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डॉलर और रुपये के बीच चल क्या रहा है?

डॉलर और रुपये के बीच चल क्या रहा है?
आर्थिक मामलों के जानकारों के मुताबिक रुपये पर अमेरिकी फेडरल रिजर्व के ब्याज दरें बढ़ाने का नाकारात्मक प्रभाव देखने को मिल रहा है। इन बाजारों से डॉलर की खरीद बढ़ने के चलते देश की करेंसी रुपया लाल निशान में फिसलता जा रहा है। इनके साथ ही अन्य एशियाई करेंसी की गिरावट से एशियाई बाजारों का रुझान पता चल रहा है जो इनके साथ भारतीय करेंसी रुपये के लिए भी गिरावट का कारण बन रही है।

Rupee at Record Low

रुपये पांच पैसे और टूटकर 81.79 प्रति डॉलर पर

मुंबई, 21 नवंबर (भाषा) घरेलू शेयर बाजार में कमजोरी के रुख और विदेशी बाजारों में डॉलर के मजबूत होने से अंतरबैंक विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में सोमवार को अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपया पांच पैसे की गिरावट के साथ 81.79 प्रति डॉलर डॉलर और रुपये के बीच चल क्या रहा है? पर बंद हुआ।

कोविड-19 के बढ़ते मामले और उसके पश्चात चीन में लगाये गये प्रतिबंधों के कारण सुरक्षित निवेश के रूप में मांग बढ़ने से विदेशी बाजारों में डॉलर में तेजी आई।

अंतरबैंक विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में रुपया तेजी के साथ 81.84 पर खुला। कारोबार के दौरान रुपया 81.74 के दिन के उच्चस्तर और 81.91 के निचले स्तर को छूने के बाद अंत में अमेरिकी मुद्रा के मुकाबले पांच पैसे की गिरावट के साथ 81.79 प्रति डॉलर पर बंद हुआ।

रुपया शुक्रवार को 10 पैसे की गिरावट के साथ 81.74 प्रति डॉलर पर बंद हुआ था।

बीएनपी पारिबा बाय शेयरखान में अनुसंधान विश्लेषक अनुज चौधरी ने कहा कि कमजोर घरेलू बाजारों और मजबूत डॉलर के कारण रुपये में गिरावट आई। विदेशी संस्थागत निवेशकों की निकासी से रुपये पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा।

रुपये के 81.09 प्रति डॉलर पहुंचने के बाद वित्त मंत्री बोलीं- दूसरी मुद्राओं की तुलना में मज़बूत है

डॉलर के मुकाबले रुपये की क़ीमत के रिकॉर्ड स्तर पर गिरने के बाद भारतीय मुद्रा की स्थिति को लेकर जताई जा रही चिंताओं के बीच वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि गिरावट के मौजूदा दौर डॉलर और रुपये के बीच चल क्या रहा है? में डॉलर के मुक़ाबले अन्य मुद्राओं की स्थिति पर भी अध्ययन करने की ज़रूरत है. The post रुपये के 81.09 प्रति डॉलर पहुंचने के बाद वित्त मंत्री बोलीं- दूसरी मुद्राओं की तुलना में मज़बूत है appeared first on The Wire - Hindi.

डॉलर के मुकाबले रुपये की क़ीमत के रिकॉर्ड स्तर पर गिरने के बाद भारतीय मुद्रा की स्थिति को लेकर जताई जा रही चिंताओं के बीच वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि गिरावट के मौजूदा दौर में डॉलर के मुक़ाबले अन्य मुद्राओं की स्थिति पर भी अध्ययन करने की ज़रूरत है.

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण. (फोटो: पीटीआई)

पुणे: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शनिवार को कहा कि दुनिया की अन्य मुद्राओं की तुलना में रुपया अमेरिकी डॉलर के मुकाबले कहीं अधिक मजबूती से खड़ा रहा है.

डॉलर के मुकाबले रुपये की कीमत के रिकॉर्ड स्तर पर गिर जाने के बाद भारतीय मुद्रा की स्थिति को लेकर जताई जा रही चिंताओं के बीच सीतारमण ने कहा कि भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) और वित्त मंत्रालय रुपये की स्थिति पर लगातार करीबी नजर रखे हुए हैं.

विपक्ष ने साधा था मोदी सरकार पर निशाना

गुरुवार को कांग्रेस ने डॉलर के मुकाबले रुपये के अपने सर्वकालिक निचले स्तर पर पहुंचने के बाद नरेंद्र मोदी सरकार पर निशाना साधा और भारतीय रिजर्व बैंक के एक कथित परिपत्र (सर्कुलर) का हवाला देते हुए आरोप लगाया कि मोदी सरकार अपने कदमों से स्थिति सुधारने की बजाय आग में घी डाल रही है.

पार्टी प्रवक्ता गौरव वल्लभ ने दावा किया था कि मोदी सरकार के उस फैसले से रुपया लगातार नीचे की ओर जा रहा है जिसमें मुनाफा कमाने वाली कंपनियों को एक अरब डॉलर के मूल्य तक की भारतीय मुद्रा को अमेरिकी मुद्रा में तब्दील करवाने की अनुमति दी गई है.

वल्लभ ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर कटाक्ष करते हुए कहा था, ‘मोदी जी आप कहते थे कि रुपया गिरता है तो सरकार की साख गिरती है, अब आप बताइए कि कितनी साख गिरेगी?’’

उनका कहना था, ‘रिजर्व बैंक ने एक 22 डॉलर और रुपये के बीच चल क्या रहा है? अगस्त को एक परिपत्र जारी किया जिसके अनुसार, पिछले तीन साल तक मुनाफे में रहने वाली कंपनी एक अरब डॉलर तक की कीमत में रुपये को अमेरिकी मुद्रा में बदलवा सकती है. इससे मध्यवर्ग पर असर पड़ेगा, उपचार महंगा होगा, पेट्रोल-डीजल महंगा हो जाएगा.’

डॉलर के मुकाबले रुपये में अबतक की सबसे बड़ी गिरावट, रुपया गिरने का मतलब क्या है, आम आदमी को इससे कितना नफा-नुकसान

भारतीय मुद्रा

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अपूर्वा राय

  • नई दिल्ली,
  • डॉलर और रुपये के बीच चल क्या रहा है?
  • 30 जून 2022,
  • (Updated 30 जून 2022, 3:06 PM IST)

एक अमेरिकी डॉलर 79.04 रुपये का हो गया है,

भारतीय रुपये (Indian Rupee) में गिरावट का सिलसिला लगातार जारी है. अमेरिकी डॉलर (Dollar) की तुलना में रुपया अपने रिकॉड निचले स्तर पर है. मतलब एक अमेरिकी डॉलर की कीमत 79.04 रुपये पहुंच गया है. यह स्तर अब तक का सर्वाधिक निचला स्तर है. देश की आजादी के बाद से ही रुपये की वैल्यू लगातार कमजोर ही हो रही है. भले ही रुपये में आने वाली ये गिरावट आपको समझ में न आती हो या आप इसे गंभीरता से ना लेते हों, लेकिन हमारे और आपके जीवन पर इनका बड़ा असर पड़ता है.

आपके और हमारे लिए रुपया गिरने का क्या अर्थ है? रुपये की गिरती कीमत हम पर किस तरह से असर डालती है. आइए जानते हैं.

क्या होता है एक्सचेंज रेट

दो करेंसी के बीच में जो कनवर्जन रेट होता है उसे एक्सचेंज रेट या विनिमय दर कहते हैं. यानी एक देश की करेंसी की दूसरे देश की करेंसी की तुलना में वैल्यू ही विनिमय दर कहलाती है. एक्सचेंज रेट तीन तरह के होते हैं. फिक्स एक्सचेंज रेट में सरकार तय करती है कि करेंसी का कनवर्जन रेट क्या होगा. मार्केट में सप्लाई और डिमांड के आधार पर करेंसी की विनिमय दर बदलती रहती है. अधिकांश एक्सचेंज रेट फ्री-फ्लोटिंग होती हैं. ज्यादातर देशों में पहले फिक्स एक्सचेंज रेट था.

रुपया 80 प्रति डॉलर के पार, जानें आप पर क्या होगा सीधा असर

रुपया 80 प्रति डॉलर के पार, जानें आप पर क्या होगा सीधा असर

अमेरिकी मुद्रा डॉलर के मुकाबले आज मंगलवार को रुपया बाजार खुलने के बाद पहली बार अब तक के अपने निम्नतम स्तर 80.05 रुपया प्रति डॉलर पर आ गया. अमेरिकी मुद्रा के मजबूत बने रहने और कच्चे तेल की कीमतों में तेजी के बीच रुपया शुरुआती कारोबार में डॉलर के मुकाबले अब तक के अपने निम्नतम स्तर पर पहुंच गया. इस साल 2022 की शुरुआत में रुपया एक डॉलर पर 74 रुपये के लगभग चल रहा था, लेकिन अभी सात महीने बीते नहीं हैं कि इसमें सात फीसदी तक की गिरावट आ चुकी है. रुपया अपने सार्वकालिक स्तर पर आ गया है.

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लोकसभा में वित्तमंत्री की ओर से दिए गए लिखित जवाब में दिए गए आंकड़ों के मुताबिक, दिसंबर 2014 के बाद से रुपया 25 फीसदी तक गिर चुका है.

रुपये में इतनी तेज गिरावट का आप पर क्या असर हो सकता है, हम वही देखने की कोशिश कर रहे हैं-

आयात की लागत बढ़ जाएगी

किसी देश की करेंसी कमजोर होने का मतलब है कि उसके लिए विदेशों से वस्तुओं का आयात महंगा होगा क्योंकि अब उसे पहले के मुकाबले ज्यादा पैसे चुकाने होंगे. जैसे कि मान लीजिए कि आप इस साल जनवरी में विदेश से आ रहे किसी उत्पाद पर 1 डॉलर के बदले में 74 रुपये चुका रहे थे, तो अब आपको उसी प्रॉडक्ट पर 80 रुपये देने होंगे. रुपये की कीमत अभी और गिरने की आशंका जताई जा रही है, ऐसे में हो सकता है कि विदेशी वस्तुओं को खरीदना और महंगा हो.

ईंधन-ऊर्जा महंगी

भारत अपनी तेल की कुल जरूरतों का लगभग 80 फीसदी हिस्सा आयात करता है. रुपया कमजोर होगा तो इसका असर विदेशों से आयातित किए जा रहे तेल और ऊर्जा उत्पादों पर भी पड़ेगा. इससे देश में घरेलू बाजार में उपभोक्ताओं के लिए तेल की कीमतें बढ़ सकती हैं क्योंकि तेल रिफाइनरी और तेल विपणन कंपनियां अतिरिक्त भार को उपभोक्ताओं पर डाल देती हैं. हालांकि, बता दें कि पिछले कई महीनों में तेल की कीमतों ने उछाल देखा है, लेकिन इसका असर घरेलू बाजार पर नहीं दिखा है.

डॉलर की मांग और आपूर्ति डॉलर और रुपये के बीच चल क्या रहा है? से तय होती है रुपये की कीमत

गौरतलब है कि रुपये की कीमत इसकी डॉलर के तुलना में मांग और आपूर्ति से तय होती है। इसके साथ ही देश डॉलर और रुपये के बीच चल क्या रहा है? के आयात और निर्यात पर भी इसका असर पड़ता है। हर देश अपने विदेशी मुद्रा का भंडार रखता है। इससे वह देश के आयात होने वाले सामानों का भुगतान करता है। हर हफ्ते रिजर्व बैंक इससे जुड़े आंकड़े जारी करता है। विदेशी मुद्रा भंडार की स्थिति क्या है, और उस दौरान देश में डॉलर की मांग क्या है, इससे भी रुपये की मजबूती या कमजोरी तय होती है।

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