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बाजार अर्थव्यवस्था क्या है

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शेयर बाजार पर गौतम अडानी ने की बड़ी भविष्यवाणी, मार्केट कैप पर कही ये बात

एशिया के सबसे अमीर व्यक्ति गौतम अडानी ने देश के स्टॉक मार्केट को लेकर एक अहम बात कही है। अडानी ने कहा कि आने वाले समय में मार्केट कैपिटल संभवतः 45,000 अरब डॉलर से अधिक हो जाएगा। बता दें कि वर्तमान में बीएसई का मार्केट कैपिटल 2,82,30,833.64 करोड़ रुपये है।

क्या कहा अडानी ने: दुनिया के तीसरे सबसे रईस अरबपति अडानी ने कहा- मेरा अनुमान है कि अगले दशक के भीतर भारत हर 12 से 18 महीनों में अपने जीडीपी में हजार अरब डॉलर जोड़ना शुरू कर देगा, जिससे हम 2050 तक 30 हजार अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने के राह पर आ जाएंगे और शेयर मार्केट कैपिटल संभवतः 45,000 अरब डॉलर से अधिक हो जाएगा। भारत वर्तमान में 3500 अरब डॉलर की जीपीडी के साथ दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है।

अडानी ने कहा कि भारत की बढ़ती अर्थव्यवस्था की नींव प्रासंगिक हो सकती है और बहुमत वाली सरकार ने देश को राजनीतिक और प्रशासनिक व्यवस्था में कई संरचनात्मक सुधार शुरू करने की क्षमता दी है।

Dollar Vs Rupee : शुरुआती कारोबार में अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपया 37 पैसे टूटा

Dollar Vs Rupee : विदेशी मुद्रा व्यापारियों ने कहा कि मजबूत अमेरिकी खुदरा बिक्री के आंकड़ों के बाद अमेरिकी करेंसी मजबूत हुई, जो धीमी अर्थव्यवस्था के बावजूद लचीली खपत की ओर इशारा करती है.

Dollar Vs Rupee : शुरुआती कारोबार में अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपया 37 पैसे टूटा

Dollar Vs Rupee : विदेशी बाजारों में अमेरिकी मुद्रा की मजबूती और घरेलू शेयर बाजार में सुस्ती के बीच भारतीय रुपया गुरुवार को शुरुआती कारोबार के दौरान अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 37 पैसे टूटकर 81.63 पर आ गया. अंतरबैंक विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में रुपया डॉलर के मुकाबले 81.62 पर खुला, और फिर गिरावट के साथ 81.63 पर आ गया, बाजार अर्थव्यवस्था क्या है जो पिछले बंद भाव के मुकाबले 37 पैसे की कमजोरी दर्शाता है. विदेशी मुद्रा व्यापारियों ने कहा कि मजबूत अमेरिकी खुदरा बिक्री के आंकड़ों के बाद अमेरिकी करेंसी मजबूत हुई, जो धीमी अर्थव्यवस्था के बावजूद लचीली खपत की ओर इशारा करती है.

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वहीं, भारतीय रुपया बुधवार को अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 35 पैसे लुढ़ककर 81.26 पर बंद हुआ था. इस बीच छह प्रमुख मुद्राओं के मुकाबले अमेरिकी डॉलर की स्थिति को दर्शाने वाला डॉलर सूचकांक 0.26 प्रतिशत बढ़कर 106.55 पर पहुंच गया. वहीं, अंतरराष्ट्रीय तेल मानक ब्रेंट क्रूड फ्यूचर्स 1.03 प्रतिशत नुकसान के साथ 91.90 डॉलर प्रति बैरल पर आ गया.

घरेलू इक्विटी बाजार में, 30 शेयरों वाला बीएसई सेंसेक्स 72.14 अंक या 0.12 प्रतिशत की गिरावट के साथ 61,908.58 पर कारोबार कर रहा था. वहीं, व्यापक एनएसई निफ्टी 32.60 अंक या 0.16 प्रतिशत की गिरावट के साथ 18,377.05 पर कारोबार कर रहा था. एक्सचेंज के आंकड़ों बाजार अर्थव्यवस्था क्या है के मुताबिक विदेशी संस्थागत निवेशक (एफआईआई) कैपिटल मार्केट में शुद्ध विक्रेता रहे और उन्होंने बुधवार को 386.06 करोड़ रुपये के भारतीय शेयर बेचे हैं.

रिलायंस सिक्योरिटीज के सीनियर रिसर्च एनालिस्ट श्रीराम अय्यर ने कहा कि गुरुवार सुबह भारतीय रुपये की शुरुआत कमजोर नोट के साथ हुई, क्योंकि डॉलर स्थिर हो गया. निवेशकों ने उम्मीद से बेहतर खुदरा बिक्री के आंकड़ों के बाद यूएस फेड पॉलिसी के लिए आउटलुक का आकलन करने की कोशिश की.

(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

G20 Summit: G20 प्रेसिडेंसी के दौरान इन 3 मुद्दों पर काम करेगा भारत, पीएम मोदी ने दिए संकेत

बाली में इस समय जी-20 समिट के लिए देश के दिग्गज नेटा जुटे हैं. जी-20 का मुख्‍य लक्ष्‍य वैश्विक अर्थव्‍यवस्‍था और जलवायु परिवर्तन जैसी समस्याओं का सामना करना है.

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  • नई दिल्ली,
  • 15 नवंबर 2022,
  • (Updated 15 नवंबर 2022, 2:35 PM IST)

विश्व शांति बनाएं रखना जरूरी

भारत को मिल जाएगी प्रेसिडेंसी

इंडोनेशिया के लोकप्रिय पर्यटन स्थल बाली में इस समय विश्व की 20 सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था के नेता जुटे हैं. रूस-युक्रेन युद्ध शुरू होने के बाद ये पहला मौका है जब दोनों देशों के नेता एक मंच पर होंगे. इस बीच जी-20 शिखर सम्‍मेलन में भारत पर भी सभी देशों की निगाहें टिकी हुई हैं क्योंकि बाली शिखर सम्‍मेलन के बाद इस प्रभावशाली संगठन का नेतृत्‍व इंडोनेशिया से भारत को दे दिया जाएगा.

जी-20 एक ऐसा अंतरराष्‍ट्रीय मंच है जिसमें औद्योगिक, विकासशील देश और यूरोपीय संघ तीनों ही शामिल हैं। इसका मुख्‍य लक्ष्‍य वैश्विक अर्थव्‍यवस्‍था और वित्‍तीय ढांचे के सामने आने वाली बाजार अर्थव्यवस्था क्या है चुनौतियों जलवायु परिवर्तन आदि का सामना करना है.

भारत को मिल जाएगी प्रेसिडेंसी

बाली में मंगलवार को जी-20 शिखर सम्मेलन को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रूस-यूक्रेन युद्ध में युद्धविराम और कूटनीति के बारे में बात की. उन्होंने जलवायु परिवर्तन, कोविड महामारी और भारत के ऊर्जा सुरक्षित होने के महत्व द्वारा प्रस्तुत चुनौतियों के बारे में भी बताया. पीएम मोदी ने कहा कि इन सब ने मिल कर विश्व मे तबाही मचा दी है. Global Supply Chains तहस-नहस हो गई हैं. पूरी दुनिया मे जीवन-जरूरी चीजें, essential goodsकी सप्लाइ का संकट बना हुआ है. हर देश के गरीब नागरिकों के लिए चुनौती और गंभीर है. वे पहले से ही रोजमर्रा के जीवन से जूझ रहे थे. उनके पास दोहरी मार से जूझने की आर्थिक capacity नहीं है. हमें इस बात को स्वीकार करने से भी संकोच नहीं करना चाहिए कि UN जैसी मल्टीलैटरल संस्थाएं इन मुद्दों पर निष्फल रही हैं. इस दौरान मोदी ने सम्मेलन में तीन प्रमुख मुद्दे रखे जिनपर हम आगे बात करेंगे.

विश्व शांति बनाएं रखना जरूरी
पीएम मोदी ने आगे कहा, ''मैंने बार-बार कहा है कि हमें यूक्रेन मे संघर्ष-विराम और डिप्लोमसी की राह पर लौटने का रास्ता खोजना होगा. पिछली शताब्दी में दूसरे विश्व युद्ध ने विश्व मे कहर ढाया था. उसके बाद उस समय के leaders ने शांति की राह पकड़ने का गंभीर प्रयास किया. अब हमारी बारी है. पोस्ट-कोविड काल के लिए एक नए वर्ल्ड ऑर्डर की रचना करने का जिम्मा हमारे कंधों पर है. समय की मांग है कि हम विश्व मे शांति, सद्भाव और सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए ठोस और सामूहिक संकल्प दिखाएं. मुझे विश्वास है कि अगले वर्ष जब जी-20 बुद्ध और गांधी की पवित्र भूमि मे मिलेगा, तो हम सभी सहमत हो कर, विश्व को एक मजबूत शांति-संदेश देंगे.

कई देशों में की फूड सप्लाई
महामारी के दौरान, भारत ने अपने 1.3 बिलियन नागरिकों की फूड सिक्युरिटी सुनिश्चित की. साथ ही अनेकों जरूरत मंद देशों को भी खाद्यान्न की आपूर्ति की. फूड सिक्युरिटी के संदर्भ मे Fertilizers की वर्तमान किल्लत भी एक बहुत बड़ा संकट है. आज की fertilizer shortage कल की फूड-क्राइसिस है, जिसका समाधान विश्व के पास नहीं होगा. हमें खाद और खाद्यान्न दोनों की सप्लाइ चैनस को stable और assured रखने के लिए आपसी सहमति बनानी चाहिए. भारत मे,Sustainable फूड सिक्युरिटी के लिए हम natural farming को बढ़ावा दे रहे हैं और मिलेट्स जैसे पौष्टिक और पारंपरिक foodgrains को फिर से लोकप्रिय बना रहे हैं. मिलेट्स से वैश्विक मैल्नूट्रिशन और hunger का भी समाधान हो सकता है. हम सभी को अगले वर्ष अंतर्राष्ट्रीय मिलेट्स वर्ष जोर-शोर से मनाना चाहिए.

renewable सोर्स से बिजली पैदा होगी
विश्व की fastest growing अर्थव्यवस्था भारत की एनर्जी-सिक्युरिटी वैश्विक ग्रोथ के लिए भी महत्वपूर्ण है. हमें एनर्जी की सप्लाइज पर किसी भी तरह के प्रतिबंधों को बढ़ावा नहीं देना चाहिए. हमें एनर्जी बाजार मे स्थिरता सुनिश्चित करनी चाहिए. भारत क्लीन एनर्जी और पर्यावरण के प्रति कमिटेड है. साल 2030 तक हमारी आधी बिजली बाजार अर्थव्यवस्था क्या है renewable स्रोतों से पैदा होगी. समावेशी एनर्जी ट्रांजीशन के लिए विकासशील देशों को समय-बद्ध और किफायती फाइनेंस और टेक्नोलॉजी की स्थायी आपूर्ति अनिवार्य है.

भारत 2050 तक बनेगा दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी इकोनॉमी, गौतम अडाणी ने की भविष्यवाणी

नई दिल्ली: एशिया के सबसे अमीर व्यक्ति गौतम अडाणी ने शनिवार को कहा कि भारत साल 2050 तक दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा. उन्होंने कहा कि देश को 1000 अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने में 58 साल का समय लगा, लेकिन अब हर 12 से 18 महीनों में वह अपने सकल घरेलू उत्पाद (GDP) में 1000 अरब डॉलर जोड़ेगा. अडाणी ने लेखाकारों की 21वीं विश्व कांग्रेस में कहा कि एक के बाद एक आए वैश्विक संकटों ने कई धारणाओं को चुनौती दी है- मसलन चीन को पश्चिमी लोकतांत्रिक सिद्धांतों को अपनाना चाहिए, यूरोपीय संघ एकजुट रहेगा और रूस अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कम भूमिका को स्वीकार करने के लिए मजबूर होगा.

महाशक्ति का लोकतंत्र होना जरूरी: अडाणी
अडाणी ने आगे कहा कि इस बहुस्तरीय संकट ने ऐसी महाशक्तियों की एकतरफी या दोतरफी दुनिया के मिथक को तोड़ दिया है, जो वैश्विक वातावरण में कदम रख सकती है और इन्हें स्थिर कर सकती हैं. उन्होंने कहा कि एक महाशक्ति को एक फलता-फूलता लोकतंत्र भी होना चाहिए, लेकिन इस बात पर भी विश्वास करना चाहिए कि लोकतंत्र की कोई एक समान शैली नहीं है. अडाणी ने कहा कि भारत की बढ़ती अर्थव्यवस्था की नींव प्रासंगिक हो सकती है और बहुमत वाली सरकार ने देश को राजनीतिक और प्रशासनिक व्यवस्था में कई संरचनात्मक सुधार शुरू करने की क्षमता दी है.

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भारत अभी पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था
अडाणी ने आगे कहा कि जीडीपी को पहली बार हजार अरब डॉलर तक पहुंचने में 58 साल लगे, अगले एक हजार अरब तक पहुंचने में 12 साल और तीसरे हजार अरब डॉलर तक पहुंचने में सिर्फ पांच साल लगे. उन्होंने कहा कि उनका अनुमान है कि अगले दशक के भीतर भारत हर 12 से 18 महीनों में अपने जीडीपी में हजार अरब डॉलर जोड़ना शुरू कर देगा, जिससे हम 2050 तक 30 हजार अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने के राह पर आ जाएंगे. उन्होंने आगे बताया कि शेयर बाजार पूंजीकरण संभवतः 45,000 अरब डॉलर से अधिक हो जाएगा. भारत वर्तमान में 3500 अरब डॉलर की जीपीडी के साथ दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है.

आपको बता दें कि भारत और एशिया के सबसे बड़े रईस गौतम अडाणी इस साल अच्छी कमाई करने के मामले में टॉप पर रहे हैं. ब्लूमबर्ग बिलिनेयर इंडेक्स के मुताबिक इस साल उनकी कमाई रॉकेट की स्पीड से बढ़ी है. अडाणी ग्रुप के चेयरमैन की नेटवर्थ भी इस साल 56.4 अरब डॉलर बढ़ गई है और वह कुल 133 अरब डॉलर की नेटवर्थ के साथ दुनिया के अमीरों की लिस्ट में तीसरे नंबर पर हैं.

जी-20 सम्मेलन : पीएम मोदी ने कहा “भारत की ऊर्जा सुरक्षा वैश्विक विकास के लिए महत्वपूर्ण”

इंडोनेशिया के बाली में मंगलवार को G-20 शिखर सम्मेलन को संबोधित करते हुए, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रूस-यूक्रेन युद्ध में युद्धविराम और कूटनीति का आह्वान किया। उन्होंने जलवायु परिवर्तन, कोविड महामारी समेत अन्य विषम परिस्थितियों से उत्पन्न चुनौतियों के बारे में भी बताया। पीएम मोदी ने कहा, “वैश्विक विकास के लिए भारत की ऊर्जा सुरक्षा महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था है।” आगे उन्होंने कहा कि “हमें ऊर्जा की आपूर्ति पर किसी भी प्रतिबंध को बढ़ावा नहीं देना चाहिए और ऊर्जा बाजार में स्थिरता सुनिश्चित की जानी चाहिए।” इंडोनेशिया में बैठक के बाद भारत अगले वर्ष के लिए ग्रुप ऑफ 20 (G-20) प्रेसीडेंसी की कमान संभालेगा।

“महामारी के दौरान, भारत ने अपने 1.3 बिलियन नागरिकों की खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित की” : पीएम मोदी

पीएम मोदी ने अपने सम्बोधन में कहा कि “महामारी के दौरान, भारत ने अपने 1.3 बिलियन नागरिकों की खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित की और साथ ही अनेकों जरूरत मंद देशों को भी खाद्यान्न की आपूर्ति की।” खाद्य सुरक्षा के संदर्भ मे फर्टिलाइजर की वर्तमान किल्लत भी एक बहुत बड़ा संकट है जिसके संदर्भ को लेते हुए पीएम ने कहा कि “आज के समय फर्टिलाइजर की कमी कल का खाद्य संकट है, जिसका समाधान वर्तमान में विश्व के पास नहीं है।” उन्होंने कहा कि हमें खाद और खाद्यान्न दोनों की सप्लाइ चैन को सुनिश्चित रखने के लिए आपसी सहमति बनानी चाहिए।

पीएम ने भारत की सतत खाद्य सुरक्षा के लिए प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने की बात कही जो बाजरा जैसे पौष्टिक और पारंपरिक अनाज को फिर से लोकप्रिय बना रहे हैं। बाजरा से वैश्विक खाद्य संकट का भी समाधान हो सकता है। उन्होंने अगले वर्ष अंतर्राष्ट्रीय बाजरा वर्ष को जोर-शोर से मनाने का आह्वान भी किया।

पीएम ने कहा “भारत व इंडोनेशिया कंधे से कंधा मिलाकर काम कर रहे”

पीएम ने कहा कि भारत और इंडोनेशिया 21वीं सदी में एक दूसरे के साथ कंधे से कंधा मिलाकर काम कर रहे हैं। इंडोनेशिया की जमीन ने भारत से आए हुए लोगों को प्यार से स्वीकार किया, उन्हें अपने समाज में शामिल किया।” प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इंडोनेशिया के बाली में भारतीय समुदाय के कार्यक्रम में लोगों का अभिवादन स्वीकार किया। इसके बाद उन्होंने एक कार्यक्रम को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि “बाली आने के बाद हर भारतीय को एक अलग ही अनुभूति होती है और मैं भी वही महसूस कर रहा हूं। जिस जगह के साथ भारत का हजारों वर्षों का रिश्ता रहा है। दोनों देशों ने पीढ़ी दर पीढ़ी उस परंपरा को आगे बढ़ाया पर कभी ओझल नहीं होने दिया।” उन्होंने अपने सम्बोधन में आगे कहा कि “भारत और इंडोनेशिया 21वीं सदी में एक दूसरे के साथ कंधे से कंधा मिलाकर काम कर रहे हैं।” दोनों देशों के संबंधों को चिन्हित करते हुए पीएम ने कहा कि “भारत और इंडोनेशिया का साथ सिर्फ सुख का नहीं है। हम सुख-दुख में एक दूसरे के दुख को बांटने वाले हैं। जब 2018 में इंडोनेशिया में बड़ा भूकंप आया तो भारत ने तुरंत ऑपरेशन समुद्र मैत्री शुरू किया था। तब मैंने कहा था कि भारत और इंडोनेशिया में 90 नॉटिकल मील का फैसला भले ही हो लेकिन हम 90 नॉटिकल मील दूर नहीं बल्कि 90 नॉटिकल मील पास हैं।”

भारत के विकास को इंगित करते हुए पीएम ने कहा कि “भारत की टेक्नोलॉजी, भारत का इनोवेशन, भारत का उद्योग इन सब ने दुनिया में अपनी एक पहचान बनाई है। आज दुनिया की बहुत सी बड़ी कंपनियां ऐसी हैं जिनके CEO भारत के हैं। आज दुनिया के 10 यूनिकॉर्न बनते हैं तो उनमें से एक भारत का होता है।”

सम्मेलन में किन मुद्दों पर होगी बात?

G-20 सम्मेलन में पीएम नरेंद्र मोदी तीन अहम सत्रों में हिस्सा ले रहें हैं। इनमें शामिल हैं खाद्य और ऊर्जा सुरक्षा, डिजीटल ट्रांसफॉर्मेशन और स्वास्थ्य। पीएम मोदी दुनियाभर के नेताओं के साथ वैश्विक अर्थव्यवस्था, ऊर्जा, पर्यावरण कृषि और कई अन्य मुद्दों पर भी चर्चा करेंगे। भारत के पास वैश्विक मुद्दों को दुनिया के सामने रखने का यह बड़ा मौका है। भारत ने पहले भी इंटरनेशनल सोलर एलायंस या पिछले साल ग्लासगो में लाइफस्टाइल फॉर इंविरॉनमेंट जैसे विश्व कल्याण के कई मुद्दे उठाए हैं। भारत अब 2023 में अगले जी-20 सम्मेलन की अध्यक्षता कर रहा है और भारत ही इसका एजेंडा भी तय करेगा।

जी-20 समूह क्या है?

G-20 समूह विश्व बैंक एवं अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष के प्रतिनिधि, यूरोपियन यूनियन एवं 19 देशों का एक अनौपचारिक समूह है। साथ में, G20 सदस्य विश्व सकल घरेलू उत्पाद के 80% से अधिक, अंतर्राष्ट्रीय व्यापार के 75% और विश्व की 60% आबादी का प्रतिनिधित्व करते हैं। यह एक मंत्रिस्तरीय मंच है जिसे G-7 द्वारा विकसित एवं विकासशील दोनों अर्थव्यवस्थाओं के सहयोग से स्थापित किया गया था। वर्ष 1999 से वित्त मंत्रियों और केंद्रीय बैंक के गवर्नरों का सम्मेलन आयोजित किया जाता है। वर्ष 2008 के वित्तीय संकट के दौरान दुनिया ने उच्चतम राजनीतिक स्तर पर बाजार अर्थव्यवस्था क्या है एक नई सर्वसम्मति की आवश्यकता को महसूस किया। इसके परिणामस्वरूप यह निश्चय किया गया कि वर्ष में एक बार G-20 राष्ट्रों के नेताओं की बैठक आयोजित की जाएगी। G-20 राष्ट्रों के वित्त मंत्री एवं केंद्रीय बैंक के गवर्नर वर्ष में दो बार बैठक करते हैं जिसमें विश्व बैंक एवं अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष के प्रतिनिधि भी भाग लेते हैं। G-20 समूह में अर्जेंटीना, ऑस्ट्रेलिया, ब्राजील, कनाडा, चीन, यूरोपियन यूनियन, फ्राँस, जर्मनी, भारत, इंडोनेशिया, इटली, जापान, मेक्सिको, रूस, सऊदी अरब, दक्षिण अफ्रीका, दक्षिण बाजार अर्थव्यवस्था क्या है कोरिया, तुर्की, यूनाइटेड किंगडम और संयुक्त राज्य अमेरिका शामिल हैं। स्पेन को एक स्थायी, गैर-सदस्य के रूप में आमंत्रित किया जाता है जो प्रत्येक वर्ष G-20 सम्मेलन में भाग लेता है। वर्तमान में इंडोनेशिया जी-20 की मेजबानी कर रहा है और वर्ष 2023 के लिए भारत जी-20 की मेजबानी करेगा भारत, G20 अध्यक्ष के तौर पर बांग्लादेश, मिस्र, मॉरीशस, नीदरलैंड, नाइजीरिया, ओमान, सिंगापुर, स्पेन और संयुक्त अरब अमीरात को अतिथि देशों के रूप में आमंत्रित करेगा। अध्यक्षता के दौरान भारत, इंडोनेशिया और ब्राजील ट्रोइका का गठन करेंगे। यह पहली बार होगा जब ट्रोइका में तीन विकासशील देश और उभरती अर्थव्यवस्थाएँ शामिल होंगी, जो उन्हें वैश्विक शक्तियों के मध्य बढ़त प्रदान करेंगी। ट्रोइका, G20 के भीतर शीर्ष समूह को संदर्भित करता है जिसमें वर्तमान, पिछले और आगामी अध्यक्ष पद वाले देश (इंडोनेशिया, भारत और ब्राजील) शामिल हैं।

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