भारत में बिटकॉइन का भविष्य

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यह एडिटोरियल 14/09/2022 को लाइवमिंट में प्रकाशित “Let’s take an inclusive approach to the regulation of crypto assets” लेख पर आधारित है। इसमें भारत में क्रिप्टोकरेंसी के भविष्य और संबंधित मुद्दों के बारे में चर्चा की गई है।
संदर्भ:
भारत में और विश्व भर में खरीद, बिक्री और ट्रेडिंग जैसी वित्तीय गतिविधियों को सुविधाजनक बनाने के एक माध्यम के रूप में निवेशकों के बीच क्रिप्टोकरेंसी (Cryptocurrency) की मात्रा और लोकप्रियता में वृद्धि हुई है। संयुक्त राष्ट्र व्यापार और विकास अभिसमय रिपोर ्ट 2021 के अनुसार, वर्ष 2021 में 7.3% भारतीय क्रिप्टोकरेंसी का स्वामित्व रखते थे।
यह सराहनीय है कि भारत जीवन के लगभग हर पहलू में ही तेज़ी से डिजिटलीकरण की ओर आगे बढ़ रहा है लेकिन इसके साथ ही एक अंतर्निहित चिंता भी है जिस पर तत्काल ध्यान देने की आवश्यकता है। चिंता यह है कि वर्तमान में भारत के पास क्रिप्टो परिसंपत्ति बाज़ार को नियंत्रित करने के लिये कोई भी नियामक ढाँचा मौजूद नहीं है।
एक नियामक ढाँचे की अनुपस्थिति न केवल इस क्षेत्र में प्रवेश करने के इच्छुक व्यवसायों के लिये अनिश्चितता की स्थिति उत्पन्न करती है, बल्कि निवेशकों के लिये परिहार्य धोखाधड़ी का जोखिम भी पैदा करती है। एक अविनियमित पारितंत्र मनी लॉन्ड्रिंग, धोखाधड़ी और आतंक वित्तपोषण को भी अवसर प्रदान कर सकती है।
क्रिप्टोकरेंसी क्या है?
- क्रिप्टोकरेंसी रुपया या अमेरिकी डॉलर की ही तरह विनिमय का एक माध्यम है, लेकिन यह प्रारूप में डिजिटल है जो मौद्रिक इकाइयों के सृजन को नियंत्रित करने और धन के विनिमय को सत्यापित करने के लिये एन्क्रिप्शन तकनीकों (Encryption techniques) का उपयोग करती है।
- बिटकॉइन (Bitcoin) विश्व की सबसे प्रसिद्ध क्रिप्टोरेंसी है जो बाज़ार पूंजीकरण के अनुसार विश्व की सबसे बड़ी क्रिप्टोकरेंसी भी है।
- अधिकांश क्रिप्टोकरेंसी को राष्ट्रीय सरकारों द्वारा विनियमित नहीं किया जाता है; उन्हें वैकल्पिक मुद्रा या वित्तीय विनिमय के साधन के रूप में देखा जाता है जो राज्य की मौद्रिक नीति के दायरे से बाहर होते हैं।
- सितंबर 2021 में अल साल्वाडोर विश्व का ऐसा पहला देश बन गया जिसने बिटकॉइन को वैध मुद्रा/लीगल टेंडर के रूप में मान्यता प्रदान की।
क्रिप्टोकरेंसी के विनियमन के मामले में भारत की स्थिति
- वर्ष 2017 में भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने एक चेतावनी जारी कर आगाह किया कि वर्चुअल करेंसी या क्रिप्टोकरेंसी भारत में वैध मुद्रा नहीं हैं।
- हालाँकि इन आभासी मुद्राओं पर कोई प्रतिबंध नहीं लगाया गया।
- वर्ष 2019 में RBI ने क्रिप्टोकरेंसी के ट्रेडिंग, माइनिंग, होल्डिंग या हस्तांतरण/उपयोग को भारत में वित्तीय जुर्माने या/और 10 वर्ष तक के कारावास के दंड के अधीन घोषित किया।
- RBI ने यह घोषणा भी की कि वह भविष्य में भारत में डिजिटल रुपए को वैध मुद्रा के रूप में लॉन्च कर सकता है।
- आभासी परिसंपत्ति/क्रिप्टोकरेंसी के रूप में प्राप्त उपहारों के मामले में प्राप्तकर्ता पर कर लगाया जाएगा।
क्रिप्टोकरेंसी से संबद्ध संदिग्ध क्षेत्र
- अस्थिर प्रकृति: क्रिप्टोकरेंसी एक तरह का सट्टा है। इसमें अधिक मात्रा में निवेश बाज़ार अस्थिरता (Market Volatility) उत्पन्न करता है, यानी कीमतों में उतार-चढ़ाव को अवसर देता है जिसके परिणामस्वरूप लोगों को भारी नुकसान हो सकता है।
- विश्वसनीयता और सुरक्षा: चूँकि क्रिप्टोकरेंसी लेन-देन का एक डिजिटल मोड है, यह हैकर्स, आतंकी वित्तपोषण और ड्रग लेनदेन के लिये एक अत्यंत आम मंच बन गया है।
- उदाहरण के लिये, अपराधियों द्वारा बिटकॉइन में फिरौती का भुगतान करने के लिये ‘वन्नाक्राई’ वायरस का उपयोग किया गया था।
- इसके अलावा, क्रिप्टोकरेंसी को मुद्रा, वस्तु या प्रतिभूति के रूप में परिभाषित नहीं किया गया है।
- उदाहरण के लिये, भारत में केवल RBI के पास ही नकदी सृजन का अधिकार है जिसे वह न्यूनतम रिज़र्व सिस्टम बनाए रखते हुए करता है। यह मांग और आपूर्ति का एक संतुलन बनाए रखता है।
- लेकिन क्रिप्टोकरेंसी वित्तीय संस्थागत नियमों पर निर्भर नहीं होती बल्कि एन्क्रिप्टेड और प्रोटेक्टेड होती है जिससे पूर्वनिर्धारित एल्गोरिथम रेट पर धन की आपूर्ति में वृद्धि करना कठिन हो जाता है।
आगे की राह
- क्रिप्टोकरेंसी को परिभाषित करना: क्रिप्टोकरेंसी को संबंधित राष्ट्रीय कानूनों के तहत प्रतिभूतियों या अन्य वित्तीय साधनों के रूप में स्पष्ट रूप से परिभाषित किया जाना चाहिये।
- स्टार्टअप पारितंत्र को क्रिप्टो से जोड़ना: भारत के स्टार्टअप पारितंत्र को क्रिप्टोकरेंसी और ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी द्वारा नई ऊर्जा प्रदान की जा सकती है, जहाँ ब्लॉकचेन डेवलपर्स, डिज़ाइनर, प्रोजेक्ट मैनेजर, बिजनेस एनालिस्ट, प्रमोटर्स और मार्केटर्स जैसे कई रोज़गार अवसर सृजित हो सकते हैं।
- अंतर्राष्ट्रीय सहयोग की धुरी: चूँकि क्रिप्टो परिसंपत्ति राष्ट्रीय सीमाओं को पार करती है, वे वित्तीय बाज़ार शासन के अंतर्राष्ट्रीय समन्वयन के लिये एक धूरी या लिंचपिन के रूप में कार्य कर सकती हैं।
- हालाँकि भारत जैसी कई उभरती और विकासशील अर्थव्यवस्थाओं (emerging and developing economies- EMDEs) में क्रिप्टो परिसंपत्ति का विनियमन अभी नवजात अवस्था में ही है।
- क्रिप्टोकरेंसी प्रवाह को विनियमित करने के लिये एक जोखिम-आधारित और संदर्भ-विशिष्ट अंतर्राष्ट्रीय सहयोग अत्यंत आवश्यक है।
- डिजिटल मुद्रा एक अधिक कुशल और सस्ती मुद्रा प्रबंधन प्रणाली को भी बढ़ावा देगी।
- हालाँकि CBDC को ब्लॉकचेन प्रौद्योगिकी का पूरा लाभ उठाने के लिये अन्य क्रिप्टोकरेंसी के साथ तालमेल बिठाए रखने की भी आवश्यकता होगी।
अभ्यास प्रश्न: ‘‘यह उपयुक्त समय है कि भारत क्रिप्टोकरेंसी पर अपने ‘वेट एंड वाच’ नीति से आगे कदम बढाए।’’ टिप्पणी करें।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न:
प्रश्न:“ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी” के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (वर्ष 2020)
- यह एक सार्वजनिक बहीखाता है जिसका निरीक्षण हर कोई कर सकता है, लेकिन जिसे कोई एकल उपयोगकर्त्ता नियंत्रित नहीं करता है।
- ब्लॉकचेन की संरचनाऔर डिज़ाइन ऐसा है कि इसमें मौजूद सारा डेटा क्रिप्टोकरेंसी के बारे में ही होता है ।
- ब्लॉकचेन की बुनियादी सुविधाओं पर निर्भर एप्लीकेशन बिना किसी की अनुमति के विकसित किये जा सकते हैं।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?
(a) केवल 1
(b) केवल 1 और 2
(c) केवल 2
(d) केवल 1 और 3उत्तर: (d)
प्रश्न. हाल ही में कभी-कभी समाचारों में आने वाले शब्द 'वानाक्राई, पेट्या और इंटर्नलब्लू' निम्नलिखित में से किससे संबंधित हैं (2018)
(a) एक्सोप्लैनेट
(b) क्रिप्टोकरेंसी
(c) साइबर हमले
(d) लघु उपग्रहउत्तर: (c)
मेन्स:
प्रश्न . क्रिप्टोकरेंसी क्या है? यह वैश्विक समाज को कैसे प्रभावित करता है? क्या यह भारतीय समाज को भी प्रभावित कर रहा है? (2021)
Cryptocurrency का भारत में भविष्य क्या?
भारत में क्रिप्टोकरेंसी (Cryptocurrency) का भविष्य क्या होगा. ये संसद में आने वाले बिल के बाद तय होगा. क्योंकि बहुत जल्द सरकार संसद में क्रिप्टो करेंसी रेगुलेशन बिल पेश करने वाली है. ऐसे में निवेशकों के मन में सबसे बड़ा सवाल है कि क्या क्रिप्टोकरेंसी पर बैन लग गया तो उनके पैसे का क्या होगा. तो हम आपको पूरी रिसर्च के बात बताते हैं कि क्रिप्टो करेंसी पर आगे की राह क्या होगी. ऐसे में अगर बैन लग गया तो बैंक और आपके क्रिप्टो एक्सचेंज के बीच लेनदेन बंद हो जाएगा. क्रिप्टोकरेंसी खरीदने के लिए रुपये को डॉलर या दूसरी करेंसी में कन्वर्ट नहीं कर पाएंगे. साथ ही दूसरी करेंसी में खरीदे गए क्रिप्टो कॉ़इन को बेचकर रुपये में ट्रांजेक्शन नहीं होगा.
भारत में कितना बड़ा है क्रिप्टो मार्केट?भारत में बिटकॉइन का भविष्य
आपको बता दें कि फिलहाल भारत में 10 करोड़ ऐसे निवेशक हैं. जिनका पैसा क्रिप्टोमार्केट में लगा है. दावा है कि करीब 6 लाख करोड़ रुपया इस वक्त भारतीयों का क्रिप्टो मार्केट में लगा है. इसमें औसतन हर निवेशख का 9 हजार रुपये का इनवेस्टमेंट है. क्रिप्टोकरेंसी को लेकर सरकार की चिंता इसलिए है, क्योंकि 60 फीसदी निवेशक ऐसे हैं, जो छोटे शहरों से आते हैं। इसके अलावा निवेशकों की औसत उम्र 24 साल है. मतलब ज्यादातर युवा इस नए तरह के इनवेस्टमेंट मार्केट से जुड़े हैं.क्रिप्टोकरेंसी और डिजिटल करेंसी में क्या फर्क?
क्रिप्टोकरेंसी आम करेंसी से अलग है. इसे न तो छू सकते हैं, न ही इससे कुछ खरीद सकते हैं, बल्कि इसे सिर्फ ऑनलाइन रख सकते हैं. चिंता की वजह ये है कि इस करेंसी को लेकर कोई रेग्युलेटर नहीं है. दुनिया की किसी सरकार का इस पर कंट्रोल नहीं है. इस वक्त दुनिया में 1,000 से ज्यादा क्रिप्टोकरेंसी चलन में है और 308 से ज्यादा क्रिप्टो एक्सचेंज हैं. इस मार्केट की शुरुआत 2009 में हुई थी. इस करेंसी की कीमतों में उतार-चढ़ाव काफी ज्यादा होता है. कोरोना काल भारत में बिटकॉइन का भविष्य में तो भारत में क्रिप्टो मार्केट काफी ऊंचाई पर पहुंच चुका है, जबकि डिजिटिल करेंसी केंद्रीय बैंक की देनदारी होती है. इसे केंद्रीय बैंक ही जारी करता है, इसीलिए इसकी कीमतों पर केंद्रीय बैंक का कंट्रोल रहता है.भारत में क्रिप्टोकरेंसी पर कब क्या हुआ?
2018 में भारत में आरबीआई ने क्रिप्टोकरेंसी पर बैन लगा दिया, लेकिन मार्च 2020 में सुप्रीम कोर्ट में मामला पहुंचा तो कोर्ट ने बैन हटा दिया, लेकिन क्रिप्टोमार्केट को लेकर चिंता जारी रहीं. 11 नवंबर 2021 को आरबीआई गवर्नर ने क्रिप्टो करेंसी पर गंभीर चिंताएं जाहिर की. इसके बाद 13 नवंबर 2021 को पहली बार पीएम मोदी ने क्रिप्टो मार्केट पर बैठक की. इस बैठक के बाद क्रिप्टो करेंसी पर लगातार सवाल उठने लगे. 15 नवंबर 2021 को संसदीय समिति में क्रिप्टो पर चर्चा की गई और संसदीय समिति में बैन की बजाय रेगुलेट करने पर बातचीत हुई. इसके बाद 18 नवंबर 2021 को सिडनी संवाद में पीएम मोदी ने क्रिप्टो पर एक बार फिर चिंता जाहिर की.क्रिप्टो पर किस देश का क्या रुख
भारत में क्रिप्टो को लेकर गंभीर चिंताएं हैं, लेकिन अल सल्वाडोर ने बिटकॉइन को लीगर टेंडर घोषित कर दिया, जबकि अमेरिका क्रिप्टोकरेंसी के हिसाब से अपनी नीतियां बना रहा है. दक्षिण कोरिया भी इस करेंसी को रेगुलेट करने के लिए कानून बनाने पर विचार कर रहा है. हालांकि चीन इस करेंसी का लगातार विरोध कर रहा है.किन-किन क्रिप्टोकरेंसी के प्राइवेट होने का डर
जानकारों के मुताबिक कुछ प्राइवेट क्रिप्टोकरेंसी ऐसी हैं, जिनकी गतिविधियां संदिग्ध रही है. इसीलिए इन क्रिप्टोकरेंसी पर बैन लगाने की बात चल रही है. इसमें कुछ नाम इस तरह हैं. Monero(XMR), Dash Coin, Zcash(ZEC), Verge(XVG), Beam, Grin, Horizen(ZEN), Firo(FIRO), Byte Coin(BCN), UCoin और Delta. हालांकि 2019 में सरकार के पेश भारत में बिटकॉइन का भविष्य भारत में बिटकॉइन का भविष्य किए गए विधेयक के नाम में क्रिप्टोकरेंसी को बैन करना का जिक्र था, लेकिन 2021 आते आते विधेयक के नाम में से बैन शब्द हट गया है, जिसके बाद क्रिप्टो करेंसी के निवेशकों को उम्मीद जगी है. अब कुल मिलाकर अब इंतजार संसद में पेश होने वाले मसौदे का है, जिसमें ये तस्वीर साफ हो पाएगी, कि भारत में क्रिप्टो मार्केट चलता रहेगा या फिर निवेशकों की गाड़ी कमाई डूब जाएगी.भविष्य में ये क्रिप्टोकरेंसी हो सकती है नंबर-1, है बिटकॉइन को पछाड़ने का दम?
बीते कुछ महीनों में क्रिप्टोकरेंसी मार्केट में बहुत ज्यादा उथल-पुथल रही है. इस दौरान बिटकॉइन जैसी मजबूत क्रिप्टोकरेंसी की वैल्यू में 50% तक की गिरावट देखी गई है. इसके बाद से एक्सपर्ट्स को चिंता सताने लगी है कि क्या बिटकॉइन क्रिप्टो मार्केट की सरताज बनी रहेगी. (All Photos : File/Getty/Reuters)
क्रिप्टोकरेंसी मार्केट में हाल के उतार-चढ़ाव के दौरान बिटकॉइन की वैल्यू ने 65,000 डॉलर के ऑल-टाइम हाई लेवल को छुआ, लेकिन ये डिजिटल करेंसी इस लेवल पर ज्यादा देर टिक नहीं सकी. इसकी वैल्यू ने लगभग 50% का गोता लगाया और ये 30,000 डॉलर प्रति बिटकॉइन रह गई.
कॉइनगेको का डेटा दिखाता है कि बिटकॉइन का मार्केट शेयर भी गिरा है. 2020 की शुरुआत से पहले क्रिप्टोमार्केट में बिटकॉइन 70% क्रिप्टो मार्केट पर राज करता था. अब ये घटकर 42% पर आ गया है. अगर डॉलर के टर्म में देखें तो पूरे क्रिप्टोमार्केट की वैल्यू में कुल बिटकॉइन की वैल्यू 1,600 अरब डॉलर की रह गई है.
बिटकॉइन की वैल्यू में गिरावट की दो बड़ी वजह है. इनमें से एक चीन का क्रिप्टोकरेंसी को लेकर नियम कड़े करना. दूसरी वजह हैं टेस्ला के प्रमुख एलन मस्क. बिटकॉइन को लेकर उनके बार-बार अपना रुख बदलने से इस डिजिटल करेंसी की वैल्यू को काफी चोट पहुंची है. लेकिन वो कौन सी करेंसी है जो बिटकॉइन को लगातार चुनौती दे रही है.
बिटकॉइन के बाद बाजार में एथेरियम को दूसरे नंबर की क्रिप्टोकरेंसी माना जाता है. ये लगातार बिटकॉइन की नंबर एक की पदवी को चुनौती दे रही है. बीते एक साल में एथेरियम की वैल्यू में 900% की ग्रोथ हुई है जबकि बिटकॉइन मात्र 275% चढ़ा है.
मार्केट शेयर के मामले में भी एथेरियम ने अपने आप का मजबूत किया है. इसने मई महीने में बिटकॉइन से 350 अरब डॉलर का अंतर कम किया है. इस तरह इसकी हिस्सेदारी तो बढ़ी है, हालांकि ये अभी भी बिटकॉइन से काफी पीछे है.
बिटकॉइन और एथेरियम की वैल्यू में गिरावट को अगर देखा जाए तो तो मई महीने में एथेरियम मात्र 11% गिरा है. जबकि बिटकॉइन की वैल्यू में 37% तक की गिरावट देखी गई है. एक्सपर्ट्स एथेरियम के मजबूत होने की क्या वजह मानते हैं.
एथेरियम में निवेश करने वाले निवेशक और विशेषज्ञों का मानना है कि इस डिजिटल करेंसी के लगातार मजबूत होने की दो बड़ी वजह हैं. पहला ब्लॉकचेन बेस्ड फाइनेंशियल सर्विसेस की लोकप्रियता बढ़ना. दूसरा एथेरियम की टेक्नोलॉजी में होने जा रहा एक बड़ा अपग्रेड जो उसके काम करने के तरीके को बदल देगा.
डिजिटल करेंसी को माइन करने और मेंटेन करने में काफी ऊर्जा की खपत भारत में बिटकॉइन का भविष्य होती है. एथेरियम अपनी टेक्नोलॉजी में जो अपग्रेड करने जा रहा है उससे इसे चलाने में उपयोग होने वाली ऊर्जा में 99.5% तक की बचत होगी. जबकि बिटकॉइन जैसी क्रिप्टोकरेंसी को क्लाइमेट चेंज जैसे मुद्दे का सामना करना पड़ सकता है. इससे भविष्य में संभावना है कि ज्यादा लोग एथेरियम में निवेश करें.
2022 में बिटकॉइन और क्रिप्टोकरेंसी इन्वेस्टमेंट पर मिलेगा जोरदार रिटर्न अगर फॉलो करेंगे ये बुनयादी बातें
इक्विटी के साथ क्रिप्टो निवेशकों के लिए 2021 बहुत अच्छा साबित हुआ है। कुछ क्रिप्टोकरेंसी की कीमतों में तो 5,000 से 7,000% तक की वृद्धि हुई है जिससे निवेशकों को रिकॉर्ड तोड़ रिटर्न मिला। बिटकॉइन और.
इक्विटी के साथ क्रिप्टो निवेशकों के लिए 2021 बहुत अच्छा साबित हुआ है। कुछ क्रिप्टोकरेंसी की कीमतों में तो 5,000 से 7,000% तक की वृद्धि हुई है जिससे निवेशकों को रिकॉर्ड तोड़ रिटर्न मिला। बिटकॉइन और एथेरियम जैसे ब्लूचिप क्रिप्टो में 2021 में 35-40% की वृद्धि हुई। बिटकॉइन की कीमतें अप्रैल में 51 लाख रुपये तक पहुंच गई थी लेकिन पर्यावरण पर प्रभाव को लेकर एलन मस्क के ट्वीट और चीन के क्रिप्टो ट्रेडिंग पर नियमों में सकती करने से इसमें तेजी से गिरावट आई थी। अभी बिटकॉइन की कीमत 39.91 लाख रुपए पर है, जो साल की शुरुआत की तुलना में लगभग 32% अधिक है।
2022 में क्या उम्मीद करें
क्रिप्टोकरेंसी को भविष्य बहुत कुछ सरकारी नीतियों पर निर्भर करेगा। क्रिप्टो के लिए दुनिया के सबसे बड़े बाजार भारत में बिटकॉइन का भविष्य चीन ने सितंबर में सभी लेनदेन पर प्रतिबंध लगा दिया था। विश्लेषकों का कहना है कि जैसे-जैसे ब्लॉकचेन तकनीक का उपयोग बढ़ेगा, चीन इसमें अलग-थलग पड़ेगा। भारत में, सरकार क्रिप्टोकरेंसी के उपयोग और व्यापार को रेगुलेट करने के लिए कानून पर काम कर रही है। बिल के तहत भारत में सभी निजी क्रिप्टोकरेंसी को प्रतिबंधित करने का सुझाव है। यह अंतर्निहित प्रौद्योगिकी और इसके उपयोग को बढ़ावा देने के लिए कुछ चीज़ो को अनुमति देगा।क्रिप्टो में निवेह से पहले जानने के बुनियादी नियम
कितना निवेश करें- पिछले कुछ महीनों में कई क्रिप्टोकरेंसी में 5,000-6,000% की वृद्धि हुई है। लेकिन आपको पता होना चाहिए निवेश भारत में बिटकॉइन का भविष्य उतना ही करना चाहिए जिसमे नुकसान होने पर भी आप परेशान न हों। आदर्शतौर पर कुल पोर्टफोलियो का 10-15% से अधिक क्रिप्टो में न रखें।अस्थिरता को सहना सीखें- क्रिप्टो एक हाई रिस्क गेम है और निवेशकों को अस्थिरता को समझना चाहिए। इसमें रातों रात 70-80% की गिरावट की आशंका होती है। बिटकॉइन जैसा ब्लूचिप क्रिप्टो की भी कीमतें अस्थिर रहती हैं। इस बाजार में तभी प्रवेश करें जब आप अत्यधिक अस्थिरता को सहम कर सकते हों।
ट्रेड के लिए प्लेटफॉर्म सही चुनें- भारत में क्रिप्टो रेगुलेटेड नहीं है और हर दिन नए प्लेटफार्म आ जाते हैं ऐसे में भरोसेमंद प्लेटफॉर्म के माध्यम से निवेश करें ताकि कोई झटका लगने या प्रमोटर कंपनी के नीचे जाने पर आपका पैसा न फंसे।
अटकलों के आधार पर निवेश न करें- क्रिप्टो में विश्वनीय डाटा की कमी है। निवेशक काफी हद तक सोशल मीडिया पर असत्यापित जानकारी पर निर्भर हैं। यहाँ वह अक्सर किसी न किसी जाल में फंस जाते हैं।
बड़े क्रिप्टो करेंसी पर ध्यान दें- अस्पष्ट करेंसी केवल इसलिए खरीदने के प्रलोभन में न आएं क्योंकि उनकी कीमत बहुत कम है। बड़ी करेंसी महँगी हों सकती है लेकिन अधिक स्थिर होती है।