विकल्प रणनीति

विकल्प स्प्रेड वित्तीय बाजार में विकल्पों का व्यापार करने के लिए उपयोग की जाने वाली रणनीतियां हैं और समान परिसंपत्ति वर्ग में विकल्पों की कीमत के बीच प्रसार की स्थिति होती है जिसमें समान संख्या में विकल्प होते हैं जिनकी स्ट्राइक मूल्य और समाप्ति तिथि होती है। समाप्ति की तारीख और स्ट्राइक मूल्य अलग-अलग हैं और स्ट्राइक कीमतों के बीच का अंतर प्रसार स्थिति है।
भारत ने संयुक्त राष्ट्र के आगे पेश की अपनी लॉन्ग टर्म, लो-एमिशन डेवलपमेंट स्ट्रेटजी
भारत ने 27वें पार्टियों के सम्मेलन (कॉप27) के दौरान जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क सम्मलेन (यूएनएफसीसीसी) के समक्ष अपनी दीर्घकालिक कम-उत्सर्जन विकास रणनीति प्रस्तुत कर दी है। केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री श्री भूपेंद्र यादव, जो भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व कर रहे हैं, ने दीर्घकालिक कम-उत्सर्जन विकास रणनीति का शुभारंभ किया।
रणनीति की मुख्य विशेषताएं हैं-
1. ऊर्जा सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए राष्ट्रीय संसाधनों के तर्कसंगत उपयोग विकल्प रणनीति पर विशेष ध्यान दिया जाएगा। जीवाश्म ईंधन से अन्य स्रोतों में बदलाव न्यायसंगत, सरल, स्थायी और सर्व-समावेशी तरीके से किया जाएगा।
2021 में शुरू किए गए राष्ट्रीय हाइड्रोजन मिशन का उद्देश्य भारत को हरित हाइड्रोजन हब बनाना है। बिजली क्षेत्र के समग्र विकास के लिए हरित हाइड्रोजन उत्पादन का तेजी से विस्तार, देश में इलेक्ट्रोलाइजर निर्माण क्षमता में वृद्धि और 2032 तक परमाणु क्षमता में तीन गुना वृद्धि कुछ अन्य लक्ष्य हैं, जिनकी परिकल्पना की गयी है।
2. जैव ईंधन के बढ़ते उपयोग, विशेष रूप से पेट्रोल में इथेनॉल का सम्मिश्रण; इलेक्ट्रिक वाहन के उपयोग को बढ़ाने का अभियान और हरित हाइड्रोजन ईंधन के बढ़ते उपयोग से परिवहन क्षेत्र में कार्बन उत्सर्जन में कमी लाने के प्रयास को बढ़ावा मिलने की उम्मीद है। भारत 2025 तक इलेक्ट्रिक वाहनों के उपयोग को अधिकतम करने, 20 प्रतिशत तक इथेनॉल का सम्मिश्रण करने एवं यात्री और माल ढुलाई के लिए सार्वजनिक परिवहन के साधनों में एक सशक्त बदलाव लाने की आकांक्षा रखता है।
3. शहरीकरण की प्रक्रिया हमारे वर्तमान अपेक्षाकृत कम शहरी आधार के कारण जारी रहेगी। भविष्य में स्थायी और जलवायु सहनीय शहरी विकास निम्न द्वारा संचालित होंगे- स्मार्ट सिटी पहल; ऊर्जा और संसाधन दक्षता में वृद्धि तथा अनुकूलन को मुख्यधारा में लाने के लिए शहरों की एकीकृत योजना; प्रभावी ग्रीन बिल्डिंग कोड और विकल्प रणनीति अभिनव ठोस व तरल अपशिष्ट प्रबंधन में तेजी से विकास।
4. 'आत्मनिर्भर भारत' और 'मेक इन इंडिया' के परिप्रेक्ष्य में भारत का औद्योगिक क्षेत्र एक मजबूत विकास पथ पर आगे बढ़ता रहेगा। इस क्षेत्र में कम-कार्बन उत्सर्जन वाले स्रोतों को अपनाने का प्रभाव- ऊर्जा सुरक्षा, ऊर्जा पहुंच और रोजगार पर नहीं पड़ना चाहिए। प्रदर्शन, उपलब्धि और व्यापार (पीएटी) योजना, राष्ट्रीय हाइड्रोजन मिशन, सभी प्रासंगिक प्रक्रियाओं और गतिविधियों में विद्युतीकरण के उच्च स्तर, भौतिक दक्षता को बढ़ाने और चक्रीय अर्थव्यवस्था के विस्तार के लिए पुनर्चक्रण एवं स्टील, सीमेंट, एल्युमिनियम और अन्य जैसे कठिन क्षेत्रों में अन्य विकल्पों की खोज आदि के माध्यम से ऊर्जा दक्षता में सुधार पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा।
5. भारत का उच्च आर्थिक विकास के साथ-साथ पिछले तीन दशकों में वन और वृक्षों के आवरण को बढ़ाने का एक मजबूत रिकॉर्ड रहा है। भारत में जंगल में आग की घटनाएं वैश्विक स्तर से काफी नीचे है, जबकि देश में वन और वृक्षों का आवरण 2016 में कार्बन डाईआक्साइड उत्सर्जन का 15 प्रतिशत अवशोषित करने वाला शुद्ध सिंक मौजूद है। भारत 2030 तक वन वृक्षों के आवरण द्वारा 2.5 से 3 बिलियन टन अतिरिक्त कार्बन अवशोषण की अपनी एनडीसी प्रतिबद्धता को पूरा करने के मार्ग पर है।
6. निम्न कार्बन विकास मार्ग को अपनाने में नई प्रौद्योगिकियों, नई अवसंरचना और अन्य लेन-देन की लागतों में वृद्धि समेत कई अन्य घटकों की लागतें शामिल होंगी। हालांकि, विभिन्न अध्ययनों पर आधारित कई अलग-अलग अनुमान मौजूद हैं, लेकिन ये सभी आम तौर पर 2050 तक खरबों डॉलर की व्यय-सीमा में आते हैं। विकसित देशों द्वारा जलवायु वित्त का प्रावधान बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा और इसे यूएनएफसीसीसी के सिद्धांतों के अनुसार मुख्य रूप से सार्वजनिक स्रोतों से अनुदान और रियायती ऋण के रूप में काफी बढ़ाया जाना चाहिए, ताकि पैमाने, दायरे और गति को सुनिश्चित किया जा सके।
पेरिस समझौते के अनुच्छेद 4, पैरा 19 में कहा गया है, "सभी पक्षों को दीर्घावधि में ग्रीनहाउस गैस के कम-उत्सर्जन पर आधारित विकास रणनीतियों को तैयार करने और संवाद करने का प्रयास करना चाहिए और अनुच्छेद 2 के आलोक में विभिन्न राष्ट्रीय परिस्थितियों के अनुरूप अपनी सामान्य, लेकिन अलग-अलग जिम्मेदारियों और संबंधित क्षमताओं को ध्यान में रखना चाहिए।
इसके अलावा, नवंबर 2021 में ग्लासगो में कॉप विकल्प रणनीति 26 के निर्णय 1/सीपी.26 में, अन्य बातों के साथ-साथ, (i) उन पार्टियों से आग्रह किया, जिन्होंने अभी तक कॉप 27 (नवंबर 2022) को अपना एलटी-एलईडीएस संप्रेषित नहीं किया है।
उक्त दस्तावेज़ को पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा सभी प्रासंगिक मंत्रालयों और विभागों, राज्य सरकारों, शोध संस्थानों व नागरिक समाज संगठनों के साथ व्यापक विचार-विमर्श के बाद तैयार किया गया है।
भारत का दृष्टिकोण, निम्नलिखित चार प्रमुख विचारों पर आधारित है, जो इसकी दीर्घकालिक कार्बन कम-उत्सर्जन विकास रणनीति को रेखांकित करते हैं:
1. भारत ने ग्लोबल वार्मिंग में बहुत कम योगदान दिया है और दुनिया की आबादी का 17 प्रतिशत हिस्सा मौजूद होने के बावजूद, संचयी वैश्विक जीएचजी उत्सर्जन में इसका ऐतिहासिक योगदान बहुत कम रहा है।
2. विकास के लिए भारत की ऊर्जा आवश्यकताएं महत्वपूर्ण हैं।
3. भारत, विकास हेतु कम-कार्बन रणनीतियों का पालन करने के लिए प्रतिबद्ध है और राष्ट्रीय परिस्थितियों के अनुरूप सक्रिय रूप से इनका अनुसरण कर रहा है।
4. भारत को जलवायु सहनशील होने की जरूरत है।
राष्ट्रीय परिस्थितियों के आलोक में, समानता, साझा एवं अलग-अलग जिम्मेदारियों और सम्बन्धित क्षमताओं (सीबीडीआर-आरसी) के सिद्धांतों के साथ-साथ "जलवायु न्याय" और "स्थायी जीवन शैली" के दो विषय, जिन पर भारत ने पेरिस में जोर दिया था; कम कार्बन, कम उत्सर्जन वाले भविष्य के केंद्र में हैं।
इसी तरह, एलटी-एलईडीएस को वैश्विक कार्बन विकल्प रणनीति बजट के एकसमान और उचित हिस्से के लिए भारत के अधिकार से जुड़े फ्रेमवर्क में तैयार किया गया है, जो "जलवायु न्याय" के लिए भारत के आह्वान का व्यावहारिक कार्यान्वयन है। यह सुनिश्चित करना आवश्यक है कि पर्यावरण की रक्षा करते हुए भारत के तीव्र विकास और आर्थिक परिवर्तन के दृष्टिकोण को साकार करने में कोई अवरोध न हो।
एलटी-एलईडीएस को विकल्प रणनीति पर्यावरण के लिए जीवन शैली- लाइफ (एलआईएफई) की दृष्टि से भी जोड़ा गया है, जो विश्वव्यापी प्रतिमान में बदलाव का आह्वान करता है, ताकि संसाधनों के नासमझ और विनाशकारी उपभोग के स्थान पर सचेत और सोच-विचारकर किए जाने वाले उपभोग को जीवन शैली में अपनाया जा सके।
“उसने अपनी बेगम की जगह कुत्तों को चुना, कुत्तों के निकाह में करोड़ों उड़ाए और लॉर्ड इरविन को बुलाया”
जूनागढ़ के सनकी नवाब मोहम्मद महाबत खान के पागलपन की वो कहानी जो पढ़कर आप घंटो हंसेंगे।
आपको आवश्यकता से अधिक धन मिल जाए तो आप क्या करेंगे? तनिक गाड़ी अधिक खरीदेंगे, स्वर्णाभूषण लेंगे, भवन अच्छे बनवाएंगे? लेकिन बंधु आप जैसे सब नहीं होते जो इतने से संतुष्ट हो जाएं। जूनागढ़ के नवाब तो इन सब से अलग थे। इस लेख में जानेंगे जूनागढ़ प्रांत के अंतिम नवाब के बारे में जिसकी सनक अलग स्तर की थी। जूनागढ़ प्रांत पर बबाई पशतून समुदाय का शासन था जिसके अंतिम शासक थे नवाबज़ादा सर मोहम्मद महाबत खान तृतीय ‘खानजी’।
ये शासक अपने आप में बड़े अनोखे थे इसके साथ ही बड़े ही सनकी थे। निस्संदेह उन्होंने गीर के प्रसिद्ध वन्य उद्यान की नींव रखी, परंतु उनका ध्यान अपने राज्य से अधिक अपने कुत्तों पर होता था। वो अपने कुत्तों के प्रति इतना शौकीन थे कि उन्होंने सन् 1931 में तत्कालीन वायसरॉय लॉर्ड इरविन को अपने सबसे प्रिय रोशनारा की मंगरोल के नवाब के कुत्ते बॉबी से निकाह के लिए वास्तव में आमंत्रित भी किया था।
हालांकि, लॉर्ड इरविन ने वो प्रस्ताव तो ठुकरा दिया लेकिन नवाब ने इस निकाह के लिए अपने प्रांत में तीन दिन के राज्य अवकाश की घोषणा की। यहां तक कि नवाब ने इस समारोह पर विशेष खर्चा भी किया था जिसे एबीपी न्यूज ने अपनी प्रसिद्ध वेब सीरीज़ ‘प्रधानमंत्री’ में चित्रित भी किया है।
जूनागढ़ का नवाब और उसके कुत्ते
कुत्ते पालने के शौकीन जूनागढ़ के नवाब महाबत खान ने तकरीबन 2000 कुत्ते पाल हुए थे। इतना ही नहीं इन सभी कुत्तों के लिए अलग-अलग कमरे, नौकर और टेलीफोन की व्यवस्था की गई थी। अगर किसी कुत्ते की जान चली जाती तो उसको तमाम रस्मों के साथ कब्रिस्तान में दफनाया जाता था और शव यात्रा के साथ शोक संगीत बजाया जाता था। हालांकि नवाब महाबत खान को इन सभी कुत्तों में सबसे ज्यादा लगाव एक फीमेल डॉग से था जिसका नाम रोशनारा था।
नवाब महाबत खान के इस शौक का उल्लेख विख्यात इतिहासकार डॉमिनिक लॉपियर और लैरी कॉलिन्स ने अपनी किताब ‘फ्रीडम एट मिडनाइट’ में भी किया है। महाबत खान ने रोशनारा की शादी बहुत धूमधाम से पड़ोस के मंगरोल रियासत बॉबी नामक कुत्ते से कराई। इस शादी में नवाब ने आज के वैल्यू के हिसाब से लगभग 2 करोड़ से भी अधिक की धनराशि के खर्च किया था या यह कहें कि इतनी बड़ी राशि को पानी की तरह बहा दिया था या फिर यह कहें कि इतनी बड़ी राशि को जलाकर राख कर डाला था।
कुत्ते के निकाह के लिए तीन दिन का राजकीय अवकाश
रोशनारा को शादी के दौरान सोने के हार, ब्रेसलेट और महंगे कपड़े पहनाए गए थे। इतना ही नहीं मिलिट्री बैंड के साथ गार्ड ऑफ ऑनर से 250 कुत्तों ने रेलवे स्टेशन पर इनका स्वागत किया था। महाबत खान ने इस शादी में शामिल होने के लिए तमाम राजा-महाराजा समेत वायसराय को भी आमंत्रित किया था। लेकिन वायसराय ने आने से मना कर दिया था परंतु तब भी सनकी नवाब के द्वारा जूनागढ़ में तीन दिन का राजकीय अवकाश घोषित किया गया था।
सोचिए, जो नवाब इतना सनकी हो, वो अपने उद्देश्य की पूर्ति के लिए क्या नहीं करेगा। अपनी सनक की सारी सीमाएं पार करते हुए अपने दीवान के उकसावे पर वो पाकिस्तान में सम्मिलित होने के लिए भी विकल्प रणनीति तैयार हो गए थे। लेकिन जब पानी सिर के ऊपर से निकलने लगा तो सरदार पटेल और वीपी मेनन समझ गए कि सैन्य कार्रवाई ही जूनागढ़ की स्वतंत्रता का एकमात्र विकल्प है।
दूसरी तरफ नवाब मोहम्मद खान (जूनागढ़ का नवाब) भी तुरंत स्थिति को भांप गए और लगभग आधी से अधिक संपत्ति और अपनी कई बीवियों एवं कुत्तों सहित कराची भाग गए। इतने पर भी उनकी एक पत्नी और कुछ कुत्ते पीछे छूट गए यानी इनके लिए तब भी इनके श्वान अधिक महत्वपूर्ण थे।
Sources –
VP Menon, The Unsung Architect of Modern India
Pradhanmantri, Episode 2, ABP Series
TFI का समर्थन करें:
सांस्कृतिक राष्ट्रवाद की ‘राइट’ विचारधारा को मजबूती देने के लिए TFI-STORE.COM से बेहतरीन गुणवत्ता के वस्त्र क्रय कर हमारा समर्थन करें.
विकल्प फैल गए
विकल्प स्प्रेड वित्तीय बाजार में विकल्पों का व्यापार करने के लिए उपयोग की जाने वाली रणनीतियां हैं और समान परिसंपत्ति वर्ग में विकल्पों की कीमत के बीच प्रसार की स्थिति होती है जिसमें समान संख्या में विकल्प होते हैं जिनकी स्ट्राइक मूल्य और समाप्ति तिथि होती है। समाप्ति की तारीख और स्ट्राइक मूल्य अलग-अलग हैं और स्ट्राइक कीमतों के बीच का अंतर प्रसार स्थिति है।
विकल्प स्प्रेड प्रकार
- क्षैतिज फैलाव - एक क्षैतिज फैलाव तब बनता है जब एक ही स्ट्राइक मूल्य और एक समाप्ति तिथि के साथ समान अंतर्निहित सुरक्षा का उपयोग करने वाला विकल्प अलग हो।
- वर्टिकल स्प्रेड - एक ऊर्ध्वाधर प्रसार का एक अलग स्ट्राइक मूल्य है; समाप्ति तिथि और अंतर्निहित सुरक्षा समान रहती है।
- विकर्ण फैलाव - विकर्ण फैलाव में ऐसे विकल्प होते हैं जिनमें एक ही अंतर्निहित सुरक्षा होती है लेकिन समाप्ति तिथि और हड़ताल की कीमतें होती हैं। विकर्ण फैलता ऊपर उल्लिखित क्षैतिज और ऊर्ध्वाधर प्रसार का एक संयोजन है।
उदाहरण
# 1 - कॉल स्प्रेड
एक कॉल स्प्रेड में एक ही अंतर्निहित सुरक्षा के कॉल विकल्प होते हैं जिसमें एक अलग स्ट्राइक मूल्य और समाप्ति तिथि होती है।
कॉल क्रेडिट स्प्रेड के नीचे का उदाहरण एक विकल्प रणनीति है जो एक लाभ बनाता है जब अंतर्निहित सुरक्षा के मूल्य में गिरावट की विकल्प रणनीति उम्मीद होती है।
उदाहरण
कॉल क्रेडिट प्रसार में प्रवेश करते समय स्टॉक की प्रारंभिक कीमत $ 163 है। प्रत्येक विकल्प अनुबंध में 100 शेयर होते हैं। कॉल क्रेडिट प्रसार के घटक हैं:
- अगले महीने में समाप्ति के साथ $ 165 पर कॉल बेचें
- अगले महीने में समाप्ति के साथ $ 180 पर कॉल खरीदें
विकल्प के लिए प्रवेश मूल्य $ 1 है ($ 2 के लिए $ 165 पर बेचा गया और $ 1 के लिए $ 180 पर खरीदा गया)
इस विकल्प सौदे के लिए अधिकतम संभावित लाभ है:
इस परिदृश्य में फैली कॉल 15 है
इसलिए, अधिकतम संभावित नुकसान है:
= (कॉल स्प्रेड - एंट्री मूल्य एकत्र) एक्स शेयरों की संख्या नहीं
- = ($ 15- $ 1) x 100
- = विकल्प रणनीति $ 14 x 100
- = 1,400 डॉलर
# 2 - स्प्रेड रखो
पुट स्प्रेड में एक ही अंतर्निहित सुरक्षा के विकल्प होते हैं जिसमें एक अलग स्ट्राइक मूल्य और समाप्ति तिथि होती है।
पुट क्रेडिट स्प्रेड के नीचे का उदाहरण एक विकल्प रणनीति है जो एक लाभ पैदा करता है जब अंतर्निहित सुरक्षा का मूल्य बढ़ने की उम्मीद है।
उदाहरण
एक पुट क्रेडिट प्रसार में प्रवेश करते समय स्टॉक की प्रारंभिक कीमत $ 330 है। प्रत्येक अनुबंध में 100 शेयर होते हैं। पुट क्रेडिट प्रसार के घटक हैं:
- अगले महीने की समाप्ति के साथ पुट $ 315 पर बेच दें।
- अगले महीने की समाप्ति के साथ $ 310 पर खरीदें।
विकल्प के लिए प्रवेश मूल्य $ 1.15 है ($ 5.60 के लिए $ 315 पर बेचा गया और $ 4.45 के लिए $ 310 पर खरीदा गया)
मिलेट्स का उत्पादन व खपत बढ़ाने के लिए कृषि मंत्रालय मिशन मोड में काम कर रहा हैः कृषि मंत्री
केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय पोषक-अनाज वर्ष वैश्विक उत्पादन बढ़ाने, कुशल प्रसंस्करण तथा फसल रोटेशन के बेहतर उपयोग एवं फूड बास्केट के प्रमुख घटक के रूप में मिलेट को बढ़ावा देने का अवसर प्रदान करेगा। केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय अन्य केंद्रीय मंत्रालयों, सभी राज्य सरकारों एवं अन्य हितधारक संस्थानों के साथ मिलकर मिलेट्स का उत्पादन तथा खपत बढ़ाने के लिए मिशन मोड में काम कर रहा है
Team RuralVoice WRITER: [email protected]
केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर तथा विदेश मंत्री डा. एस. जयशंकर की अध्यक्षता में आज दिल्ली स्थित सुषमा स्वराज भवन में उच्चायुक्तों और राजदूतों के बीच , अंतरराष्ट्रीय पोषक-अनाज वर्ष का प्री-लांचिंग उत्सव हुआ। इस अवसर पर तोमर ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पहल पर संयुक्त राष्ट्र ने वर्ष 2023 को अंतरराष्ट्रीय पोषक-अनाज वर्ष ( आईवाईओएम) घोषित किया है। इसके माध्यम से मिलेट की घरेलू व वैश्विक खपत बढ़ाना हमारा उद्देश्य है। उन्होंने कहा कि यह वर्ष वैश्विक उत्पादन बढ़ाने , कुशल प्रसंस्करण तथा फसल रोटेशन के बेहतर उपयोग एवं विकल्प रणनीति फूड बास्केट के प्रमुख घटक के रूप में मिलेट को बढ़ावा देने का अवसर प्रदान करेगा। केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय अन्य केंद्रीय मंत्रालयों , सभी राज्य सरकारों एवं अन्य हितधारक संस्थानों के साथ मिलकर मिलेट्स का उत्पादन तथा खपत बढ़ाने के लिए मिशन मोड में काम कर रहा है।
केंद्रीय कृषि मंत्री ने कहा कि मिलेट्स सूक्ष्म पोषक तत्वों, विटामिन व खनिजों का भंडार है। आईवाईओएम, खाद्य सुरक्षा व पोषण के लिए मिलेट्स के योगदान के बारे में जागरूकता बढ़ाएगा व सतत उत्पादन और गुणवत्ता में सुधार के लिए हितधारकों विकल्प रणनीति को प्रेरित करेगा एवं अनुसंधान तथा विकास सेवाओं में निवेश बढ़ाने के लिए ध्यान आकर्षित करेगा। शाकाहारी खाद्य पदार्थों की बढ़ती मांग के दौर में मिलेट वैकल्पिक खाद्य प्रणाली प्रदान करता है। मिलेट संतुलित आहार के साथ-साथ सुरक्षित वातावरण में भी योगदान देता है। कम पानी की खपत, कम कार्बन उत्सर्जन व सूखे में भी जलवायु अनुकूल मिलेट को उगाया जा सकता है। भारत के अधिकांश राज्य एक या अधिक मिलेट फसल प्रजातियों को उगाते हैं। उन्होंने बताया कि केंद्रीय कृषि मंत्रालय द्वारा स्थायी उत्पादन का समर्थन करने, उच्च खपत के लिए जागरूकता पैदा करने, मंडी व मूल्य श्रृंखला विकसित करने तथा अनुसंधान-विकास गतिविधियों के लिए वित्तपोषण भी किया जा रहा है। राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन के तहत, मिलेट के लिए पोषक अनाज घटक 14 राज्यों के 212 जिलों में क्रियान्वित किया जा रहा। साथ ही, राज्यों के जरिये किसानों को अनेक सहायता दी जाती है। मिलेट के पोषण महत्व के मद्देनजर सरकार ने अप्रैल-2018 में इसे पोषक-अनाज के रूप में अधिसूचित किया था और मिलेट को पोषण मिशन अभियान के तहत भी शामिल किया गया है।
तोमर ने बताया कि भारत में मिलेट मूल्यवर्धित श्रृंखला में 500 से अधिक स्टार्टअप काम कर रहे हैं, भारतीय मिलेट अनुसंधान संस्थान ने आरकेवीवाई-रफ्तार में 250 स्टार्टअप को इनक्यूबेट किया है। 66 से अधिक स्टार्टअप्स को सवा छह करोड़ रुपये से ज्यादा दिए गए हैं, वहीं 25 स्टार्टअप्स को भी राशि की की मंजूरी दी है। मिलेट की खपत बढ़ाने वाले व्यंजनों व मूल्यवर्धित उत्पादों के लिए स्टार्ट-अप-उद्यमियों को भी सहायता दी जा रही है। सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत अब खाद्य वितरण कार्यक्रमों का ध्यान आधारभूत कैलोरी से हटाकर अधिक विविध फूड विकल्प रणनीति बास्केट प्रदान करने में होना चाहिए, जिसमें प्री-स्कूल के बच्चों व प्रजनन आयु की महिलाओं की पोषण स्थिति में सुधार करने के लिए मिलेट्स शामिल हैं। नीति आयोग व विश्व खाद्य कार्यक्रम का इरादा चुनौतियों को व्यवस्थित- प्रभावी तरीके से पहचानकर समाधान करने का है। यह साझेदारी मिलेट को मुख्यधारा में लाने पर ध्यान केंद्रित करेगी व वर्ष के रूप में मिलेट के लिए अवसरों का उपयोग कर ज्ञान के आदान-प्रदान में विश्व स्तर पर नेतृत्व करने में भारत का समर्थन करेगी।
विदेश मंत्री डा. जयशंकर ने कहा कि मिलेट्स आत्मनिर्भरता में सुधार करेगा, विकेंद्रीकृत उत्पादन को बढ़ावा देगा और किसानों की आय में वृद्धि करेगा। इस प्रकार वे वैश्विक खाद्य सुरक्षा के जोखिम को कम करेंगे। भारत की कल्पना के अनुरूप यह वर्ष जागरूकता और उपयोग के मायने में वास्तव में वैश्विक साझेदारी है। उन्होंने कहा कि कोविड, जलवायु परिवर्तन और संघर्षों की पृष्ठभूमि में आज दुनिया में मिलेट्स की प्रासंगिकता बढ़ रही है। जयशंकर ने जोर देकर कहा कि पोषक-अनाज खाद्य सुरक्षा के साथ-साथ अंतरराष्ट्रीय संबंधों के लिए भी महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि कोविड एक ऐसा दौर था, जिसने दुनिया को याद दिलाया कि एक महामारी खाद्य सुरक्षा के लिए क्या कर सकती है। उन्होंने कहा कि जलवायु परिवर्तन से उत्पादन कम हो सकता है और व्यापार विकल्प रणनीति बाधित हो सकता है। उन्होंने सुझाव दिया कि अंतर्राष्ट्रीय संबंधों में खाद्य सुरक्षा पर अधिक ध्यान दिया जाना चाहिए
कार्यक्रम में विदेश राज्य मंत्री मीनाक्षी लेखी व कृषि राज्य मंत्री शोभा करंदलाजे भी विशेष रूप से उपस्थित थीं। कृषि सचिव मनोज अहूजा ने स्वागत भाषण दिया व संयुक्त सचिव शुभा ठाकुर ने प्रेजेन्टेशन के माध्यम से आईवाईओएम के संबंध में जानकारी दी।