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एक पिप कितना है

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ट्रेकोस्टोमी : उपचार, प्रक्रिया, लागत और साइड इफेक्ट्स

ट्रेकोस्टोमी क्या है?‎ ट्रेकोस्टोमी का इलाज कैसे किया जाता है?‎ ट्रेकोस्टोमी के इलाज के लिए कौन पात्र है? उपचार के लिए कौन पात्र नहीं है?‎ क्या इसके कोई भी साइड इफेक्ट्स हैं?‎ उपचार के बाद दिशानिर्देश क्या हैं?‎ ठीक होने में कितना समय लगता है? भारत में इलाज की कीमत क्या है?‎ क्या उपचार के परिणाम स्थायी हैं? उपचार के विकल्प क्या हैं?‎

ट्रेकोस्टोमी क्या है?‎

ट्रेकोस्टोमी एक चिकित्सीय प्रक्रिया है जिसमें गर्दन के पूर्ववर्ती भाग पर एक चीरा बनाने और ‎व्यक्ति को विंडपिप या ट्रेकेआ में ट्यूब डाली जाती हैं. ट्यूब को मुखर तारों के नीचे ‎गर्दन में एक कट के माध्यम से डाला जाता है जो हवा को फेफड़ों में प्रवेश करने की अनुमति देता है. तब मुंह, नाक ‎और गले को छोड़कर, ट्रेसील ट्यूब या ट्रेकोस्टोमी ट्यूब के माध्यम से श्वास किया जाता है. ट्रेकोस्टोमी करने के कई कारण हैं. यह तब किया जाता है जब फेफड़ों में हवा का सामान्य गुजरना अवरुद्ध हो ‎जाता है. ट्रेकोस्टोमी की आवश्यकता उत्पन्न होने वाली स्थितियां एनाफिलैक्सिस, वायुमार्ग के जन्म दोष, ट्रेकेआ की जलन या कैंसरजन्य वस्तुओं के इनहेलेशन से वायुमार्ग, गले के कैंसर, ‎पुरानी फेफड़ों की बीमारी, डायाफ्राम खराब होने, चेहरे की जलन, ट्रेकेआ का इन्फेक्शन, छाती में चोट लगना, ‎सांस लेने में परेशानी के कारण लंबे समय तक श्वसन समर्थन की आवश्यकता है, एक वस्तु की उपस्थिति के कारण ‎ट्रेकेआ में बाधा, अवरोधक नींद एपेना, भोजन निगलने में मांसपेशियों का पक्षाघात, एक पिप कितना है गंभीर मुंह और गर्दन की ‎चोट, ट्यूमर ट्रेकेआ और मुखर कॉर्ड पक्षाघात में. एक ट्रेकोस्टोमी ट्यूब में बाहरी कैनुला या मुख्य शाफ्ट, और आंतरिक कैनुला और एक प्राप्तकर्ता होता है. प्राप्तकर्ता ‎का उपयोग तब किया जाता है जब ट्रेकोस्टोमी ट्यूब डाली जाती है ताकि बाहरी कैनुला की नियुक्ति का मार्गदर्शन ‎किया जा सके और बाहरी कैनुला ठीक से रखा जा सके. चूंकि स्राव बाहरी कैनुला में बनता है, इसलिए एक ‎आंतरिक कैनुला भी लगाया जाता है जब पूर्व सफाई के लिए हटा दिया जाता है. ट्यूब के अंत में इन ट्यूबों में कफ ‎या गुब्बारे उचित जगह में सुरक्षित करने के लिए हो सकता है. एक ट्रेकोस्टोमी ट्यूब के शरीर के साथ ‎छेद हो सकता है, ताकि लारनेक्स के माध्यम से हवा पार हो सके जिससे बदले में व्यक्ति बोल सके.

ट्रेकोस्टोमी का इलाज कैसे किया जाता है?‎

इस शल्य चिकित्सा उपचार की शुरुआत में, एनेथेसिया का उपयोग किया ‎जाता है, ताकि रोगी सो जाए और दर्द महसूस न करे. उस जगह को स्थिर रखने के लिए आपात स्थिति के समय ‎लोकल एनेथेसिया‎ दिया जाता है. यह ध्यान में रखा जाना चाहिए कि सर्जरी शुरू होने से ‎पहले गर्दन को साफ रखा जाना चाहिए किसी भी बिमारी के इलाज के लिए सबसे ज़्यादा ज़रूरी है सबसे पहले उस बीमारी के कारण का पता लगाना उसके बाद उस बीमारी का सही से इलाज हो पता है इलाज के साथ साथ मरीज़ को सही देखभाल की भी बहुत ज़्यादा ज़रूरत होती है और उसके लिए डॉक्टर के बताये गए निर्देशों का पालन करना आवयशक है क्योकि इनके द्वारा ही वो एक स्वस्थ जीवन की कल्पना कर सकता है .

एनेथेसिया का काम शुरू होने के बाद, सर्जरी शुरू होती है. रोगी को कंधे के नीचे रखे कुशन के साथ ‎मेज पर अपनी पीठ के सहारे बैठाया जाता है ताकि सिर को झुकाव में रखा जा सके. एक पेनी सुई की मदद से सर्जन ‎द्वारा ट्रेकेआ खोला जाता है. कटौती एडम के ऐप्पल और ब्रेस्टबोन के शीर्ष के ठीक नीचे की जाती है. कट ट्रेकेआ ‎की बाहरी दीवार की उपास्थि अंगूठी के माध्यम से जाता है.

तब छेद को ट्यूब रखने के लिए पर्याप्त हेमोस्टैटिक फोरसेप्स की सहायता से इथ्मस ‎थायराइड ग्रंथि को क्लैंप करके काटा जाता है. एक बार गले को खुलने के बाद ब्लीडिंग को कंट्रोल करने के लिए ‎हेमोस्टैटिक फोरसेप्स का उपयोग किया जाता है. एक धातु या प्लास्टिक ट्यूब, जो ट्रेकेआ ‎के रूप में काम करने वाली है, को गले में बने कट में रखा जाता है. इस ट्यूब को ट्रेकोस्टोमी ट्यूब के रूप में जाना ‎जाता है. यह वास्तविक ट्रेकेआ की तरह कार्य करता है जिससे व्यक्ति सांस ले सकता है. फेफड़ों में ऑक्सीजन लाने ‎के लिए ट्यूब से एक यांत्रिक वेंटिलेटर लगाया जा सकता है. गले में खुलने के बाहरी हिस्से पर एक ड्रेसिंग की जाती ‎है. ट्यूब को उचित जगह पर रखने के लिए टेप या स्टिच का उपयोग किया जाता है. अंत में, गर्दन और छाती क्षेत्र कीटाणुशोधन की जाती है और उस क्षेत्र में सर्जिकल ड्रेप्स लगाए जाते हैं जो एक बाँझ ‎सर्जिकल क्षेत्र स्थापित करते हैं.

ट्रेकोस्टोमी के इलाज के लिए कौन पात्र है?

एक व्यक्ति जो अपने मौजूदा विंडपाइप के माध्यम से सामान्य रूप से सांस लेने में असमर्थ है उसे इस सर्जरी को ‎लेने के लिए कहा जाता है. ट्रेकोस्टोमी किसी भी व्यक्ति द्वारा किया जा सकता है जो श्वसन प्रणाली के हिस्सों, ‎विशेष रूप से वायुमाइप या फेफड़ों के खराब होने के कारण सामान्य रूप से सांस नहीं ले सकता है. इसके अलावा ‎चोटों वाले लोग जो सामान्य रूप से सांस नहीं ले सकते हैं, उन्हें इस सर्जरी करने के लिए कहा जाता है.

उपचार के लिए कौन पात्र नहीं है?‎

जिन लोगों के पास श्वसन तंत्र में कोई असामान्यता नहीं है, या जो लोग बिना किसी गंभीर श्वास की समस्याओं के ‎ठीक से सांस ले सकते हैं, उन्हें इस शल्य चिकित्सा उपचार की आवश्यकता नहीं है.

क्या इसके कोई भी साइड इफेक्ट्स हैं?‎

गंभीर ब्लीडिंग ट्रेकोस्टोमी के सबसे आम तत्काल साइड इफेक्ट्स में से एक है. इसके अलावा, जो ट्यूब डाली गई है उसे ‎ब्लड क्लोट्स, श्लेष्म, या वायुमार्ग की दीवारों के दबाव से ब्लाक किया जा सकता है. ट्रेकोस्टोमी के बाद दीर्घकालिक साइड इफेक्ट्स भी हो सकते हैं. विंडपाइप (जिसमें ट्यूब डाली जाती है) इन्फेक्शन के ‎कारण बैक्टीरिया जमावट या ट्रेकोस्टोमी ट्यूब की दीवारों के किनारे उच्च वायु दाब के कारण स्थायी रूप से क्षतिग्रस्त ‎हो सकती है. कभी-कभी ट्यूब हटा दिए जाने के बाद उद्घाटन अपने आप बंद नहीं होता है. ऐसी स्थितियां गले में ‎समस्याएं पैदा कर सकती हैं.

इस उपचार के दौरान थायरॉइड ग्लैंड डैमेज हो सकती हैं. फेफड़े पेंचर या फेफड़ों का पतन भी हो सकता है. ‎ट्रेकोस्टोमी के कारण मृत्यु भी हो सकती है, लेकिन प्रतिशत 5% से कम है.

उपचार के बाद दिशानिर्देश क्या हैं?‎

चूंकि ट्रेकोस्टोमी एक जटिल सर्जरी है, इसलिए इस सर्जरी से गुजरने वाले लोगों को कुछ दिशानिर्देशों का पालन ‎करना पड़ता है. सबसे महत्वपूर्ण नियम गले में डाली गई नई ट्यूब के माध्यम से सांस लेने के लिए उपयोग किया ‎जा रहा है. एक व्यक्ति को ट्रेकोस्टोमी ट्यूब में अनुकूलित करने में एक से तीन दिन लगते हैं. बात करते हुए और ‎ध्वनि बनाने के साथ-साथ इस ट्यूब के माध्यम से सांस लेने में समय और अभ्यास लगता है. ऐसा इसलिए है ‎क्योंकि जिस श्वास में सांस ली जाती है वह अब ध्वनि बॉक्स से गुजरती नहीं है. ट्यूब को कवर करने वाले कुछ ‎लोगों के लिए बात करने में मदद मिलती है.

इसके अलावा, विशेष वाल्व ट्रेकोस्टोमी ट्यूब से जुड़ा जा सकता है. ये एक पिप कितना है वाल्व हवा को प्रवेश करने और मुंह और ‎नाक से बाहर निकलने की अनुमति देते हैं जबकि व्यक्ति बात कर रहा है और इसलिए व्यक्ति को किसी भी बाधा के ‎बिना बोलने की अनुमति मिलती है.

ठीक होने में कितना एक पिप कितना है समय लगता है?

ट्रेकोस्टोमी के इलाज के बाद, रोगी को अस्पताल में अधिकतम 5 दिनों तक रहना पड़ता है और इसे पूरी तरह से ‎ठीक करने में लगभग दो सप्ताह लगते हैं. गले में किए गए कटौती के बाद, किसी भी संक्रमण से बचने के लिए ‎व्यक्ति को सावधान रहना पड़ता है. ट्यूब के किसी भी तरह का नुकसान इसके पास स्थित अन्य अंगों को प्रभावित ‎कर सकता है. तो इस सर्जरी से गुज़र चुके व्यक्ति को इसके बारे में बहुत सावधान रहना चाहिए.

भारत में इलाज की कीमत क्या है?‎

भारत में ट्रेकोस्टोमी के शल्य चिकित्सा उपचार की कीमत 33,80,000 से 6,00,000 रुपये है. ‎

क्या उपचार के परिणाम स्थायी हैं?

ट्रेकोस्टोमी एक शल्य चिकित्सा है जिसमें ट्यूब फिट होने के बाद रोगी पर स्थायी परिणाम होते हैं. ट्यूब को ‎रोगियों द्वारा स्वयं संभाला जाना चाहिए. डॉक्टरों को ट्यूब की रखरखाव और सफाई के संबंध में प्रभावित ‎व्यक्तियों को सूचित करना चाहिए.

उपचार के विकल्प क्या हैं?‎

बिफासिक कुइरास वेंटिलेशन एक नॉन -इनवेसिव मैकेनिकल वेंटिलेशन है जो रोगियों को श्वसन समर्थन का वैकल्पिक तरीका प्रदान कर सकता है. ‎इसमें गले की सर्जरी शामिल नहीं है जो विभिन्न जटिलताओं का कारण बन सकता है.

किसानों को अब ड्रिप सिस्टम लगाने 70 प्रतिशत अनुदान, 17 हजार ही खर्च आएगा

औसत बारिश लगातार घट रही है। जिसके कारण किसानों को खेती करने में समस्या हो रही है। इसी वजह से किसानों को संसाधन खरीदी के लिए लगने वाली राशि के अनुदान को 50 से 70 प्रतिशत तक बढ़ा दी गई है। एक एकड़ जमीन पर ड्रिप सिस्टम सिंचाई सुविधा के लिए 57 हजार रुपए की लागत आती है। उद्यानिकी के माध्यम से खेतों में सिस्टम लगाने वाले किसानों को मात्र 17 हजार रुपए लगाना पड़ेगा। शेष 40 हजार की राशि शासन से प्रदान की जाएगी।

अनुदान योजना में सबसे बड़ी राहत सिंचाई के लिए शासन ने दी है, जिसके तहत किसान अब कम लागत वाले योजना में अधिक अनुदान प्राप्त कर सकते हैं। ड्रिप सिस्टम खरीदी के लिए 70 फीसदी अनुदान का लाभ से किसानों को प्रेरित किया जा रहा है। किसानों को इससे न केवल सूखा से निपटने बल्कि कम बारिश की स्थिति में भी बेहतर फसल लेने में सहयोग मिलेगा। विभाग से कम पानी में अधिक फसल प्राप्त करने को बढ़ावा देने के लिए ड्रिप सिंचाई सिस्टम को बढ़ावा दिया जा रहा है। इसका ज्यादातर उपयोग सब्जी, फसल व मसाला जैसे मिर्च, हल्दी, लहसुन, अदरक के लिए किया जाता है।

इस साल 164 हेक्टेयर लक्ष्य
वर्ष 2018-19 के राज्य पोषित सूक्ष्म सिंचाई व पीएम कृषि सूक्ष्म सिंचाई ड्रिप 164 हेक्टेयर का लक्ष्य उद्यानिकी विभाग के लिए रखा गया है। विभाग की मानें तो योजना आगामी वर्ष में भी जारी रहेगी। मैदानी क्षेत्र में सब्जी की खेती करने वाले किसान लंबी दूरी के जलस्रोत से भी पानी की आपूर्ति कर सिंचाई का लाभ ले सकेंगे। सहकारी बैंक से शासन ने शून्य प्रतिशत ब्याज में ऋण देना स्वीकृत किया है।

पानी का नहीं होगा दुरुपयोग
आमतौर पर कूप व तालाब सिंचाई योजना से हजारों क्यूसेक पानी का दुरुपयोग होता है। जल स्त्रोत स्थल से क्यारी के माध्यम से फसल तक पानी पहुंचाने में सोखता के तौर पर पानी बर्बाद होता है। ड्रिप सिस्टम में पाइप बिछाकर पौधों को उतना ही पानी दिया जाता है जितना की आवश्यकता होती है। ड्रिप सिंचाई से कम जल स्त्रोत वाले स्थानों से बेहतर फसल लिया जा सकता है।

नल और टंकी (Pipes and Cisterns)

गणित में नल और टंकी से सम्बंधित प्रश्नों को हल करने के जो ट्रिक्स और और लॉजिक्स का प्रयोग होता है वही ट्रिक्स और लॉजिक्स समय और कार्य के प्रश्नो को हल करने के लिए हम पिछले अध्याय में कर चुके हैं। अतः अगर अपने अभी तक समय और कार्य के अध्याय को नहीं पढ़ा है तो पहले उसे पढ़ लें। समय और कार्य के Topics को पढ़ने से आपको 90 % प्रश्न नल और टंकी से सम्बंधित स्पस्ट हो जाएँगे।

नल और टंकी की शार्ट - ट्रिक्स (Pipes and Cisterns Short Tricks in Hindi-Mathematics)

नल और टंकी से सम्बंधित प्रश्नों को हल करने के लिए महत्त्वपूर्ण नल और टंकी की शार्ट-ट्रिक्स को हमने उदाहरण के द्वारा समझाने का प्रयास किया है जोकि निम्नलिखित है।

नल A तथा नल B किसी टंकी को भरने में क्रमश: 12 तथा 18 घंटे का समय लेते हैं यह दोनों नल एक साथ खोल दिया जाए तो टंकी को भरने में कितना समय लगेगा?

नल और टंकी शार्ट ट्रिक्स ( Steps to Solve Pipes and Cisterns Questions with Short Tricks in Hindi)

नल और टंकी के प्रश्नो को हल करने के सर्वप्रथम चित्रानुसार नल A और नल B को लिखेंगे नल A टंकी को भरने में 12 घंटे का समय लेता है इसलिए 12 नल A के नीचे लिखेंगे और नल B टंकी को भरने में 18 घंटे का समय लेता है इसलिए 18 नल B के नीचे लिखेंगे

अब 36 को 12 से भाग देने पर 3 आएगा तो 3 unit चित्रानुसार बाएं ओर लिखेंगे तथा 36 को 18 से भाग देने पर 2 आएगा तो 2 unit चित्रानुसार दाएं ओर लिखेंगे

नल A तथा नल B किसी टंकी को भरने में कक्षा 15 और 25 घंटे मैं भर सकते हैं यह दोनों नल एक साथ खोले जाएं तो टंकी को भरने में कितना समय लगेगा?

=9.375 घंटे Answer

नल A किसी हौज को 10 घंटे में भर सकता है जबकि नल B उसे 15 घंटे में खाली कर सकता है जब हौज पूर्णता खाली हो एवं दोनों नल एक साथ खोल दिया जाए तो हौज भरने में कुल कितना समय लगेगा?

नल A किसी हौज को 25 घंटे में भर सकता है तथा नल B उसे 20 घंटे में खाली कर सकता है जब हौज पूर्णता भरा हुआ हो वह तथा दोनों नल एक साथ खोल दिए जाएं तो हौज पूर्णता खाली होने में कितना समय लगेगा?

- चिन्ह यह दर्शाता है की टंकी खली हुई है

अतः टंकी को खली होने में लगा समय 100 घंटे Answer

किसी हौज को दो नल A और B अलग-अलग क्रमशा 4 एवं 5 घंटे में भर सकते हैं जबकि 30 नल C उसे 3 घंटे मैं खाली कर सकता है यदि तीनो नल एक साथ खोल दिया जाए तो 4/5 भरे भाग को भरने या खाली करने में कितना समय लगेगा?

अतः पूरी टंकी को भरने में 60/7 घंटे लगेंगे

चूँकि टंकी का 4/5 भाग पहले से भरा हुआ है

अतः टंकी का शेष भाग 1-(4/5) = 1/5

अतः 1/5 भाग को भरने में लगा समय =1/5 x 60/7

=2.4 घंटे Answer

नल और टंकी के प्रश्न (Questions on Pipes and Cisterns in Hindi)

प्रश्न . 1: दो नल A और B एक टैंक को क्रमशः 5 घंटे और 20 घंटे में भर सकता है। यदि दोनों नल खोल दिये जाये, टैंक में रिसाव होने के कारण भरने में 30 मिनट अधिक लगते है। यदि टैंक पूरा भरा हो एक पिप कितना है तो रिसाव से टैंक कितने समय में खाली हो जायेगा?

प्रश्न . 2: दो पाइप एक टंकी को क्रमशः 12 घंटे और16 घंटे में भर सकते है। जबकि तीसरा पाइप उसको 20 घंटे में खाली कर सकता है। यदि ये तीनों पाइप एक साथ काम करे तो टंकी भरने का समय क्या है?

प्रश्न . 3: एक टंकी जिसमें तली में छेद है, 15 घंटे में भरती है। जब टंकी में छेद न हो तो यह 12 घंटे में भरती है। यदि टंकी भरी हो तो छेद द्वारा कितने समय में खाली हो सकती है?

प्रश्न . 4: एक पाइप एक पानी की टंकी को दूसरे पाइप की अपेक्षा तीन गुना तेजी से भरती है। यदि दोनों पाइप खाली टंकी को 36 मिनट में भर सकती है तो धीमी गति वाली पाइप से अकेले भरने में कितना समय लगेगा?

प्रश्न . 5: एक टैंक सामान्यतः बहाव से तीन पाइपों से भरता है। प्रथम दो पाइप एक साथ टैंक का उतने समय में भरती है जिसने समय में तीसरे पाइप अकेले भरती है। दूसरी पाइप, पहली पाइप से 5 घंटे तेज और तीसरी पाइप से 4 घंटे कम में भरती है, तो पहली पाइप से लगा समय है-

एक टंकी में दो नल A तथा B लगे हुए हैं नल A उसको को 30 घंटे में भर देता है जबकि नल B 5 लीटर \ मिनट की दर से उस टंकी में से पानी निकालता है जब टंकी पूर्णत: भरी हुई हो तथा दोनों नल एक साथ खोल दिया जाए तो 7 घंटे में टंकी पूर्णत: खाली हो जाती है टंकी की क्षमता बताएं

एक हौज मे दो नल A तथा B लगे हुए हैं नल A 4 लीटर प्रति मिनट की दर से हौज मैं पानी भरता है जबकि नल B भरे हुए हौज को 40 घंटे में खाली कर सकता है जब हौज पूर्णता खाली हो तथा दोनों ने एक साथ खोल दिया जाए तो 120 घंटे में हौज पूर्णत: भर जाता है हौज की क्षमता बताएं

नल A और नल एक पिप कितना है B एक टैंक को क्रमशः 12 मिनट और 15 मिनट में भर सकते है। और नल C इसको 6 मिनट में खाली कर सकता है। नल A और नल B पहले खोले गये और 5 मिनट बाद नल C भी खोला गया, तो टैंक कितने समय में खाली हो जायेगा?

Nozzle क्या है ? ये कितने के प्रकार के होते है ?

नमस्कार दोस्तों ; आप यदि किसी भी फील्ड में जॉब कर रहे या आप अपना कोई बिज़नेस कर रहे है आपने नोजल का उपयोग होते हुए हर जगह देखा होगा जैसे की स्टोव ,स्टोव तो आप सबने देखा होगा या स्टोव का इस्तेमाल किये होंगे।

लेकिन क्या आपको पता है स्टोव में भी नोजल होता है या फिर कोई वैक्यूम क्लीनर से कोई ऑफिस या इंडस्ट्रीज साफ करते देखे होंगे या आप अपना कोई बाइक या कार का साफ सफाई वैक्यूम क्लीनर से किये होंगे तो क्या आपको पता है वैक्यूम क्लीनर में भी नोजल लगा होता है।

इसीलिए ये जानना जरुरी हो जाता है की नोजल क्या है ? ये कितने प्रकार के होते है?


तो आईये समझते है -

नोजल क्या है ?

नोजल एक ऐसा उपकरण है, जब द्रव या गैस किसी क्लोज्ड चैम्बर या पाइप के माध्यम से प्रवाह करता है तब द्रव या गैस की दिशा एक पिप कितना है या विशेषताओं को नियंत्रित करता है।

एक नोजल अलग अलग अनुभागीय क्षेत्र के एक पाइप या ट्यूब का होता है, और इसका उपयोग किसी द्रव या गैस के प्रवाह ,गति ,दिशा,आकर या दबाब को आसानी से निर्देशित या उसे संशोधित करने एक पिप कितना है के लिए किया जाता है।

नोजल के प्रकार

अभिसरण नोजल ( Convergent Nozzle )

एक अभिसरण नोजल एक नोजल है जो बड़ा अनुभागीय क्षेत्र से शुरू होता है और उसका अनुभागीय क्षेत्र धीरे धीरे छोटा होते जाता है।

जैसे ही द्रव छोटे अनुभागीय क्षेत्र में प्रवेश करता है, द्रव्यमान के संरक्षण के कारण इसे गति देना पड़ता है।

अभिसरण नोजल के प्रतिबंधित हिस्से के माध्यम से द्रव की एक निरंतर मात्रा को बनाए रखने के लिए, द्रव या गैस को हमेशा तेजी से आगे बढ़ना पड़ता है।

विचलन नोजल ( Divergent Nozzle )

विचलन नोजल अभिषरण नोजल के ठीक उल्टा होता है जिसका अनुभागीय क्षेत्र प्रवाह की दिशा में बड़ा हो जाता है।

अभिसरण/विचलन नोजल (Convergent/Divergent Nozzle)

अभिसरण /विचलन नोजल को डी लावल नोजल भी कहा जाता है जो (या कंवर्जेंट-डाइवर्जेंट नोजल) एक ट्यूब होता है जिसे बीच में पिन किया जाता है, ये असममित घंटाकार आकार का बना होता है।

इसका उपयोग प्रवाह की उष्मीय ऊर्जा को गतिज ऊर्जा में परिवर्तित करके एक गर्म दबाव वाली गैस को तेज करने के लिए किया जाता है, जो अक्षीय दिशा में एक उच्च सुपरसोनिक गति से गुजरती है।


इस वजह से, अभिसरण /विचलन नोजल का व्यापक रूप से कुछ प्रकार के स्टीम टरबाइन और रॉकेट इंजन नोजल में उपयोग किया जाता है।

अभिसरण /विचलन नोजल सुपरसोनिक जेट इंजन में भी उपयोग होता है।

अभिसरण / डाइवर्जेंट नोजल का इतिहास

जियोवन्नी बतिस्ता वेंचुरी , इनका जन्म 15 मार्च, 1746 में बिबियानो, इटली में हुआ था उन्होंने वेंचुरी ट्यूब के रूप में जानी जाने वाली कंवर्जिंग-डाइवरिंग ट्यूब को डिजाइन एक पिप कितना है किया।

बाद में, स्वीडिश इंजीनियर गुस्ताफ डी लावल ने अपने स्वयं के अभिसरण नोजल डिज़ाइन को वर्ष 1888 में अपने आवेग टरबाइन पर उपयोग के लिए लागू किया। उसके बाद लावल के कन्वर्जेंट-डाइवर्जेंट नोजल को पहली बार रॉबर्ट गोडार्ड द्वारा रॉकेट इंजन में लगाया गया था।

अभी जयादार आधुनिक रॉकेट इंजन जो गर्म गैस दहन का उपयोग करते हैं, उसमे डी लावल नोजल का उपयोग होता हैं।

उसके बाद जर्मन इंजीनियर और आविष्कारक अर्नस्ट कोर्टिंग ने 1878 तक अपने स्टीम जेट पंपों में अभिसरण नलिका एक पिप कितना है का उपयोग करने के बाद कथित रूप से एक नलिका में स्विच किया, लेकिन ये नलिका एक कंपनी की गुप्त बना रही थी।

जेट नोज़ल

जेट नोजल को गैस जेट, द्रव जेट, या हाइड्रो जेट नोजल भी कहा जाता है जिसका उद्देश्य गैस या तरल पदार्थ को आसपास के माध्यम में एक संतुलित धारा में बाहर निकालना होता है।

जेट नोजल आमतौर पर गैस स्टोव, ओवन में उपयोग होते है।


प्रोपेलिंग नोजल

दहनशील ईंधन से प्राप्त ऊर्जा से एक शुद्ध बल का उत्पादन होता है जिसे सम्मिलित हवा में जोड़ा जाता है।

यह गर्म हवा एक उच्च गति वाली नोजल से होकर गुजरती है, जो कि गतिज ऊर्जा को बढ़ाती है। वैसी नोजल प्रोपेलिंग नोजल कहलाती है।

स्प्रे नोजल

स्प्रे नोजल आमतौर पर स्प्रे पेंटिंग, परफ्यूम , कार्बोरेटर या फिर किसी व्हीकल में कंबस्शन या गिलास क्लीनर इत्यादि के लिए उपयोग किया जाता है।

शेपिंग नोजल

शेपिंग नोजल का उपयोग आमतौर पर किसी विशेष आकर की धारा उत्पादन के लिए किया जाता है जैसे की प्लास्टिक इंडस्ट्रीज एक पिप कितना है में किसी मोल्डिंग धातु या प्लास्टिक की लंबाई के उत्पादन के लिए किया जाता है।


वैक्यूम नोजल

वैक्यूम क्लीनर नोजल कई अलग-अलग आकार में आते हैं। वैक्यूम क्लीनर का उपयोग आमतौर पर वैक्यूम क्लीनर में किया जाता है।

Conclusion : आशा करता हूँ दोस्तों आपको नोजल से सम्बंधित सारे सवालों का जवाब आपको मिल गया होगा।

यदि फिर भी आपके मन में कोई सवाल हो या कोई confusion हो तो कमेंट करके जरूर बताये।

और हमारा आर्टिकल कैसा लगा कमेंट करके जरूर बताये और अपने दोस्तों के साथ जरूर शेयर करे।

तिरंगे का कितना होता है आकार, जानें राष्ट्रध्वज को बनाने और लगाने के नियम

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पंद्रह अगस्त को देश को स्वतंत्र हुए 75 वर्ष पूरे हो जायेंगे. इस वर्ष देश 76वां स्वतंत्रता दिवस मना रहा है. 15 अगस्त, 2022 को देश को आजाद हुए 75 वर्ष पूरे हो जाएंगे. आजादी के 75 वर्ष के उपलक्ष्य में भारत सरकार "आजादी का अमृत महोत्सव " मना रहा है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आजादी के 75 वर्ष के उपलक्ष्य में 'हर घर तिंरगा' अभियान शुरू किया है. उन्होंने हर नागरिक से अपील की है कि वे अपने फेसबुक औऱ ट्वीटर प्रोफाइल पर तिरंगा लगाए. हर नागरिक से यह भी अपील है कि वे अपने घरों पर भी तिरंगा ध्वज लगाए.

सोशल मीडिया पर भी राष्ट्रीय ध्वज तिंरगा को लेकर अभियान चलाया जा रहा है. युवाओं में तिरंगे को लेकर उत्साह और जुनून साफ देखा जा सकता है. अगस्त का महीना आते ही फिजाओं में आजादी की महक घुल जाती है. आजादी के लिए वो संघर्ष, वो आंदोलन एक पिप कितना है और अंग्रेजों की गुलामी की जंजीरें तोड़ने की वो जद्दोजहद हम सभी को फिर से याद आने लगती है. आजादी की जंग और उसके बाद आजादी को बनाए रखने में राष्ट्रध्वज यानी तिरंगे का भी बड़ा योगदान है. ऐसे में हम आज तिरंगे की कहानी को बताते हैं.

आजादी के पहले देश के सरकारी इमारतों पर इग्लैंड का झंडा-यूनियन जैक फहराता था. तब भारतीयों को तिरंगा रखने पर सजा हो जाती थी. इसी तिरंगे की खातिर हमारे देश के हजारों सपूत हंसते-हंसते फांसी पर चढ़ गए थे और इसी तिरंगे की शान की खातिर भगत सिंह जैसे क्रांतिकारियों ने अपना बलिदान दिया. इसी तिरंगे को फहराकर पंडित जवाहर लाल नेहरू15 अगस्त 1947 को देशवासियों को गुलामी के युग से आजादी के नए सवेरे में लेकर आए थे. आज तिरंगा हमारे फौजियों की आन-बान और शान है. इसी तिरंगे के लिए वह अपनी जान की बाजी लगाने से भी परहेज नहीं करते. इसी तिरंगे को लहराकर खेलों में गोल्ड मेडल जीतने वाले खिलाड़ी गर्व से सीना चौड़ा करते हैं. तिरंगा हर भारतीय का गर्व है. हर भारतीय तिरंगे को धारण करना चाहता है. लेकिन तिरंगे को धारण करने के कुछ नियम हैं, जो हम सभी को मानने जरूरी हैं.

राष्ट्रध्वज को लेकर नियम-कायदे

समय-समय पर सरकारों ने राष्ट्रध्वज को लेकर नियम-कायदे जारी किए हैं. जिन्हें मानना हर नागरिक के लिए अनिवार्य है. इसके अलावा राष्ट्रध्वज एम्बलेम्स एंड नेम्स (प्रिवेंशन ऑफ इम्प्रॉपर यूज) एक्ट, 1950 और प्रिवेंशन ऑफ इंसल्ट टू नेशनल ऑनर एक्ट, 1971 के तहत राष्ट्रध्वज के इस्तेमाल को एक पिप कितना है नियंत्रित किया जाता रहा है. इस तरह के सभी कानूनों, दिशा-निर्देशों, परंपराओं और प्रथाओं को एक साथ लाने की एक कोशिश फ्लैग कोड 2002 है. फ्लैग कोड ऑफ इंडिया 2002 को साल 2002 में 26 फरवरी से देशभर में लागू कर दिया गया और इससे पहले के सभी फ्लैग कोड स्वत: निरस्त हो गए.

कैसे बनता है तिरंगा

तिरंगा तीन आयताकार हिस्सों से मिलकर बना है. इन तीन रंग के आयतों की लंबाई-चौड़ाई बिल्कुल बराबर है. राष्ट्रध्वज में सबसे ऊपर केसरिया रंग है. इसमें सबसे नीचे का आयत हरे रंग का और दोनों के बीच सफेद रंग का आयत है. तिरंगे के बीचों-बीच सफेद रंग के आयत में नीले रंग में अशोक चक्र है. इस चक्र में बराबर दूरी और एक ही डिजाइन की 24 तीलियां हैं.

राष्ट्रध्वज में किस कपड़ें का होता है उपयोग

भारत का राष्ट्रध्वज तिरंगा हाथ से बुने हुए सूत, रेशम और ऊन की खादी पट्टी से बना होता है. भारत के राष्ट्रध्वज की लंबाई-चौड़ाई की बात करें तो यह हमेशा 3:2 में होता है. इसका मतलब यह कि अगर लंबाई 3 इंच है तो चौड़ाई 2 इंच ही होगी.

ओहदे के अनुसार कार पर लगे झंडे का आकार

व्यक्ति के पद और वह किस स्थान पर है, इसी के अनुसार राष्ट्रध्वज का आकार भी तय होता है. देश के राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्टों के जज, तीनों सेनाओं के अध्यक्ष, राज्यों के राज्यपाल और मुख्यमंत्री आदि VVIP की लिस्ट में आते हैं. हालांकि, यह लिस्ट और भी बड़ी हो सकती है.

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