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प्रतिभूति बाजार की भूमिका

प्रतिभूति बाजार की भूमिका
Photo:PTI (FILE)

प्रतिभूतियों की सुरक्षा के लिए प्रौद्योगिकी के उपयोग में भारत सबसे अच्छाः सेबी प्रमुख

बेंगलुरू, 28 अक्टूबर (भाषा) भारतीय प्रतिभूति और विनियम बोर्ड (सेबी) की चेयरमैन माधवी पुरी बुच ने शुक्रवार को कहा कि ग्राहकों की प्रतिभूतियों की सुरक्षा के लिए तकनीक का उपयोग करने के मामले में भारत से बेहतर कोई देश नहीं है।

उन्होंने कहा कि भारत में ग्राहकों की प्रतिभूतियों की सुरक्षा के लिए प्रौद्योगिकी का व्यापक रूप से उपयोग किया जाता है। उन्होंने कहा कि विदेशी निवेशक अक्सर उन्हें बताते हैं कि वह भाग्यशाली हैं कि इस देश में डेटा और प्रौद्योगिकी का चलन है, जो पूंजी बाजार नियामक की भूमिका को प्रभावी बना रही है।

बुच ने भारतीय प्रबंध संस्थान (आईआईएम),बेंगलुरु के 49वें स्थापना दिवस समारोह में ‘पूंजी बाजार में डेटा और प्रौद्योगिकी’ पर अपने व्याख्यान में यह बात कही।

उन्होंने कहा, ‘‘पूरे बाजार में प्रौद्योगिकी में भारी बदलाव आया है। यह दुनिया में कहीं भी कभी नहीं किया गया है लेकिन हमने भारत में ऐसा किया है। आज ग्राहकों की प्रतिभूतियों की सुरक्षा के लिहाज से दुनिया में भारत से बेहतर कोई नहीं है।’’

हालांकि, उन्होंने कहा कि सेबी को भी कुछ कठिनाइयों का सामना करना पड़ा है। विनियमन ने प्रौद्योगिकी के साथ तालमेल नहीं रखा है प्रतिभूति बाजार की भूमिका लेकिन वह अगले कुछ महीनों में इस समस्या को ठीक करने की कोशिश की जा रही है।

सेबी प्रमुख ने कहा कि बोर्ड अब ‘सुपरटेक’ या पर्यवेक्षी प्रौद्योगिकी का उपयोग कर रहा है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि हर कोई नियमों का पालन करें।

उन्होंने बताया कि साइबर हमलों के जोखिम को कम करने के लिए नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) और बीएसई में एक प्रणाली स्थापित की जा रही है। नयी प्रणाली के अगले साल मार्च में शुरू होने की उम्मीद है।

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

आर्थिक विकास के वित्तपोषण में पूंजी बाजार बड़ी भूमिका निभाएगा : सेबी प्रमुख

सेबी प्रमुख अजय त्यागी का कहना है कि आर्थिक विकास के वित्तपोषण में पूंजी बाजार बड़ी भूमिका निभाएगा.

Published: July 29, 2021 8:41 AM IST

(File PIc)

बाजार नियामक भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (Sebi) के अध्यक्ष अजय त्यागी ने बुधवार को कहा कि गैर-बैंकिंग वित्तीय मध्यस्थता का एक बड़ा हिस्सा पूंजी बाजार के माध्यम से हो रहा है और आगे जाकर वह देश के आर्थिक विकास में एक बड़ी भूमिका निभाएगा. उन्होंने कहा, आगे बढ़ते हुए, पूंजी बाजार आर्थिक विकास के वित्तपोषण में एक बड़ी भूमिका निभाने जा रहे हैं.

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फिक्की द्वारा आयोजित 18वें वार्षिक पूंजी बाजार सम्मेलन को संबोधित करते हुए त्यागी ने कहा कि आगे सेबी के लिए फोकस क्षेत्र पूंजी बाजार की मजबूती को सुदृढ़ करने पर होगा.

उन्होंने कहा, प्रतिभूति बाजार में तैनात घरेलू वित्तीय बचत बढ़ रही है और इसे बनाए रखने से पूंजी बाजार और अर्थव्यवस्था दोनों को जबरदस्त बढ़ावा मिलेगा.

आईपीओ और फंड जुटाने पर उन्होंने कहा कि नए जमाने की टेक कंपनियों के आईपीओ की सफलता से अधिक फंड आकर्षित होंगे और उद्यमियों और निवेशकों का एक नया इको-सिस्टम बनाने में मदद मिलेगी.

सेबी प्रमुख ने कहा कि बड़ी कंपनियों के लिए आईपीओ लाने को आसान बनाने के लिए न्यूनतम सार्वजनिक शेयरधारिता के नियमों को संशोधित किया गया है. उन्होंने कहा कि निकट भविष्य में इक्विटी के जरिये कोष जुटाने से जुड़े नियमों की समीक्षा पर जोर बना रहेगा. स्टार्टअप को सूचीबद्ध करने में सक्षम बनाने के लिए आईजीपी (इनोवेटर्स ग्रोथ प्लेटफॉर्म) ढांचे में और ढील दी गई है.

उन्होंने कहा कि बाजार को मजबूत करने के प्रयासों में नियामक सक्रिय है और कई सुधार पाइपलाइन में हैं.

सेबी प्रमुख ने कहा कि स्टार्ट-अप्स की लिस्टिंग के लिए एक अलग प्लेटफॉर्म इनोवेटर्स ग्रोथ प्लेटफॉर्म बनाया गया है.

उन्होंने कहा, सामाजिक क्षेत्र की फंड जुटाने की जरूरतों के लिए, हम सोशल स्टॉक एक्सचेंज नामक एक संपूर्ण पारिस्थितिकी तंत्र स्थापित करने की प्रक्रिया में हैं.

कॉर्पोरेट गवर्नेंस के मुद्दे पर उन्होंने कहा कि जहां स्वतंत्र निदेशकों की महत्वपूर्ण भूमिका होती है, वहीं अन्य निदेशकों को भी कंपनी प्रबंधन में अधिक सक्रिय भूमिका निभानी चाहिए.

उन्होंने कहा कि कॉर्पोरेट गवर्नेंस मानकों में लगातार सुधार की जरूरत है और पारदर्शिता कंपनी के भीतर से ही आनी चाहिए.

त्यागी ने कहा, “मैं फिक्की से अपने सदस्यों के कॉर्पोरेट प्रशासन में सुधार के प्रयासों को आगे बढ़ाने का आग्रह करता हूं.”

वहीं, नेशनल स्टॉक एक्सचेंज ऑफ इंडिया लिमिटेड के एमडी और सीईओ विक्रम लिमये ने कहा कि आने वाले वर्षों में डिजिटल अपनाने और नए ग्राहकों को जोड़ना एक त्वरित गति से जारी रहेगा. उन्होंने कहा कि सेबी लिस्टिंग के समय को और कम करने के लिए अन्य हितधारकों के साथ काम कर रहा है और इसके 2-3 दिनों तक कम होने की उम्मीद है.

इस दौरान फिक्की के अध्यक्ष उदय शंकर ने कहा कि महामारी के बावजूद पूंजी बाजार ने सुचारु रूप से काम किया और नए जमाने की कंपनियों की लिस्टिंग से बाजार में गहराई आई है.

उन्होंने कहा, “हमें लिस्टिंग प्रक्रिया के सरलीकरण की आवश्यकता है और डीलिस्टिंग के लिए एक कुशल प्रक्रिया भी बनानी चाहिए.”

(With IANS Inputs)

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भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) भारतीय पूंजी बाजार को कैसे नियंत्रित करता है ? | How does the Securities and Exchange Board of India (SEBI) regulate the Indian capital market in hindi ?

भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) का गठन शुरू में 12 अप्रैल 1988 को सरकार के एक संकल्प के माध्यम से प्रतिभूति बाजार के विकास और विनिमय और निवेशकों की सुरक्षा से संबंधित सभी मामलों को देखने और इन मामलों पर सरकार को सलाह देने के लिए किया गया था। . एक गैर-अंशदायी निकाय के रूप में। सेबी को 30 जनवरी 1992 को एक अध्यादेश के माध्यम से वैधानिक दर्जा और शक्तियां दी गई थीं।

भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) भारतीय पूंजी बाजार को कैसे नियंत्रित करता है ? | How does the Securities and Exchange Board of India (SEBI) regulate the Indian capital market in hindi ?

सेबी का प्रबंधन छह सदस्यों द्वारा किया जाता है - एक अध्यक्ष (केंद्र सरकार द्वारा नामित), दो सदस्य (केंद्रीय मंत्रालयों के अधिकारी), एक सदस्य (RBI से) और शेष दो सदस्य केंद्र सरकार द्वारा नामित होते हैं। सेबी का ऑफिस मुंबई में है। इसके क्षेत्रीय कार्यालय कोलकाता, दिल्ली और चेन्नई में स्थित हैं। वर्ष 1988 में सेबी की प्रारंभिक पूंजी लगभग 7•5 करोड़ रुपये थी

जो इसके प्रमोटरों (आईडीबीआई, आईसीआईसीआई, आईएफसीआई) द्वारा दी गई थी। यह पैसा निवेश किया गया था और इससे अर्जित ब्याज सेबी के दैनिक खर्चों को पूरा करने के लिए उपयोग किया जाता है। भारतीय पूंजी बाजार के लिए सभी वैधानिक शक्तियां सेबी को दी गई हैं।

शेयर दलालों, उप-दलालों, शेयर हस्तांतरण एजेंटों, ट्रस्टियों, मर्चेंट बैंकरों, बीमा कंपनियों, पोर्टफोलियो प्रबंधकों आदि के कामकाज को विनियमित और पंजीकृत करना।

प्रतिभूति बाजार में कारोबार करने वाले विभिन्न संगठनों के कामकाज की निगरानी करना और व्यवस्थित लेनदेन सुनिश्चित करना।

सेबी ने पूंजी बाजार की विश्वसनीयता बहाल करने के लिए कई क्रांतिकारी कदम उठाए हैं। इनमें निम्नलिखित शामिल हैं -

सार्वजनिक निर्गम जारी करने वाली कंपनियों द्वारा अरुचिकर 'आवेदन राशि' के उपयोग पर नियंत्रण - सेबी के अनुरोध पर, वाणिज्यिक बैंकों ने स्टॉक निवेश योजना (शेयर निवेश योजना) की शुरुआत की, जिसके तहत निवेशक, बैंकों से खरीदे गए, निवेशित शेयर, उनके शेयर आवेदन के साथ प्रस्तुत किया। यदि निवेशक को शेयर/डिबेंचर आवंटित किए जाते हैं, तो 'स्टॉक निवेश' जारी करने वाला बैंक आवश्यक राशि संबंधित कंपनी के खाते में स्थानांतरित कर देगा। दूसरे मामले में (यदि शेयर/डिबेंचर आवंटित नहीं किए जाते हैं), तो निवेशक को निवेश की गई पूंजी पर ब्याज की एक पूर्व निर्धारित दर मिलेगी। सेबी के इस कदम ने निवेशक को शेयर/डिबेंचर आवंटित किए जाने तक ब्याज अर्जित करना सुनिश्चित किया।

शेयर की कीमत और प्रीमियम का निर्धारण - सेबी के नवीनतम निर्देशों के अनुसार, भारतीय कंपनियां अपने शेयर की कीमतों और उन शेयरों पर प्रीमियम निर्धारित करने के लिए स्वतंत्र हैं। लेकिन तय कीमत और प्रीमियम कीमत बिना किसी भेदभाव के सभी पर समान रूप से लागू होगी।

बीमा कंपनियां - बीमा कंपनी के रूप में काम करने के लिए न्यूनतम संपत्ति सीमा लगभग 20 लाख तय की गई है। इसके अलावा, सेबी ने बीमा कंपनियों को चेतावनी दी है कि शेयरों के मामले में अस्वीकृत शेयर की खरीद में किसी भी तरह की अनियमितता की स्थिति में उसका पंजीकरण रद्द किया जा सकता है।

स्टॉक ब्रोकरों का नियंत्रण - नए नियमों के तहत, प्रत्येक ब्रोकर और सब-ब्रोकर को सेबी या भारत में किसी भी स्टॉक एक्सचेंज (स्टॉक मार्केट) के साथ पंजीकरण करना होगा।

इनसाइडर ट्रेडिंग - भारतीय पूंजी बाजार में शेयर की कीमतों में हेराफेरी के लिए कंपनियां और उनके कर्मचारी आमतौर पर कदाचार का रास्ता अपनाते हैं। इस प्रकार के इनसाइडर ट्रेडिंग को रोकने के लिए, SEBI ने SEBI (इनसाइडर ट्रेडिंग) रेगुलेशन 1992 पेश किया, जो पूंजी बाजार में अखंडता सुनिश्चित करेगा और निवेशकों को लंबी अवधि के लिए पूंजी बाजार में निवेश प्रतिभूति बाजार की भूमिका करने के लिए प्रोत्साहित करेगा।

म्यूचुअल फंड पर सेबी का नियंत्रण - सेबी ने सरकार और निजी क्षेत्र (यूटीआई को छोड़कर) द्वारा सभी म्यूचुअल फंड पर सीधा नियंत्रण देने के लिए सेबी (म्यूचुअल फंड) विनियम 1993 पेश किया। इस नियम के तहत, म्युचुअल फंड लाने वाली कंपनी का शुद्ध परिसंपत्ति मूल्य 5 करोड़ रुपये होना चाहिए, जिसमें प्रमोटरों का कम से कम 40% योगदान हो।

विदेशी संस्थागत निवेशकों पर नियंत्रण - सेबी ने सभी विदेशी संस्थागत निवेशकों के लिए भारतीय पूंजी बाजार में भाग लेने के लिए सेबी के साथ पंजीकरण करना अनिवार्य कर दिया है। इस संबंध में सेबी ने निर्देश जारी किया है।

निष्कर्ष: तो उपरोक्त चर्चा के आधार पर यह कहा जा सकता है कि सेबी - भारत के पूंजी बाजार के सुचारू संचालन में एक बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है ताकि निवेशकों के मूल्यवान धन को कम अनिश्चितता के साथ अच्छा रिटर्न मिल सके।

SEBI तथा अन्य कैपिटल मार्केट रेगुलेटर

SEBI तथा अन्य कैपिटल मार्केट रेगुलेटर कौन कौन से हैं। भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड क्या है, और यह नियामक बोर्ड किस तरह से स्टॉक मार्केट को नियंत्रित और रेगुलेट करता है। और कौन से संस्थान हैं जो भारत के पूँजी बाजारों की निगरानी करते हैं। कैपिटल मार्केट के लिए नियम कौन बनाता है और यदि हमें इस सम्बंध में कोई शिकायत करनी हो तो क्या करना चाहिए। SEBI के अलावा कौन से संस्थान हैं जहां शेयर बाज़ार में हुई अनियमितता की शिकायत की जा सकती है।

SEBI तथा अन्य कैपिटल मार्केट रेगुलेटर

SEBI तथा अन्य कैपिटल मार्केट रेगुलेटर

भारतीय पूंजी बाज़ारों की वित्त मंत्रालय, भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड और भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा विनियमन और निगरानी की जाती है।

वित्त मंत्रालय

वित्त मंत्रालय का आर्थिक मामलों का विभाग अपने पूंजी बाजार विभाग के माध्यम से कैपिटल मार्केट को नियंत्रित करता है। वित्त मंत्रालय का यह विभाग प्रतिभूति बाजारों के व्यवस्थित विकास और विकास से संबंधित नीतियों को तैयार करने के लिए जिम्मेदार होता है। साथ ही वित्त मंत्रालय का यह विभाग निवेशकों के हितों की रक्षा करने के लिए भी जिम्मेदार है। वित्त मंत्रालय का कैपिटल मार्केट विभाग प्रतिभूति बाजारों में संस्थागत सुधारों के लिए भी ज़िम्मेदार होता है। नियामक और बाजार संस्थानों का निर्माण इस विभाग के अंतर्गत आता है। इस विभाग के अन्य प्रमुख कार्य हैं निवेशक संरक्षण तंत्र को मजबूत करना और प्रतिभूति बाजारों के लिए कुशल विधायी ढांचा प्रदान करना।

Regulator

Securities & Exchange Board of India (SEBI)

भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड कैपिटल मार्केट के लिए मुख्य रेगुलेटर है। भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) सेबी अधिनियम 1992 के तहत स्थापित नियामक प्राधिकरण है और भारत में स्टॉक एक्सचेंजों के लिए प्रमुख नियामक है। सेबी के प्राथमिक कार्यों में भारतीय प्रतिभूति बाजारों को बढ़ावा देना और विनियमित करना, निवेशकों के हितों की रक्षा करना शामिल है। भारतीय प्रतिभूति बाजारों में भाग लेने के लिए अपने संबंधित नियामकों द्वारा अनुमति प्राप्त सभी वित्तीय मध्यस्थों को सेबी के नियमों द्वारा नियंत्रित किया जाता है फिर वो मध्यस्थ चाहे घरेलू हो या विदेशी। भारतीय प्रतिभूति बाजारों में भाग लेने के लिए विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों को डीडीपी Designated Depository Participants के साथ पंजीकरण करने की आवश्यकता होती है।

भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई)

भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) भारतीय रिजर्व बैंक अधिनियम, 1 9 34 द्वारा शासित है। आरबीआई मौद्रिक और क्रेडिट नीतियों को लागू करने, मुद्रा नोट जारी करने, सरकार के बैंकर होने, बैंकिंग प्रणाली के नियामक, विदेशी प्रबंधक विनिमय, और भुगतान और निपटान प्रणाली के नियामक जबकि भारतीय वित्तीय बाजारों के विकास की दिशा में लगातार काम करते हैं। आरबीआई विभिन्न कानूनों के माध्यम से वित्तीय बाजारों और प्रणालियों को नियंत्रित करता है। यह विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम, 1 999 के माध्यम से विदेशी मुद्रा बाजारों को नियंत्रित करता है।

National Stock Exchange

प्रतिभूति बाजार में भाग लेने की भूमिका में नेशनल स्टॉक एक्सचेंज को प्रतिभूति बाजार को नियंत्रित करने के लिए नियमों और विनियमों को निर्धारित और लागू करता है। ये नियम और विनियम मेम्बर रेजिस्ट्रेशन, सिक्योरिटी लिस्टिंग , लेनदेन की निगरानी, निवेशकों की सुरक्षा और सेबी / आरबीआई नियमों का सदस्यों द्वारा अनुपालन जैसे कामों के लिए हैं। सेबी द्वारा नियंत्रित एक इकाई के रूप में एनएसई SEBI के नियमों के पालन को सुनिश्चित करने के लिए नियमित निरीक्षण करता है।

Bombay Stock Exchange

मुंबई स्टॉक एक्सचेंज भी SEBI के नियमों का पालन करता है और अपने सदस्यों को इसके अंतर्गत नियंत्रित करता है।

SEBI तथा अन्य कैपिटल मार्केट रेगुलेटर निवेशकों के हित में नियमों के पालन को सुनिश्चहित करते हैं। इन सब रेगुलेटरों प्रतिभूति बाजार की भूमिका के अपने अपने शिकायत निवारण विभाग हैं जहां आवश्यकता पड़ने पर शिकायत की जा सकतीं हैं। इसके लिए आप सम्बंधित वेब साइट पर जा कर अधिक जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।

सेबी की प्रतिभूति बाजार के प्रशिक्षकों का पैनल बनाने की योजना

पैनल में शामिल प्रशिक्षक नियामक के निवेशक शिक्षा और संरक्षण के क्षेत्र में की जा रही पहल को आगे बढ़ाएंगे। ये प्रशिक्षक निवेशकों के लिए जागरुकता कार्यक्रम चलाएंगे जिससे आम लोगों की बाजार को लेकर समझ और बेहतर हो।

Edited by: India TV Paisa Desk
Published on: September 16, 2020 19:43 IST

- India TV Hindi News

Photo:PTI (FILE)

सिक्योरिटी मार्केट के लिए प्रशिक्षकों का पैनल बनाएगी सेबी

नई दिल्ली। लोगों के बीच सिक्योरिटी मार्केट को लेकर जागरुकता और समझ को बढ़ाने के लिए पूंजी बाजार नियामक सेबी ने खास पहल की है। सेबी अपने निवेशक जागरूकता और शिक्षा पहल को गति देने के लिये व्यक्तियों अथवा इकाइयों को लेकर एक पैनल बनाने जा रहा है। इसके लिए सेबी ने नियम, शर्तें और प्रक्रिया की जानकारी जारी कर दी है। भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने बुधवार को एक नोटिस में कहा कि जो व्यक्ति या इकाइयां प्रतिभूति बाजार से संबद्ध निवेशक शिक्षा के क्षेत्र में काम करना चाहते हैं, उन्हें प्रतिभूति बाजार प्रशिक्षक (स्मार्ट) के तौर पर पैनल में शामिल करने का प्रस्ताव है। पैनल में शामिल प्रशिक्षक नियामक के निवेशक शिक्षा और संरक्षण के क्षेत्र में की जा रही पहल को आगे बढ़ाएंगे। ये प्रशिक्षक निवेशकों के लिए जागरुकता कार्यक्रम चलाएंगे जिससे आम लोगों की बाजार को लेकर समझ और बेहतर हो।

ये प्रशिक्षक नियामक की तरफ से सेबी निवेशक संरक्षण और शिक्षा कोष (सेबी आईपीईएफ) के अंतर्गत निवेशक जागरूकता कार्यक्रम चलाएंगे। पात्रता के बारे में नियाममक ने कहा कि व्यक्ति को भारत का नागरिक और निवासी होना चाहिए या विधि, वाणिज्य, प्रबंधन, अर्थशास्त्र, वित्तीय बाजारों की शिक्षा से जुड़े संगठन या ट्रस्ट अथवा कंपनी या सोसाइटी के रूप में पंजीकृत इकाई प्रशिक्षक की भूमिका के लिये आवेदन कर सकते हैं। अन्य मानदंडों के तहत आवेदनकर्ताओं को मान्यता प्राप्त विश्विविद्यालय से कम-से-कम 50 प्रतिशत अंक के साथ स्नातक होना चाहिए। साथ ही विधि, वाणिज्य, प्रबंधन, अर्थशास्त्र या वित्तीय बाजारों की शिक्षा के क्षेत्र में काम करने या सिखाने का कम-से- कम पांच साल का अनुभव होना चाहिए। इसके साथ ही अधिकतम उम्र 65 साल रखी गई है। इसके अलावा प्रतिभूति बाजार से प्रमाणीकरण भी होना चाहिए। चुने गये आवेदनकर्ताओं को सेबी के प्रशिक्षण कार्यक्रम में शामिल होना होगा। इसमें रूचि रखने वाले उम्मीदवारों को 16 अक्टूबर तक आवेदन जमा करना है।

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