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Gayatri Pariwar

Gayatri Pariwar is a living model of a futuristic society, being guided by principles of human unity and equality.

It's a modern adoption of the age old wisdom of Vedic Rishis, who practiced and propagated the philosophy of Vasudhaiva Kutumbakam.

Founded by saint, reformer, writer, philosopher, spiritual guide and visionary Yug Rishi Pandit Shriram Sharma Acharya this mission has emerged घाटे का सौदा as a mass movement for Transformation of Era.

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ललन चौधरी बोले: खेती घाटे का सौदा होते जा रही है

बैठक में संगठन और आंदोलन पर चर्चा के बीच किसान कार्यकर्ताओं ने जिले में दलितों महिलाओं पर हो रहे सामाजिक उत्पीड़न पर चिंता जताते हुए कहा कि दर्जनों दलित उत्पीड़न एवं महिला उत्पीड़न की घटनाएं होने की बात कही मगर उस पर पुलिस कार्रवाई नहीं करने का भी आरोप लगाया गया।

बैठक में मई माह में किसान सभा का सदस्यता अभियान चलाने। जून माह से पंचायत स्तरीय किसान काउंसिल सांगठनिक सम्मेलन जुलाई प्रखंड स्तरीय सम्मेलन एवं अक्टूबर माह में जिला सम्मेलन करने पर सहमति हुई।

बैठक शुरू होने से पूर्व किसान नेता उपेंद्र सिंह रन्ना, जगदीश यादव भवानीपुर एवं राजगीर घाटे का सौदा पासवान मिर्जापुर कौआही के आकस्मिक निधन पर शोक सभा कर श्रद्धांजलि दी गई। मौके पर उपस्थित किसान काउंसिल राज्य अध्यक्ष ललन चौधरी ने कहा कि कृषि संकट के चलते अभी तक 4 लाख से ज्यादा किसानों ने आत्मा हत्या किया है।

कृषि संकट बढ़ रही है। खेती घाटे का सौदा होता जा रहा है। किसानों के लागत के हिसाब से पैदावार का कीमत निर्धारित नहीं हो रहा है। किसान आंदोलन में हुए समझौते अमल नहीं हुआ। किसान सभा का मानना है कि एमएसपी का गारंटी देने वाला कानून बनाया जाए।

स्वामीनाथन आयोग की सिफारिश के आलोक में सरकार मूल्य निर्धारित करें। गेहूं का न्यूनतम समर्थन मूल्य 26 सौ रूपए प्रति क्विंटल तय करने एवं एमएसपी पर सरकारी एजेंसियों द्वारा खरीद करने। अन्यथा 500 रूपए प्रति क्विंटल बोनस देने की मांग की है।

वर्तमान में सरकार ने गेहूं का समर्थन मूल्य मात्र 2025 रुपए प्रति क्विंटल तय किया है, जो खाद,बीज, डीजल, जुताई के दामों में अप्रत्याशित वृद्धि के चलते लागत में हुई बढ़ोतरी से काफी कम है। हाल के दिनों में जिले के विभिन्न हिस्सों में गरीब भूमिहीनों को प्रशासन, सामंतों एवं भू-माफिया द्वारा वर्षों से काबिज घाटे का सौदा जमीन से बेदखली कर रही है।

बैठक में प्रस्ताव कर फसल क्षति का मुआवजा देने, किसानों का कर्जा माफ करने, बरसों से बसे गरीबों को पर्चा देने, महंगाई पर रोक लगाना कृषि संकट दूर करने स्वामीनाथन आयोग के घाटे का सौदा रिपोर्ट के आलोक में न्यूनतम समर्थन मूल्य लागू करना।

बाढ़ सुखाड़ का स्थाई निदान करने की मांग की गई। बैठक को सुबोध चौधरी, उग्र नारायण गिरी, गोपाल चौधरी, अनिल पासवान, शिवनंदन यादव, रामजतन राम नरेंद्र मंडल राम सौगारथ सिंह, नीरज कुमार ठाकुर आदि ने संबोधित किया।

अब नहीं रहेगा किसान के लिए कृर्षि कार्य घाटे का सौदा

महेंद्रगढ़ क्षेत्र में पहले गिरते भूजल स्तर के कारण किसानों के लिए अपनी जमीन में कृषि कार्य करना घाटे का सौदा साबित होने लगा था। वर्तमान में दोहान नदी में चल रहे पानी के चलते भूमिगत जलस्तर में सुधार आया है और आगे भी इसी तरह से नदी में पानी चलता रहा तो निश्चित रूप से किसान अपनी भूमि में फसल की अच्छी पैदावार लेकर समृद्ध हो सकेंगे।

संवाद सहयोगी, महेंद्रगढ़: महेंद्रगढ़ क्षेत्र में पहले गिरते भूजल स्तर के कारण किसानों के लिए अपनी जमीन में कृषि कार्य करना घाटे का सौदा साबित होने लगा था। वर्तमान में दोहान नदी में चल रहे पानी के चलते भूमिगत जलस्तर में सुधार आया है और आगे भी इसी तरह से नदी में पानी चलता रहा तो निश्चित रूप से किसान अपनी भूमि में फसल की अच्छी पैदावार लेकर समृद्ध हो सकेंगे।

पूर्व शिक्षा मंत्री प्रो. रामबिलास शर्मा ने दोहान नदी में चल रहे पानी घाटे का सौदा को लेकर खुशी जाहिर करते हुए इसे किसानों के लिए एक अच्छा संकेत बताया। उन्होंने कहा कि थोड़ी सी परेशानी के साथ लंबे समय की राहत अच्छी रहती है। इसलिए नदी में चल रहे पानी को लेकर अगर थोड़ी बहुत परेशानी लोगों को आ रही है उसके लिए प्रशासन प्रयासरत है आमजन भी सहयोग करें, ताकि लंबे समय तक नदी में पानी चल सके और क्षेत्र के किसान समृद्ध बने। हर साल जलस्तर गिरने से किसानों को हो रही थी हानि: बता दें कि बीते करीब डेढ़ दशक के दौरान महेंद्रगढ़ क्षेत्र का भूमिगत जलस्तर तेजी से गिर रहा था। इस कारण क्षेत्र के किसानों के लिए कृषि करना घाटे का सौदा साबित होने लगा था। लोग हर साल ट्यूबवेल पर पैसा लगा रहे थे। बावजूद इसके उनको जरूरत के अनुसार कृषि के लिए पानी उपलब्ध नहीं हो रहा था। बिना पानी के बहुत से किसान तो केवल वर्षा के पानी पर ही निर्भर थे। शहर को पानी सप्लाई के लिए दोहान नदी के आसपास जन स्वास्थ्य विभाग के कई ट्यूबवेल जलस्तर गिरने से फेल हो चुके हैं। इसी के साथ आसपास के किसान भी पानी की कमी के चलते कृषि कार्य में रुचि लेना छोड़ चुके हैं। परंतु दोहान नदी में बीते दो-तीन घाटे का सौदा वर्षों से वर्षा के मौसम में लगातार चल रहे पानी के कारण किसानों को फिर से अच्छी फसल की उम्मीद बंधी है।

ट्यूबवेलों में भरपूर मात्रा में पानी मिलेगा

महेंद्रगढ़ विधानसभा क्षेत्र के गांव डेरोली जाट निवासी धूप सिंह पंच ने कहा कि मैंने अपने 60 साल के जीवन काल में डेरोली की नदी के पाट में पहली बार पानी को तेज गती से बहते देखा है। बड़ी खुशी की बात है कि अब किसानों को उनके ट्यूबवेलों में भरपूर मात्रा में पानी मिलेगा और किसान अपनी जीवन को खुशहाल से व्यतीत करेगा। जितनी अधिक मात्रा में पानी चलेगा उतना ही जलस्तर ऊपर आएगा

कोथल कलां निवासी ओमप्रकाश ने कहा कि पहले हमें पूर्वजों घाटे का सौदा से सुनने का अवसर मिलता था कि फलां साल में नदी आई थी। अब स्वयं आंखों से देखने को मिला है कि डेरोली से बसई तक बनाए गए कच्चे नाले में कितनी अधिक मात्रा में पानी आया कि महेंद्रगढ़ शहर में स्थित डीएवी स्कूल में शहरवासियों ने पहुंचकर छोटे बच्चों को वाहनों में बैठाकर बाहर निकाला। साथ ही लगती जेबीटी प्रशिक्षण संस्थान भी पानी में डूब गया। जितनी अधिक मात्रा में पानी चलेगा उतना ही अधिक जलस्तर ऊपर आएगा। फिर से खेती फायदे का सौदा साबित होगी

कोथल खुर्द निवासी अरविद शर्मा ने बताया कि पिछले काफी लंबे समय से जल स्तर नीचे चले जाने के कारण किसानों को अपनी जीविका चलाने में बड़ी असुविधा का सामना करना पड़ रहा था। किसानों को ट्यूबवेलों से पानी निकालने के लिए बड़ी हार्स पावर की मोटर लगानी पड़ रही थी। इससे उनका बिजली का खर्च व अन्य खर्चे ज्यादा बढ़ रहे थे। खेती का सौदा किसानों के लिए घाटे का हो गया था। अब नहरी पानी आ जाने से जलस्तर ऊपर आने की उम्मीद बनी है। फिर से खेती फायदे का सौदा साबित होगी।

नया जीवन जैसा जीवन मिल गया

खातीवास निवासी प्रदीप कौशिक ने बताया कि भाजपा शासनकाल में नहरी पानी का सामान बटवारा करवा कर प्रदेश के मुख्यमंत्री मनोहर लाल व पूर्व शिक्षा मंत्री प्रो. रामबिलास शर्मा ने क्षेत्र के किसानों के लिए खुशियों की सौगात दी है। जासावास निवासी एडवोकेट संतलाल ने कहा कि उनका ट्यूबवेल नदी के पट के बिल्कुल साथ लगता है और पानी बहुत गहराई में चला गया था। जब से उक्त नदी के पाट में पानी आने लगा है। लगभग 200 फीट ऊपर ट्यूबवेलों का पानी आ गया और उन्हें नया जीवन जैसा जीवन मिल गया।

मुरादाबाद : महंगाई के दौर में पशुपालन बन रहा घाटे का सौदा, व्यवसाय से किनारा कर रहे किसान

मुरादाबाद,अमृत विचार। महंगाई घाटे का सौदा के दौर में पशुपालन घाटे का सौदा साबित हो रहा। इससे किसान किनारा करते जा रहे हैं। क्योंकि घाटे का सौदा एक दुधारू पशु पर हर रोज 275 रुपये खर्च होते हैं। जबकि दूधिया किसान से 35-45 रुपये किलो दूध खरीदते हैं। जिससे किसान लागत नहीं निकाल पा रहे हैं। किसानों के लिए कृषि के …

मुरादाबाद,अमृत विचार। महंगाई के दौर में पशुपालन घाटे का सौदा साबित हो रहा। इससे किसान किनारा करते जा रहे हैं। क्योंकि एक दुधारू पशु पर हर रोज 275 रुपये खर्च होते हैं। जबकि दूधिया किसान से 35-45 रुपये किलो दूध खरीदते हैं। जिससे किसान लागत नहीं निकाल पा रहे हैं।

किसानों के लिए कृषि के बाद पशुपालन दूसरा सबसे बड़ा रोजी-रोटी का जरिया है। लेकिन बढ़ती महंगाई इस कारोबार पर अंकुश लगा रही है। मंडल में अधिकतर किसान दूध व्यवसाय से जुड़े हैं। ऐसे में किसानों के लिए दूध के कारोबार में मुनाफा न होने से परेशानी हो रही है। औसतन एक पशु पर एक दिन में 15-20 किलो भूसा, दो किलो दाना और एक किलो चोकर खर्च होता है। इन सबकी कीमत 275 रुपये होती है। वहीं एक भैंस की कीमत लगभग घाटे का सौदा 50 हजार रुपये है। वह दिन में औसतन 7 लीटर दूध देती है। जिस दूध की कीमत गांव में 280 रुपये होती है। यह मवेशी पूरे साल में दूध नहीं देते। जब ये गर्भवती होती हैं तब से कई महीने पहले दूध देना बंद कर देती हैं। ऐसे में किसानों के लिए दूध का कारोबार घाटे का सौदा बनता जा रहा है। इसलिए पर्याप्त कमाई न होने की वजह से पशुपालन व्यवसाय खत्म कर रहें हैं।

भूसे की कीमत 1500 रुपये क्विंटल : आसमान छू रही भूसें की कीमतों ने किसानों की परेशानी और बढ़ा दी है। पहले भूसे की कीमत 700-800 रुपये प्रति क्विंटल थी। जो अब 1500 रुपये प्रति क्विंटल बिक रहा है। पिछले साल बारिश से धान की खेती को नुकसान होने पर पराली पूरी तरह बर्बाद हो गई थी। जिसका असर सीधा भूसे की कीमत में देखने को मिला।

35-45 रुपये खरीद रहे दूधिया: किसान पूरे दिन मवेशी पर मेहनत करके दूध बेचना का इंतजाम करता है। लेकिन दूधिया इसे किसानों से लेकर शहरों में अच्छे मुनाफे के साथ बेचता है। गांव से गाय का 35 और भैंस का दूध 45 रुपये किलो खरीदकर शहर में यह 60-70 रुपये प्रति किलो बेच रहें हैं। वह किसानों से ज्यादा मुनाफा कमा रहे हैं।

किसानों से ज्यादा मुनाफा दूधिया कमा रहे हैं। हमारे यहां से यह लोग 40 रुपये किलो दूध ले जाते हैं और शहर में 60 -70 को बेचते हैं। पूरे दिन मेहनत करने के बाद भी उचित मुनाफा नहीं मिल पाता। -मैलिंद्र सिरोही, किसान

किसानों की समस्या सुनने वाला देश में कोई नहीं है। एक छोटी से छोटी घाटे का सौदा दुकान चलाने वाले भी अपने सामान की कीमत खुद लगाता है। लेकिन हमारी खेती की हमारे दूध की कीमत लगाने का हक हमारे पास नहीं है। -प्रदीप सिंह , किसान

दुधारू पशु प्रतिदिन 275 रुपये का भूसा, खल और चोकर खा जाते हैं। इसमें किसान की पूरे दिन की मेहनत भी शामिल होती है। लेकिन अब पशुपालन में घाटा हो रहा है। -कांति देवी, किसान

पिछले साल हुई बारिश से पुआल खराब हो गई थी। इससे भूसे की कीमत में भारी उछाल आया है। ऐसे में पशुपालन घाटे का सौदा बनता जा रहा हैं। -भूरी देवी, किसान

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