तो इसका जवाब महज 2 मिनट में हम दे रहे हैं। यह तो आप जान ही रहे हैं कि चाहे बैंक हो या पोस्टऑफिस, अब आपके पैसों में पंख नहीं लगने वाले। फिक्स्ड डिपोजिट की रेट फिलहाल 6 से 7 फीसदी के करीब है। यानी 12 से 13 साल तो कहीं नहीं गए, जब आप अपने पैसों को डबल होते हुए देखेंगे। और रही बात इन्फ्लेशन की। जिसे आप महंगाई डायन भी कह सकते हैं। वो भी 6 से 7 फीसदी के करीब आंख गड़ाए बैठी है। यानी हर साल आपके पैसों की वैल्यू कम ही होती जा रही है। अगर आपके पास 100 रुपये हैं तो अगले साल उसकी वैल्यू 93 रुपये के करीब रह जाएगी। मौजूदा दौर में आपके के पास एक सबसे उपयुक्त विकल्प बचता है और वो है म्यूचुअल फंड में निवेश। आप इसमें अपनी बचत को निवेश कर शानदार रिटर्न पा सकते हैं।

महंगाई डायन के असर को न करें नजरअंदाज

अब ज़रा सोचिए कि अगर आपने अपने 2 लाख रुपये फिक्स्ड डिपोजिट में अगले 12 साल के लिए ये सोचकर लगाए कि आपके पैसे दोगुने हो जाएंगे, तो 12 साल बाद उसकी वैल्यू आज के इन्फ्लेशन के हिसाब से जस की तस ही रहेगी। यानी उस समय के 4 लाख आज के 2 लाख के बराबर होंगे। ये सारा गणित 6 से 7 फीसदी के आज के ब्याज दर और 'रूल ऑफ 72' के आधार पर है। अगर यही ब्याज दर करीब 12 फीसदी का मिले तब? तब आपको 12 साल में 7 लाख 80 हजार के करीब पैसे मिलेंगे, और और निवेश करें अगर आप 15 फीसदी का रिटर्न जेनरेट करने में सफल रहे तो आपके 2 लाख हो जाएंगे 10 लाख 70 हज़ार से भी ज्यादा। ये कोरी कल्पना नहीं। ये सोलह आने सच बात है। और यहीं से जन्म होता है म्यूचुअल फंड की थ्योरी का। जिसे वॉरेन बफेट समेत विश्वभर के निवेशकों ने दुनिया का आठवां अजूबा माना है।

कैसे करें म्यूचुअल फंड में निवेश

म्यूचुअल फंड में निवेश से पहले ये बात समझना जरूरी है कि कौन सा फंड आपके लिए सही है। एक्टिव और पैसिव दो तरह के म्यूचुअल फंड आपको मिलेंगे। अगर आप बेहद कम रिस्क लेना चाहते हैं। अगर आपको देश की इकोनॉमी में यकीन है। इस बात का यकीन है कि अगले 10 से 20 साल में भारत तरक्की के नए शिखर पर होगा। तब आपको पैसिव फंड में निवेश करना चाहिए। इसके आपको दो फायदे होंगे। पहला फायदा ये कि आपको फंड मैनेजर को फीस नहीं देनी होगी। लॉन्ग टर्म में ये फीस लाखों में पहुंच जाती है और दूसरा फायदा ये कि समय के साथ बढ़ते शेयर बाजार में आपका फंड भी ऑटोमेटिक ग्रो करता जाएगा। उसकी नेट एसेट वैल्यू यानी NAV बढ़ती जाती है।

इंडेक्स फंड में कैसे करें निवेश?

इंडेक्स फंड में निवेश करने के लिए आप किसी भी फंड हाउस के इंडेक्स फंड का चयन कर सकते हैं। बस एक बात का ध्यान रखें कि वो फंड Direct हो Regular न हो। इसका मतलब ये है कि अगर आप किसी म्यूचुअल फंड के एजेंट के जरिए कोई भी फंड लेते हैं तो उसमें उसका कमिशन भी होता है जो आपकी जेब से जाएगा। इससे अच्छा है कि आप Direct प्लान लें। इसके लिए आप गूगल में अच्छे परफॉर्मेंस वाले इंडेक्स फंड की लिस्ट देख सकते हैं। उनका पिछले 5 साल का ट्रैक रिकॉर्ड खंगाल सकते हैं। और फिर तसल्ली होने पर उसमें निवेश कर सकते हैं। ध्यान रखिए कि आप SIP या Lumpsum दोनों कर सकते हैं। Lumpsum तब करें जब बाजार गिर रहा हो। और एक साथ पैसे न डालकर हर गिरावट पर पैसे लगाएं। बस इस बात का ध्यान रखें कि आप लंबी अवधि के लिए निवेश करें। जितना लंबा समय देंगे म्यूचुअल फंड आपको उतने अधिक पैसे बनाकर देगा।

15% तक का रिटर्न कैसे पाएं

आज के समय में किसी भी म्यूचुअल फंड से 12% का रिटर्न पाना आम बात है। लेकिन कुछ बात ध्यान में रखकर 15 फीसदी या उससे भी ऊपर रिटर्न जेनरेट कर सकते हैं। तब उसके लिए आपको हर मार्केट करेक्शन पर यानी शेयर बाजार के गिरने पर पैसे लगाने होंगे, बजाय इसके कि आप एक ही बार में अपने सारे पैसे Lumpsum में डाल दें। जैसा कि हमने ऊपर भी 2 लाख रुपये का उदाहरण लिया है, उसी को आगे बढ़ाते हैं। किसी भी फंड में आप एंट्री तब करें जब मार्केट में कम से कम डेढ़ से 2 फीसदी की गिरावट हो। चूंकि यहां इंडेक्स फंड की बात हो रही है इसलिए आप पहले से किसी एक फंड को चुनकर रखें और शेयर बाज़ार की गिरावट पर आप थोड़े-थोड़े पैसे डालते जाएं। इस बात का ध्यान रखें कि जब बाजार में तेज़ी हो तब आप पैसे न लगाएं। मार्केट ज्यादा गिरने पर थोड़ा ज्यादा पैसे लगाएं। अपने पूरे पैसे को इस तरीके से इंडेक्स फंड में इन्वेस्ट करने में जल्दबाजी न करें। पैसों को इन्वेस्ट करने में 6 से 8 महीने का वक़्त लगाएं, जिससे सही करेक्शन पर मार्केट में आपका पैसा लगे, जिससे आप भविष्य में 15 फीसदी तक का रिटर्न बड़े आराम से हासिल कर सकते हैं।

इंडेक्स फंड में निवेश का तरीका

चूंकि यहां बात इंडेक्स फंड की हो रही है, इसलिए आपने जिस कैटेगरी के इंडेक्स फंड को चुना है आप उसी से जुड़े इंडेक्स को फॉलो करें। सीधा सा मतलब है अगर निफ्टी-50 इंडेक्स फंड में आप पैसे लगाना चाहते हैं तो निफ्टी-50 के नीचे गिरने का इंतजार करें। उदाहरण के तौर पर अगर निफ्टी-50 में करीब 200 प्वाइंट की गिरावट आती है तो आप अपने पास रखे कुल पैसे का करीब 10 फीसदी लगाने से स्टार्ट कर सकते हैं। फिर इंतजार करें अगर कुछ दिनों में करेंट लेवल से फिर करीब 200 अंकों की गिरावट आती है तो आपको अपना अगला 15 फीसदी पैसा तैयार रखना है। ऐसे ही आगे करते जाएं। लेकिन ये तब संभव है जब मार्केट लगातार नीचे गिर रहा हो, जैसा कि मार्च 2020 में कोरोना काल में देखने को मिला था। यानि Bearish Pattern बन रहा हो।

जब शेयर मार्केट में तेजी हो तो इंतजार करें

अब आप कहेंगे कि जब मार्केट बढ़ रहा हो तो क्या करें। इसका जवाब है, इंतजार करें। और नए और निवेश करें लेवल से किसी दूसरे इंडेक्स फंड के साथ तैयार रहें। क्योंकि अगर पहले वाले इंडेक्स फंड में मानकर चलिए कि आपने 17500 के लेवल पर कुछ पैसे इन्वेस्ट किए हैं तो फिर इसे 17300 के लेवल पर आने का इंतजार कीजिए। चूंकि Bullish Pattern के बाद आपको लंबा इंतजार करना पड़ सकता है। और हो सकता है कि मार्केट बढ़ता ही चला जाए, इसीलिए आपको करीब 6 से 8 महीने का इंतजार करने की राय ऊपर दी गई है। अगर फिर भी 17300 के लेवल पर निफ्टी-50 न आए तो आप दूसरे इंडेक्स फंड में नए लेवल से स्टार्ट कीजिए। ठीक ऊपर बताए गए तरीके को फॉलो करते हुए। यानि अगर निफ्टी-50 का लेवल 17800 चला गया है तो आप इसके 17600 तक आने का इंतजार किजीए। और इसमें भी ऊपर बताए गए तरीके को अपनाएं। अगर आपने ऐसा किया तो यकीन मानिए लॉन्ग टर्म में आपके पैसों में पंख जरूर लगेंगे, और ये लॉन्ग टर्म 5 साल से अधिक का जरूर रखें। 10, 15, 20 साल या उससे भी अधिक हो तो बढ़िया है। क्योंकि शॉर्ट टर्म में इन्वेस्टमेंट से आपको ज्यादा फायदा नहीं हो सकता। इन्वेस्टमेंट की जर्नी में आप जितना ज्यादा समय देंगे, अपने पैसों को ग्रो करने के लिए जितना टाइम देंगे, भविष्य में आप उतना ही फाइनेंशियली इंडिपेंडेंट होंगे। अब तय आपको करना है कि आप वर्तमान में जीना चाहते हैं या भविष्य को बेहतर बनाना चाहते हैं।

(लेखक इंडिया टीवी में सीनियर एडिटर के पद पर कार्यरत हैं।)

Mutual Funds में निवेश करना ही काफी नहीं! शानदार रिटर्न के लिए इस तरह करें सही फंड का चुनाव

बाजार के जानकारों का कहना है कि किसी भी म्यूचुअल फंड में निवेश करते वक्त निवेशकों को पता होना चाहिये की वह किस फंड में निवश कर रहा है।

Alok Kumar

Edited By: Alok Kumar @alocksone
Updated on: November 13, 2022 6:56 IST

म्यूचुअल फंड- India TV Hindi

Photo:INDIA TV म्यूचुअल फंड

Mutual Funds में ज्यादातर निवशक बिना सोचे-समझे निवेश कर देते हैं। वो मानकर चलते हैं कि म्यूचुअल फंड में निवेश कर दिया है तो शानदार रिटर्न मिलेगा। हालांकि, ऐसा नहीं है। बेहतर रिटर्न के लिए सही म्यूचुअल फंड का चुनाव करना जरूरी है। ऐसा नहीं करने पर फायदे की जगह नुकसान होने का भी खतरा रहता है। बाजार के जानकारों का कहना है कि किसी भी म्यूचुअल फंड में निवेश करते वक्त निवेशकों को पता होना चाहिये की वह किस फंड में निवश कर रहा है। क्योंकि इसी के आधार पर तय होगा निवेश पर कितना जोखिम है और रिटर्न कितना मिलेगा। तो आइए, जानते हैं कि म्यूचुअल फंड में कौन-कौन से फंड और किसमें निवेश करना सबसे सही।

Equity Funds

इक्विटी फंड स्कीम का कम से कम 65 प्रतिशत निवेश शेयरों में होता है, जिसे 100 प्रतिशत तक बढ़ाया जा सकता है। उच्च इक्विटी एक्सपोजर के कारण, ऐसे फंड बाजार के उतार-चढ़ाव से सबसे अधिक प्रभावित होते हैं और जोखिम अधिक होता है। हालांकि, लंबी अवधि में निवेशकों को सबसे शानदार रिटर्न मिलता है।

इक्विटी फंड क्यों: म्यूचुअल फंड की इक्विटी ही एकमात्र स्कीम जिसमें महंगाई को मात देने की क्षमता है।

कितने साल के लिए करें निवेश: इक्विटी फंडों पर बाजार के उतार-चढ़ाव का सबसे ज्यादा असर होता है। ऐसे में आपको कम से कम 3 साल से ज्यादा समय के लिए निवेश करना चाहिए। निवेश की अवधि जितनी अधिक होगी, जोखिम कम होगा और बेहतर रिटर्न मिलेगा।

ELSS

इक्विटी लिंक्ड सेविंग स्कीम (ईएलएसएस) म्यूचुअल फंड की विशेष स्कीम हैं, जिसमें निवेश करने पर आपको इनकम टैक्स की धरा 80सी के तहत कर छूट मिलती है। लेकिन इसमें 3 साल की लॉक इन अवधि होती है। ईएलएसएस की अन्य विशेषताएं इक्विटी फंड के समान हैं।

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डेट स्कीम फिक्स्ड इनकम सिक्योरिटी में निवेश करते हैं,जैसे बॉन्ड, कॉर्पोरेट बॉन्ड, गर्वनमेंट सिक्योरिटी, मनी मार्केट इंस्ट्रूमेंट्स आदि। इस स्कीम का लक्ष्य निवेशकों को एक स्थिर और नियमित आय देना होता है। इसमें जोखिम कम लिया जाता है और रिटर्न भी सीमित होता है।

क्यों करें निवेश: कम जोखिम लेने वाले निवेशक इस स्कीम का चुनाव कर सकते हैं। इसमें कम जोखिम पर एफडी से ज्यादा रिटर्न मिलता है।

निवेश की अवधि: निवेश की अवधि विभिन्न डेट फंडों के लिए अलग-अलग हो सकती है। 1-3 साल के लिए पैसा लगाना बेहतर होगा।

Liquid Funds

लिक्विड फंड भी डेट फंड श्रेणी के अंतर्गत आते हैं। इसके पोर्टफोलियो में बहुत कम परिपक्वता अवधि वाले उत्पाद होते हैं। इस तरह के फंड 1-60 दिनों की निवेश अवधि के लिए आदर्श होते हैं। ऐसे फंड का नेट एसेट वैल्यू (एनएवी) शनिवार और रविवार को भी निर्धारित किया जाता है। इसलिए, छुट्टियों में भी इससे निकासी संभव है।

Hybrid Funds

कम जोखिम के साथ इक्विटी रिटर्न प्रदान करने के उद्देश्य से हाइब्रिड फंड इक्विटी और डेट इंस्ट्रूमेंट दोनों में निवेश करते हैं।

हाइब्रिड स्कीम क्यों: बाजार में तेजी का फायदा उठाने के लिए यह फंड बेहतर है। इसके साथ ही आप निश्चित आय के लिए भी इसका चुनाव कर सकते हैं। यह आपको बाजार में तेज उतार-चढ़ाव से भी सुरक्षा देता है।

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