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विदेशी स्टॉक

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यह आर्टिकल लिखा गया सहयोगी लेखक द्वारा Marcus Raiyat. मार्कस रैयत एक U.K., फॉरेन एक्सचेंज ट्रेडर हैं और ये Logikfx के संस्थापक/CEO और इंस्ट्रक्टर भी हैं | लगभग 10 वर्षों के अनुभव के साथ मार्कस सक्रिय रूप से ट्रेडिंग फोरेक्स, स्टॉक्स और क्रिप्टो में भी माहिर हैं और CFD ट्रेडिंग, पोर्टफोलियो मैनेजमेंट और क्वांटिटेटिव एनालिसिस में विशेषज्ञ हैं | मार्कस ने एस्टोन यूनिवर्सिटी से मैथमेटिक्स में BS की डिग्री हासिल की है | Logikfx में इनके काम के लिए इन्हें ग्लोबल बैंकिंग और फाइनेंस रिव्यु के द्वारा "बेस्ट विदेशी स्टॉक फोरेक्स एजुकेशन एंड ट्रेनिंग U.K. 2021 के रूप में नामांकित किया गया था |

Market : अक्तूबर में दुनिया की तुलना में घरेलू बाजार में कम बढ़त, 10 महीने बाद सेंसेक्स 61 हजार के पार पहुंचा

प्रतीकात्मक तस्वीर।

अक्तूबर में दुनिया के प्रमुख शेयर बाजारों में अच्छी खासी तेजी रही, पर बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) और नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) में सबसे कम बढ़त रही। सेंसेक्स में 5.78% की तेजी जबकि निफ्टी-50 में 5.37% की तेजी रही। सबसे ज्यादा बढ़ने वालों में अमेरिका का डाऊजोंस रहा जिसमें 14.63% की बढ़ोतरी रही। सेंसेक्स पिछले 4 माह में 9,000 अंक बढ़ा है। जून मध्य में यह 51,260 पर था जो मंगलवार को 61 हजार को पार कर गया।

दुनिया के बाजारों विदेशी स्टॉक विदेशी स्टॉक में बढ़त इसलिए आई क्योंकि एक तो कच्चे तेलों की कीमतें गिरती गईं और दूसरे केंद्रीय बैंकों ने ब्याज दरों को बढ़ाना जारी रखा। ब्याज दरें अप्रैल के बाद से 4-5 बार बढ़ चुकी हैं। विदेशी निवशकों की बिकवाली से भारतीय बाजार में कम बढ़त देखी गई।

विस्तार

अक्तूबर में दुनिया के प्रमुख शेयर बाजारों में अच्छी खासी तेजी रही, पर बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) और नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) में सबसे कम बढ़त रही। सेंसेक्स में 5.78% की तेजी जबकि निफ्टी-50 में 5.37% की तेजी रही। सबसे ज्यादा बढ़ने वालों में अमेरिका का डाऊजोंस रहा जिसमें 14.63% की बढ़ोतरी रही। सेंसेक्स पिछले 4 माह में 9,000 अंक बढ़ा है। जून मध्य में यह 51,260 पर था जो मंगलवार को 61 हजार को पार कर गया।

दुनिया के बाजारों में बढ़त इसलिए आई क्योंकि एक तो कच्चे तेलों की कीमतें गिरती गईं और दूसरे केंद्रीय बैंकों ने ब्याज दरों को बढ़ाना जारी रखा। ब्याज दरें अप्रैल के बाद से 4-5 बार बढ़ चुकी हैं। विदेशी निवशकों की बिकवाली से भारतीय बाजार में कम बढ़त देखी गई।

रुपये में भी भारी गिरावट
रुपये में इस साल चार सबसे बड़ी गिरावट रही। मई में डॉलर के मुकाबले इसमें जहां 1.5% की गिरावट आई वहीं जून में यह 1.7% टूट गया। सितंबर में 2.4% टूटा जबकि अक्तूबर में 1.8% गिरकर बंद हुआ।

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विदेशी संस्थागत निवेशकों द्वार .

विदेशी विदेशी स्टॉक प्रत्यक्ष निवेश पोर्टफोलियो निवेश अनिवासी भारतीय निवेश विदेशी अप्रत्यक्ष निवेश

Solution : भारत ने सितंबर, 1992 से अपने स्टॉक मार्केट को विदेशी संस्थागत निवेशकों के लिए खोल दिया था तथा वर्ष 1993 से विदेशी संस्थागत निवेशकों द्वारा भारतीय कंपनियों के शेयरों और बॉण्डों की खरीद शुरू हो गई, जिसे पोर्टफोलियो निवेश कहा जाता है।

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विदेशी प्रत्यक्ष निवेश पोर्टफोलियो निवेश अनिवासी भारतीय निवेश विदेशी अप्रत्यक्ष निवेश

Solution : भारत ने सितंबर, 1992 से अपने स्टॉक मार्केट को विदेशी संस्थागत निवेशकों के लिए खोल दिया था तथा वर्ष 1993 से विदेशी संस्थागत निवेशकों द्वारा भारतीय कंपनियों के शेयरों और बॉण्डों की खरीद शुरू हो गई, जिसे पोर्टफोलियो निवेश कहा जाता है।

Share Market Update : भारतीय स्टॉक मार्किट से पैसा निकाल रहे हैं विदेशी निवेशक , शेयर मार्किट को पड़ रहा है घाटा

शेयर मार्किट में देश के निवेशकों के साथ साथ विदेशी निवेशक भी पैसा इन्वेस्ट करते हैं , पर भारतीय स्टॉक मार्किट के लगातार घाटे को देखते हुए विदेशी निवेशक अपना पैसा स्टॉक मार्किट से निकाल रहे हैं जिससे कंपनियों को काफी असर पड़ने वाला है। आइये जानते है पूरी खबर।

भारतीय स्टॉक मार्किट से पैसा निकाल रहे हैं विदेशी निवेशक , शेयर मार्किट को पड़ रहा है घाटा

HR Breaking News, New Delhi : एक बार फिर विदेशी निवेशकों ने अमेरिका में मंदी पर छिड़ी बहस के बीच भारतीय शेयर बाजार से मुंह मोड़ना शुरू कर दिया है. लगातार दो माह की खरीदारी के बाद सितंबर में विदेशी निवेशकों ने फिर बिकवाली पर जोर दिया है. इस दौरान विदेशी निवेशकों ने भारतीय शेयर बाजारों से करीब 7,600 करोड़ रुपये से अधिक की निकासी कर ली है. इसके साथ ही विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) ने कैलेंडर वर्ष 2022 में अब तक भारतीय बाजारों से कुल 1.68 लाख करोड़ रुपये की निकासी की है. जानकारों का मानना है कि आने वाले महीनों में भी एफपीआई की गतिविधियों में उतार-चढ़ाव का सिलसिला कायम रहने की संभावना है. उन्होंने इसके लिए वैश्विक कारकों के अलावा घरेलू कारणों को भी जिम्मेदार माना है.

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