मुद्रा आउटलुक

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एसएंडपी ग्लोबल रेटिंग्स ने पाकिस्तान के क्रेडिट आउटलुक को घटाया
सिंगापुर, 29 जुलाई (आईएएनएस)। कमोडिटी की ऊंची कीमतें, रुपये में गिरावट और सख्त वैश्विक वित्तीय स्थितियों को देखते हुए एसएंडपी ग्लोबल रेटिंग्स ने पाकिस्तान के क्रेडिट आउटलुक को न्यूट्रल से घटाकर नेगेटिव कर दिया है।
द न्यूज ने एक बयान में एसएंडपी का हवाला देते हुए बताया कि अगर द्विपक्षीय और बहुपक्षीय उधारदाताओं के समर्थन या प्रयोग करने योग्य विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट आती है, तो पाकिस्तान को डाउनग्रेड किया जा सकता है।
कंपनी ने इक्वाडोर और अंगोला के बराबर देश की रेटिंग बी की पुष्टि की।
पाकिस्तानी रुपया इस साल डॉलर की तुलना में 30 प्रतिशत गिरा है और देश पर डॉलर का कर्ज रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया है।
द न्यूज ने बताया कि राष्ट्र इस आशंका को दूर करने का प्रयास कर रहा है कि वह इस साल श्रीलंका को एक डिफॉल्ट में बदल देगा। सरकार अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष, चीन और सऊदी अरब जैसे देशों से अरबों डॉलर सुरक्षित करने के लिए काम कर रही है।
मूडीज इन्वेस्टर्स सर्विस और फिच रेटिंग्स का पहले से ही देश को लेकर नकारात्मक नजरिया रहा है। यह कंपनियां पाकिस्तान को कम आंकती हैं।
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फॉरेक्स रिजर्व 580 अरब डॉलर: विदेशी मुद्रा भंडार के मामले में रूस को पछाड़कर चौथे स्थान पर पहुंचा भारत, चीन इसमें सबसे आगे
भारत का विदेशी मुद्रा भंडार दुनिया का चौथा सबसे बड़ा भंडार बन गया है। ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के मुताबिक भारत रूस को पछाड़कर इस पायदान पर पहुंचा है। भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 5 मार्च को 4.3 अरब डॉलर की गिरावट के साथ 580.3 अरब डॉलर पर पहुंच गया था। वहीं रूस का भंडार 580.1 अरब (बिलियन) डॉलर पर आ गया ।
चीन बना हुआ है टॉप पर
चीन के पास सबसे ज्यादा भंडार है, जिसके बाद जापान और स्विट्जरलैंड आते हैं। विश्लेषकों का कहना है कि मजबूत भंडार से विदेशी निवेशकों और क्रेडिट रेटिंग कंपनियों को यह भरोसा मिलता है कि सरकार घटते फिजकल आउटलुक और अर्थव्यवस्था के चार दशकों में पहले एक साल के संकुचन की ओर बढ़ने के बावजूद अपने कर्ज को लेकर वादे को पूरा कर सकती है।
580.299 अरब डॉलर का हुआ विदेशी मुद्रा भंडार हुआ
देश का विदेशी मुद्रा भंडार 5 मार्च को समाप्त सप्ताह में 4.255 अरब डॉलर घटकर 580.299 अरब डॉलर रह मुद्रा आउटलुक गया। RBI के 12 मार्च को जारी आंकड़ों के अनुसार इससे पहले के सप्ताह में विदेशी मुद्रा भंडार 68.9 करोड़ डॉलर बढ़कर 584.554 अरब डॉलर हो गया था। विदेशी मुद्रा भंडार 29 जनवरी 2021 को समाप्त सप्ताह में 590.185 अरब डॉलर के रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच गया था।
निर्यात बढ़ाने पर जोर दे रही सरकार
सरकार आयात (इम्पोर्ट) कम करने और निर्यात (एक्सपोर्ट) बढ़ाने पर जोर दे रही है। इसी के चलते सरकार ने प्रोडक्शन लिंक्ड इनसेंटिव (PLI) की शुरुआत भी की है। इस योजना के अनुसार, केंद्र अतिरिक्त उत्पादन पर प्रोत्साहन देगा और कंपनियों को भारत में बने उत्पादों को निर्यात करने की अनुमति देगा।
क्या होता है विदेशी मुद्रा भंडार?
विदेशी मुद्रा भंडार किसी भी देश के केंद्रीय बैंक में रखी गई धनराशि या अन्य परिसंपत्तियां होती हैं, ताकि जरूरत पड़ने पर वह अपनी देनदारियों का भुगतान कर सकें। विदेशी मुद्रा भंडार को एक या एक से अधिक मुद्राओं में रखा जाता है। ज्यादातर डॉलर और कुछ हद तक यूरो में विदेशी मुद्रा भंडार रखा जाता है। कुल मिलाकर विदेशी मुद्रा भंडार में केवल विदेशी बैंक नोट, विदेशी बैंक जमा, विदेशी ट्रेजरी बिल और अल्पकालिक और दीर्घकालिक विदेशी सरकारी प्रतिभूतियां शामिल होनी चाहिए। हालांकि, सोने के भंडार, विशेष आहरण अधिकार (एसडीआर), और अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) के पास जमा राशि भी विदेशी मुद्रा भंडार का हिस्सा होता हैं।
प्रति व्यक्ति GDP ग्रोथ में भारत को पछाड़ने जा रहा बांग्लादेश, IMF की रिपोर्ट ने चौंकाया
आईएमएफ ने अनुमान जताया है कि इस साल भारत की जीडीपी में 10.3 फीसदी की गिरावट आ सकती है.
अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF)-वर्ल्ड इकोनॉमिक आउटलुक (WEO)की रिपोर्ट के मुताबिक, भारत दक्षिण एशिया में तीसरा सबसे गरीब देश बनने की ओर अग्रसर है.
अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) की एक रिपोर्ट के मुताबिक, प्रति व्यक्ति सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के मामले में बांग्लादेश भारत को पछाड़ते हुए आगे निकलने को तैयार है. अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF)-वर्ल्ड इकोनॉमिक आउटलुक (WEO) के मुताबिक, साल 2020 में बांग्लादेश की प्रति व्यक्ति जीडीपी 4 फीसदी बढ़कर 1,888 डॉलर होने की उम्मीद है, जबकि भारत की प्रति व्यक्ति जीडीपी 10.3 प्रतिशत घटकर 1,877 डॉलर रहने की उम्मीद है - जो पिछले चार वर्षों में सबसे कम है. आईएमएफ ने अनुमान जताया है कि इस साल भारत की जीडीपी में 10.3 फीसदी की गिरावट आ सकती है.
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भारत के लिए आईएमएफ का यह अनुमान, जून में किए गए पूर्वानुमान से बहुत नीचे है, जिसमें कहा गया है कि कोरोनोवायरस महामारी की वजह से उभरते बाजारों में सबसे बड़ा संकुचन देखने को मिल सकता है. मंगलवार को जारी रिपोर्ट के मुताबिक, दोनों देशों की जीडीपी का यह आंकड़ा मौजूदा कीमतों पर आधारित है. जून में आईएमएफ के पिछले पूर्वानुमान में कहा गया था कि उत्पादन 4.5 प्रतिशत कम हो जाएगा.
अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF)-वर्ल्ड इकोनॉमिक आउटलुक (WEO)की रिपोर्ट के मुताबिक, भारत दक्षिण एशिया में तीसरा सबसे गरीब देश बनने की ओर अग्रसर है. केवल पाकिस्तान और नेपाल की प्रति व्यक्ति मुद्रा आउटलुक जीडीपी ही भारत से कम होगी जबकि बांग्लादेश, भूटान, श्रीलंका और मालदीव जैसे देश भारत से आगे होंगे.
हालाँकि, IMF ने अनुमान जताया है कि 2021 में प्रभावशाली 8.8 प्रतिशत की विकास दर के साथ भारत, एशिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था के रूप में वापसी कर सकता है. इस प्रकार सबसे तेजी से बढ़ती उभरती अर्थव्यवस्था की स्थिति को फिर से हासिल करते हुए भारत चीन की अनुमानित विकास दर 8.2 प्रतिशत को पार कर सकता है.
आईएमएफ और विश्व बैंक की सालाना वार्षिक बैठक से पहले ‘विश्व आर्थिक परिदृश्य' रिपोर्ट जारी की गई है. इसमें कहा गया है कि 2020 में वैश्विक अर्थव्यवस्था में 4.4 प्रतिशत की गिरावट आयेगी और 2021 में यह 5.2 प्रतिशत की जोरदार वृद्धि हासिल करेगी. रिपोर्ट मुद्रामुद्रा आउटलुक आउटलुक के मुताबिक 2020 में अमेरिका की अर्थव्यवस्था में 5.8 प्रतिशत गिरावट आने का अनुमान है जबकि अगले वर्ष इसमें 3.9 प्रतिशत की वृद्धि होगी. वर्ष 2020 के दौरान दुनिया की प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में केवल चीन ही एकमात्र देश होगा जिसमें 1.9 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की जायेगी.
आईएमएफ़ : 9.5% की दर से विकास कर सकता है भारत
आईएमएफ़ ने भारतीय अर्थव्यवस्था के तेज़ विकास का अनुमान लगाया है। क्या अर्थव्यवस्था कोरोना महामारी की चपेट से निकल आई है?
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कोरोना महामारी की चपेट में आई भारतीय अर्थव्यवस्था एक बार फिर तेज़ी से आगे बढ़ रही है और अगले साल तक इसके दुरुस्त होने की पूरी संभावना है।
अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष यानी आईएमएफ़ ने कहा है कि भारतीय अर्थव्यवस्था 2021 में 9.5 प्रतिशत और 2022 में 8.5 प्रतिशत की दर से बढ़ सकती है।
आईएमएफ़ ने मंगलवार को वर्ल्ड इकोनॉमिक आउटलुक जारी किया। इसे आईएमएफ़ और विश्व बैंक की बैठक के पहले जारी किया गया है।
वर्ल्ड इकोनॉमिक आउटलुक
इस आउटलुक में कहा गया है कि विश्व अर्थव्यवस्था 2021 में 5.9 प्रतिशत और 2022 में 4.9 प्रतिशत की वृद्धि दर दर्ज कर सकती है।
अमेरिका में इस साल छह प्रतिशत और अगले साल 5.2 प्रतिशत की आर्थिक वृद्धि होने की संभावना है।
इसके पहले यानी जनवरी में अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ़) ने संभावना जताई थी कि भारतीय अर्थव्यवस्था वित्तीय वर्ष 2021-22 में 11.5 प्रतिशत की वृद्धि दर दर्ज कर सकती है।
'वर्ल्ड इकोनॉमिक आउटलुक अपडेट'
आईएमएफ़ ने अपनी 'वर्ल्ड इकोनॉमिक आउटलुक अपडेट' में कहा था कि भारतीय अर्थव्यवस्था बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में अकेली होगी, जिसकी आर्थिक विकास दर दहाई अंक में जा सकती है। इस दौरान चीन 8.1 प्रतिशत, स्पेन 5.9 प्रतिशत और फ्रांस 5.5 प्रतिशत की विकास दर हासिल कर सकते हैं।
अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष के अनुसार, भारतीय अर्थव्यवस्था ने कोरोना की वजह से 2020 में -8 प्रतिशत की वृद्धि दर दर्ज की थी। चीन और वियतनाम ही ऐसे देश थे, जिनकी वृद्धि दर इस दौरान सकारात्मक यानी शून्य से ऊपर रही। चीन ने 2.3 प्रतिशत की वृद्धि दर दर्ज की थी।
पहले से कम
आईएमएफ़ की मुख्य अर्थशास्त्री गीता गोपीनाथ ने वर्चुअल प्रेस कॉन्फ्रेंस में आउटलुक अपडेट जारी करते हुए कहा था कि भारतीय मुद्रा आउटलुक अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर अधिक तेज़ हो सकती है, पर यह कुल मिला कर 2022 में कोरोना काल के पहले के अनुमान से नौ प्रतिशत कम होगी।
क्या कहा गीता गोपीनाथ ने?मुद्रा आउटलुक
आईएमएफ़ की मुख्य अर्थशास्त्री गीता गोपीनाथ ने मंगलवार को कहा कि पिछले यानी जुलाई के वर्ल्ड इकोनॉमिक आउटलुक की तुलना में इस बार थोड़ा परिवर्तन किया गया है।
गीता गोपीनाथ, मुख्य अर्थशास्त्री, अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष
गीता गोपीनाथ ने कहा कि इसके बावजूद कोरोना के पहले 2024 के लिए जो अनुमान लगाया गया था, आज का 2024 का अनुमान उससे कम है। साल 2024 के लिए पहले जो अनुमान लगाया गया था, अब उससे 5.5 प्रतिशत कम वृद्धि दर का अनुमान लगाया जा रहा है।
आईएमएफ़ की मुख्य अर्थशास्त्री ने ज़ोर देकर कहा कि फ़िलहाल प्राथमिकता इस साल 40 प्रतिशत और अगले साल 70 प्रतिशत तक लोगों को कोरोना वैक्सीन देना है।
उन्होंने कहा कि इसके साथ ही ग्लोबल तापमान कम रखने की कोशिशों पर भी ध्यान देने की ज़रूरत है।