अपसारी त्रिभुज

Last updated on Nov 28, 2022
CTET 31 Jan 2021 Paper 2nd ( Mathematics And Science ) Answer Key
52 यदि 15x 2 -26r+8 = (Ax + B) (Cx + D) है, जहाँ, A और C धनात्मक पूर्णांक हैं, तो (2A + अपसारी त्रिभुज B-C-2D) का मान क्या है ?
53. ABC और DEF में यदि AB = EF , BC = DE तथा CA = FD हैं, तो
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54. निम्न में से कौन सी एक समकोण त्रिभुज की भुजाएं हो सकती हैं ?
(1) 15 cm, 32 cm और 57 cm
(2) 65 cm, 72 cm और 97 cm
(3) 20 cm, 21 cm और 31 cm
(4) 35 cm, 77 cm और 88 cm
55. किसी बहुफलक के 7 फलक और 10 शीर्ष हैं । इस बहुफलक के किनारों की संख्या है
(1) 15
(2) 17
(3) 13
(4) 14
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56. ABC में, भुजा AB को E तक और भुजा CA को D तक बढ़ाया जाता है। यदि BAD = 125° और EBC = 100° हैं, तो निम्न में से कौन सा सत्य है ?
(1) ABC और ACB का अंतर 35° है ।
(अपसारी त्रिभुज 2) BAC और ACB का अंतर 20° है ।
(3) ABC समद्विबाहु त्रिभुज है।
(4) AB> BC हैं।
57. समलंब PQRs में, PQ || SR है और PQ तथा SR का अनुपात 3:2 है । यदि समलंब का क्षेत्रफल 480 cm2 है और PQ तथा SR के बीच की दूरी 12 cm है, तो SR की लंबाई है
(1) 36 cm
(2) 48 cm
(3) 24 cm
(4) 32 cm
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58. 88 cm x 10 cm माप वाले एक आयताकार कागज़ के टुकड़े को बिना अतिव्यापन किए, मोड़कर एक 10 cm ऊंचाई का बेलन बनाया जाता है । बेलन की धारिता (लीटर में) क्या है ? (Pai – 22/7 लीजिए)
(1) 7.392
(2) 8.624
(3) 5.54
(4) 6.16
59. किसी घन का आयतन 2197 अपसारी त्रिभुज cm3 है । इसका . पार्श्व पृष्ठीय क्षेत्रफल (cm2 में) क्या है ?
(1) 845
(2) 1014
(3) 676
(4) 576
किस तरह के प्रश्न पूछकर बच्चों में गहन चिंतन को बढ़ावा दिया जा सकता है?
Key Points -
- गहन चिंतन विभिन्न वर्गीकरण करके विचार प्रक्रिया को विभाजित करता है, इसलिए यह किसी निष्कर्ष पर पहुंचने के संभावित तरीकों की संख्या बताता है।
- यह स्व-निर्देशित है जो उच्चतम स्तर पर गुणवत्ता के निष्पक्ष तरीके से तर्क करने का प्रयास करता है। यह विचारों के बीच तार्किक संबंध को समझने के लिए स्पष्ट और तर्कसंगत रूप से सोचने की अनुमति देता है।
- बच्चों में गहन चिंतन को ऐसे प्रश्न पूछकर बढ़ावा दिया जा सकता है जिसमें बच्चे अपसारी चिंतन करना शुरू करते हैं और अलग-अलग उत्तर खोजने की कोशिश करते हैं और सकारात्मक और नकारात्मक पहलुओं का आकलन करते हैं।
- बच्चों में गहन चिंतन को बीजों को अंकुरण के लिए हवा की आवश्यकता होती है, सिद्ध करने के लिए एक प्रयोग की रुपरेखा तैयार कीजिए, जैसे प्रश्न पूछकर बढ़ावा दिया जा सकता है क्योंकि इस प्रश्न में बच्चा इसे सिद्ध करने के लिए कई प्रयोगों के बारे में सोचेंगे।
SCIENCE VVI OBJECTIVE QUESTION
ashfaque sir Istekhar sir
गणितज्ञो का परिचय देते हुए उनके योगदान | famous mathematician | GNITYGO KE PRICHAY DETE HUVE UNKE YOGDAN | Course - 7 (Teaching of mathematics)
1. पाइथागोरस (pythagorous) :-
पाइथागोरस का जन्म अपसारी त्रिभुज ग्रीस के निकट एशियन सागर के मध्यम सामोस नामक स्थान पर 580 ईसवी पूर्व हुआ था ! इनके गुरु का नाम थेल्स था जो कि यूनान के महान अपसारी त्रिभुज विद्वान थे ! इन्होंने एक प्रमेय की रचना की जिसे 'पाइथागोरस प्रमेय ' के नाम से जाना जाता है ! इस प्रमेय से यह स्पष्ट किया गया है कि किसी समकोण त्रिभुज में कर्ण पर बना वर्ग शेष दो भुजाओं अथार्त लम्ब और आधार आधार पर बने वर्गों के योग के बराबर होता है ! पाइथागोरस ने समस्त संख्याओं को सम और विषम भागों में बदलने का कार्य संपन्न किया ! पाइथागोरस ने कुछ संख्याओं को त्रिभुज संख्या का नाम दिया है ! 1,3,6 और 10 आदि त्रिभुज संख्याएं थी ! पहली दो संख्याओं का योग 1➕2=3 प्रथम त्रिभुज संख्या, पहली तीन संख्याओं का योग 1➕ 2➕ 3 =6 द्वितीय त्रिभुज संख्या तथा प्रथम चार संख्याओं का योग 1➕ 2➕3➕4= 10 तीसरी भुजा संख्या कहलाती थी !
पाइथागोरस स्कूल जो कि उनके समर्थकों द्वारा स्थापित किया गया था ! इस स्कूल के गणितज्ञो ने अनेक गणितीय शब्दों जैसे- मैथमेटिक्स, परवलय (parabola), इलिप्स अपरवलय (hyperbola) आदि की खोज की ! इस प्रकार गणित इतिहास में पाइथागोरस का योगदान विशेष महत्व रखता है !
2. यूक्लिड (Euclid) :-
यूक्लिड का जन्म अलक्जेनड्रिया (alexanderia) में 300 ईसवी पूर्व के लगभग हुआ था ! इनकी प्रारंभिक शिक्षा एथेंस में हुई थी ! यूक्लिड का सबसे प्रसिद्ध ग्रंथ एलिमेंट्स (elements) है जिसके अब तक 1000 से अधिक संस्करण हो चुके हैं ! इस ग्रंथ में उन्होंने स्वर्गसमता, समानता, बीजगणितीय सर्वसमिकाएं, क्षेत्रफल, वृत्त, समानुपात, ठोस, ज्यामिति आदि विषयों का उल्लेख किया है ! इसके अलावा यूक्लिड ने डेटा (data) आकृतियों का विभाजन,स्यूडेरिया, (pseuderia), शाक्व (conic),पोरिज्मस(porism) तथा तल बिंदु(surface loci) महत्वपूर्ण ग्रंथों की रचना करके गणित के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया !
3. श्रीनिवास रामानुजनम (Shriniwas Ramanujam) :-
श्रीनिवास रामानुजम का जन्म तमिलनाडु राज्य की इमोद नामक गांव में 22 दिसंबर, 1887 ईसवी में हुआ था ! इनकी जाति ब्राह्मण थी तथा आर्थिक स्थिति ज्यादा अच्छी नहीं थी ! बचपन से ही ये गणित में विशेष रूचि लेते थे ! वे अपने दोस्तों तथा साथियों का मनोरंजन गणितीय पहेलियो एवं सूत्रो के द्वारा ही करते करते थे तथा साथियों और अध्यापकों से गणित के बहुत से सवाल पूछा करते थे ! इस प्रकार वे गणित में अत्यधिक रुचि रखते थे ! जब तीसरी कक्षा में पढ़ते थे एक दिन उनके गणित के अध्यापक यह पढ़ा रहे थे कि किसी संख्या को उसी संख्या से भाग दिया जाए तो भजनफल हमेशा एक आता है ! कक्षा के सभी छात्र अध्यापक की बात को चुपचाप सुन रहे थे परंतु रामानुजम ने तुरंत खड़े होकर अपने अध्यापक से पूछा कि साहब क्या यह नियम शून्य के लिए भी लागू होगा ? इस प्रकार के गूढ़ प्रश्न पूछ कर प्रारंभ से ही वे अपने अध्यापकों को आश्चर्यचकित किया करते थे !
आर्थिक स्थिति सही अच्छी न होने के कारण ये अधिक शिक्षा न ग्रहण कर सके तथा मद्रास ट्रस्ट में बहुत ही कम वेतन पर नौकरी कर ली ! इस दौरान उनकी मुलाकात डॉ बाकर से हुई जो कि उनसे बहुत प्रभावित हुए ! डॉ बाकर के प्रयासों से इनको मद्रास विश्वविद्यालय में 2 वर्ष के लिए छात्रवृत्ति मिल गई जिससे उनकी आर्थिक परेशानी कम हो गई तथा अपना अधिकांश समय गणित के अध्ययन में ही व्यस्त करने लगे ! रामानुजम ने अपने कुछ लेख डॉक्टर हाड्डी के पास भेजे ! डॉक्टर हड्डी तथा उनके सहयोगी इस लेखों से बहुत प्रभावित हुए और उन्होंने रामानुजम को कैंब्रिज बुलाने का निर्णय लिया ! इस प्रकार उनको इंग्लैंड जाने की अनुमति मिल गई जहां पर उन्होंने गणित के क्षेत्र में महत्वपूर्ण शोध किए !
15 वर्ष की आयु में ही रामानुजम ने जादू के वर्गो की रचना के नियमों को प्रतिपादित किया ! ज्यामिति में उन्होंने वृत्त वर्ग के रूप में व्यक्त करने का विचार किया तथा पृथ्वी की भूमध्य रेखीय परिधि का माप इनकी शुद्धता से ज्ञात की कि सही माप से में बहुत कम अंतर ही रह गया ! थॉमस हार्डी को भेजे गए 120 प्रमेयो (theorems) में से हार्डी ने 15 प्रमेय ऐसे छाटा जिनके विषय में वे स्वयं भी आश्चर्य चकित रह गए ! इन प्रमेयो में हाइपर ज्यामिति, इलिप्टिक, इंटीग्रल तथा अपसारी (divergent) श्रेणी पर भी उदाहरण सम्मिलित किये गये ! पूर्ण संख्याओं के प्रति उनकी बहुत रुचि थी ! इनके अतिरिक्त अपरीमित श्रेणी के रूपांतर तथा बीजीय सूत्र आदि में श्रीनिवासजी की अंतर्दृष्टि तथा गणित के प्रति लगन आश्चर्य चकित करने वाली थी !
रामानुजम ने आगमन विधि द्वारा गणित के सभी क्षेत्रों में कार्य किया जिसके द्वारा वे उदाहरण से शुरू करके व्यापक परिणामों पर पहुंच जाते थे ! उनकी सबसे बड़ी विशेषता यह थी कि वे हमेशा काम में लगे रहते थे ! यहा तक की mock Theta functions' पर उनका सम्पूर्ण कार्य मृत्यु शय्या पर ही हुआ ! इस प्रकार रामानुजन ने गणित संसार में अपनी विशेष छाप छोड़ी है जिसके कारण उनको बुलाया भूलाना बहुत ही मुश्किल है ! गणित के क्षेत्र में उनका बहुत ही महत्वपूर्ण योगदान रहा !
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ashfaque sir Istekhar sir